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Adultery जिस्म की भूख
(01-04-2024, 01:29 PM)KHANSAGEER Wrote:
मेरे खड़े होने पर भी आपी ने मेरे लण्ड को अपने हाथ से नहीं छोड़ा और इसी तरह मज़बूती से लण्ड को पकड़े अपने क़दम आगे बढ़ा दिए। मैं सिहरजदा सी कैफियत में कुछ बोले, कुछ पूछे बिना ही आपी के पीछे घिसटने लगा।

आपी के लंबे बालों का ऊपरी हिस्सा खुला था लेकिन बालों के निचले हिस्से पर चुटिया सी अभी भी कायम थी। ऊपरी घने बाल बिखरे होने की वजह से उनकी कमर मुकम्मल तौर पर छुप गई थी लेकिन जहाँ से आपी के कूल्हों की गोलाई शुरू होती थी वहाँ से बालों की चुटिया भी शुरू हो जाती थी जो आपी के खूबसूरत गोल-गोल कूल्हों की दरमियानी लकीर में किसी बल खाते साँप की तरह आती और लकीर के दरमियानी हिस्से को चूम कर कभी दायें और कभी बायें कूल्हे की ऊँचाइयों को चाटने निकल जाती।

आपी कमरे का दरवाज़ा खोलने को रुकीं तो मैंने देखा कि उनकी सलवार वहाँ ही दरवाज़े के पास पड़ी थी जो मेरे पास बिस्तर पर आने से पहले आपी ने उतार फैंकी होगी। मैं आपी की क़मीज़ की तलाश में सलवार के आस-पास नज़र दौड़ा ही रहा था कि मेरा जिस्म झटके से आगे बढ़ा।

आपी दरवाज़ा खोल चुकी थीं और उन्होंने बाहर निकलते हुए मेरे लण्ड को झटके से खींचा था। मेरा क़दम खुद बखुद ही आगे को उठ गया और इतनी देर में पहली बार मेरी ज़ुबान खुली- “यार आपी कहाँ ले जा रही हो? कुछ बोलो तो?”

आपी ने रुक कर एक नज़र मुझे देखा और बोली- “स्टडी रूम में…”

यह कह कर उन्होंने फिर चलना शुरू कर दिया। मैं भी आपी के पीछे ही क़दम उठाने लगा। सीढ़ियों के पास मेरे पाँव में कोई कपड़ा उलझा और मैंने गिरते-गिरते संभल कर देखा तो वो आपी की क़मीज़ थी। मेरे जेहन ने फ़ौरन कहा मतलब आपी ने सीढ़ियाँ चढ़ते-चढ़ते क़मीज़ उतारी होगी और ऊपर पहुँचते ही सिर से निकाल फैंकी होगी। मेरे लड़खड़ाने पर भी आपी रुकी नहीं थीं और मैं संभल कर फिर से उनके पीछे चलता हुआ स्टडी रूम में दाखिल हो गया।

स्टडी रूम के दरवाज़े के पास ही मेरे बिल्कुल सामने खड़े हो कर आपी ने लण्ड को छोड़ा और आहिस्तगी से अपने दोनों हाथ उठा कर मेरे सीने पर रख दिए और अपनी गर्दन को राईट साइड पर झुकाते हुए नर्मी से हथेलियाँ मेरे सीने पर फेरने लगीं।

आपी ने 3-4 बार ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर मेरे सीने को सहलाते हुए हाथ फेरे और फिर दोनों हथेलियाँ गर्दन से थोड़े नीचे रखते हुए ताक़त से मुझे धक्का दिया और घूम कर दरवाज़ा लॉक करने लगीं। आपी के इस अचानक धक्के से मैं लरखड़ाता हुआ दो क़दम पीछे हट गया। आपी की यह कैफियत मेरी समझ में नहीं आ रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे उनके जिस्म में कोई खबीस की रूह घुस गई हो और वो उस खबीस रूह के ज़ेरे-असर ये सब कर रही हों।

आपी दरवाज़ा लॉक करके घूमीं और लाल सुर्ख आँखों से मुझे देखने लगीं। यकायक ही आपी की अंगार आँखों में एक चमक सी पैदा हुई और किसी शेरनी के अंदाज़ में वो मुझ पर झपट पड़ीं। मैं आपी के इस अचानक के हमले के लिए तैयार नहीं था इसलिए जब उनका बदन मेरे जिस्म से टकराया तो मैं खुद को संभाल ना पाया और लड़खड़ाता हुआ पीछे की जानिब गिरा और आपी ने भी मुझ पर चढ़ते हुए मेरे साथ ही नीचे आ गिरीं।

