17-01-2019, 08:07 PM
मोहित ने कहा- “मैंने गाँव में एक लड़की को चोदा था, जिसस का नाम रूपा था...” मोहित ने थोड़ी देर रुक कर कहा- “मैं एक लड़की से प्यार भी करता हूँ, वो भी मुझसे प्यार करती है, मगर हम दोनों के बीच अभी तक कोई सेक्स नहीं हुआ है."
मैंने मोहित से पूछा- “उसका नाम क्या है?”
मोहित ने कुछ देर खामोश रहकर कहा- “रिया नाम है उसका...”
तभी दरवाजा खुलने की आवाज आई और आँटी अंदर दाखिल हो गई, आँटी सीधा अपने कमरे में चली गई।
मैंने मोहित से कहा- “मैं जा रही हूँ, थोड़ा सा काम है...” और सीधे आँटी के कमरे में आ गई। आँटी के कमरे में घुसते ही मैं हैरत में पड़ गई। आँटी अपने कपड़े साड़ी निकालकर, पैंटी और ब्लाउज़ में खड़ी थी।
आँटी ने मुझे देखकर कहा- “धन्नो तुमको कोई काम है?”
मैंने अपना कंधा ना में हिलाया।
आँटी ने कहा- “तुम बैठो मैं नहाकर आती हूँ.."
मुझे दाल में कुछ काला लग रहा था, क्योंकी आँटी के कंधे पर लाल निशान थे और वो अपनी टाँगों को फैलाकर चल रही थी। मैं चुदवा-चुदवाकर जान चुकी थी की जब कोई तगड़ा लण्ड चूत में जाता है तो चलने में थोड़ी तकलीफ होती है। मैंने आँटी का राज पता करने की ठानी और बैठकर आँटी का इंतजार करने लगी। आँटी कुछ देर बाद बाथरूम से बाहर निकली। वो अब भी ब्लाउज़ और पैंटी में थी। आँटी ने अलमारी से कपड़े निकाले और पहनने लगी।
तभी मैंने आँटी से पूछा- “आँटी आपके कंधे पर यह लाल निशान कहां से आया?”
आँटी मेरी बात सुनकर थोड़ा हड़बड़ा गई, मगर फिर बात को संभालते हुए कहा- “धन्नो रास्ते में किसी जहरीले मच्छर ने काट दिया था...”
तभी दरवाजे की आवाज आई और बिंदिया और करुणा आ गई। मैं वहाँ से उठकर बिंदिया के कमरे में आ गई।
बिंदिया ने कहा- “मैं बहुत थक गई हूँ, नहाने जा रही हूँ..”
करुणा ने कहा- “चलो मेरे कमरे में चलते हैं..."
हम दोनों करुणा कमरे में आकर कुछ देर तक बातें करते रहे, ऐसे ही कब रात हो गई पता ही नहीं चला। आँटी ने खाना लगाया और हम सबने मिलकर खाना खाया और अपने-अपने कमरे में सोने चले गये।
मैं अपने कमरे में आकर बैठी ही थी की आँटी मेरे कमरे में दाखिल हुई और दरवाजा बंद करते हुए कहा- “धन्नो आकाश किसी काम के सिलसले में देहली गया हुआ है, तुम सो जाओ वो आज भी नहीं आएगा...” आँटी इतना कहकर वहाँ से चली गई।
मेरा शक आँटी पर बढ़ता ही जा रहा था। वो एक दिन भी चुदाई के बगैर नहीं रह सकती थी। मैं बेड पर लेटते हुए 12:00 बजे का इंतजार करने लगी, क्योंकी रोहन आने वाला था। मैं रोहन और बिंदिया का पहला सेक्स देखने का सोचकर गर्म होने लगी। थोड़ी ही देर बाद मेरे कमरे का दरवाजा खटकने की आवाज आई। मैंने जल्दी से जाकर दरवाजा खोला, तो मेरा मुँह फटा का फटा रह गया। सामने मोहित सिर्फ एक अंडरवेर में खड़ा था।
दरवाजा खुलते ही मोहित अंदर आ गया और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। मोहित दरवाजा बंद करते ही मुझसे लिपट गया और मुझे बेतहाशा चूमने लगा। मैं पहले से गर्म थी। मैं भी उसका साथ देने लगी। कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे और फिर मोहित मुझे बेड तक ले आया और मुझे बेड पर गिरा दिया।
मैंने मोहित से पूछा- “उसका नाम क्या है?”
