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Adultery जिस्म की भूख
Heart 
मेरी ज़ुबान को अपनी चूत पर महसूस करके आपी के जिस्म को एक झटका लगा और उन्होंने फरहान के लण्ड को मुँह से निकाले बिना ही एक सिसकी भरी और उनके चूसने के अंदाज़ में शिद्दत आ गई।

मैं कुछ देर ऐसे ही आपी की चूत की मुकम्मल लंबाई को चाटता और उनकी चूत के दाने को चूसता रहा। तो आपी ने फरहान का लण्ड मुँह से निकाला और मज़े से डूबी आवाज़ में कहा- “आह सगीर! पीछे वाला सुराख भी चाटो नाआ…”

आपी की ख्वाहिश के मुताबिक़ मैंने उनकी गाण्ड के सुराख पर ज़ुबान रखी और उसी वक़्त उनकी चूत में अपनी एक उंगली भी डाल दी। आपी 2 सेकेंड को रुकीं और कुछ कहे बगैर फिर से अपना काम करने लगीं।

मैंने आपी की गाण्ड के सुराख को चाटा और उससे सही तरह अपनी थूक से गीला करने के बाद मैंने अपने दूसरे हाथ का अंगूठा आपी की गाण्ड के सुराख में उतार दिया और अपने दोनों हाथों को हरकत दे कर अन्दर-बाहर करने लगा।

मेरा लण्ड शाम से ही बेक़रार हो रहा था और अब मेरी बर्दाश्त जवाब दे चुकी थी। मैं आपी की चूत चाटते चाटते थक गया था। अब मैं हर हाल में उनकी चूत में अपना लंड पेल कर ठोंकना चाहता था। मैंने अपना अंगूठा आपी के पिछले सुराख में ही रहने दिया और चूत से ऊँगली निकाल कर अपना लण्ड पकड़ा और अपने लण्ड की नोक आपी की चूत से लगा दी।

आपी ने इससे महसूस कर लिया और फ़ौरन अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाते हुए चूत को नीचे की तरफ दबा दिया और गर्दन घुमा कर कहा- “सगीर क्या कर रहे हो तुम? अन्दर डालने की कोशिश का सोचना भी नहीं”

मैंने तकरीबन गिड़गिड़ाते हुए कहा- “प्लीज़ बहना, आपको इस पोजीशन में देख कर दिमाग बिल्कुल गरम हो गया है। अब बर्दाश्त नहीं होता ना और आपी इतना कुछ तो हम कर ही चुके हैं। अब अगर अन्दर भी डाल दूँ तो क्या फ़र्क़ पड़ता है”

“बहुत फ़र्क़ पड़ता है इससे सगीर, अगर तुम से कंट्रोल नहीं हो रहा, तो मैं चली जाती हूँ कमरे से”

आपी के मुँह से जाने की बात सुन कर फरहान उछल पड़ा। वो अपने लण्ड पर आपी के मुँह की गर्मी को किसी क़ीमत पर खोना नहीं चाहता था।

वो फ़ौरन बोला- “नहींSSSS… आपी प्लीज़ आप जाना नहींSSSS… भाई प्लीज़ आप कंट्रोल करो ना... अपने आप पर…”

मैंने बारी-बारी आपी और फरहान के चेहरे पर नज़र डाली और शिकस्तखुदा लहजे में कहा- “ओके ओके बाबा, अन्दर नहीं डालूंगा लेकिन सिर्फ़ ऊपर-ऊपर रगड़ तो लूँ ना”

आपी के चेहरे पर अभी भी फ़िक्र मंदी के आसार नज़र आ रहे थे- “क्या मतलब? अन्दर रगड़ोगे?”

