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Adultery जिस्म की भूख
Heart 
मैं अपने ट्राउज़र को पहन कर घूमा ही था कि कमरे का दरवाज़ा खुला और आपी अन्दर दाखिल हुईं। आपी ने आज काली शनील का क़मीज़ सलवार पहन रखा था और सिर पर वाइट स्कार्फ बाँधा हुआ था।

कमरे में दाखिल होकर आपी ने दरवाज़ा बंद किया और घूमी ही थीं कि फरहान अपनी कुर्सी से उछाल कर भागते हुए गया और आपी के जिस्म से लिपट कर बोला- “आपी, मेरी प्यारी आपी! आज मेरा बहुत दिल चाह रहा था कि आप हमारे पास आएँ और आप आ गईं”

और यह कह कर क़मीज़ के ऊपर से ही आपी के दोनों उभारों के दरमियान में अपना चेहरा दबाने लगा। मैंने एक नज़र उन दोनों को देखा और कैमरे से उनको ज़ूम में लेकर रिकॉर्डिंग ऑन करके वहाँ साथ पड़ी कुर्सी पर ही बैठ गया।

आपी ने अपने एक हाथ से फरहान की क़मर सहलाते हुए दूसरा हाथ फरहान के सिर की पुश्त पर रखा और अपने सीने में दबाते हुए कहा- “उम्म्म्म… फ़िक्र नहीं करो मेरे छोटू, आज दिल भर के एंजाय कर लेना, मैं यहाँ ही हूँ तुम्हारे पास”

फिर फरहान को अपने आपसे अलग करते हुए कहा- “चलो उतारो अपने कपड़े”

“आपी आप ही उतार दें न, भाई को तो पहनाती भी आप अपने हाथों से हैंलेकिन मुझे”

इतना बोल कर ही वो चुप हुआ और उसकी शक्ल ऐसी हो गई कि जैसे अभी रो देगा।

फरहान का बुझा सा चेहरा देख कर आपी ने उसकी ठोड़ी को अपनी हथेली में लिया और गाल को चूम कर कहा- “ऐसी कोई बात नहीं मेरी जान, तुम दोनों ही मेरे भाई हो और भाई होने के नाते जितना फिर मुझे सगीर से है उतने ही लाड़ले तुम भी हो” -यह कह कर आपी ने अपने दोनों हाथों से फरहान की शर्ट को पेट से पकड़ कर उठाते हुए कहा- “चलो हाथ ऊपर उठाओ”

फरहान की शर्ट उतार कर आपी पंजों के बल नीचे बैठीं और फरहान के ट्राउज़र को साइड्स से पकड़ते हुए नीचे करने लगीं। फरहान का ट्राउज़र थोड़ा नीचे हुआ तो उसका खड़ा लण्ड एक झटका लेकर उछलते हुए बाहर निकला।

आपी ने फरहान के लण्ड को देखा और अपने हाथ में पकड़ कर सहलाते हुए बोलीं- “वॉववओ! मेरा छोटू तो आज बहुत ही कड़क हो रहा है”

फरहान का लण्ड आपी के हाथ में आया तो वो तड़फ उठा और एक सिसकी लेकर बोला- “आहह! आपी मुँह में लो ना प्लीज़”

लण्ड छोड़ कर आपी ने ट्राउज़र को पकड़ा और नीचे करके फरहान के पाँव से निकाल दिया और फिर से फरहान का लण्ड हाथ में पकड़ कर खड़े होते हो बोलीं- “अन्दर तो चलो ना, यहाँ दरवाज़े पर ही सब कुछ करूँ क्या?”

