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Adultery जिस्म की भूख
Heart 
अगला दिन भी रूटीन की तरह ही गुज़रा रात में जब मैं घर आया तो अब्बू टीवी लाऊँज में ही बैठे टीवी पर न्यूज़ देखने के साथ-साथ अपने लैपटॉप पर काम भी करते जा रहे थे। मैं उनको सलाम करता हुआ वहाँ ही बैठ गया। 

अब्बू ने चश्मे के ऊपर से मुझ पर एक नज़र डाली और अपने लैपटॉप को बंद करते हुए बोले- “सगीर तुम्हारे एग्जाम भी होने वाले हैं। क्या इरादा है तुम्हारा फिर?”

“अब्बू मेरा इरादा तो यही है कि इंजीनियरिंग करूँगा, इलेक्ट्रॉनिक्स में”

“हून्न्न! नंबर इतने आ जाएंगे कि दाखिला हो जाए तुम्हारा?”

“जी अब्बू! मुझे तो पूरी उम्मीद है कि हो जाएगा दाखिला”

“सगीर बेटा! तुम मेरे दोस्त रहीम को तो जानते ही हो ना?”

मैंने कहा- “जी अब्बू! वो जिनकी इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स का शोरूम है, वो ही रहीम अंकल ना?”

अब्बू ने अपना चश्मा उतार कर टेबल पर रखा और मेरी तरफ घूम कर बोले- “हाँ वो ही”

अब्बू का सीरीयस अंदाज़ देख कर मैं भी संभल कर बैठ गया और अपना मुकम्मल ध्यान उन पर लगा दिया।

“बेटा मैं अब रिटायर होने वाला हूँ, मैं काफ़ी दिन से सोच रहा था कि कोई कारोबार शुरू करूँ और अब खुदा ने खुद ही एक रास्ता बना दिया है। उसी के बारे में तुमसे बात करनी है”

मैं अपने सीने पर हाथ बांधे सवालिया अंदाज़ में अब्बू को देखता रहा। कुछ देर खामोश रहने के बाद अब्बू ने कहा- “मैं कुछ भी करूँ, संभालना तो तुमने ही है क्योंकि मेरे बाद घर के बड़े तुम ही हो”

“अब्बू आप फ़िक्र ना करें, मैं हर तरह आप की उम्मीदों पर पूरा उतरूँगा”

मेरी बात सुन कर अब्बू के चेहरे पर खुशी के आसार पैदा हुए और वो बोले- “रहीम भाई ने बहुत मेहनत से अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स शॉप बनाई है। उन्होंने आज ही मुझसे जिक्र किया है कि वो अपने बेटों के पास अमेरिका जा रहे हैं और अपनी शॉप बेचना चाहते हैं। मैंने उनसे तो ऐसी कोई बात नहीं की है लेकिन तुम से मशवरा माँग रहा हूँ कि अगर उनसे शॉप ले ली जाए तो संभाल लोगे तुम?”

मैंने अब्बू की बात सुन कर चंद लम्हें सोचा और फिर मज़बूत लहजे में जवाब दिया- “अब्बू आप मेरी तरफ से बेफ़िक्र हो जाएँ। आप जानते ही हैं कि मुझे इलेक्ट्रॉनिक्स में दिलचस्पी भी है बस आप देख लें कि पैसों का इन्तज़ाम हो जाएगा ना?”

“वो सब मैं देख लूँगा, कुछ पैसे देकर बाक़ी के लिए टाइम भी लिया जा सकता है”

मैं और अब्बू दो घंटे तक इसी मोज़ू पर बात करते रहे। तमाम पॉज़िटिव और नेगेटिव इश्यूस को ज़ेरे-ए-बहस लाने के बाद हमने ये ही फ़ैसला क्या कि खुदा को याद करके काम शुरू कर देते हैं। मैं अब्बू के पास से उठ कर कमरे में आया तो फरहान अपनी पढ़ाई में ही बिजी था।

मैंने उससे ज्यादा बात नहीं की और उसकी पढ़ाई की बाबत मालूम करके कपड़े चेंज किए और बिस्तर पर आ गया। मेरा यह नेचर है कि मैं जब कोई काम करने लगता हूँ तो मेरा जेहन, मेरी तमामतर तवज्जो उसी काम पर जम जाती है और बाक़ी तमाम सोचें पासेमंज़र में चली जाती हैं। इस वक़्त भी ऐसा ही हुआ और मैं अपने शुरू होने वाले नए कारोबार के बारे में प्लान करता हुआ जाने कब नींद की वादियों में खो गया।

