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Adultery जिस्म की भूख
#81
Heart 
मैंने अपना लण्ड उनके कूल्हों से ज़रा पीछे किया और आपी का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। आपी को जब अहसास हुआ कि उनके हाथ में मेरा लण्ड है तो फ़ौरन ही उन्होंने अपना हाथ पीछे खींच लिया। मैंने दोबारा इसकी कोशिश नहीं की और आपी के कन्धों का पिछला हिस्सा अपनी ज़ुबान से चाटने लगा।

कंधों के बाद पूरी कमर को चाटता हुआ मैं नीचे बैठ गया और आपी के कूल्हों की गोलाइयाँ चूमते और चूसते हुए अपनी ज़ुबान से भी मसाज सी करता रहा। पूरी तरह कूल्हों को चाटने के बाद मैंने अपने दोनों हाथ आपी के कूल्हों पर रखे और उनके कूल्हों को खोल कर आपी की गाण्ड के सुराख को गौर से देखना शुरू कर दिया।

आपी की गाण्ड का सुराख बाक़ी जिस्म की तरह गुलाबी नहीं था बल्कि भूरे रंग का था और बहुत सी उभरी-उभरी सी गोश्त की लकीरें अन्दर सुराख में जाती दिख रही थीं जो ऐसे थीं जैसे किसी कुँए पर चुन्नटों का जाल सा बुन दिया गया हो।

मैंने आपी की गांड के सुराख को कुछ देर बा गौर देखा और फिर आगे होते हुए आहिस्तगी से अपनी ज़ुबान की नोक को सुराख के बिल्कुल सेंटर में टच कर दिया।

आपी ने मेरी ज़ुबान को अपनी गाण्ड के सुराख पर महसूस करते ही एक झुरजुरी सी ली और मज़े की एक शदीद लहर आपी के बदन में सिहरन कर गई।

वो बेसाख्ता ही अपने ऊपरी जिस्म को आगे की तरफ झुकाते हुए बोलीं- “आआहह सगीर! ये क्या कर रहे हो?”

‘म्म्म्म म्मम..’ मैंने गाण्ड के सुराख को चाटने के साथ-साथ अपनी ज़ुबान ऊपर से नीचे और फिर नीचे से ऊपर पूरी दरार में फेरना शुरू कर दी।

आपी के बेसाख्ता अंदाज़ ने मुझे समझा दिया था कि उन्हें गाण्ड का सुराख चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा है।

आपी के आगे झुकने की वजह से मेरा काम ज्यादा आसान हो गया था और मेरी ज़ुबान आपी की पूरी दरार में आसानी से घूम रही थी।

फरहान आपी की चूत को चूसने में लगा था और मैं आपी की गाण्ड के सुराख को चाट रहा था। आपी की हालत अब बहुत खराब हो रही थी और वो अपने सिर को राईट-लेफ्ट झटके देते हुए दबी-दबी आवाज़ में ‘आहें...’ भर रही थीं।

मेरे जेहन में ये आया कि यही टाइम है कि अब मैं दोबारा ट्राई करूँ। इस सोच के आते ही मैं उठा और आपी के सामने आकर उनको सीधा करते हुए आपी के होंठों को अपने होंठों में दबाया और एक हाथ में आपी का हाथ पकड़ते हुए दूसरे हाथ से उनके सीने के उभार दबाने लगा।

मैंने चंद लम्हें ऐसे ही आपी का हाथ थामे रखा और फिर आहिस्तगी से उनका हाथ दोबारा अपने लण्ड पर रख दिया। आपी ने फिर हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन मैंने उनके हाथ को मजबूती से अपने लण्ड पर ही दबाए रखा। कुछ देर तक आपी ने कोई रिस्पोन्स नहीं दिया और फिर आहिस्ता-आहिस्ता मेरे लण्ड को अपनी मुठ में दबाने लगीं। वो कभी लण्ड को भींच रही थीं तो कभी अपना हाथ लूज कर देतीं।

मैंने ये महसूस किया तो आपी के हाथ से अपना हाथ हटा लिया और उनकी गर्दन को पुश्त से पकड़ कर किस करने लगा। मेरे हाथ हटाने के बावजूद भी आपी ने मेरे लण्ड को नहीं छोड़ा था और नर्मी से लंबाई नापने के अंदाज़ में उस पर अपना हाथ फेरने लगीं। मैंने दोबारा अपना हाथ आपी के हाथ पर रखा और उनके हाथ की मुठी बना कर अपने लण्ड पर ऊपर-नीचे की और 3-4 मूव्स के बाद अपना हाथ हटा लिया और अब आपी खुद ही अपना हाथ मेरे आगे-पीछे करने लगीं।

