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Adultery जिस्म की भूख
Heart 
मैंने आपी से कहा कि आप लण्ड नहीं चूसोगी। मैं तेल लेकर आता हूँ और तेल लगा कर अन्दर डालूंगा तो मजा आएगा।

आपी ने कहा- “नहीं, ऐसे ही अन्दर डाल दो। कुछ नहीं होगा”

मैंने आपी को उठाया और आपी को पास ही रखी डाइनिंग टेबल पर लेटा दिया और खुद खड़ा हो गया। अब आपी की चूत बिल्कुल मेरे लण्ड के सामने थी।

मैंने आपी की तरफ देखा और लण्ड आपी की चूत के करीब लाकर आपी की चूत के ऊपर रगड़ने लगा। अब मैं अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा।

ऐसे करने से आपी गरम होती जा रही थीं और वो मुझसे कहने लगीं- “सगीर डालो ना अन्दर”

तो मैंने अपने लण्ड को पकड़ कर सुराख पर रखा और हल्का सा अन्दर को पुश किया तो लण्ड की टोपी आपी की चूत में चली गई और आपी एकदम झटके से ऊपर को उठीं और फिर नीचे लेट गईं।

उन्होंने मुझे रुकने का इशारा किया तो मैं वहीं रुक गया। आपी को दर्द हो रहा था, मेरा लण्ड बिल्कुल खुश्क था इसलिए में कोई दो मिनट ऐसे ही रुका रहा।
आपी ने मुझसे कहा- “आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर करो, एकदम मत करो”

मैंने लण्ड पीछे को खींचा और फिर अन्दर किया और वहीं आहिस्ता-आहिस्ता धक्के लगाने लगा।

आपी को दर्द हो रहा था पर आपी बर्दाश्त कर रही थीं। आपी ने अपने दोनों हाथों से टेबल को साइड्स से पकड़ा हुआ था। मैं दस मिनट तक ऐसे ही आपी को चोदता रहा और आपी अपनी आवाज़ दबाए चुदवाती रहीं।

दस मिनट बाद आपी ने मुझसे कहा- “सगीर अब काम ठीक है अब तेज़-तेज़ करो”

मैंने आपी की एक टांग को अपने हाथ से ऊपर उठाया और तेज़-तेज़ धक्के लगाने लगा। आपी को भी मज़ा आ रहा था और आपी मज़े से ‘ऊऊऊहह... उफफफ्फ़... सगीर... आआहह...’ कर रही थीं।

आपी की आवाज़ें मुझे मस्त कर रही थीं और मैं फुल जोश से आपी को चोद रहा था। साथ ही मैं अपने लण्ड की लज्जत को फील कर रहा था। कुछ मिनट ऐसे ही आपी को चोदने के बाद मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और आपी को उठने का इशारा किया।

मैंने आपी से कहा- “अब आप घोड़ी बन जाओ”

आपी नीचे कालीन पर घुटनों के बल बैठ गईं और घोड़ी बन गईं, मैंने आपी के पीछे बैठ कर अपना लण्ड आपी की चूत में डाल दिया और ज़ोर-जोर से धक्के लगाने लगा। आपी पूरे मज़े में थीं और अपनी गाण्ड को आगे-पीछे हिला-हिला कर चुदवा रही थीं और साथ ही ‘ऊऊओह... सगीर... आह्ह...’ की आवाज़ें निकाल रही थीं।

मैंने आपी की चूत को चोदते हुए अपनी उंगली आपी की गांड के ऊपर फेरी तो आपी ने मुड़ कर मुस्करा के मेरी तरफ देखा और अपनी गाण्ड को हिला-हिला कर चुदवाने लगीं। मैंने अपनी उंगली आपी की गांड के सुराख पर आराम-आराम से फेरनी चालू कर दी। 

आपी के दोनों चूतड़ फैला कर मैं उनकी गाँड़ के छेद को सहलाता हुआ भकाभक चोद रहा था। उनके इस कुंवारे छेद को देख कर मेरा लॅंड और जोश में आ गया था। गोरे गोरे चूतड़ की दरार के बीच छोटा सा गुलाबी झुर्रियों वाला छेद इतना खूबसूरत लग रहा था कि मैने उस छेद में अपना लॅंड पेलने की मन ही मन गाँठ बाँध ली। मैने ठान लिया कि इस छेद की सील तो अब मैं ही खोलूँगा।

अचानक आपी तेज़ सिसकारी के साथ चिल्लाई, "आह... सग़ीर... बहनचोद... और ज़ोर से चोद... मेरा... होने... वाला है"

मैं पूरी ताक़त से चोदते हुए चिल्लाया, "ले... बहन की लौंडी ले... ले जा पूरा जड़ तक लॅंड अपनी चूत में..."

आपी हैरत से मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगीं.

मैं थोड़ा झेंपते हुए बोला, "सॉरी आपी! पर चुदाई के वक़्त कोई इबादत तो नहीं करता, ऐसे में जितनी गंदी बातें और ग़ाली-गलौच की जाए उतना ही मज़ा आता है"

आपी उसी तरह बदस्तूर मुस्कुराते हुए बोलीं, "अच्छा मादरचोद... तो... फिर... कस के ठोकर मार ना बहन के लॅंड..."