सुबह मेरी आँख खुली तो दस बज रहे थे, मैंने मुँह हाथ धोया और नाश्ते के लिए नीचे जाने लगा। मैंने अभी पहली सीढ़ी पर क़दम रखा ही था कि मुझे ऊपर वाली सीढ़ियों पर एक साया सा नज़र आया और महसूस हुआ कि जैसे ऊपर कोई है।

मैं चंद सेकेंड रुका और फिर नीचे जाने के बजाए आहिस्ता-आहिस्ता दबे क़दमों से ऊपर जाने वाली सीढ़ियों पर चढ़ने लगा।

जब मैं सीढ़ियों के दरमियानी प्लेटफॉर्म, जहाँ से सीढ़ियाँ वापस घूम कर ऊपर को चढ़ती हैं, पर पहुँचा तो आपी वहाँ साइड में होकर दीवार से लगी खड़ी थीं, आपी ने एक प्रिंटेड लॉन का ढीला-ढाला सा सूट पहन रखा था और दुपट्टे, चादर, स्कार्फ वगैरह से बेनियाज़ थीं।

आपी ने अपने दोनों हाथ से प्लास्टिक का लाल रंग का टब पकड़ रखा था जिसको उल्टा करके अपने सीने पर रखते हुए आपी ने अपने दोनों सीने के उभारों को छुपा लिया था। उनके बाल मोटी सी चुटिया में बँधे हुए थे और चंद आवारा सी लटें पानी से गीली हुईं उनके खूबसूरत गुलाबी रुखसारों से चिपकी हुई थीं।

क़मीज़ की कलाइयाँ कोहनियों तक चढ़ी हुई थीं और सलवार के पायेंचे आधे पाँव के ऊपर और आधे पाँव के नीचे थे और खूबसूरत गुलाबी पाँव चप्पलों की क़ैद से आज़ाद थे। 

मैंने सिर से लेकर पाँव तक आपी के जिस्म को देखा और हैरतजदा सी आवाज़ में पूछा- “आपीयईई… मुझसे छुप रही हो?”

आपी ने सहमी हुई सी नजरों से मुझे देखते हुए कहा- “वो तुम… तुम जाओ नीचे… म्म… मैं आ कर तुम्हें नाश्ता देती हूँ”

मैं समझ नहीं पा रहा था कि आपी ऐसे क्यों बिहेव कर रही हैं। मैं एक क़दम उनकी तरफ बढ़ा तो वो एकदम से साइड को हुईं और अपने एक हाथ से टब को अपने सीने पर पकड़े दूसरे हाथ से मुझे रोकते हुए बोलीं- “तुम जाऊऊओ ना सगीर, मैं आती हूँ ना नीचे”

मैंने शदीद हैरत के असर में कहा- “आपी क्या बात है। इतना घबरा क्यों रही हो, ऊपर से कहाँ से आ रही हो?”

आपी बोलीं- “वो मैं ऊपर धुले हुए कपड़े लटकाने गई थी। तुम जाओ नीचे, मैं बाद में आऊँगी। अम्मी टीवी लाऊँज में ही बैठी हैं”

“इतनी परेशान क्यों हो? मैं आपके इतने क़रीब कोई पहली बार तो नहीं आ रहा ना”

मैं यह कह कर आगे बढ़ा और आपी के हाथ से खाली टब खींच लिया। आपी के सीने से टब हटा तो एक हसीन-तरीन नज़ारा मेरी आँखों के सामने था।

आपी ने क़मीज़ के अन्दर ब्रा या शमीज़ नाम की कोई चीज़ नहीं पहनी हुई थी। उनकी क़मीज़ गीली होने की वजह से दोनों खड़े उभारों के दरमियान गैप में सिमट कर उनके सीने के उभारों से चिपकी हुई थी। जिसकी वजह से आपी के निपल्स और निप्पलों के गिर्द का खूबसूरत दायरा क़मीज़ से बिल्कुल वज़या नज़र आ रहा था।

मैंने टब नीचे रखा और एक हाथ से आपी का लेफ्ट उभार थामते हुए अपना मुँह उनके उभारों के बीच और अपना दूसरा हाथ उनकी टाँगों के दरमियान ले जाते हुए हँस कर कहा- “ये छुपा रही थीं मुझसे? मैं ये कोई पहली बार थोड़ी ना देख रहा हूँ”

अपनी बात कह कर मैंने क़मीज़ के ऊपर से ही आपी के निप्पल को मुँह में ले लिया और उसी वक़्त मेरा हाथ भी आपी की टाँगों के दरमियान पहुँच गया। मेरा हाथ आपी की टाँगों के दरमियान टच हुआ तो मैं एकदम ठिठक गया और आपी का निप्पल मुँह में ही लिए अपने हाथ से आपी की टाँगों के दरमियान वाली जगह को टटोलने लगा।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 21-03-2024, 01:02 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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