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Adultery जिस्म की भूख
Heart 
जवाब में आपी सिर्फ़ मुस्कुरा कर रह गईं लेकिन बोलीं कुछ नहीं। मैंने अपने लण्ड को आहिस्ता-आहिस्ता आपी के सीने के उभारों के दरमियान आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। आपी के मम्मे बहुत सख़्त थे और मेरा पूरा लण्ड चारों तरफ से रगड़ खा रहा था और हर बार रगड़ लगने से जिस्म में मज़े की नई लहर पैदा होती थी।

मैं जब अपने लण्ड को आगे की तरफ बढ़ाता था तो मेरे बॉल्स का ऊपरी हिस्सा भी आपी के मम्मों और पेट के दरमियानी हिस्से पर रगड़ ख़ाता हुआ आगे जा रहा था और जब मैं लण्ड को वापस लाता तो मेरे बॉल्स के निचले हिस्से पर रगड़ लगती जिससे मुझे दुहरा मज़ा आ रहा था।

आपी ने अपने दोनों मम्मों को साइड्स से पकड़ कर दबा रखा था। मैंने अपने दोनों हाथों को आपी के मम्मों पर रखा और उनके निप्पल को अपनी चुटकियों में पकड़ कर मसलने लगा और लण्ड को आगे-पीछे करना जारी रखा।

आपी ने मज़े की वजह से अपनी आँखें बंद कर ली थीं और आपी तेज-तेज साँसों के साथ सिसकारियाँ भर रही थीं।

आपी को मज़े लेता देख कर मैं भी जोश में आ गया और तेजी से अपना लण्ड आगे-पीछे करने लगा। कमरे में आपी की सिसकारियाँ और मेरे लण्ड की रगड़ लगने से ‘पुचह... पुचह...’ की आवाजें साफ सुनाई दे रही थीं।

हमें यह भी इत्मीनान था कि घर में हमारे अलावा और कोई नहीं है इसलिए ना ही आपी अपनी आवाजों को कंट्रोल कर रही थीं और मैं भी इस मामले में बेख़ौफ़ था।

आपी ने आनन्द के कारण अपनी आँखें बंद कर ली और साथ ही वे तेज साँसों के साथ सिसकारियाँ भर रही थीं। मैंने आपी की निप्पलों को ऊपर की तरफ खींच कर ज़रा ज़ोर का झटका लगाया तो मेरे लण्ड की नोक आपी के निचले होंठ से टच हो गई। आपी ने फ़ौरन अपनी आँखें खोल कर मेरी तरफ देखा लेकिन बोलीं कुछ नहीं। आपी की आँखें नशीली हो रही थीं और उनकी आँखों में नमी भर गई थी जो शायद उत्तेजना की वजह से थी।

मैं आपी की आँखों में देखते हुए ही ज़ोर-ज़ोर के झटके मारने लगा। आपी बिना कुछ बोले आँखें झपकाए बगैर मेरी आँखों में ही देख रही थीं और अब तकरीबन हर झटके पर ही मेरे लण्ड की नोक आपी के निचले होंठ से टच होने लगी। मैं दिल ही दिल में खुश हो रहा था कि आपी इस बात से मना नहीं कर रही हैं और ये सोच मेरे अन्दर मज़ीद जोश भर रही थी।

कुछ देर बाद ही मुझे हैरत का शदीद झटका लगा। मैंने अपने लण्ड को आगे झटका दिया ही था कि उससे वक़्त आपी ने मेरी आँखों में देखते-देखते ही अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और मेरे लण्ड की नोक आपी की ज़ुबान पर टच हुई और आपी के थूक ने मेरे लण्ड की नोक पर सुराख को भर दिया…

और मेरे मुँह से बेसाख्ता निकला- “आअहह आअपीईई ईईईई उफ्फ़… आपकी ज़ुबान टच हुई तो ऐसा लगा जैसे बिजली का झटका लगा हो। आपकी ज़ुबान मेरे लण्ड में करेंट दौड़ा रही है”

आपी मुस्कुरा दीं और हर झटके पर इसी तरह अपनी ज़ुबान बाहर निकालतीं और मेरे लण्ड की नोक पर टच कर देतीं। थोड़ी देर इसी तरह अपना लण्ड आपी के सीने के उभारों के दरमियान रगड़ कर आगे-पीछे करने के बाद मैंने एक झटका मारा आपी की ज़ुबान बाहर आई और मेरे लण्ड की नोक से टच हुई तो मैंने अपने लण्ड को वहाँ ही रोक दिया।

आपी ने अपनी ज़ुबान वापस मुँह में डाली और कुछ देर मेरी आँखों में ही देखती रहीं लेकिन मैंने अपना लण्ड पीछे नहीं किया और कुछ बोले बगैर ही उनकी आँखों में देखता रहा। चंद सेकेंड बाद आपी ने अपनी नज़रें नीची करके मेरे लण्ड को देखा और फिर अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर ज़ुबान की नोक को मेरे लण्ड के सुराख में डाला और अपनी ज़ुबान से मेरे लण्ड के सुराख के अंदरूनी हिस्से को छेड़ने लगीं।

