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Adultery यादों के झरोखे से
#50
Heart 
मेरा लंड तो वैसे भी उसकी चुचियों की घुंडियों को देख देख कर अंगड़ाईयां ले रहा था लेकिन ये सुन कर कि उसने चड्डी भी नहीं पहनी है, वह बुरी तरह फनफना उठा। मैंने टांग पर टांग चढ़ा कर अपने लंड को उसमे कस कर दबा लिया। 

हालांकि मेरी उसको चोदने की तबियत हो रही थी लेकिन मैं यह अभी शो नहीं करना चाह रहा था। मैं उसी की तरफ से किसी पहल का इंतज़ार कर रहा था फिर तो उसकी चूत में अपना लंड पेल के उसे चोद ही देना था। वैसे उसकी एक्टिविटी से लग रहा था कि सायरा उस टाइप की लड़की है जो ये सोचतीं है की जब चुदाई करने से लड़कों के लंड का कुछ नहीं बिगड़ता तो लड़कियों की चूत का क्यों बिगड़ेगा। 

चूंकि खाना लग चुका था सो हम सब खाना खाने लगे लेकिन मेरी निगाह बार बार सायरा की चूचियों की तरफ ही उठ जा रही थी जिसे सभी बखूबी समझ रहे थे क्योंकि में बीच बीच में अपने फनफनाते लंड को भी एडजस्ट कर रहा था। खाना खाकर रज़िया ऊपर वाले कमरे में चली गयी। 

हालांकि वह इतनी बुरी तरह चुदने के बाद भी चुप थी, दीदी की तरह हाय हाय नहीं कर रही थी फिर भी मैं उसकी चूत की हालत समझते हुए आज उसे छेड़ना नहीं चाहता था। एक रात के रेस्ट के बाद उसकी चूत की हालत भी सुधर ही जानी थी और फिर मेरे लंड के लिए कौन सी चूतों की कमी थी, यहाँ लुधियाना आने के बाद तो मेरे लंड को वैसे भी बिलकुल रेस्ट नहीं मिला था, हर वक़्त चूत में ही घुसा रहता था। 

दो दो कुंवारी चूतों की सील तो खोल ही चुका था ऊपर से खुदा ने सायरा को और भेज दिया, वैसे मैं उसकी चूत के बारे में डाउट में था क्योंकि इतनी बोल्ड लड़की अपनी चूत में बिना लंड पिलवाये नहीं मान सकती। ज़रूर उसने लंड का मज़ा ले लिया होगा। 

खैर, दीदी व सायरा भी खाने से फ्री होकर लेटने चल दीं तो मैंने फोर्मली पूछा, "आज कैसे लेट बैठ होगी"

"हम दोनों तो अन्दर वाले कमरे में लेट जाते है, बैठने का काम आप पूरी रात शौक से फरमा सकते हैं" -सायरा ने मेरी बात पर चुटकी ली

"वाह भई वाह, रज़िया ऊपर और तुम दोनों अन्दर वाले कमरे में... मैं अकेले यहाँ क्या करूंगा" -मैंने टोका

"आप ज़नाब, कांग्रेस आई के सहयोग से रात काटिए (कांग्रेस आई का निशान हाथ का पंजा है)" -सायरा शोखी से आँखे नाचते बोली

"अजी अगर हम कांग्रेस का सपोर्ट लेंगे तो आपको भी तो रात काटने को उसी का सपोर्ट लेना पड़ेगा" -मैंने भी उसी के टोन में ज़बाब दिया

"हाँ यार, इससे बढ़िया तो ये रहेगा कि हम दोनों ही मिलजुल के सरकार बना ले" -सायरा मेरी बनियान की स्ट्रिप्स में अपनी उंगली फंसाकर धीरे से बोली

"मुझे कब ऐतराज है"

"हाँ जी, वो तो तुम अपना डंडा लिए झंडा फहराने को बिलकुल तैयार दिखाई दे ही रहे हो" -सायरा मेरी लुंगी में काफी उभरे हुए लंड को देख कर बोली