लेकिन फर्श पर नरम कार्पेट होने की वजह से मुझे चोट नहीं लगी थी लेकिन आपी को तो जैसे कोई परवाह ही नहीं थी कि मैं मरूं या जीऊँ। आपी मेरे ऊपर छा सी गईं।

मैं झटके से ज़मीन पर गिरा जिसकी वजह से एक लम्हें के लिए मेरा लण्ड जो उस वक़्त कुछ ढीला कुछ अकड़ा सा था, भी ऊपर पेट की जानिब झटके से उठा था और उसी वक़्त आपी मेरे ऊपर बैठीं तो मेरे लण्ड का निचला हिस्सा मुकम्मल तौर पर आपी की चूत की लकीर में फिट[Image: 53354567_065_f717.jpg]

हुआ और मेरी कमर ज़मीन से टच हो गई।

आपी ने अपनी चूत की लकीर में मेरे लण्ड को दबाए हुए ही अपने घुटने मेरे जिस्म के इर्द-गिर्द नीचे कार्पेट पर टिकाए और अपने सीने के उभारों को मेरे सीने पर दबा कर वहशी अंदाज़ में मेरी गर्दन को चूमने और दाँतों से काटने लगीं।[Image: 53354567_012_b555.jpg]

मुझे आपी के दाँतों से तक़लीफ़ भी हो रही थी लेकिन हैरत अंगैज़ तौर पर इस तक़लीफ़ से मुझे अनजानी सी लज्जत महसूस होने लगी। मेरा लण्ड आपी की चूत के नीचे दबे हुए ही सख़्त होना शुरू हो गया।

आपी ने दाँतों से काटने के साथ-साथ अब मेरे कंधों, बाजुओं, सीने गरज़ यह कि जहाँ-जहाँ उनका हाथ पहुँच सकता था वहाँ से मुझे नोंचना शुरू कर दिया था और अपने तेज नाख़ुनों से मुझ पर खरोंचें डालती जा रही थीं।
[Image: 53354567_042_b040.jpg]
मैंने आपी को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश नहीं की। ये अज़ीयत, ये तक़लीफ़ मेरे अन्दर जैसे बिजली सी भरती जा रही थी और मेरा अंदाज़ भी वहशियाना होता चला गया। मैंने भी आपी की कमर पर दोनों हाथ रखे और अपने नाख़ून उनके नर्म-ओ-नाज़ुक बदन में गड़ा कर नीचे की तरफ घसीट दिया।

आपी ने फ़ौरन मेरी गर्दन से दाँत हटा कर चेहरा ऊपर उठाया उनके मुँह से अज़ीयत और लज़्ज़त से मिली-जुली एक कराह निकली- “आओउ... उउफफफ्फ़...”[Image: 53354567_044_874b.jpg]

मैंने इस मौके का फ़ायदा उठा कर फ़ौरन अपना हाथ आपी की गर्दन पर रखा और गर्दन जकड़ते हुए उनको थोड़ा और ऊपर को उठा दिया। आपी के ऊपर उठने से उनके सीने के नर्मोनाज़ुक लेकिन खड़े उभार मेरे सामने आ गए।

मैंने एक लम्हा ज़ाया किए बगैर अपना सिर उठाया और उनके लेफ्ट उभार को अपने मुँह में भर कर अपने दाँतों से दबा दिया।

आपी ने तड़फ कर एक अज़ीयतजदा ‘आअहह…’ भरी। अपनी कोहनी को मेरे सिर के पास ही ज़मीन पर टिकाया और हाथ से मेरे सिर के बाल जकड़ा और दूसरे हाथ की मुठी में मेरे सीने के बाल पकड़ कर खींचने लगीं।

हम दोनों बहन-भाई की ही हालत अजीब सी हो गई थी जो कि मैं सही तरह लफ्जों में बयान नहीं कर सकता। बस हमारे अंदाज़ में एक दीवानगी थी, वहशीपन था, हैवानियत थी, जुनून था, शैतानियत थी।