और ऐसे ही फरहान के लण्ड को पकड़ कर उससे खींचते हुए बिस्तर की तरफ चलने लगीं।

आपी हँसते हुए आगे-आगे चल रही थीं उनकी नज़र फरहान के लण्ड पर थी और फरहान एक तरह से घिसटता हुआ आपी के पीछे-पीछे चला जा रहा था। ऐसे ही आपी बिस्तर के पास आईं और फरहान के लण्ड को छोड़ कर दो क़दम पीछे हो कर अपनी क़मीज़ उतारने लगीं। मेरे और उनके दरमियान तकरीबन 7-8 फीट का फासला था, मेरी तरफ आपी की क़मर थी और फरहान उनके सामने उनसे दो क़दम आगे खड़ा था।

आपी ने दाएं हाथ से क़मीज़ का सामने वाला दामन पकड़ा और बाएँ हाथ से क़मीज़ का पिछला हिस्सा पकड़ कर हाथों को मोड़ते हुए क़मीज़ उतारने लगीं। क़मीज़ ऊपर उठी तो मुझे उनकी ब्लैक शनील की सलवार में क़ैद खूबसूरत कूल्हे नज़र आए और अगले ही लम्हें आपी की क़मीज़ थोड़ा और ऊपर उठी और उनकी इंतिहाई चिकनी, साफ शफ़फ़ गुलाबी जिल्द नज़र आई जो क़मीज़ के ब्लैक होने की वजह से बहुत ही ज्यादा खिल रही थी।

आपी ने अपनी क़मर को थोड़ा सा खम दे कर क़मीज़ को मज़ीद ऊपर उठाया और अपने सिर से बाहर निकालते हो सोफे पर फेंक दिया। जैसे ही आपी की क़मीज़ उनके सिर से निकली तो उनके बालों की मोटी सी चोटी किसी साँप की तरह बल खाते हुए नीचे आई और इधर-उधर झूलने के बाद उनके कूल्हों के दरमियान रुक गई।

आपी ने गहरे गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी जिसकी पट्टी टाइट होने की वजह से उनकी क़मर में धँसी हुई सी नज़र आ रही थी। ब्रा का रंग उनकी हल्की गुलाबी जिल्द से ऐसे मैच हो रहा था कि जैसे ये रंग बना ही आपी के जिस्म के लिए हो।

अपने दोनों कंधों से आपी ने बारी-बारी ब्रा के स्ट्रॅप्स को खींचा और अपने बाज़ू से निकाल कर बगल में ले आईं और ब्रा को घुमा कर कप्स को पीछे लाते हुए थोड़ा नीचे अपने पेट पर किया और सामने से ब्रा क्लिप खोल कर ब्रा को भी सोफे की तरफ उछाल दिया।

अपने दोनों अंगूठे आपी ने अपनी सलवार में फँसाए और थोड़ा सा झुकते हुए सलवार नीचे की और बारी-बारी दोनों टाँगें सलवार में से निकाल कर अपने हाथ कमर पर रखे और सीधी खड़ी हो कर फरहान को देखने लगीं। आपी की कमर पतली होने की वजह से इस वक़्त उनका जिस्म बिल्कुल कोकाकोला की बोतल से मुशबाह था।

सुराहीदार लंबी गर्दन, सीना भी गोलाई लिए थोड़ा साइड्स पर निकला हुआ, पतली खंडार क़मर और फिर खूबसूरत कूल्हे भी थोड़ा साइड्स पर निकले हुए।
हर लिहाज़ से मुतनसीब और मुकम्मल जिस्म, आह्ह…

फरहान की शक्ल किसी ऐसे बिल्ली के बच्चे जैसी हो रही थी कि जिसको उसकी माँ ने दूध पिलाने से मना कर दिया हो, उसके मुँह से कोई आवाज़ भी नहीं निकल रही थी। आपी ने चंद लम्हें ऐसे ही उसके चेहरे पर नज़र जमाए रखे और फिर फरहान की हालत पर तरस खाते हुए हँस पड़ीं और नीचे बैठने लगीं।

अपने घुटनों और पंजों को ज़मीन पर टिकाते हुए आपी कुछ इस तरह बैठीं कि उनके कूल्हे पाँव की एड़ियों से दब कर मज़ीद चौड़े हो गए। उन्होंने फरहान के लण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और उसकी पूरी लंबाई को अपनी ज़ुबान से चाटने लगीं।

