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Adultery जिस्म की भूख
#85
(07-03-2024, 09:13 AM)KHANSAGEER Wrote:
सुबह मैं देर से ही उठा था। फ्रेश होकर नीचे नाश्ते के लिए पहुँचा तो सब नाश्ता करके जा चुके थे। मैंने भी नाश्ता किया और कॉलेज को चल दिया। वापसी पर भी आम सी ही रुटीन रही कोई ऐसी खास बात नहीं हुई जो मैं यहाँ आपको बता सकूँ।

रात के 11 बजे थे मैं और फरहान दोनों आपी का इन्तजार करते हुए इधर-उधर की बातें करते अपना टाइम काट रहे थे। उसी वक्त दरवाज़ा खुला और आपी अन्दर दाखिल हुईं।

आपी को देखते ही फरहान और मैंने बेड से जंप की और उनकी तरफ बढ़े। आपी ने अपने दोनों हाथों को सामने लाकर हमें रोकते हुए कहा- “आराम से… आराम से… जंगली ही हो दोनों”

मैंने आपी की बात जैसे सुनी ही नहीं और उन्हें अपने बाजुओं में जकड़ कर होंठों पर होंठ रख दिए। आपी ने भी किस का मुकम्मल रिस्पोन्स दिया और भरपूर अंदाज़ में मेरी ज़ुबान और होंठों को चूसने के बाद पीछे हट गईं और अपनी क़मीज़ उतारने लगीं। क़मीज़ के नीचे आपी ने कुछ नहीं पहना था और क़मीज़ के उतरते ही उनके खूबसूरत गुलाबी निप्पल मेरी नजरों के सामने आ गए। आपी क़मीज़ उतार कर सीधी खड़ी हुई ही थीं कि मैंने फिर उनकी तरफ क़दम बढ़ाया तो उन्होंने मुझे रोक दिया।

“नहीं सगीर... तुम पीछे रहो” -और फरहान की तरफ अपने बाजुओं को खोला जैसे उससे गले लगाने के लिए बुला रही हों और फरहान को देखते हुए मुस्कुरा कर बोलीं- “आज मेरे छोटे भाई की बारी है। आ जाओ फरहान!”

फरहान यह सुन कर खुशी से झूम उठा और भागते हुए आकर आपी से लिपट गया। मैंने मुस्कुरा कर उन दोनों को देखा और पीछे हट कर वहाँ सोफे पर बैठ गया जहाँ बैठ कर आपी हमारा शो देखा करती थीं। फरहान ने आपी के बदन को अपने बाजुओं में भरा और उनके होंठों को जंगली अंदाज़ में चूसने लगा।

यह पहली बार था कि फरहान आपी के साथ अकले में कुछ कर रहा था इसलिए उसके अंदाज़ में बहुत दीवानगी थी। आपी भी उसी के अंदाज़ में उसका मुकम्मल साथ दे रही थीं। फरहान और आपी कुछ देर एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। होंठों को एक-दूसरे से चिपकाए हुए ही आपी ने अपने हाथ नीचे किए और फरहान की शर्ट को अपने हाथों से ऊपर उठाने लगीं।

फरहान थोड़ा पीछे हुआ और आपी ने उसकी शर्ट को सिर से और हाथों से निकाल कर दूर फेंक दी। फरहान ने आगे बढ़ कर फिर अपने होंठ आपी की गर्दन पर रख दिए और आपी की गर्दन को चूमने और चाटने लगा। आपी ने अपने सिर को पीछे की जानिब ढुलका दिया और फरहान की नंगी कमर पर अपने हाथ फेरने लगीं। फरहान ने अपने हाथों को नीचे किया और आपी की सलवार में हाथ फँसा कर नीचे को झटका दिया और मुझे ये देख कर हैरत का झटका लगा कि आपी ने बजाए उसे रोकने के खुद ही अपने हाथों से अपनी सलवार को नीचे किया और अपनी टाँगों से निकाल दी।

आपी की नंगी गुलाबी रानें और उनके खूबसूरत बिल्कुल गोल कूल्हे मेरी नजरों के सामने आए तो मैंने बे इख्तियार ही अपने लण्ड को पकड़ कर झंझोड़ा और अपने कपड़े उतार फैंके। फरहान ने आपी की नंगी कमर को सहलाते हुए अपने हाथ थोड़े नीचे किए और आपी के दोनों कूल्हों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर पूरी ताक़त से एक-दूसरे से अलहदा कर दिया। जैसे कि वो दोनों कूल्हों को बीच से चीर देना चाहता हो और इसके साथ-साथ ही उसने गर्दन से नीचे आकर आपी के एक उभार को अपने मुँह में भरा और अपने दाँत आपी के उभार में गड़ा दिए।