मैंने आपी के कूल्हों को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाते हुए कहा- “अरे बाबा नहीं डाल रहा ना अन्दर, अन्दर रगड़ने से मुराद है कि आपकी चूत के लबों को थोड़ा खोल कर अन्दर नरम गुलाबी हिस्से पर अपना लण्ड रगडूँगा”

आपी अभी भी मुतमइन नज़र नहीं आ रही थीं।

मैंने आपी को आश्वस्त करते हुए कहा- “अरे नहीं, अन्दर नहीं डाल रहा, अन्दर रगड़ने से मतलब है कि आपकी चूत के होंठों को जरा सा खोल कर अन्दर नर्म गुलाबी हिस्से पर अपना लंड रगडूँगा”

आपी को अभी भी मुझ पर भरोसा नहीं हो रहा था।

उन्होंने अपनी क़मर को नीचे की तरफ खम देते हुए गाण्ड ऊपर उठा दी लेकिन गर्दन घुमा कर मेरे चेहरे पर ही नज़र जमाए रखी। मैंने अपने लण्ड को हाथ में लिया और आपी की चूत के दोनों लबों के दरमियान रख कर लबों को खोला और चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर लण्ड को ऊपर से नीचे रगड़ने लगा।

मेरे इस तरह रगड़ने से मेरे लण्ड की नोक आपी की चूत के अंदरूनी हिस्से को रगड़ दे रही थी और टोपी की साइड्स आपी की चूत के लबों पर रगड़ लगा रहे थे। मैंने 4-5 बार ऐसे अपने लण्ड को रगड़ा तो आपी के मुँह से बेसाख्ता ही एक सिसकारी निकली और मुझे अंदाज़ा हो गया कि आपी को इस रगड़ से मज़ा आने लगा है।

कुछ देर आपी ऐसे ही गर्दन मेरी तरफ किए रहीं और अपनी आँखों को बंद करके दिल की गहराई से इस रगड़ को महसूस करने लगीं। अब मेरे लण्ड की रगड़ के साथ-साथ ही आपी ने अपनी चूत को भी हरकत देनी शुरू कर दी थी।

मैंने अपने लण्ड को एक जगह रोक दिया तो आपी ने आँखें खोल कर मुझे देखा और फिर शर्म और मज़े की मिली-जुली कैफियत से मुस्कुरा कर अपना मुँह फरहान की तरफ कर लिया और अपनी चूत हिला-हिला के मेरे लण्ड पर रगड़ने लगीं।

कुछ देर तक ऐसे ही अपना लण्ड आपी की चूत के अन्दर रगड़ने के बाद मैंने अपना लण्ड हटाया और आपी की गाण्ड के सुराख पर अपनी ज़ुबान रखते हो अपनी दो उंगलियाँ आपी की चूत में तकरीबन 1. 5 इंच तक उतार दीं और उन्हें आगे-पीछे करते हुए अपनी तीसरी उंगली भी अन्दर दाखिल कर दी।

आपी ने तक़लीफ़ के अहसास से डूबी आवाज़ में कहा- “उफ्फ़ सगीर! दर्द हो रहा है”

मैंने आपी की बात अनसुनी करते हुए अपनी उंगलियों को अन्दर-बाहर करना जारी रखा और उनकी गाण्ड के सुराख को चूसने लगा ताकि इससे तक़लीफ़ का अहसास कम हो जाए।

लेकिन आपी की तक़लीफ़ में कमी ना हुई और वो बोलीं- “आआईईई सगीर! दर्द ज्यादा बढ़ रहा है ऐसे, निकालो उंगलियाँ उफ्फ़”

मैंने उंगलियाँ निकाल लीं और आपी से कहा- “आपी ऐसा करो, फरहान के ऊपर आ जाओ और उसका लण्ड चूसो, वो साथ-साथ आपकी चूत के दाने (क्लिट) को भी चूसता रहेगा तो दर्द नहीं होगा”

मेरी बात सुन कर फरहान खुश होता हुआ बोला- “हाँ आपी ऊपर आ जाएँ, इससे ज्यादा मज़ा आएगा”

आपी ने एक नज़र मेरे चेहरे पर डाली और फिर फरहान को देखते हुए मुँह चढ़ा कर तंज़िया लहजे में उसकी नकल उतारते हुए बोली- “आपी ऊपाल आ जाएं बाअला मज़ा आएगा… खुशी तो देखो ज़रा इसकी! शर्म करो कमीनो, मैं तुम्हारी सग़ी बहन हूँ कोई बाज़ारी औरत नहीं हूँ”

आपी का अंदाज़ देख कर मैं मुस्कुरा दिया लेकिन फरहान ने बुरा सा मुँह बनाया और खराब मूड में कहा- “आपी! भाई कुछ भी कहते रहें आप उन्हें कुछ नहीं कहती हैं, मैं कुछ बोलूँ तो आप नाराज़ हो जाती हैं”

