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Adultery जिस्म की भूख
Heart 
आपी की गर्म-गर्म सांसें मुझे अपने लण्ड पर महसूस हो रही थीं। आपी ने 3-4 बार ऐसा ही किया तो मैंने बहुत बेबसी की नजरों से उन्हें देखते हुए कहा- “क्यों तड़फा रही हो आपी, शुरू करो ना”

आपी खिलखिला के हँस दीं और कहा- “शक्ल तो देखो अपनी ज़रा, ऐसे लग रहा है जैसे किसी भिखारी को 10 दिन से रोटी ना मिली हो”

कह कर फिर से हँसने लगीं। मैंने जवाब में कुछ नहीं कहा बस वैसे ही मासूम सी सूरत बनाए उन्हें देखता रहा।

“ओके ओके बाबा, नहीं तड़फाती बस” -आपी ने कहा और फिर उसी तरह मुँह खोल कर आहिस्ता से मेरा लण्ड अपने मुँह में डाला और आहिस्तगी से ही अपने होंठ बंद कर लिए। मेरे लण्ड की टोपी पूरी ही आपी के मुँह में थी।

आपी ने होंठों से मेरे लण्ड को जकड़ा और मुँह के अन्दर ही मेरे लण्ड के सुराख पर और पूरी टोपी पर अपनी ज़ुबान फेरने लगीं।

मैं लज़्ज़त की इंतिहा पर पहुँचा हुआ था। आपी के मुँह की गर्मी से इतना मजा मिल रहा था कि मैंने ऐसा मज़ा आज से पहले कभी नहीं महसूस किया था। मैं पहले बहुत बार फरहान से अपना लण्ड चुसवा चुका था लेकिन आपी के मुँह में लण्ड देने का मज़ा उस मज़े से कहीं गुना बढ़ कर था।

एक लड़के और लड़की के मुँह में फ़र्क़ तो होता ही है इसके अलावा असल मज़ा इन फ़ीलिंग्स का था। यह अहसास था कि मेरा लण्ड एक लड़की के मुँह में है, एक कुंवारी लड़की और वो लड़की भी मेरी सग़ी बहन है, मेरी बड़ी बहन है। यह अहसास था जो मेरे मज़े को बढ़ा रहा था।

आपी कुछ देर इसी तरह मेरे लण्ड की टोपी को होंठों में फँसाए मुँह के अन्दर ही अन्दर ज़ुबान उस पर फेरती रहीं और फिर उन्होंने आहिस्ता आहिस्ता लण्ड को अपने मुँह में उतारना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड आधे से ज्यादा आपी के मुँह में चला गया था कि अचानक मुझे अपने लण्ड की नोक पर सख्ती महसूस हुई और उसी वक़्त आपी को उबकाई सी आ गई।

यह इस बात का सबूत थी कि मेरा लण्ड आपी के हलक़ तक पहुँच गया था लेकिन अभी भी थोड़ा सा मुँह से बाहर बच गया था। उबकाई लेकर आपी ने थोड़ा सा लण्ड को बाहर निकाला और सांस लेकर दोबारा से अन्दर गहराई में उतारने लगीं लेकिन इस बार भी लण्ड पहले जितना ही अन्दर गया ही था कि आपी को एक बार फिर उबकाई आई और आपी लण्ड को थोड़ा सा बाहर निकाल कर खांसने लगीं, खाँसते हुए भी मेरे लण्ड की टोपी आपी के मुँह में ही थी।

आपी ने तीसरी बार पूरा मुँह में लेने की कोशिश नहीं की और मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर उससे ऊपर की तरफ सीधा किया और लंड की जड़ में अपनी ज़ुबान का ऊपरी हिस्सा रख कर पूरे लंड की लंबाई को चाटते हुए नोक तक आईं और एक बार लंड की टोपी पर ज़ुबान फेर कर उससे नीचे की तरफ दबाया और लंड के ऊपरी हिस्से की लंबाई को ऊपर से नीचे जड़ तक चाटा।

फिर इसी तरह आपी ने मेरे लंड को दोनों साइड्स से ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर तक चाटा और फिर लंड को मुँह में ले लिया। लेकिन इस बार आपी ने आधा ही लंड मुँह में डाला और उस पर अपने होंठों की गिरफ्त को टाइट करके अन्दर की तरफ चूसने लगीं।

लंड को इस तरह चूसने से आपी के दोनों गाल पिचक कर अन्दर घुस जाते और उनका चेहरा लाल हो जाता था। आपी इतनी ताक़त से चूस रही थीं कि मुझे साफ महसूस हुआ कि मेरे लंड के अन्दर से मेरी मलाई का एक क़तरा रगड़ ख़ाता हुआ बाहर की तरफ जा रहा है। जब वो क़तरा मेरे लंड की नोक से बाहर आया तो मेरे जिस्म और लंड को एक झटका सा लगा।

मैंने झटका लेकर आपी की तरफ देखा तो वो मेरे चेहरे पर ही नज़र जमाए हुए थीं और मेरी हालत से लुत्फ़ ले रही थीं। मुझसे नज़र मिलने पर आपी ने शरारत से आँख मारी और फिर अपने मुँह को मेरे लंड पर आगे-पीछे करने लगीं।