आपी के चेहरे पर शदीद तक़लीफ़ के आसार नज़र आए और उनके मुँह से एक कराह निकली- “आऐईयईई… ईईईईई... उफ… फफ्फ़… फरहान थोड़ा आराम से... जंगली ही हो जाते हो... मैं कहीं भागी... तो नहीं जा... रही नाआअ...”

आपी की बात सुन कर फरहान ऐसे चौंका जैसे उसे पता ही नहीं हो कि वो क्या कर रहा था और अभी ही होश में आया हो। फरहान ने आपी का उभार मुँह से निकाला तो आपी ने फरहान को थोड़ा पीछे हटाया और कहा- “बिस्तर पर चलो, मैं इतनी देर खड़ी नहीं रह सकती”

यह कह कर आपी बिस्तर की तरफ बढ़ीं और अपनी टाँगें नीचे लटका कर बिस्तर पर अधलेटी सी हो गईं। फरहान ने अपना ट्राउज़र उतारा और आपी के ऊपर लेट कर उनके सीने के उभारों को चूसने लगा। आपी फिर से फरहान की कमर को सहलाने लगीं।

कुछ देर आपी के मम्मे चूसने के बाद फरहान ने आपी के पेट को चाटा और अपनी ज़ुबान से आपी की नफ़ का मसाज करने लगा। फरहान थोड़ा और नीचे हुआ और ज़मीन पर बैठ कर अपनी ज़ुबान आपी के टाँगों के दरमियान वाली जगह पर रख दी।

आपी ने फरहान की ज़ुबान को अपनी चूत पर महसूस किया तो उनके मुँह से एक ‘आआहह..’ खारिज हुई और बेसाख्ता ही आपी ने अपनी टाँगों को थोड़ा और खोल कर घुटनों को मोड़ते हुए अपने पाँव बिस्तर पर रख लिए।

अपनी आँखें बंद करके आपी अपने दोनों हाथ फरहान के सिर पर रख कर अपनी चूत फरहान के मुँह पर दबाने लगीं। फरहान ने आपी की चूत को चूसते हुए अपने दोनों हाथ आपी के कूल्हों के नीचे रखे और कूल्हों को थोड़ा सा उठा कर आपी की गाण्ड के सुराख को चूमा।

जैसे ही फरहान के होंठ आपी के पिछले सुराख से टच हुए आपी के मुँह से एक ज़ोरदार सिसकी निकली और उन्होंने अपनी आँखें खोल कर सिर थोड़ा उठाया और फरहान को देखते हुए कहा- “हन्ंन ननणणन् फरहान… हन्णन्न्... यहाँ ही... आहह… चाटो उसे… अपनी ज़ुबान टच करो यहाँ... उफ़फ्फ़”

आपी ने अपनी गाण्ड को मज़ीद ऊपर की तरफ झटका दिया और फरहान के सिर को ज़ोर से नीचे की तरफ अपनी गाण्ड के सुराख पर दबाया।

दो-तीन ज़ोरदार झटके मारने के बाद आपी ने अपना सिर पीछे बिस्तर पर पटका और गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा। फरहान ने आपी की चूत को चूसते हुए आपी की गाण्ड के सुराख को चूमा।

मैं उन दोनों को देखते हुए अपना लण्ड आहिस्ता आहिस्ता सहला रहा था। आपी को अपनी तरफ देखता पाकर मैंने उनकी आँखों में देखा। आपी की आँखें नशीली हो रही थीं और लाल डोरे आँखों को मज़ीद खूबसूरत बना रहे थे। आपी कुछ देर मेरी आँखों में आँखें डाले देखती रहीं और मीठी-मीठी सिसकारियाँ भरती रहीं फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों को उठाया और हाथ फैला कर अपनी गर्दन और हाथों को ऐसे हिलाया जैसे मुझे गले लगाने के लिए बुला रही हों।