आपी ने फरहान की ऐसी शक्ल देख कर हँसते हुए उसके गाल पर हल्की सी चपत लगाई और अपनी टाँगें उसके चेहरे के दोनों तरफ़ रखते हुए बोलीं- “पगले मजाक़ कर रही थी तुमसे, हर बात पर इतने बगलोल ना हो जाया करो”

फिर वे अपनी चूत फरहान के मुँह पर टिकाते हुए झुकीं और उसका लण्ड अपने मुँह में भर लिया। फरहान ने अभी भी बुरा सा मुँह बना रखा था लेकिन जैसे ही आपी की चूत फरहान के मुँह के पास आई तो उनकी चूत की महक ने फरहान का मूड फिर से हरा-भरा कर दिया और एक नए जोश से उसने आपी की चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया।

मैंने आपी की चूत की तरफ हाथ बढ़ाया और फिर से उनकी गाण्ड के सुराख को चूसते हुए चूत में पहले 2 और फिर 3 उंगलियाँ डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा और मेरे आइडिया का रिज़ल्ट पॉज़िटिव ही रहा मतलब आपी को अब इतनी तक़लीफ़ नहीं हो रही थी या यूँ कहना चाहिए कि आपी के मज़े का अहसास उनकी तकलीफ़ के अहसास पर ग़ालिब आ गया था और कुछ ही देर बाद आपी की चूत मेरी 3 उंगलियों को सहने के क़ाबिल हो गई थीं, अब वो मेरी उंगलियों के साथ-साथ ही अपनी चूत को भी हरकत देने लगीं।

अब पोजीशन ये थी कि आपी फरहान का लण्ड चूसते हुए अपनी चूत को भी हरकत दे रही थीं। फरहान के मुँह में आपी की चूत का दाना था जिसे वो बहुत मजे और स्वाद से चूस रहा था। मेरी 3 उंगलियाँ आपी की चूत में डेढ़ दो इंच गहराई तक अन्दर-बाहर हो रही थीं और मैं आपी की गाण्ड के सुराख पर कभी अपनी ज़ुबान फिराता तो कभी उसे चूसने लगता।

हम अपने-अपने काम में दिल से मसरूफ़ थे कि तभी एक नए ख्याल ने मेरे दिमाग में झटका सा दिया। मैं अपनी जगह से उठ कर अलमारी के पास गया और डिल्डो निकाल लिया। यह वही भूरे रंग का डिल्डो था जिसकी मोटाई बिल्कुल मेरे लण्ड जितनी ही थी और लंबाई तकरीबन 12 इंच थी, इसके दोनों तरफ लण्ड की टोपी बनी हुई थी।

मैंने डिल्डो निकाला और मेज़ से तेल की बोतल उठा कर वापस आ रहा था तो आपी की नज़र उस डिल्डो पर पड़ी और उन्होंने फरहान के लण्ड को मुँह में ही रखे हुए आँखें फाड़ कर मुझे देखा।

मैंने मुस्कुरा कर आपी को आँख मारी और डिल्डो की टोपी को आपी की आँखों के सामने लहराते हुए कहा- “मेरी प्यारी बहना जी! क्या तुम इसके लिए तैयार हो?”

आपी ने फरहान के लण्ड को अपने मुँह से निकाला लेकिन हाथ में पकड़े-पकड़े ही कहा- “तुम्हारा दिमाग खराब हुआ है क्या सगीर? ये इतना बड़ा है! ये तो मैं कभी भी नहीं डालने दूँगी”

मैंने आपी के पीछे आते हुए कहा- “कुछ नहीं होता यार आपी! रिलैक्स... मैं ये पूरा थोड़ी ना अन्दर घुसाने लगूंगा”

आपी ने इसी तरह अपनी गाण्ड उठाए और चूत को फरहान के मुँह से लगाए गर्दन घुमा कर मुझे देखा और परेशानी से कहा- “लेकिन सगीर इससे बहुत दर्द तो होगा ना?”