वैसे तो दोस्तों मैंने अपनी इस छोटी सी लाइफ में कई चुदासी चूतों को चोदा और कई चूतों को थोडा ज़बरदस्ती करके भी चोदा था लेकिन ऐसी बोल्ड चूत खुल के चुदवाने को उतावली आज पहली बार देख रहा था। 

हम लोगों को खुसुर पुसुर करते देख दीदी ने मामू के कमरे में सोने का ऐलान कर दिया। वह भी समझ चुकीं थी कि हम दोनों ही चुदाई प्रोग्राम किये बिना नहीं मानेंगे सो उन्होंने हम लोगों को अकेला छोड़ देने का सोचा लेकिन सायरा ने दीदी की बात काटते हुए कहा, "क्या दीदी, कितने दिन बाद तो मिले है, आप भी हमारे साथ ही लेटिये ना… ढेर सारी बातें करेंगे" -फिर मेरी तरफ देखकर मुस्करा दी।

हालांकि मेरे और दीदी के बीच अब कोई पर्दा नहीं था फिर भी मेरी समझ में उसका प्लान नहीं आ रहा था क्योंकि वह तो हमारे इस चुदाई रिलेशन से बिलकुल ही अनजान थी।

अन्दर जाकर वह दोनों बेड पर लेट गयीं और सायरा थोडा एक तरफ खिसक कर बीच में जगह बनाती बोली, "अरे अब खड़े ही रहोगे या लेटोगे भी"

मैं तो सिर्फ इशारे का इंतज़ार कर रहा था सो उसके कहते ही मैं कूद कर बेड पर चढ़ गया और उन दोनों के बीच लेट गया। दीदी ने उठ कर लाइट बंद करके नाईटलैंप जला दिया। वह सिर्फ कहने भर का नाईट लैंप था वर्ना कमरे में इतनी रोशनी हो रही थी कि मैं आराम से नॉवेल पढ़ सकता था। 

दीदी चूँकि हम दोनों से उम्र में बड़ीं थीं सो वह सायरा के सामने पूरी तरह खुल नहीं पा रहीं थीं। 

उन्होंने हमारी तरफ करवट लेते हुए कहा, "मुझे तो बहुत नींद आ रही है, तुम लोग भी जल्दी सो जाओ सुबह अम्मी को हॉस्पिटल से भी लाना है"

"आप टेंशन मत लो दीदी, मैं सब मैनेज कर लूँगा" -मैंने दीदी के पीछे से उनके पेट पर हाथ फिराते हुए कहा। 

"ठीक है" -कह कर दीदी ने धीरे से मेरा हाथ दबा कर पेट से हटा दिया।

मैं भी उनका इशारा समझ कर सायरा की तरफ घूम गया। सायरा आँखे बंद किये चुपचाप पीठ के बल सीधी लेटी थी। उसकी बिना ब्रा के गाउन में तनीं हुई चूचियां किसी उन्नत पर्वत शिखर जैसी हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहीं थी। हौज़री के पतले से गाउन में उसका एक एक कटाव साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था। 

मेरा लंड ये नज़ारे देख कर तो फुंफकार मार कर चड्डी से बाहर आने को बेताब होने लगा लेकिन मैं अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहता था। मैं अपने लंड को दोनों जाँघों में दबा कर उसकी तरफ से किसी शुरुआत का इंतज़ार करने लगा।

थोड़ी देर की चुप्पी के बाद सायरा ने मेरी तरफ करवट लेकर पूछा, "सो गए क्या?"

