16-07-2019, 08:17 AM
छुटकी ननदिया,... गुड्डी
अनुज को मैंने कस के हड़काया ,
" ये क्या मतलब अभी गए अभी आये ,... अगर सवा घंटे से एक मिनट पहले आये न ,...
तो दूंगी एक कान के नीचे समझ गए न। और ढोलक ज़रा आराम से बजा वजा के ,... "
दोनों , अनुज और गुड्डो मुस्करा रहे थे , वो समझ तो रहे ही थे की ,... कौन सी और किसकी बजानी है।
" गुड्डो चल जरा मेरे कमरे में एक मिनट ,... "
मैं उसे खींच के अपने कमरे में ले गयी , और तकिये के नीचे से वैसलीन की शीशी निकाल के उसस्के हाथ में पकड़ा दी
" यार लड़के बहुत बेसबरे होते हैं , ... मारे जल्दी के ,... इसलिए तुझे देख रही हूँ ,... और जल्दी मत मचाना ,... देर हो जायेगी तो मैं यहां सम्हाल लूंगी , और हाँ एक चीज और ,... "
मैंने उसे एक आई पिल की गोली भी गटका दी।
और एक बार फिर अपनी ननदों के बीच , गुड्डी के साथ मीता और गीता भी थीं।
नन्दोई जी अभी भी मिली के साथ मिले ,...
……
"भाभी जलेबी खायी की नहीं ,...बहुत मीठी है ,... "
गुड्डी , अनुज की छोटी बहन बोली ,
.... वो गीता और मीता जलेबी रबड़ी खा रही थी , मैंने गुड्डी के हाथ से एक ले ली और नन्दोई जी को दूर से ललचाते हुए , दिखाके मुंह में गड़प कर लिया ,... इतना इशारा बहुत था , वो मेरे पास आये ,...
" जलेबी बहुत मीठी है लेकिन जानते हैं इस मीठी जलेबी से ज्यादा मीठा क्या होगा ,... "
मैंने नन्दोई जी को ललचाया।
" उन्ह आप बोलिये न " उन्हें सच में समझ में नहीं आया ,...
मैंने मीता के होंठों से एक जलेबी झपट के ननदोई जी के मुंह में डाल दिया ,
" देखिये है न , जलेबी से मीठी ,... मीठी मीठी साली के मीठे होंठ के रस से भीगी जलेबी। "
" एकदम सही कहा आपने " मीता के होंठों से निकली जलेबी धीमे धीमे चूसते हुए , वो बोले , और बेचारी मीता शरमा गयी ,
लेकिन मेरा असली टारगेट तो गुड्डी थी , एकदम जवानी की दहलीज पर खड़ी ,
" लेकिन जबतक आपने बाली सालियों की नहीं ,चखी मेरा मतलब रसीली जलेबी ,... "
और अबकी जलेबी मैंने गुड्डी को चिखायी और फिर वही नन्दोई जी के मुंह में
"सबसे छोटी साली है आपकी , इसका स्वाद भी तो चखिए न ,.. "
मैं बोली
" सच में ,... इस स्साली का मजा ही अलग है , "
वो बोले , उनकी निगाह गुड्डी के नए आये रुई के फाहे ऐसे उभारों पर टिकी थीं ,
और यही तो मैं चाहती थी , उसे अहसास हो जाए ,... वो शरमा गयी , अपने जीजू की निगाहों को समझ कर।
उसे मैं नन्दोई जी के हवाले कर के , सासु जी की ओर ,... कुछ मोहल्ले की औरतें अभी आयी थीं , वो मुझसे मिलवाना चाहती थीं।
अनुज को मैंने कस के हड़काया ,
" ये क्या मतलब अभी गए अभी आये ,... अगर सवा घंटे से एक मिनट पहले आये न ,...
तो दूंगी एक कान के नीचे समझ गए न। और ढोलक ज़रा आराम से बजा वजा के ,... "
दोनों , अनुज और गुड्डो मुस्करा रहे थे , वो समझ तो रहे ही थे की ,... कौन सी और किसकी बजानी है।
" गुड्डो चल जरा मेरे कमरे में एक मिनट ,... "
मैं उसे खींच के अपने कमरे में ले गयी , और तकिये के नीचे से वैसलीन की शीशी निकाल के उसस्के हाथ में पकड़ा दी
" यार लड़के बहुत बेसबरे होते हैं , ... मारे जल्दी के ,... इसलिए तुझे देख रही हूँ ,... और जल्दी मत मचाना ,... देर हो जायेगी तो मैं यहां सम्हाल लूंगी , और हाँ एक चीज और ,... "
मैंने उसे एक आई पिल की गोली भी गटका दी।
और एक बार फिर अपनी ननदों के बीच , गुड्डी के साथ मीता और गीता भी थीं।
नन्दोई जी अभी भी मिली के साथ मिले ,...
……
"भाभी जलेबी खायी की नहीं ,...बहुत मीठी है ,... "
गुड्डी , अनुज की छोटी बहन बोली ,
.... वो गीता और मीता जलेबी रबड़ी खा रही थी , मैंने गुड्डी के हाथ से एक ले ली और नन्दोई जी को दूर से ललचाते हुए , दिखाके मुंह में गड़प कर लिया ,... इतना इशारा बहुत था , वो मेरे पास आये ,...
" जलेबी बहुत मीठी है लेकिन जानते हैं इस मीठी जलेबी से ज्यादा मीठा क्या होगा ,... "
मैंने नन्दोई जी को ललचाया।
" उन्ह आप बोलिये न " उन्हें सच में समझ में नहीं आया ,...
मैंने मीता के होंठों से एक जलेबी झपट के ननदोई जी के मुंह में डाल दिया ,
" देखिये है न , जलेबी से मीठी ,... मीठी मीठी साली के मीठे होंठ के रस से भीगी जलेबी। "
" एकदम सही कहा आपने " मीता के होंठों से निकली जलेबी धीमे धीमे चूसते हुए , वो बोले , और बेचारी मीता शरमा गयी ,
लेकिन मेरा असली टारगेट तो गुड्डी थी , एकदम जवानी की दहलीज पर खड़ी ,
" लेकिन जबतक आपने बाली सालियों की नहीं ,चखी मेरा मतलब रसीली जलेबी ,... "
और अबकी जलेबी मैंने गुड्डी को चिखायी और फिर वही नन्दोई जी के मुंह में
"सबसे छोटी साली है आपकी , इसका स्वाद भी तो चखिए न ,.. "
मैं बोली
" सच में ,... इस स्साली का मजा ही अलग है , "
वो बोले , उनकी निगाह गुड्डी के नए आये रुई के फाहे ऐसे उभारों पर टिकी थीं ,
और यही तो मैं चाहती थी , उसे अहसास हो जाए ,... वो शरमा गयी , अपने जीजू की निगाहों को समझ कर।
उसे मैं नन्दोई जी के हवाले कर के , सासु जी की ओर ,... कुछ मोहल्ले की औरतें अभी आयी थीं , वो मुझसे मिलवाना चाहती थीं।