13-03-2024, 03:49 PM
यह बात कहते हो आपी की आँखें उस टाइम बिल्कुल बिल्ली से मुशबाह हो गई थीं और उन आँखों में बगावत का तूफान था, जिन्सी जुनून था, इंतेहा को पहुँची हुई बेशर्मी थी और अजीब चमक थी।
पता नहीं क्या था उनकी आँखों में कि मैं एक लम्हें को दहल सा गया और खौफ की एक लहर पूरे जिस्म में फैल गई। मुझसे आपी की आँखों में देखा ही नहीं गया। मैंने नजरें झुका लीं।
आपी ने एक क़हक़हा लगाया और शरारती अंदाज़ में बोलीं- “हीई हीएहीई, तुम्हारी ही बहन हूँ मैं भी, एक ही खून है दोनों का। अब सोच लो कि मेरी आखिरी हद कहाँ तक हो सकती है। मैं बिगड़ी तो कहाँ तक जा सकती हूँ”
फिर मुझे आँख मार कर मेरा दायाँ हाथ पकड़ा और अपने सीने के उभार से उठा कर नीचे की तरफ़ ले गईं और अपनी चूत के दाने पर रखती हुई बोलीं- “खैर छोड़ो बातें, यहाँ से रगड़ो लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता”
मैंने भी आपी की कही पहले की बात का कोई जवाब नहीं दिया और उनकी चूत के दाने को अपनी उंगली से सहलाता हुआ अपना लण्ड उनकी रानों में रगड़ने लगा। आपी की रानें बहुत चिकनी थीं।
मेरे लण्ड का ऊपरी हिस्सा जो कि आपी की चूत की लकीर में फँसा उनकी चूत के अंदरूनी हिस्से से रगड़ खा रहा था। आपी की चूत से क़तरा-क़तरा निकलते लसदार जूस से तर हो गया था लेकिन मेरे लण्ड की दोनों साइड आपी की रानों में रगड़ लगने से लाल हो गई थीं और मुझे मामूली सी जलन भी महसूस होने लगी थी।
मैंने अपने लण्ड को आपी की रानों से बाहर निकाला और पीछे हटा तो फ़ौरन ही आपी ने कहा- “क्या हुआ? निकाल क्यों लिया?”
मैंने अपने क़दम टेबल पर रखी तेल की बोतल की तरफ बढ़ाते हुए कहा- “रगड़ से जलन हो रही है”
और इसके साथ ही मैंने तेल की बोतल को उठाया और फिर से आपी के पीछे आकर खड़ा हो गया। मैंने थोड़ा सा तेल अपने हाथ पर लिया और झुकते हुए अपने हाथ से आपी की टाँगों को थोड़ा खोलते हुए आपी की दोनों रानों पर लगाया और रानों के साथ ही मैंने हाथ थोड़ा ऊपर किया और आपी की चूत पर अपने हाथ की दो उंगलियों से तेल लगाने लगा।
मैंने अपनी दो उंगलियों से आपी की चूत के पर्दों को अलहदा किया और एक उंगली चूत की लकीर में रख कर अंदरूनी नरम हिस्से को रगड़ कर चूत के सुराख पर अपनी उंगली को रखते हुए हल्का सा दबाव दिया। मेरी उंगली तेल और आपी की कुंवारी चूत से निकलते रस की वजह से पूरी चिकनी थी जो थोड़े से दबाव ही से फिसलती हुई तकरीबन एक इंच तक चूत के अन्दर दाखिल हो गई।
उसी वक़्त आपी ने एक तेज सिसकी भरी और अपनी टाँगों को आपस में बंद करते हुए सीधी खड़ी हो गईं- “सगीर! निकालो बाहर, जल्दी निकालो, मैंने कहा था ना… अन्दर मत डालना”
“कुछ नहीं होता ना आपी, बोलो! क्या मज़ा नहीं आ रहा आपको?”