मोहित ने कुछ देर खामोश रहकर कहा- “रिया नाम है उसका...”
तभी दरवाजा खुलने की आवाज आई और आँटी अंदर दाखिल हो गई, आँटी सीधा अपने कमरे में चली गई।
मैंने मोहित से कहा- “मैं जा रही हूँ, थोड़ा सा काम है...” और सीधे आँटी के कमरे में आ गई। आँटी के कमरे में घुसते ही मैं हैरत में पड़ गई। आँटी अपने कपड़े साड़ी निकालकर, पैंटी और ब्लाउज़ में खड़ी थी।
आँटी ने मुझे देखकर कहा- “धन्नो तुमको कोई काम है?”
मैंने अपना कंधा ना में हिलाया।
आँटी ने कहा- “तुम बैठो मैं नहाकर आती हूँ.."
मुझे दाल में कुछ काला लग रहा था, क्योंकी आँटी के कंधे पर लाल निशान थे और वो अपनी टाँगों को फैलाकर चल रही थी। मैं चुदवा-चुदवाकर जान चुकी थी की जब कोई तगड़ा लण्ड चूत में जाता है तो चलने में थोड़ी तकलीफ होती है। मैंने आँटी का राज पता करने की ठानी और बैठकर आँटी का इंतजार करने लगी। आँटी कुछ देर बाद बाथरूम से बाहर निकली। वो अब भी ब्लाउज़ और पैंटी में थी। आँटी ने अलमारी से कपड़े निकाले और पहनने लगी।
तभी मैंने आँटी से पूछा- “आँटी आपके कंधे पर यह लाल निशान कहां से आया?”
आँटी मेरी बात सुनकर थोड़ा हड़बड़ा गई, मगर फिर बात को संभालते हुए कहा- “धन्नो रास्ते में किसी जहरीले मच्छर ने काट दिया था...”
तभी दरवाजे की आवाज आई और बिंदिया और करुणा आ गई। मैं वहाँ से उठकर बिंदिया के कमरे में आ गई।
बिंदिया ने कहा- “मैं बहुत थक गई हूँ, नहाने जा रही हूँ..”
करुणा ने कहा- “चलो मेरे कमरे में चलते हैं..."
हम दोनों करुणा कमरे में आकर कुछ देर तक बातें करते रहे, ऐसे ही कब रात हो गई पता ही नहीं चला। आँटी ने खाना लगाया और हम सबने मिलकर खाना खाया और अपने-अपने कमरे में सोने चले गये।
मैं अपने कमरे में आकर बैठी ही थी की आँटी मेरे कमरे में दाखिल हुई और दरवाजा बंद करते हुए कहा- “धन्नो आकाश किसी काम के सिलसले में देहली गया हुआ है, तुम सो जाओ वो आज भी नहीं आएगा...” आँटी इतना कहकर वहाँ से चली गई।
मेरा शक आँटी पर बढ़ता ही जा रहा था। वो एक दिन भी चुदाई के बगैर नहीं रह सकती थी। मैं बेड पर लेटते हुए 12:00 बजे का इंतजार करने लगी, क्योंकी रोहन आने वाला था। मैं रोहन और बिंदिया का पहला सेक्स देखने का सोचकर गर्म होने लगी। थोड़ी ही देर बाद मेरे कमरे का दरवाजा खटकने की आवाज आई। मैंने जल्दी से जाकर दरवाजा खोला, तो मेरा मुँह फटा का फटा रह गया। सामने मोहित सिर्फ एक अंडरवेर में खड़ा था।
दरवाजा खुलते ही मोहित अंदर आ गया और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। मोहित दरवाजा बंद करते ही मुझसे लिपट गया और मुझे बेतहाशा चूमने लगा। मैं पहले से गर्म थी। मैं भी उसका साथ देने लगी। कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे और फिर मोहित मुझे बेड तक ले आया और मुझे बेड पर गिरा दिया।