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Adultery जिस्म की भूख
Heart 
मैंने मुस्कुरा कर फरहान को देखा और कहा- “फ़िक्र ना कर मेरे छोटे, मेरा अगला टारगेट तो आपी की टाँगों के बीच वाली जगह है”

फरहान ने छत को देखते हुए एक ठंडी आह भरी और बोला- “हाँनन् भाई! कितना मज़ा आएगा जब आपी की चूत में लण्ड पेलेंगे”

फिर एकदम चौंकते हुए बोला- “लेकिन भाई अगर कोई मसला हो गया तो, मतलब आपी प्रेग्नेंट हो गईं या ऐसी कोई और बात हो गई तो फिर?”

मैंने एक नज़र फरहान को देखा और झुंझला कर कहा- “चुतियापे की बात ना कर यार, मैं इसका बंदोबस्त कर लूँगा। बस एक बार फिर कहता हूँ कि खुद से कोई पंगा मत लेना। जैसा मैं कहूँ बस वैसा ही कर”

इन्हीं ख़यालात में खोए और आपी का इन्तजार करते हम दोनों ही पता नहीं कब नींद के आगोश में चले गए। सुबह मैं उठा तो फरहान जा चुका था। मैं कॉलेज के लिए रेडी हो कर नीचे आया तो अम्मी ने ही नाश्ता दिया क्योंकि आपी भी यूनिवर्सिटी जा चुकी थीं। मैं नाश्ता करके कॉलेज चला गया।

कॉलेज से वापस आया तो 3 बज रहे थे मैंने आपी के कमरे के अधखुले दरवाज़े से अन्दर झाँका तो आपी सो रही थीं और हनी वहाँ ही बैठी अपनी पढ़ाई कर रही थी। मुझे अम्मी ने खाना दिया और खाना खाकर मैं अपने कमरे में चला गया। फरहान भी सो रहा था। मैंने भी चेंज किया और सोचा कि कुछ देर नींद ले लूँ फिर रात में आपी के साथ खेलने में देर हो जाती है और नींद पूरी नहीं होती।

शाम को मैं नीचे उतरा तो आपी अभी भी घर में नहीं थीं। मैंने अम्मी से पूछा तो उन्होंने बताया कि सलमा खाला की किसी सहेली की छोटी बहन की मेहँदी है। कोई म्यूज़िकल फंक्शन भी है तो फरहान, आपी और हनी तीनों ही उनके साथ चले गए हैं। मैं भी अपने दोस्तों की तरफ निकल गया।

रात में 10 बजे मैं घर पहुँचा तो आपी अभी भी वापस नहीं आई थीं। अब्बू टीवी लाऊँज में ही बैठे अपने लैपटॉप पर बिजी थे। मैंने कुछ देर उन से बातें कीं और फिर अपने कमरे में चला गया। मैंने कमरे में आकर ट्रिपल एक्स मूवी ऑन की लेकिन आज फिल्म देखने में भी मज़ा नहीं आ रहा था बस आपी की याद सता रही थी। किसी ना किसी तरह मैंने एक घंटा गुज़ारा और फिर नीचे चल दिया कि कुछ देर टीवी ही देख लूँगा।

मैं अभी सीढ़ियों पर ही था कि मुझे अम्मी की आवाज़ आई- “बात सुनिए! सलमा का फोन आया है वो कह रही है कि सगीर को भेज दें। रूही लोगों को ले आएगा”

मैं अम्मी की बात सुन कर नीचे उतरा तो अब्बू अपना लैपटॉप बंद कर रहे थे। मैंने उनसे गाड़ी की चाभी माँगी तो पहले तो अब्बू गाड़ी की चाभी मुझे देने लगे फिर एकदम किसी ख़याल के तहत रुक गए और चश्मे के ऊपर से मेरी आँखों में झाँकते हुए बोले- “सगीर तुमने लाइसेन्स नहीं बनवाया ना अभी तक?”

मैंने अपना गाल खुजाते हो टालमटोल के अंदाज़ में कहा- “वो अब्बू! बस रह गया कल चला जाऊँगा बनवाने”

अब्बू ने गुस्से से भरपूर नज़र मुझ पर डाली और बोले- “यार अजीब आदमी हो तुम, कहा भी है जा के बस तस्वीर वगैरह खिंचवा आओ, अपने साइन कर दो वहाँ, बाक़ी शकूर साहब संभाल लेंगे लेकिन तुम हो कि ध्यान ही नहीं देते हो किसी बात पर। मैं देख रहा हूँ आजकल तुम बहुत गायब दिमाग होते जा रहे हो। किन ख्यालों में खोए रहते हो.. हाँ?”

मैं अब्बू की झाड़ सुन कर दिल ही दिल में अपने आपको कोस रहा था कि इस टाइम पर नीचे क्यों उतरा। अम्मी ने मेरी कैफियत भाँप कर मेरी वकालत करते हुए अब्बू से कहा- “अच्छा छोड़ो ना, आप भी एक बात के पीछे ही पड़ जाते हैं। बनवा लेगा कल जाकर”

अब्बू ने अपना रुख़ अम्मी की तरफ फेरा और बोले- “अरे नायक बख़्त! लोग तरसते हैं कि कोई जान-पहचान वाला आदमी हो तो अपना काम करवा लें और शकूर साहब मुझे अपने मुँह से कितनी बार कह चुके हैं कि लाइसेन्स ऑफिस सगीर को भेज दो। अब पता नहीं कितने दिन हैं वो वहाँ, उनका भी ट्रान्स्फर हो गया तो परेशान होता फिरेगा। इसलिए कह रहा हूँ कि बनवा ले जाकर”

