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Adultery जिस्म की भूख
Heart 
उसे चूमने के बाद उसके ऊपर से उठकर सोफे पर बैठ गया.

मैं हनी से कहने लगा- "कैसा लगा मेरी छोटी बहना को?"

हनी ने मेरे वीर्य का एक कतरा उठा कर चूसते हुए कहा- "मज़ा तो आया पर भाईजान आपने मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया, अब आज रात तो मुझमें चुदने की बिल्कुल भी ताक़त नहीं बची"

कुछ समय तक हम चारों भाई बहन ऐसे ही पड़े रहे.

थोड़ी देर बाद आपी उठ कर अपने कपड़े पहनने लगीं और बोलीं, "इस सग़ीर पर भी कभी कभी फरहान का असर आ जाता है, बहनचोद"

"अब इसमें गाली देने की क्या बात थी" -मैने हंसते हुए आपी से पूछा

"वो ये कि मैं अपनी उंगली से और सहला कर काम चला रही थी, ये तू था जिसने हम तीनों को चुदाई का चस्का लगा दिया बहनचोद!" -आपी ने बनावटी गुस्से से कहा, "तू इतना बड़ा कमीना है कि अगर तुझे मौका मिल जाए तो तू अम्मी को भी चोद देगा, मादरचोद!!! मैं तेरी रग़ रग़ से वाक़िफ़ हूँ"

तभी फरहान बोल पड़ा, "आपी! कितना अच्छा हो कि अम्मी भी हमारे ग्रुप में शामिल हो जाएँ, फिर तो हमें घर में कोई टेंशन ही नहीं रहेगी"

आपी ने चप्पल उठा कर उसे फेंक कर मारते हुए कहा,"मैं तो सग़ीर को ही कमीना समझती थी, तू तो सग़ीर का भी बाप है"

"मैं भाईजान का बाप कैसे हो सकता हूँ जबकि मैने अभी तक अम्मी का लहंगा तक नहीं उठाया है" -फरहान आपी की चप्पल को बचाते हुए बोला.

"फरहान... अब चुप ... एक शब्द भी मुँह से न निकले... आया समझ में" -मैं फरहान को डाँटता हुआ बोला

"हाय अल्ला, क्या होगा इस घर का, चलो उठ कर सब लोग अब कपड़े पहन लो, इंसान बन जाओ" -आपी भुनभुनाते हुए बोलीं

वे टीवी लांउज की सफाई करने लगीं क्योंकि हमारे चूत और लंड का पानी उधर टपका हुआ था.

हनी और फरहान कपड़े पहन कर वहीं सो गए.

आपी ने उन्हें सोते हुए देख मुझसे कहा- "देखो सगीर, यह दोनों सोते हुए कितने प्यारे लग रहे हैं"

मैंने कहा- "हां आपी, यही तो है भाई बहन का सेक्सी प्यार!"

तब मैंने आपी को अपनी तरफ खींचकर अपनी गोद में बैठा लिया और कहा- "आपी आप भी बहुत प्यारी लग रही हो"

यह कह कर मैं आपी को चूमने लगा.

आपी मेरी गोद उठती हुई बोलीं- "मुझे छोड़ो सगीर … अब खाना की तैयारी भी करनी है, शाम हो गई है. तुम भी थोड़ी देर के लिए अपने शोरूम पर चले जाओ"

मैंने कहा- "ठीक है आपी"

मैं घर से चला गया और फरहान और हनी वहीं सो रहे थे.

मैं दुकान पर आकर काम देखने लगा.

न जाने क्यों मैं बार बार घड़ी की ओर देख रहा था.

तो मेरे एक खादिम ने कहा- "क्या हुआ सर, आज आप बार बार घड़ी क्यों देख रहे हैं?"

