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Adultery जिस्म की भूख
मेरे ज़हन में तो यह ही था कि मेरा हाथ आपी की चूत की चिकनी नरम जिल्द पर टच होगा। उनकी चूत के उभरे-उभरे से नरम लब मेरे हाथ में आएंगे लेकिन हुआ ये कि मेरा हाथ एक फोम के टुकड़े पर टच हुआ और चंद सेकेंड में ही मेरी समझ में आ गया कि आपी ने अपनी चूत पर पैड लगा रखा है।

मैंने आपी के निपल्लों पर काट कर उनकी आँखों में देखा तो उन्होंने मेरा चेहरा पकड़ कर मुझे झटके से पीछे किया और चिड़चिड़े लहजे में बोलीं- “बस अब देख लिया ना, इसी लिए मैं तुमसे छुप रही थी”

मैंने आपी की बात सुनी और उनके दोनों हाथों को अपने हाथों में पकड़ कर उनके सिर के ऊपर लाया और दीवार से चिपका कर कहा- “तो इससे क्या होता है, मैं उसे नहीं चाटूँगा ना" -और फिर अपने होंठ आपी के होंठों से लगा दिए और उनके निचले होंठ को अपने दोनों होंठों में पकड़ कर चूसने लगा।

आपी ने मुझसे अपना आपको छुड़ाने की कोशिश करते हुए अपने सीने को झटका और मेरे हाथ से अपना हाथ छुड़ा कर मेरे सीने पर रख कर पीछे ज़ोर दिया तो मैंने पीछे हटते हुए आपी के होंठ को अपने दांतों में पकड़ लिया और होंठ खिंचने की वजह से आपी दोबारा मुझसे चिपक गईं।

मैंने ज़ोरदार तरीक़े से आपी के होंठ चूसते हुए उनका हाथ नीचे ला कर अपने लंड पर रखा लेकिन आपी ने हाथ हटा लिया। वो अभी भी मुझसे अलग होने की ही कोशिश कर रही थीं।

आपी ने मेरा लंड नहीं पकड़ा तो मैं खुद ही पीछे हट गया और बुरा सा मुँह बना कर कहा- “क्या है यार आपी! थोड़ा सा तो साथ दो ना?”

आपी ने बेचारगी से गिड़गिड़ा कर कहा- “सगीर प्लीज़, अभी मैं कुछ नहीं कर सकती ना, तुम थोड़ा कंट्रोल कर लो”

यह कहते-कहते आपी की आवाज़ भर गई और उनकी आँखों में आँसू आ गए थे।

मैंने आपी की आँखों में आँसू देखे तो मैं तड़फ उठा और एकदम आपी को अपनी बाँहों में भर कर अपने सीने से लगाता हुआ बोला- “नहीं आपी प्लीज़! मेरे सामने रोया मत करो ना, मेरा दिल दहल जाता है। मुझे क्या पता था कि आपको ऐसे तक़लीफ़ होती है। अब मैं कभी इन दिनों में आपको नहीं छेड़ूँगा। मैं वादा करता हूँ आपसे बस रोया मत करो। मैं इन प्यारी-प्यारी आँखों में आँसू नहीं देख सकता”

आपी कुछ देर ऐसे ही मेरे सीने में अपना चेहरा छुपाए खड़ी रहीं और मैं एक हाथ से आपी की क़मर को सहलाते दूसरे हाथ से उनके सिर को अपने सीने में दबाए रहा।

कुछ देर बाद आपी मुझसे अलग होते हुए बोलीं- “अच्छा बस तुम अब नीचे जाओ, मैं कुछ देर बाद आकर तुम्हें नाश्ता देती हूँ। मैं ऊपर से अपनी चादर भी ले आऊँ। मैं ये नहीं चाहती कि अम्मी मुझे इस हालत में तुम्हारे सामने घूमते-फिरते देखें”

“ओके जाऊँ अब नीचे?” -मैंने सीरीयस से अंदाज़ में आपी की आँखों में देखा जो रोई-रोई सी मज़ीद हसीन लगने लगीं थीं और बिना कुछ बोले नीचे जाने के लिए वापस घूमा ही था कि आपी ने मेरा बाज़ू कलाई से पकड़ा और मेरे सामने आकर प्यार भरे लहजे में बोलीं- “अब ऐसी शकल तो नहीं बनाओ ना, एक बार मुस्कुरा तो दो”

मैंने आपी की आँखों में देखा और मुस्कुराया तो आपी ने कहा- “मेरा सोहना भाई…”

उन्होंने आगे बढ़ कर अपने होंठ मेरे होंठों से लगा कर नर्मी से चूमा और मेरी आँखों में देखते हुए ही अलग हो गईं।

मैंने आपी के चेहरे को अपने दोनों हाथों में थाम कर बारी-बारी से आपी की दोनों आँखों को चूमा और उन्हें छोड़ कर नीचे चल दिया। मैं नीचे पहुँचा तो अम्मी टीवी लाऊँज में बैठी दोपहर के खाने के लिए गोश्त काट रही थीं।

मैंने उन्हें सलाम करके अनजान बनते हुए पूछा- “अम्मी आपी कहाँ है? नाश्ता वाश्ता मिलेगा क्या?”