"नहीं यार, नींद ही नहीं आ रही" -मैंने कहा। 

मन में तो आया कि कह दू कि बिना चुदाई किये मुझे नींद नहीं आती लेकिन मैं चुप रहा। उसने अपना एक हाथ मेरे सीने पर रख लिया जिससे उसकी बम्बइया आम जैसी मस्त चूचियां मेरी बाजू में गढ़ने लगीं।

"तो फिर कुछ बाते ही करो यार"

"क्या बाते करूं, तुम ही थोडा सजेस्ट करो"

"कुछ भी बात करो ना, मुझे भी नींद कहाँ आ रही है"

"कांग्रेस की जगह एक दूसरे को सपोर्ट करके सरकार बना लेते है, नींद आ जायेगी"

मेरी ये बात सुन कर उसने मुझे जीभ निकाल कर दिखा दी और धीरे से दीदी की तरफ इशारा करके कहा, "अभी शायद जग रहीं है"

"नहीं वो बहुत जल्दी और गहरी नींद में सोतीं है" -मैंने कहा क्योंकि दीदी की तरफ से मुझे बिलकुल भी डर नहीं था, उनकी तो वो मस्त चुदाई की थी कि उनके चूत और गांड दोनों दवा देने के बाद भी शायद अभी तक कसक रहे होंगे। 

उसने अपनी जांघ मेरी जांघों पर चढ़ा ली। मेरा लंड जिसे मैं बड़ी मुश्किल से जांघो में दबाये था झटके से बाहर निकल कर उसकी जांघो से रगड़ खाने लगा।

"ओहो ये ज़नाब तो सरकार बनाने को कुछ ज्यादा ही उतावले हो रहे है"

"तुम्हीं ने हामी भर कर इसकी यह हालत की है"

तभी सायरा ने मेरे गले में बांहे डाल कर मेरे होंठो पर अपने तपते होंठ रख दिए। मैं तो वैसे भी इसी पहल का इंतज़ार कर रहा था। मैं उसके होंठो को चूसते हुए अपनी जीभ उसके मुंह में घुमाने लगा। वह भी बराबर का सहयोग देती हुई लेमनचूस की तरह मेरी जीभ को चूसने लगी। 

मेरी हालत तो जो थी सो थी लेकिन उसकी भी साँसे भारी होने लगीं थी। मैंने उसके गाउन में हाथ डाल कर उसकी नारियल जैसी सख्त हो रखीं चूचियों को मसलना शुरू करदिया।

"स्सी S S S S S हाय धीरे धीरे भैय्या...... क्या आज उखाड़ के ही रख दोगे ......... प्लीज़ लाइट बंद कर लो, दीदी बगल में ही लेटीं हैं"

"तुम उनकी चिंता मत करो, वह बहुत गहरी नींद में सोतीं है....... इस वक़्त अगर कोई उनका पेटीकोट उठा कर चूत में लंड भी पेल दे तो शायद उन्हें पता नहीं चलेगा" -मैंने हंसते हुए कहा और उसकी एक पूरी तनी निप्पल को पकड़ कर ऐंठ दिया।

"आ S S S ह....... तो क्या तुम पेल चुके हो"

"अरे यार........ मैं एक मिसाल दे रहा हूँ" -कहकर मैंने दूसरे हाथ से उसकी गांड मसलते हुए अपने से कस कर चिपका लिया। अब मेरे लंड के उभार को वह अपनी टांगो के बीच महसूस कर रही थी। मज़े की अधिकता से उसकी आँखे पूरी तौर पर बंद थीं।

मैं अभी भी सिर्फ उतना ही आगे बढ़ रहा था जितना वह मेरे साथ करती जा रही थी। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने पर काबू किया हुआ था। जैसे दीदी और रजिया को मैंने चुदने के लिये तैयार किया था उसी तरह मैं चाहता था कि सायरा भी मुझे चोदने को तैयार करे हालांकि मेरा लंड बमुश्किल चड्डी में कंट्रोल हो रहा था वरना वो तो पता नहीं कब से उसकी चूत का तिया पांचा करने को तैयार बैठा था।

contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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RE: यादों के झरोखे से - by KHANSAGEER - 17-05-2024, 10:38 AM



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