मैंने कहा- "कुछ नहीं, बस आज घर जल्दी जाना है. अब्बू और अम्मी घर पर नहीं हैं"

अब उससे क्या बताता कि मैं अपनी बहनों की चूत चोदने के लिए तड़प रहा हूं.
वह बोला- "तो मालिक, आप घर पर चले जाएं, यहां का काम में देख लूंगा और शोरूम को आठ बजे बंद करके चला जाऊंगा"

मैंने कहा- "ठीक है"

मैं अपनी बाईक स्टार्ट करके घर की तरफ चल दिया.

घर पर आकर मैंने दरवाजा खटखटाया तो दरवाजा आपी ने ही खोला.

आपी को देखते ही मैं आपी की तरफ बढ़ा और उन के मुलायम होंठों को चूसने लगा.

अचानक से किस करने से आपी चौंक गईं और मुझे अपने आपसे दूर करने लगीं.

लेकिन मैंने आपी को और कस कर पकड़ लिया.

अब आपी भी मेरा साथ देने लगीं और वे भी मेरे होंठों को चूसने लगीं.

कभी वे मेरे नीचे के होंठ को चूसतीं तो कभी ऊपर के होंठ को चूसने लगतीं.
मैं भी आपी को ऐसे ही पूरी मस्ती से किस कर रहा था.

तभी उन्होंने मुझे अपने आप से धक्का देकर अलग किया और गुस्से में कहने लगीं- "क्या करते हो सगीर, कहीं भी शुरू हो जाते हो. कोई बाहर का बंदा देख लेता, तो कितनी मुसीबत हो जाती! चलो अब जल्दी से अन्दर आ जाओ"

मैं चुपचाप घर के अन्दर आ गया और आपी ने दरवाजा बंद करते हुए कुंडी लगा दी.

वे किचन की तरफ जाने लगीं.

मैंने आपी के पीछे जाकर उनको पीछे से ही पकड़ा और उनकी गर्दन पर अपनी जीभ से चाटने लगा.

आपी भी मेरे चाटने से उत्तेजित होने लगीं.

लेकिन आपी ने मुझे रोकते हुए कहा- "जाकर टीवी देखो, अभी यह सब नहीं होने वाला!"

मैंने उदास सा चेहरा बनाकर कहा- "आपी, मैं आपके लिए तो दुकान से जल्दी आया हूं … और आप मुझे कुछ भी नहीं करने दे रही हो?"

आपी ने कहा- "अरे मेरे सोहने भाई, उदास क्यों हो रहा है. हम यह सब करेंगे, लेकिन रात को. अभी मुझे खाना बनाना है और सुबह से हम सेक्स ही तो कर रहे हैं. तुमसे रात तक का सब्र नहीं हो रहा है … तुम भी फरहान बनते जा रहे हो!"

मैंने कहा- "ठीक है रूही आपी लेकिन मैं आपको मैं रात बिल्कुल नहीं छोड़ने वाला!"

आपी ने मुस्कुराते हुए कहा- "तुमसे छूटना भी कौन चाहता है!"

इतना कह कर आपी किचन में घुस गईं और मैं जाकर टीवी लांउज में बैठकर टीवी देखने लगा.

इतने फरहान और हनी भी उठ गए जो दोपहर की चुदाई के बाद यहीं सो गए थे.
दोनों उठकर मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगे और दोनों ने साथ में कहा- "आप दुनिया के सबसे अच्छे भाई हो भाईजान!"

मैं उन दोनों को देखकर बस मुस्कुरा दिया.

अब हम तीनों एक दूसरे से चिपककर टीवी देखने लगे.

बीच बीच में कभी फरहान मेरे लंड पर अपना हाथ फेर देता, तो कभी हनी.

मैं बीच-बीच में हनी की चूचियों को भी मसलता जा रहा था. फिर मैने हनी की चड्डी में जैसे ही हाथ घुसाया वैसे ही हनी बिदक गई, और बोली, "चूत के बारे में तो सोचना भी मत, बुरी तरह से सूज़ गई है. इतनी बुरी तरह से चोदा है कि बता नहीं सकती… अब तो एक दो दिन ऐसे ही चूमा चाटी करके मुझे तो काम चलाना पड़ेगा"

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 25-04-2024, 02:12 PM



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