तो मैंने कहा- “आपी बस मेरा काम भी होने वाला है”

आपी बोलीं- “फिर एक दफ़ा ज़रा फुल ज़ोर से धक्के मारो”

मैंने आपी की बात सुनी और पूरे ज़ोर से धक्के मारने लगा। कोई चार-पांच धक्कों के बाद ही आपी का जिस्म अकड़ा और आपी की सिसकारी निकली- “उफफ्फ़ सगीर… मैं गई...”

इसी के साथ ही आपी की चूत ने पानी छोड़ दिया।

अभी आपी की चूत से पानी निकल ही रहा था कि मैंने आपी से कहा- “आपी बहुत दिन हो गए हैं। आप ने मेरा पानी नहीं पिया, एक दफ़ा आज हो जाए”

आपी बोलीं- “हाँ सगीर… आज पिला दो”

मैंने दो धक्के और मारे और लण्ड निकाल कर आपी को सीधा बैठा कर उनके मुँह के सामने कर दिया। तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी मारी जो सीधी आपी के मुँह में गई और आपी ने मुँह बंद कर लिया और मेरा माल पी गईं।

दूसरी धार आपी के मुँह पर गिरी और इसी तरह मेरा सारा पानी आपी के मुँह पर और मुँह के अन्दर गिरा और कुछ आपी के मम्मों पर भी गिरा जो कि आपी ने सारा इकठ्ठा करके पी लिया।

आपी और मैं सेक्स करने के बाद नंगे ही टीवी लाउंज में बैठ कर बात करने लगे और एक दूसरे के बदन को हाथ सहलाने लगे.

आपी ने कहा- “यार सगीर, अब ये तीन दिन हमारी जिंदगी के सबसे हसीन पल बनने जा रहे हैं। इन तीन दिनों में तुम मुझे खूब चोदना, सुबह शाम चुदाई ही होनी चाहिए बस चुदाई!”

मैंने आपी से कहा- “आपी, जैसा आप चाहोगी वैसा ही होगा। अब तो हनी भी हमारे साथ हो गई है”

आपी ने कहा- “लेकिन सगीर, तुम हनी की चुदाई आराम से करना। अभी उसे इस सबकी आदत नहीं है। वैसे कल हनी और फरहान ने एक दूसरे के साथ खूब मजे किए”

मैंने कहा- “आपी, कल रात में तो हमने भी खूब मजे किए और आज सुबह भी, कहो तो अभी पेल दूँ!”

हम दोनों अभी यही सब बात कर ही रहे थे कि इतने में फरहान और हनी स्कूल से वापस आ गए। जैसे ही उन दोनों हमको नंगा देखा तो वे दोनों चौंक गए। हनी तो एकदम से घबरा कर अपने कमरे में चली गई लेकिन फरहान वहीं खड़ा रहा और आपी को नंगी देख कर अपने आपको रोक नहीं सका। वह जल्दी से अपने कपड़े उतार कर आपी के पास आ गया और उनके मम्मों पर टूट पड़ा.

उसने आपी के एक दूध को मुँह में भर लिया और निप्पल को होंठों से दबा कर चूसने लगा। उसने दूध चूसने के साथ ही अपने एक हाथ से मेरे लंड को भी पकड़ लिया। मैं अभी कुछ समझ पाता कि वह मेरे लंड की मुठ मारने लगा।

कुछ ही पलों में वह बहुत जोर जोर से आपी के मम्मों को चूसने लगा। आपी भी बड़े प्यार से अपने मम्मे चुसवा रही थीं और वे फरहान के बालों को प्यार से सहलाने भी लगी थीं।

तभी आपी ने मेरा चेहरा अपनी तरफ करके मुझसे कहा- “चल भाई, हम दोनों भी किस करते हैं”

यह कह कर आपी ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे होंठों को चूसना चालू कर दिया। आपी ने कुछ पांच मिनट तक होंठ चूसे और अपनी जीभ मेरे मुँह डाल दी। मैंने भी आपी की जीभ को चूसना चालू कर दिया।

तभी फरहान आपी के एक मम्मे को अपने दांतों से काटने लगा। फरहान के काटने से आपी को दर्द हुआ और वे मुझे किस करने से रोक कर फरहान से अपना दूध छुड़वाने लगीं।

आपी ने अपने मम्मे को फरहान की पकड़ से मुक्त करवाया और उस पर चिल्लाती हुई बोलीं- “तुझसे आराम से नहीं होता क्या? मुझे तेरे काटने से कितना दर्द हो रहा है, तू समझता ही नहीं है। इसी लिए मैं तेरे साथ ज्यादा सेक्स नहीं करती हूं। सेक्स करते टाइम तू पूरा जंगली हो जाता है”

आपी के डांटने से फरहान उदास हो गया और उसने आपी के मम्मों को चूसना छोड़ दिया। फरहान का उदास चेहरा देखकर मैंने आपी को समझाया कि यह अब आराम से करेगा।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 22-04-2024, 12:30 PM



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