कुछ देर आपी ऐसे ही मेरे लण्ड की नोक के अन्दर अपनी ज़ुबान की नोक डाले रहीं और फिर मेरे लण्ड की टोपी पर पहले अपने ज़ुबान की नोक से ही मसाज किया और फिर अपनी ज़ुबान को थोड़ा टेढ़ा करके ऊपरी हिस्से से मेरे लण्ड की टोपी की राईट साइड को चाटा और इसी तरह से लेफ्ट साइड चाटने के बाद टोपी पर अपनी ज़ुबान गोलाई में फेरी और ज़ुबान वापस अपने मुँह में खींच ली। मेरे चेहरे पर शदीद बेबसी के आसार थे और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।

“आपी प्लीज़... अब और मत तरसाओ... प्लीज़ आपीयईई कुछ तो रहम करो”

मैंने यह कहते हुए अपने लण्ड को थोड़ा और आगे किया और मेरे लण्ड की नोक आपी के होंठों के सेंटर में टच हो गई। आपी ने अपने दोनों होंठों को मज़बूती से बंद कर लिया था। मेरी बात सुन कर थोड़ा झिझकते हुए आपी ने अपने होंठों को ढीला किया और मेरे लण्ड की टोपी आपी के मुँह में दाखिल हो गई।

आपी ने फ़ौरन ही मेरे लण्ड को मुँह से निकाला और फिर से होंठ मज़बूती से भींच लिए। मेरा बहुत शिद्दत से दिल चाह रहा था कि आपी मेरे लण्ड को अपने मुँह में लें।

मैंने अपने लण्ड की नोक को आपी के बंद होंठों से लगा कर ज़ोर दिया और गिड़गिड़ा कर कहा- “आपी डालो ना मुँह में, प्लीज़ यार, क्यों तड़फा रही हो। चूसो ना आपी, मेरी प्यारी बहन प्लीज़ चूसो… नाआआआआअ…”

आपी कुछ देर सोचती रहीं और फिर कहा- “अच्छा मैं खुद करूँगी। तुम ज़ोर मत लगाना”

यह कह कर आपी ने अपना दायें हाथ अपने उभार से उठाया और मेरे लण्ड को अपनी मुठी में पकड़ कर झिझकते हुए अपना मुँह खोला। मेरे लण्ड की नोक पर मेरी प्रीकम का एक क़तरा झिलमिला रहा था, आपी ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और अपनी ज़ुबान की नोक से मेरी प्रीकम के क़तरे को समेट कर ज़ुबान अन्दर कर ली और ऐसे मुँह चलाया जैसे किसी टॉफ़ी को अपनी ज़ुबान पर रख कर चूस रही हों।

आपी ने फिर मुँह खोला और मेरी आँखों में देखते-देखते मेरे लण्ड की टोपी अपने मुँह में डाल ली। आपी के मुँह की गर्मी को अपने लण्ड की टोपी पर महसूस करके ही मेरी हालत खराब होने लगी।

मैंने अपने सिर को पीछे की तरफ झटका और आँखें बंद करके भरपूर मज़े से एक सिसकारी भरी- “आहह... मेरी प्यारी बहना... उफ्फ़... चूसो ना... आपी... प्लीज़...”

आपी ने वॉर्निंग देने के अंदाज़ में कहा- “याद रखना सगीर, अगर तुमने अपना जूस मेरे मुँह में छोड़ा तो मैं फिर कभी तुम्हारा लण्ड मुँह में नहीं डालूँगी”

मैंने अपने दोनों हाथों से आपी के चेहरे को नर्मी से थामा और कहा- "नहीं आपी! मैं आपके मुँह में डिस्चार्ज नहीं होऊँगा। बस थोड़ी देर चूस लो, जब मेरा जूस निकलने लगेगा तो मैं पहले ही बता दूँगा”

इस पोजीशन में आपी मुकम्मल तौर पर मेरे कंट्रोल में थीं और अपनी मर्ज़ी से अब लण्ड मुँह से बाहर नहीं निकाल सकती थीं। उन्हें यह डर भी था कि कहीं मैं ज़बरदस्ती अपना लण्ड आपी के हलक़ तक ना घुसा दूँ। बस यही सोच कर आपी ने मुझे थोड़ा पीछे हटने का इशारा किया।

मेरे पीछे हटने पर बोलीं- “मेरे ऊपर से उतर कर सीधे बैठ जाओ, तुम्हें जोश में ख़याल नहीं रहता। पहले भी मेरे ऊपर सारा वज़न डाल दिया था तुमने, मेरा सांस रुकने लगता है”

मैं आपी के ऊपर से उतरा और बेड के हेड से कमर टिका कर बैठ गया। आपी मेरी टाँगों के दरमियान आकर घुटनों के बल बैठी हुई झुक गईं। ऐसे बैठने से आपी के घुटने और टाँगों का सामने का हिस्सा पैरों समेत बिस्तर पर था और मुँह नीचे मेरे लण्ड के पास होने की वजह से गाण्ड भी हवा में ऊपर की तरफ उठ गई थी।

आपी ने फिर से मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा और मुँह खोल कर मेरे लण्ड के पास लाकर मेरी तरफ देखा। इस वक़्त आपी की आँखों में झिझक या शर्म नहीं थी बस उनकी आँखों में शरारत नाच रही थी। आपी मेरी आँखों में ही देखते हो अपना मुँह खोल के मेरे लण्ड को मुँह में डालतीं लेकिन अपने मुँह के अन्दर टच ना होने देतीं और उसी तरह लण्ड मुँह से बाहर निकाल देतीं।

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 15-03-2024, 02:52 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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