अम्मी ने बात खत्म करने के अंदाज़ में कहा- “अच्छा चलिए अब चाभी दें उसे, वो लोग इन्तजार कर रहे होंगे”

अब्बू ने अपना लैपटॉप गोद से उठा कर टेबल पर रखा और खड़े होते हुए बोले- “नहीं अब इसकी ये ही सज़ा है कि जब तक लाइसेन्स नहीं बनवाएगा, गाड़ी नहीं मिलेगी”

यह कह कर वे बाहर चल दिए। अम्मी ने झल्ला कर अपने सिर पर हाथ मारा और कहा- “हाय रब्बा! ये सारे जिद्दी लोग मेरे नसीब में ही क्यों लिखे हैं, जैसा बाप है वैसी ही सारी औलाद”

मैं चुपचाप सिर झुकाए खड़ा था कि दोबारा अम्मी की आवाज़ आई- “अब जा ना बेटा, दरवाज़ा खोल वरना हॉर्न पर हॉर्न बजाना शुरू कर देंगे”

मैं झुंझलाए हुए ही बाहर गया और अब्बू के गाड़ी बाहर निकाल लेने के बाद दरवाज़ा बंद करके सीधा अपने कमरे में ही चला गया। मेरा मूड बहुत सख़्त खराब हो चुका था। पहले ही आपी के साथ सेक्स ना हो सकने की वजह से झुंझलाहट थी और रही-सही कसर अब्बू की डांट ने पूरी कर दी।

मैं बिस्तर पर लेटा और तय किया कि सुबह सबसे पहला काम यही करना है कि जा कर लाइसेन्स बनवाना है।

इसी ऑफ मूड के साथ ही नींद ने हमला करके मेरे शरीर को सुला दिया। मैं सुबह उठा तो मेरे जेहन में अब्बू की डांट ताज़ा हो गई, मैं जल्दी-जल्दी तैयार हुआ और नाश्ता करके लाइसेन्स ऑफिस चल दिया। वहाँ जा कर मैं शकूर साहब (अब्बू के दोस्त) से मिला उन्होंने एक आदमी मेरे साथ भेजा।

खैर, सब पेपर वर्क निपटा कर मैं शकूर सहाब के पास गया और पूछा- “तो अंकल ये लर्निंग तो कल मिल जाएगा ना, उसके कितने अरसे बाद मुझे पक्का लाइसेन्स मिलेगा?”

उन्होंने एक नज़र मुझे देखा और हँसते हुए बोले- “बेटा अगर तुम्हारे लाइसेन्स में भी अरसा-वरसा या लर्निंग और कच्चे-पक्के लाइसेन्स का झंझट हो तो फिर तो हम पर लानत है ना”

मुझे उनकी बात कुछ समझ नहीं आई तो मैंने दोबारा पूछा- “क्या मतलब अंकल?”

वो बड़े फखरिया से लहजे में बोले- “बेटा मैं सब देख लूँगा। बस तुम्हारा काम खत्म हो गया है तुम जाओ घर और हाँ अब्बू को मेरा सलाम कहना। मैं किसी दिन चक्कर लगाऊँगा”

मैंने अपने कंधों को लापरवाह अंदाज़ में झटका दिया जैसे मैंने कह रहा होऊँ कि ‘मेरे लण्ड पर ठंड.. मुझे क्या’

मैं वहाँ से सीधा कॉलेज चला गया। कॉलेज से घर आया तो फरहान टीवी देख रहा था, मुझे देख कर बोला- “भाई खाना टेबल पर रखा है। खा लो”

मैंने अम्मी का पूछा तो फरहान ने बताया कि अम्मी और हनी मार्केट गई हैं और आपी को सलमा खाला अपने साथ कहीं ले गई हैं। मैं खाना खा कर कमरे में गया और जाते ही सो गया क्योंकि आज थकान भी काफ़ी हो गई थी। शाम में मैं सो कर उठा तो फ्रेश हो कर दोस्तों की तरफ निकल गया और रात को घर वापस पहुँचा तो 9 बज रहे थे।

मैंने सबके साथ ही रात का खाना खाया और अपने कमरे में आ गया। काफ़ी देर आपी का इन्तज़ार करने के बाद भी आपी नहीं आईं, मैंने टाइम देखा तो 11:30 हो चुके थे। मैं फरहान को वहाँ ही लेटा छोड़ कर खुद नीचे आपी को देखने के लिए चल दिया।

मैं टीवी लाऊँज में पहुँचा तो आपी के कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला था। बाहर लाइट ऑफ थी लेकिन अन्दर लाइट जल रही थी और अम्मी और हनी आपी को वो कपड़े वगैरह दिखा रही थीं जो उन्होंने आज शॉपिंग की थी।

अम्मी और हनी की कमर मेरी तरफ थी और आपी उनके सामने बैठी थीं। मैं दरवाज़े के पास जा कर खड़ा हो गया और दरवाज़े की झिरी से हाथ हिलाने लगा कि आपी मेरी तरफ देख लें लेकिन काफ़ी देर कोशिश के बाद भी आपी ने मेरी तरफ नहीं देखा और मैं मायूस हो कर वापस जाने का सोच ही रहा था कि आपी की नज़र मुझ पर पड़ी और फ़ौरन ही उन्होंने नज़र नीची कर लीं।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 16-03-2024, 04:14 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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