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Fantasy बूढ़े लोगों को सेवा।
#1
यह कहानी है है एक औरत की जिसका नाम अनामिका है। उमर २८ साल। दूध सा गोरा रंग। बहुत ही खूबसूरत। वो वैसे छत्तीसगढ़ के बिलवासा गांव में रहती हैं। वहा वो सरकारी बैंक में काम करती है। वैसे वो दिल्ली शहर की रहनेवाली थी लेकिन समय ने उसे इस आदिवासी गांव में ला खड़ा किया।
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बैंक में वो सिर्फ ४ घंटे का काम करती लेकिन जब भी करती पूरे ध्यान से करती। गांव बहुत ही पीछड़ा और गरीबी से बना था। सरकारी नौकरी होने के कारण अनामिका को बहुत अच्छी और बड़ी रकम की salary थी। यह जगह इतनी पिछड़ा है की जो काम करेगा उसे ज्यादा पैसा मिलेगा। लेकिन बदले में बिजली की सुविधा नहीं और न किसी बड़े घर की। अनामिका अकेले ही बैंक का काम करती और उसके साथ दो गांव उरतें काम करती। पूरा गांव कच्चे घर का बना। सिर्फ २० परिवार ही रहते है।

साल 1976

दोपहर का वक्त था। करीब 1 बजे बैंक का काम पूरा करके वो वहां से निकल जाती। नवंबर का महीना था। ठंडी का मौसम था। दोपहर को हल्का सा धूप था। अनामिका जंगल के रास्ते से अकेले कहीं जा रही थी। पीले रंग की साड़ी और पीले रंग का sleveless ब्लाउस वो काफी सुंदर लग रही थी। चलते चलते वो एक खंडर घर में पहुंची। दरवाजा चंपा नाम की 50 साल की औरत ने खोला।

"कैसी है उनकी तबियत ?" अनामिका ने पूछा।


"अब वो ठीक है। लेकिन आज आपने आने मैं देर क्यों की ?" चंपा ने पूछा।

"आज काम थोड़ा ज्यादा था। चलो मैं भी चलूं।"

अनामिका उस खंडर घर में घुसी। घर टूटा फूटा और अंधेरे से भरा था। वहा उसने एक कमरे का दरवाजा खोला। सामने 82 साल का काला बुड्ढा लेता हुआ था।

कौन है यह बुड्ढा और इससे मिलने अनामिका क्यों आई। इस कहानी को जानने के लिए हम 1 साल पीछे जाना होगा।

अनामिका एक बड़े पुलिस ऑफिसर की बीवी थी। पति का नाम अमन था। अमन दिल्ली का बड़ा पुलिस ऑफिसर था और पैसेवाला भी। लेकिन एक भ्रष्टाचार से भरा हुआ गंदा आदमी। अमर पुलिस इंस्पेक्टर था और दो नंबर का काम करता। एक दिन की बात है। अमर को एक hit and run का कैस मिला। उस कैसे में एक बुजुर्ग बाबा और छोटे बच्चे को एक राइस बाप की बिगड़ी औलाद ने कुचल दिया था। उस कैसे को अमन ने पैसा लेकर रफा दफा कर दिया। दूसरा कैसे लगा जिसमे एक में बिल्डिंग गिरने से 10 बुड्ढे की मौत हुई। वो बिल्डिंग एक सरकारी वृद्धाश्रम था। उसे भी पैसे के जोर में अमन ने रफा दफा कर दिया।

लोगो के आंसू और जज्बात से उसका कोई लेना देना न था। अनामिका के पेट में अमन का बच्चा था। एक दिन वो हॉस्पिटल जा रही थी कि तभी एक बाबा जो सिद्धि तंत्र का ज्ञानी था वो सड़क से गुजर रहा था। चलते चलते वो गिर पड़ा और एक ट्रक सामने से आई। अनामिका ने बिना जान की परवाह किए उसे बचाया। उस सिद्धि ज्ञानी बाबा का नाम सरजू दास था। बाबा अनामिका की बहादुरी से प्रसन्न हुआ और उसे आशीर्वाद दिया।

इसके कुछ दिन बाद अचानक अनामिका को पता चला की उसकी तानिया खराब हो रही है। वो बार बार बीमार पड़ने लगी और इसी में उसे दुखद समाचार मिला। उसके पेट में पल रहा बच्चा मर गया। दुखो का पहाड़ उसपे टूटा। कुछ दिन बात अमन की मौत किसी हादसे में हुई।

अनामिका को कुछ समझ में न आया। वो जैसे अकेले पड़ गई। एक दिन उसे सरजू दास मिला। अनामिका ने उसके पैर छुए और अपनी तकलीफ के बारे में बताया।

"देखो बेटी यह सब मेरे श्राप का नतीजा है। में तुमसे इसीलिए मिलने आया हूं।"

यह सुनकर अनामिका घुसे से पूछी "कैसा श्राप ? आपने एक मासूम से बच्चे को मार डाला ? उसने आपका क्या बिगाड़ा ?"