मेरी बहन मेरे लण्ड को अपनी चूत के नीचे दबाए मेरे सिर के बाल खींच रही थी। दूसरे हाथ से मेरे सीने पर अपने नाख़ून गड़ा कर खरोंचती जा रही थी। आपी ने मेरे सीने के बाल मुठी में भर कर खींचे तो सीने के बाल टूटने पर मैं तक़लीफ़ से बिलबिला उठा और आपी को छोड़ने की बजाए मज़ीद वहशी अंदाज़ में उनके सीने के उभार को मुँह से निकाल कर दोनों उभारों के दरमियानी हिस्से पर दाँत गड़ा दिए।

मेरा लण्ड अब मुकम्मल तौर पर खड़ा हो चुका था लेकिन वो ऊपर की तरफ सिर उठाए दबा हुआ था यानि मेरे लण्ड का ऊपरी हिस्सा मेरे बालों वाले हिस्से से चिपका हुआ था। मेरे लण्ड की नोक नफ़ से कुछ ही नीचे टच थी और मेरे लण्ड का निचला हिस्सा आपी की चूत की लकीर में कुछ इस तरह बैठा हुआ था कि आपी की चूत के लिप्स ने मेरे लण्ड की दोनों साइड्स को भी ढांप दिया था।[Image: 25514100_004_499a.jpg]

आपी की चूत ने कुछ इस तरह मेरे लण्ड को अपनी आगोश में ले रखा था कि जैसे मुर्गी चूज़े को अपने पैरों में छुपा लेती है। आपी की चूत से बहते गाढ़े और चिकने पानी ने मेरे पूरे लण्ड को तर कर दिया था। आपी के हिलने से उनकी चूत मेरे लण्ड पर ही फिसल-फिसल जाती थी।[Image: 25514100_005_499a.jpg]

जब आगे फिसलने पर उनकी चूत का दाना मेरे लण्ड की नोक से टच होता तो उनके बदन में झुरझुरी सी उठती और आपी लरज़ कर मज़ीद वहशी अंदाज़ में अपने दाँत और नाख़ूनों को मेरे जिस्म में गड़ा देतीं। हम दोनों बहन-भाई इसी तरह जुनूनी अंदाज़ में एक-दूसरे को नोंचते खसोटते दुनिया-ओ-माफिया से बेखबर अपने जिस्मों को सुकून पहुँचाने की कोशिश कर रहे थे।[Image: 25514100_014_cab8.jpg]

मैंने आपी के सीने के खूबसूरत उभारों पर दाँत गड़ाने के बाद उनकी गर्दन के निचले हिस्से को दाँतों में दबाया तो आपी ने भी उससे अंदाज़ में फ़ौरन अपना चेहरा मेरी दूसरी साइड पर लाकर मेरे कंधों में दाँत गड़ा दिए।

मैं आपी की कमर को खरोंचता हुआ अपने हाथ नीचे लाया और अपनी बहन के दोनों कूल्हों को अपने दोनों हाथों से पूरी ताक़त से नोंच कर मुख़्तलिफ़ करने में ऐसे ज़ोर लगाने लगा जैसे मैं उनके दोनों कूल्हों को बीच से चीर देना चाहता हूँ।

“अहह… सगीर…”

आपी ने एक चीखनुमा सिसकी भरी और तड़फ कर ऊपर को उठीं। आपी ने अपना ऊपरी जिस्म ऊपर उठा लिया लेकिन निचला हिस्सा ना उठा सकीं क्योंकि मैंने बहुत मज़बूती से उनके कूल्हों को नोंच कर चीरने के अंदाज में पकड़ रखा था जिसकी वजह से उनका निचला दर मेरे जिस्म पर दब कर रह गया था।[Image: 68264280_014_cd4b.jpg]

मेरे यूँ आपी के कूल्हों को चीरने से उन्हें जो तक़लीफ़ [Image: 76437902_181_9467.jpg]हो रही थी वो उनके चेहरे से दिख रही थी।

आपी ने अपने कूल्हों को छुड़ाने के लिए तड़फते हुए ऊपर उठने की [Image: 76437902_240_d145.jpg]कोशिश करते हुए ज़ोर लगा लगाया और मुस्तक़िल कराहते हुए कहा- “आईईईई... सगीर... बहुत दर्द हो रहा है प्लीज़...”

TO BE CONTINUED .....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
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