मैंने अपनी 3 उंगलियों को आपस में जोड़ कर डिल्डो की नोक पर रखा और आपी को दिखाते हुए कहा- “ये देखो आपी, ये मेरी 3 उंगलियों से थोड़ा सा ही ज्यादा मोटा है और आप मेरी 3 उंगलियाँ अपनी चूत में ले चुकी हो। इतना दर्द नहीं होगा और अगर हुआ तो मुझे बता देना मैं इसे बाहर निकाल लूँगा"

अपनी बात कह कर मैंने डिल्डो के हेड पर बहुत सारा तेल लगाया और कुछ तेल अपनी उंगली पर लगा कर आपी की चूत की अंदरूनी दीवारों पर भी लगा दिया। अब डिल्डो को हेड से ज़रा पीछे से पकड़ कर मैंने एक बार आपी को देखा। वो मेरे हाथ में पकड़े डिल्डो को देख रही थीं और उनकी आँखों में फ़िक्र मंदी के आसार साफ पढ़े जा सकते थे।

मैं कुछ देर डिल्डो को ऐसे ही थामे हुए आपी के चेहरे पर नज़र जमाए रहा तो उन्होंने मेरी नजरों को महसूस करके मेरी तरफ देखा। आपी से नज़र मिलने पर मैंने आँखों से ही ऐसे इशारा किया जैसे कहा हो कि ‘फ़िक्र ना करो, मैं हूँ ना…’

फिर आहिस्तगी से आपी की चूत के लबों के दरमियान डिल्डो का हेड रख कर उससे लकीर में फेरा जिससे आपी की चूत के दोनों लब जुदा हो गए और हेड डायरेक्ट चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर टच होने लगा। मैंने 3-4 बार ऐसे ही डिल्डो के हेड को चूत के अन्दर ऊपर से नीचे तक फेरा और फिर उसकी नोक को चूत के निचले हिस्से में सुराख पर रख कर हल्का सा दबाव दिया।

आपी की चूत उनके अपने ही जूस से चिकनी हो रही थी और मैंने काफ़ी सारा आयिल भी चूत के अन्दर और डिल्डो के हेड पर लगा दिया था जिसकी वजह से पहले ही हल्के से दबाव से डिल्डो का हेड जो तकरीबन डेढ़ इंच लंबाई लिए हुए था एक झटके से अन्दर उतर गया।

उसके अन्दर जाने से आपी के जिस्म को भी एक झटका लगा और उन्होंने सिर को झटका देते हुए आँखें बंद करके एक सिसकारी भरी- “उम्म्म्म सगीर…”

मैं चंद सेकेंड ऐसे ही रुका और फिर डिल्डो को मज़ीद आधा इंच अन्दर धकेल कर आहिस्ता-आहिस्ता उसे हिलाने लगा।

आपी ने अपने सिर को ढलका कर अपना रुखसार (गाल) फरहान के लण्ड पर टिका दिया और आँखें बंद किए लंबी-लंबी सांसें लेकर बोलीं- “उफ्फ़ सगीर... बहुत मज़ा आ रहा है”

“देखा मैं कह रहा था ना, कुछ नहीं होगा... आप ऐसे ही टेन्शन ले रही थीं”

इतने मे मैंने फरहान को आपी की चूत का दाना चूसने का इशारा किया और डिल्डो को अन्दर-बाहर करते हुए आहिस्ता-आहिस्ता और गहराई में ढकेलने लगा। डिल्डो अब तकरीबन ढाई इंच तक अन्दर जा रहा था। मैं इतनी गहराई मेंटेंन रखते हुए आपी की चूत में डिल्डो अन्दर-बाहर करता रहा।

कुछ देर बाद मैंने डिल्डो को मज़ीद गहराई में उतारने के लिए थोड़ा दबाव दिया तो आपी ने तड़फ कर एक झटका लिया और सिर उठा लिया।

फिर मेरी तरफ गर्दन घुमा कर मेरी आँखों में देखती हुई सिसक कर बोलीं- “बस सगीर और ज्यादा अन्दर मत करो। बहुत दर्द होता है बस इतना ही अन्दर डाले आगे-पीछे करते रहो”

मैं समझ गया था कि अब आपी की चूत का परदा सामने आ गया है और डिल्डो वहाँ ही टच हुआ था जिससे आपी को दर्द हुआ। मैं खुद भी आपी की चूत के पर्दे को डिल्डो से फाड़ना नहीं चाहता था। बल्कि मैं चाहता था कि मेरी बहन की चूत का परदा मेरे लण्ड की ताकत से फटे। मेरी बहन का कुंवारापन मेरे लण्ड की वहशत से खत्म हो।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 28-03-2024, 02:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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