"बिगाड़ा उन 10 बुगुर्गो ने भी कुछ नहीं था फिर क्यों तेरे पति ने उसे न्याय नहीं दिलाया। उसके परिवार पर क्या बीती है पता है तुझे ? इसके अलावा कई निर्दोष लोगो को तेरे पति ने मारा उन में से एक आदमी के पिता का दर्द मुझसे देखा न गया और इसीलिए मैंने तेरे पति से मिलने गया। उसने फिर मेरा अपमान किया और सभी को मौत पर हसने लगा। में इसीलिए उससे श्राप दिया।"

अनामिका को यह बात सुनकर खुद पर घुसा आया। और वो माफी मांगने लगी।

"देख बेटी तेरे पति के अलावा उसके सभी रिश्तेदार को भी मरने का श्राप दिया है। हर महीने एक एक करके सभी मारे जाएंगे।"

"नही नही ऐसा न करिए आप। मेरे रिश्तेदारों का क्या दोष है ? मेरे ससुराल के लोग बहुत ही शरीफ है। मेरे सास ससुर सब कितने शरीफ है। कुछ करिए ना आप।"

"एक उपाय है। अगर तू कर सकती है तो।"

"क्या करना होगा मुझे ?"

"मुश्किल है। यह सब करना तेरे लिए।"

"आप बोलिए न क्या करना होगा मुझे ?"

"जिस आदमी को तेरे पति ने मारा उसका एक बुड्ढा बेसहारा भाई है। तुझे उसकी सेवा करनी होगी। और साथ ही साथ जो बेसहारा बुड्ढा आदमी तुझे वहां मिले उसकी सेवा करनी होगी तुझे। में तुझे एक आशीर्वाद भी देता हूं। जब जरूरत पड़े तू तेरी आंख बंद करके मेरे दिए हुए मंत्र को पढ़ना। तेरी मदद पूरी हो जाएगी। लेकिन ध्यान रहे इस मंत्र का एक ही बार उपयोग होगा। और तो और अगर वो बुड्ढा आदमी मर गया तो तुझे इस श्राप से कोई नहीं बचा पाएगा।"

"बाबा एक सवाल है। आपने इस मंत्र का आर्शीवाद क्यों दिया मुझे ?"

"क्योंकि तूने एक बार मेरी जान बचाई इसीलिए।"

"फिर भी मुझे ही क्यों यह सब करना क्यों है ?"

"तू ही है जो अपने पति के पाप के बारे में जानती है लेकिन कभी किसी की मदद न की। इसीलिए तुझे ही करना होगा। सोच ले तेरी चुप्पी ने कइयों की जान ली और अब तेरे रिश्तेदारों की बारी।

इसके बाद अनामिका दिल्ली से ट्रांसफर लेकर झारखंड पहुंची और वहां अपने काम में लगी। वहां us बुड्ढे आदमी से मिली जिसका नाम मेवा है उसकी तबीयत बहुत खराब थी। हड्डी शरीर से गलने लगी। अनामिका ने उसकी सेवा की लेकिन कोई फर्क न पड़ा। डॉक्टर ने कहा की अगर खाना न पहुंचा तो हफ्ते के अंदर कर सकते है। खाना जैसे दूध या कुछ भी। दूध पूरा पौष्टिक हो। लेकिन इस गांव में असंभव हैं।"

अनामिका को कुछ समझ न आया और उसने मंत्र पढ़ लिया जो बाबा से दिया था। मंत्र पढ़ते ही अनामिका के स्तन में पीड़ा हुई। दर्द बढ़ने लगा। स्तन में दूध भर गया। अनामिका समझ ली कि यही बाबा के मंत्र का आशीर्वाद है। बस इसी के बाद अनामिका मेवा को अपने स्तन का दूध पिलाने लगी। शुरुआत में मेवा ने माना किया लेकिन जिंदा रहने के लिए उपयोग किया। इस बात को एक महीना हुआ। अनामिका उस बुड्ढे की सेवा करती और अपना पश्चाताप भी पूरा करती।





Dosto kaisi laagi kahani please jaroor bataiye. Yeh ek serious kahani hai. Aage bhi update aayega.

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बूढ़े लोगों को सेवा। - by Basic - 18-11-2023, 08:26 PM



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