छुरी अपने हाथ से नीचे रख कर अम्मी खड़ी होती हुए बोलीं- “तुम्हारा उठने का कोई टाइम फिक्स हो तो बंदा नाश्ता बना कर रखे ना, तुम बैठो मैं अभी बना कर लाती हूँ। रूही ने आज मशीन लगाई हुई है, कपड़े धोने में लगी है”

अम्मी किचन में नाश्ता बनाने गईं तो मैं उनकी जगह पर बैठ कर न्यूज़ देखते हुए गोश्त काटने लगा।

कुछ देर बाद अम्मी नाश्ते की ट्रे लेकर किचन से निकलीं और ट्रे टेबल पर रखते हुए बोलीं- “ओहो! मैं तो भूल ही गई थी सगीर, तुम्हारे अब्बू का फोन आया था वो कह रहे थे कि 12 बजे तक उनके ऑफिस चले जाना। वो कह रहे थे तुम्हें साथ ले कर रहीम भाई से मिलने जाना है”

“जी अच्छा अम्मी, मैं चला जाऊँगा”

यह कह कर मैं नाश्ता करने के लिए टेबल पर बैठा और उसी वक़्त आपी भी नीचे उतर आईं। लेकिन अब उन्होंने अपने सिर पर और ऊपरी जिस्म के गिर्द अपनी बड़ी सी चादर लपेटी हुई थी जिससे उनके बदन के उभार छुप गए थे। मुझसे नज़र मिलने पर आपी ने अम्मी से नज़र बचा कर मुझे आँख मारी और अपने सीने से चादर हटा कर एक लम्हे को मुझे अपने खूबसूरत मम्मों का दीदार करवाया और हँसते हुए बाथरूम में चली गईं।

मैं जज़्बात से सिर उठाते अपने लंड को सोते रहने का मशवरा देता हुआ सिर झुका कर नाश्ता करने लगा। नाश्ता करके मैं अब्बू के ऑफिस गया और वहाँ से हम रहीम अंकल से मिलने उनकी शॉप कम शोरूम पर गए। उनकी शॉप पर 3 आदमी काम करते थे और तीनों बहुत पुराने और ईमानदर वर्कर थे।

वहाँ ही हमने रहीम अंकल से बात-चीत की और सारे मामलात तय करके रहीम अंकल ने वर्कर्स को भी यह बात साफ़ कर दी कि अब शॉप के नये मालिक हम लोग होंगे जिसको उन वर्कर्स ने भी बहुत खुशदिली से क़बूल किया।

अगले 3 दिन तक हम पेपर वर्क और दूसरे तमाम मामलात में मसरूफ़ रहे। मैं सुबह जल्दी कॉलेज जाता था और कॉलेज से ही सीधे शॉप पर पहुँच जाता और रात 9 बजे शॉप क्लोज़ होने के बाद ही मैं घर जाता था। मैंने अपने तरीक़े से सारी लिस्ट को मेन्टेन किया कि हमारे पास क्या-क्या आइटम्स हैं और हम कितने में खरीदते हैं? कितने में हमने आगे बेचना है? वगैरह वगैरह…।

शॉप पर जाते मेरा चौथा दिन था। मैं रात 9 बजे घर पहुँचा तो सब डाइनिंग टेबल पर ही बैठे थे। मैं उन्हें 5 मिनट रुकने का कह कर बाथरूम गया और हाथ मुँह धो कर खाने के लिए आ बैठा। इधर उधर की बातें करते हुए हमने खाना ख़त्म किया।

अब्बू ने अपने पॉकेट में हाथ डालते हुए कहा- “अरे हाँ सगीर, मैं भूल गया था यार, वो शकूर साहब तुम्हारा लाइसेन्स दे गए थे”

उन्होंने अपने जेब से लाइसेन्स निकाल कर मुझे दे दिया।

मैं अभी लाइसेन्स को हाथ में ले कर देख ही रहा था कि हनी ने मेरे हाथ से लाइसेन्स खींचा और बोली- “भाई ऐसे ही सूखा-सूखा तो कुछ भी नहीं मिलता ना लाइसेन्स। अब ज़रा अपना जेब ढीला करो और अभी के अभी हम सबको आइसक्रीम खिलाने ले कर चलो। तो मैं लाइसेन्स दूँगी वरना नहीं”

हनी की बात सुन कर फरहान भी उसके साथ मिल गया और दोनों ‘आइस्क्रीम...आइस्क्रीम’ का शोर करने लगे।

अब्बू ने मुस्कुराते हुए उन दोनों को चुप करवाया और गाड़ी की चाबी मुझे देते हुए बोले- “जाओ यार, ले जाओ सबको आइसक्रीम भी खिला लाओ और अपने लिए दूसरी चाबी भी बनवा लाओ”

मैं फरहान, हनी और आपी तीनों को आइस्क्रीम खिलाने ले गया और गाड़ी की चाबी भी बनवा कर हम घर वापस पहुँचे तो 11 बज रहे थे।

अम्मी अपने कमरे में थीं और अब्बू न्यूज़ देख रहे थे। हमें अन्दर आता देख कर अब्बू उठते हुए बोले- “मुझे बहुत सख़्त नींद आ रही है। मैं बस तुम लोगों के इंतज़ार में जाग रहा था। तुम लोग भी अब जाओ सो जाओ। अब गप्पें मारने नहीं बैठ जाना”

यह कह कर अब्बू कमरे में चले गए। हनी भी ना जाने कब से पेशाब रोके बैठी थी। अन्दर आते ही सीधी बाथरूम की तरफ भागी।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 21-03-2024, 04:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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