जब आपी मेरे लंड पर अपना मुँह आगे की तरफ लाती थीं तो अन्दर से अपने मुँह के जबड़ों की गिरफ्त को ढीला कर देतीं और जब मेरा लंड अपने मुँह से बाहर लातीं तो सिर को तो पीछे की जानिब हटाती थीं जिससे लंड बाहर आना शुरू हो जाता था।

लेकिन बाहर लाते वक़्त आपी अपने मुँह के अन्दर वाले हिस्से से लौड़े को ऐसे चूसतीं कि मेरा लंड अन्दर की तरफ खिंचता हुआ बाहर आता था। पता नहीं मैं आपको यह अंदाज़ समझा पाया हूँ या नहीं बहरहाल एक बार फिर गौर से पढ़िएगा तो आपको समझ आ जाएगा।

इस अंदाज़ से कभी फरहान ने भी मेरा लंड ना चूसा था बल्कि फरहान क्या मैंने भी कभी ऐसे नहीं चुसवाया था जैसे आपी चूस रही थीं।

कुछ देर तक इसी तरह आपी मेरा लंड चूसती रहीं और फिर जब भी आपी लंड को अपने मुँह के अन्दर धकेलतीं तो आख़िर में एक झटका मारती थीं जिससे मेरा लंड हर बार थोड़ा-थोड़ा ज्यादा अन्दर जाने लगा था। कुछ ही देर में आपी की कोशिश रंग लाई और उन्होंने जड़ तक मेरा लंड अपने मुँह में लेना शुरू कर दिया। लेकिन सिर्फ़ एक लम्हें को ही आपी के होंठ मेरे लंड की जड़ तक पहुँच पाते थे और फिर आपी वापस लंड को बाहर निकालना शुरू कर देती थीं।

आपी का हाथ मेरे पेट और लंड के दरमियानी हिस्से पर रखा हुआ था जहाँ से मेरे लंड के बाल शुरू होते हैं।

आपी ने इसी तरह मेरा लंड चूसते-चूसते अपना हाथ मेरे लंड के बालों वाली जगह से उठाया और मेरे लंड के नीचे लटकती गोटों को पकड़ लिया और आहिस्ता-आहिस्ता इन बॉल्स को सहलाने लगीं। आपी का हाथ मेरी बॉल्स पर टच हुआ तो सुरूर की एक और लहर मेरे बदन से उठी और मुझे ऐसा लगा कि शायद मैं अब अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाउंगा, मैंने दोनों हाथों से आपी का चेहरा थामा और अपना लंड उनके मुँह से निकाल लिया और आँखें बंद करके लंबी-लंबी साँसें लेने लगा।

मुझे साफ महसूस हुआ कि मेरे लंड का जूस जो कि बाहर आने लगा था वो अब वापस मेरी रगों में जा रहा है। चंद सेकेंड बाद जब मैंने यह महसूस किया कि अब मैंने अपनी हालत पर कंट्रोल कर लिया है तो मैंने आँखें खोलीं और आपी की तरफ देखा।

आपी का चेहरा मेरे हाथों में और उनका मुँह थोड़ा सा खुला हुआ मेरे लंड से तकरीबन 4 इंच दूर था। मेरे लंड की नोक से एक पतली सी लकीर आपी के निचले होंठ तक गई हुई थी। वो पता नहीं मेरे लंड का जूस (मेरा प्री कम) था या आपी की थूक (सलाइवा) थी जो बारीक सी तार की तरह मेरे लंड की नोक से आपी के होंठों तक गई हुई थी।

आपी की नजरें मेरे चेहरे पर ही जमी थीं और शायद उन्होंने इस लकीर को देखा ही नहीं था। मैंने आपी का चेहरा एक हाथ से मज़बूती से थामा कि वो मुँह हिला ना सकें और दूसरे हाथ की उंगली आपी की आँख के सामने लहराई।

आपी ने कुछ ना समझने वाले अंदाज़ में मेरी उंगली को देखा और मैं अपनी उंगली नीचे अपने लंड की तरफ ले जाने लगा। आपी की नजरें मेरी उंगली पर ही जमी थीं और उंगली के साथ-साथ गर्दिश कर रही थीं। मैंने अपनी उंगली अपने लंड की टोपी पर नोक के पास रखी तो उसी वक़्त आपी की नज़र भी मेरी प्री-कम के उस बारीक तार पर पड़ी और मैंने आपी के चेहरे को मज़बूती से थाम लिया कि कहीं आपी पीछे हटने की कोशिश ना करें।

लेकिन मैंने महसूस क्या कि आपी ने ऐसी कोई कोशिश नहीं की तो मैंने भी गिरफ्त ढीली कर दी और उनकी नजरें मेरे लंड की नोक से उसी तार पर होती हुई उनके अपने होंठों तक गईं।

आपी ने मुस्कुरा कर मेरी आँखों में देखा। आपी की आँखों में अजीब सी चमक थी, अजीब सा खुमार था जो इस अहसास के लिए था कि यह उनकी ज़िंदगी का पहला लंड था जिसको उन्होंने चूसा और उसके ज़ायक़े को महसूस किया और लंड भी उनके अपने सगे भाई का था।

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 15-03-2024, 02:55 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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