मैं कुछ देर ऐसे ही बैठा रहा और आपी भी अपने हाथ फैलाए मुझे मुहब्बत और हवस भरी नजरों से देखती रहीं। कुछ देर बाद उन्होंने फिर इशारा किया और अपने होंठों को किस करने के अंदाज़ में सिकोड़ कर मुस्कुरा दीं। मैंने भी आपी को मुस्कुरा कर देखा और सिर झटकते हुए खड़ा होकर आपी की जानिब बढ़ा। आपी के सिर के पास बैठ कर मैंने उनके होंठों पर एक भरपूर चुम्मी की और फिर उनके सीने के उभारों को चाटने और निप्पलों को चूसने लगा।

मैं आपी के निप्पल को चूस ही रहा था कि मुझे हैरत और लज़्ज़त का एक और झटका लगा, आपी ने आज पहली बार खुद से मेरे बिना कहे हुए मेरे लण्ड को पकड़ा था। मैंने आपी के निप्पल को छोड़ा और हैरानी की कैफियत में आपी के चेहरे को देखा तो आपी ने शर्मा के मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं और अपना चेहरा साइड पर कर लिया। मैं कुछ देर ऐसे ही आपी के शर्म से लाल हुए चेहरे पर नज़र जमाए रहा।

आपी की आँखें बंद थीं लेकिन वो मेरी नजरों की हिद्दत को अपने चेहरे पर महसूस कर रही थीं।

उन्होंने एक लम्हें को आँख खोल कर मेरी आँखों में देखा और फिर से अपनी आँखों को भींचते हुए शर्मा कर बोलीं- “सगीर क्या है? ऐसे मत देखो ना…आआ... वरना मैं छोड़ दूँगी... इसको... इसको”

यह कहते वक़्त आपी ने मेरे लण्ड को ज़ोर से अपनी मुट्ठी में दबाया। मैंने मुस्कुरा कर आपी को देखा और फिर फरहान पर नज़र डाली।

फरहान आपी की गाण्ड के सुराख को चाटने और चूसने में लगा था तो मैंने आगे होकर आपी की चूत पर अपना मुँह रख दिया और आपी की चूत के दाने को मुँह में भर कर अपनी पूरी ताक़त से चूसने लगा। आपी मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर कभी दबाती थीं तो कभी अपनी गिरफ्त लूज कर देती थीं। अब हमारी पोजीशन कुछ 69 जैसी ही थी, मेरा लण्ड आपी के मुँह से चंद इंच ही दूर था और मैं अपनी बहन की गर्म-गर्म साँसों को अपने लण्ड और अपने टट्टों पर महसूस कर रहा था।

मेरा बहुत शिद्दत से दिल चाहा था कि आपी मेरे लण्ड को अपने मुँह में लें लेकिन मैं जानता था कि वो अभी इसके लिए राज़ी नहीं होंगी। मैंने अपना चेहरा नीचे किया और अपनी ज़ुबान निकाल कर आपी की चूत को चाटने के लिए क़रीब हुआ ही था कि आपी की चूत से उठती मधुर, मदहोश कर देने वाली खुश्बू का झोंका मेरी नाक से टकराया।

अपनी बहन की चूत से उठती यह महक मुझ पर जादू सा कर देती थी और मेरा दिल चाहता था कि ये लम्हात ऐसे ही रुक जाएँ और मैं बस अपनी बहन की टाँगों में सिर दिए, अपनी आँखें बंद किए बस उनकी चूत की खुश्बू में ही खोया रहूँ। आप में से बहुत से लोगों को यह बात शायद अच्छी ना लगे और वो सोचेंगे कि मैं क्या गंदी बातें लिखता हूँ लेकिन मैं वाकयी ही आप लोगों को सच बता रहा हूँ।

अजीब सा जादू था मेरी बहन की चूत की खुश्बू में जो मैं लफ्जों में कभी भी बयान नहीं कर सकता। मैंने कुछ देर लंबी-लंबी साँसें नाक से अन्दर खींची और आपी की चूत की खुश्बू को अपने अन्दर बसा कर मैंने अपनी ज़ुबान से आपी की चूत को पूरा चाट लिया। 

उनकी चूत पर एक किस करने के बाद आपी की चूत की पूरी लंबाई को, आपी की चूत के दोनों लबों को समेट कर अपने होंठों में दबा लिया और अपनी पूरी ताक़त से चूत को चूसने लगा।
TO BE CONTINUED .....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
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RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
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RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
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