फरहान के मुँह से बेसाख्ता ही एक ‘आहह..’ खारिज हुई और वो बोला- “अहह... आपीयईई... आपी पूरा मुँह में लें ना…”

आपी ने मुस्कुरा कर उसकी बेताबी को देखा और कहा- “सबर तो करो ना... अभी तो शुरू किया है”

यह कह कर आपी ने फरहान के लण्ड की नोक पर अपनी ज़ुबान की नोक से मसाज सा किया और फिर लण्ड की टोपी को अपने मुँह में ले लिया।

“आह्ह... आअप्पीईईई ईईई पूरा मुँह में लो ना... उस दिन भी आपने दिल से नहीं चूसा था...”

आपी ने उसके लण्ड को मुँह से निकाल कर एक गहरी नज़र उसके चेहरे पर डाली और फिर बिना कुछ बोले दोबारा लण्ड को मुँह में लेकर अन्दर-बाहर करने लगीं और 5-6 बार अन्दर-बाहर करने के बाद ही लण्ड पूरा जड़ तक आपी के मुँह में जाने लगा।

फरहान का जिस्म काँपने लगा था वो सिसकती आवाज़ में बोला- “आपी मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा”

आपी ने लण्ड मुँह से निकाला और कहा- “ओके नीचे लेट जाओ”

फरहान एक क़दम पीछे हटा और ज़मीन पर लेट कर अपनी दोनों टाँगों को थोड़ा खोलते हुए आपी के इर्द-गिर्द फैला लिया।

इस तरह लेटने से आपी फ़रहान की टाँगों के दरमियान आ गई थीं। इसी तरह घुटनों और पाँव की ऊँगलियों को ज़मीन पर टिकाए हो आपी आगे की तरफ झुकाईं जिससे उनकी गाण्ड ऊपर को उठ गई और वे फरहान के लण्ड को चूसने लगीं।

मैं आपी के पीछे था जब आपी इस तरह से झुकीं तो उनके कूल्हे थोड़े से खुल गए और आपी की गाण्ड का खूबसूरत डार्क ब्राउन झुर्रियों भरा सुराख और उनकी छोटी सी गुलाबी चूत की लकीर मुझे साफ नज़र आने लगी।

मैंने मेज से कैमरा उठाया और पहले आपी की गाण्ड के सुराख को ज़ूम करता हुआ रिकॉर्ड किया और फिर कैमरा थोड़ा नीचे ले जाते हो चूत के लबों को ज़ूम किया। आपी की चूत के लब आपस में ऐसे चिपके हुए थे कि अन्दर का हिस्सा बिल्कुल ही नज़र नहीं आ रहा था और बस दो उभरे हुए से लबों के दरमियान एक बारीक सी लकीर बन गई थी।

मैंने कैमरा टेबल पर सैट करके रखा और आपी के दोनों ग्लोरी होल्स पर नज़र जमाए हुए अपने एक हाथ से लण्ड को सहलाते दूसरे हाथ से अपना ट्राउज़र उतारने लगा। ट्राउज़र उतार कर मैं कुछ देर वहीं खड़ा आपी के प्यारे से कूल्हों और उनके दरमियान के हसीन नज़ारे को देखते हुए अपने लण्ड को सहलाता रहा और फिर ट्रांस की कैफियत में आपी की तरफ क़दम बढ़ा दिए।

मैं आगे बढ़ा और आपी के पीछे उन्हीं के अंदाज़ में बैठ कर चूत के पास अपना मुँह लाया और आपी की चूत से उठती मदहोश कर देने वाली महक को एक लंबी सांस के ज़रिए अपने अन्दर उतारा, फिर अपनी ज़ुबान निकाली और चूत पर रख दी।

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 27-03-2024, 12:21 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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