मैंने आपी को जवाब दिया और 6-7 बार उंगली को अन्दर-बाहर करने के बाद दोबारा सीधा खड़ा हो गया और अपना लण्ड फिर से आपी की रानों के बीच में फँसाते हुए आपी के हाथ को पकड़ा और अपने होंठ आपी की कमर पर रख कर आगे की तरफ ज़ोर दे कर झुका दिया और उनके हाथ कुर्सी के आर्म्स पर रख दिए।
फिर आईने में अपने आपको देखते हुए आपी से कहा- “अब देखो आपी! बिल्कुल मूवी के सीन की तरह लग रहे हैं हम दोनों और ऐसा ही लग रहा है कि जैसे मैं आपको चोद रहा हूँ”
आपी ने भी आईने में देखा और मैंने आपी को देखते हुए ही अपने झटके मारने की स्पीड भी बढ़ा दी। वैसे भी अब मेरा लण्ड बहुत आराम से आपी की रानों में फँसा हुआ आगे-पीछे हो रहा था और तेल की वजह से जलन भी नहीं हो रही थी।
फरहान अभी भी बिस्तर पर बैठा था। थोड़ा सा मुँह खोले मुझे और आपी को देखते हुए अपने लण्ड को मुठी में पकड़े ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था। जब तक मैं या आपी उससे खुद से नहीं बुलाते थे वो हमारे पास नहीं आता था।
मैंने उससे सख्ती से नसीहत की हुई थी कि वो अपना दिमाग बिल्कुल मत लगाए और जैसा मैं कहूँ वैसा ही करे।
इसी लिए मेरे कहने के मुताबिक़ उसने तमाम हालत मुझ पर छोड़ दिए थे। वो अपनी मर्ज़ी से कोई क़दम नहीं उठाता था।
आपी ने आईने से नज़र हटा कर फरहान की तरफ देखा और उससे हाथ के इशारे से अपनी तरफ बुलाते हुए हँस कर बोलीं- “आओ छोटे शहज़ादे, गंगा बह ही रही है तो तुम भी हाथ धो ही लो”
फरहान एकदम कूद कर बिस्तर से उठा जैसे कि वो बस हमारे बुलाने का ही इन्तजार कर रहा था। वो भागता हुआ आपी के पास आ गया और आते ही अपने हाथ आपी के सीने के उभारों की तरफ बढ़ाए ही थे कि आपी ने उसके हाथ को झटका दिया और बोलीं- “जब तक वहाँ बैठे रहते हो तो सब्र में रहते हो लेकिन मेरे पास आते ही जंगली हो जाते हो। रुको और सीधे खड़े हो जाओ”
फरहान सीधा खड़ा हुआ तो आपी ने अपना हाथ कुर्सी से उठाया और फरहान के लण्ड को अपने हाथ में पकड़ कर आगे-पीछे करते हुए बोलीं- “अब पकड़ लो लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता दबाना, अच्छा!”
फरहान ने अपने हाथ नर्मी से आपी के उभारों पर रखे और उन्हें आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगा। आपी ने सुरूर में आकर अपनी आँखें बंद कर लीं और फरहान के लण्ड पर हाथ चलाते-चलाते ही मुझसे बोलीं- “उम्म्म… सगीर! अपना हाथ आगे ले आओ न”
मैंने आपी की बात सुन कर अपना हाथ आगे से आपी की चूत के दाने पर रख दिया। अब पोजीशन यह थी कि आपी अपनी आँखें बंद किए सिसकारियाँ भरते हुए कुर्सी के बाजुओं पर एक हाथ रखे थोड़ा झुक कर खड़ी थीं और दूसरे हाथ से फरहान के खड़े लण्ड को मुठी में थामे हाथ आगे-पीछे कर रही थीं।
फरहान आपी के कंधों को चूमते और चाटते हुए आपी के खूबसूरत सीने के उभारों को अपने हाथ से मसल रहा था। मैंने अपने एक हाथ से आपी की चूत के दाने को चुटकी में पकड़ रखा था और अपना लण्ड आपी की रानों के बीच में रगड़ते हुए उनकी कमर को भी चाटता जा रहा था।
थोड़ी देर बाद आपी ने अपनी आँखें खोलीं और फरहान के लण्ड को छोड़ते हुए अपना हाथ कुर्सी के आर्म पर रखा और कहा- “फरहान! सगीर के पीछे जाओ और पीछे से सगीर को चोदो”
मुझे आपी की बात से शदीद हैरत हुई और आपी के इस ऑर्डर ने मेरे अन्दर एग्ज़ाइट्मेंट की एक नई लहर भर दी।
TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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