मैंने एक नज़र फरहान को देखा तो वो अभी भी आपी की चूत ही चूस रहा था और थोड़ी-थोड़ी देर बाद ऐसे ज़ोर लगाता था जैसे खुद ही आपी की चूत में घुसना चाह रहा हो। उसका हाथ अपने लण्ड पर तेजी से आगे-पीछे हो रहा था।
आपी का जिस्म अकड़ना शुरू हुआ तो फ़ौरन मुझे याद आ गया कि कैसे डिसचार्ज होते वक़्त आपी की चूत मेरी ज़ुबान को भींचने लगी थी। अब फरहान की ज़ुबान भी इस मज़े को महसूस करने वाली है।

आपी को डिस्चार्ज होने के क़रीब देखा तो मैंने ज़ोर से उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और आपी के निप्पल्स को चुटकियों में मसलने लगा। मेरे लण्ड पर आपी का हाथ बहुत तेज-तेज चलने लगा था और उनकी साँसें बहुत तेज हो गई थीं। मेरी बर्दाश्त जवाब दे रही थी और एकदम ही मेरे लण्ड ने झटका मारा और मेरे लण्ड से जूस निकल-निकल कर आपी के पेट पर चिपकने लगा। आपी ने भी मेरे लण्ड के पानी को महसूस कर लिया था और फ़ौरन ही उनके जिस्म ने भी झटके खाए और वे अपनी चूत का पानी फरहान के मुँह में भरने लगीं।

हम तीनों ही अपनी मंज़िल तक पहुँच चुके थे।

जब हम एक-दूसरे से अलग हुए और आपी की नज़र अपने पेट पर पड़ी जहाँ मेरे लण्ड का गाढ़ा सफ़ेद पानी चिपका हुआ था। आपी की पूरी नफ़ मेरे लण्ड के जूस से भरी हुई थी।

“ओह्ह... अएवव... ये क्या गंदगी की है तुमने… गंदे” -आपी ने ये कहा और अपनी ऊँगली अपनी नफ़ में डाल कर घूमते हुए मेरे लण्ड का पानी अपनी ऊँगली की नोक पर निकाल लिया।

वो चंद लम्हें रुकीं और फिर अपनी ऊँगली को चेहरे के क़रीब ले जाकर गौर से देखने लगीं। मैंने आपी को इस तरह मेरे लण्ड के जूस को देखते देखा तो मुस्कुराते हुए आपी को आँख मारी और कहा- “शर्मा क्यों रही हो आपी, आगे बढ़ो, बहुत मज़े का ज़ायक़ा है इसका”

आपी ने मेरी बात सुनी तो झेंपती हँसी के साथ कहा- “शट अप्प्प सगीर! मैं सिर्फ़ क़रीब से देखना चाहती थी। तुम्हारी तरह गंदी नहीं हूँ”

मैंने कहा- “उस वक़्त तो आपको बुरा नहीं लग रहा था जब मैं आप की चूत का रस पी रहा था” यह कहते हुए मैंने आगे बढ़ कर आपी की चूत पर हाथ रखा और कहा- “वो भी डायरेक्ट यहाँ मुँह लगा के”

आपी ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और नर्मी से मेरा हाथ पकड़ कर अपनी टाँगों के बीच से हटाते हुए कहा- “अच्छा बस सगीर! अब बहुत देर हो गई है। फरहान मुझे कोई कपड़ा दो ताकि मैं अपने पेट से ये गंदगी साफ करूँ”

फरहान कपड़ा लेने के लिए उठ रहा था कि मैंने और आपी ने एक साथ ही देखा कि मेरे लण्ड के जूस के बहुत से क़तरे फरहान के सिर पर गिरे हुए थे और मुझसे पहले ही आपी बोल पड़ीं- “और अपना सिर भी साफ कर लेना, वहाँ भी सारी गंदगी लगी है”

फरहान ने बेसाख्ता अपने सिर पर हाथ फेरा तो उसके हाथ पर भी मेरे लण्ड का जूस लग गया। फरहान ने अपने हाथ को देखा और फिर आपी की आँखों में देखते हुए ज़ुबान निकाल कर चाटते हुए बोला- “उम्म्म.. आपी आप भी चख कर तो देखतीं, इतना बुरा नहीं है”

“आहह…. डिज़्गस्टिंग फरहान, तुम तो इसको अपने सिर पर ही सज़ा रहने दो, ताज समझ कर। अच्छा अब जाओ, कोई कपड़ा ला कर दो” -आपी ने फरहान से कहा और अपनी क़मीज़-सलवार, ब्रा वगैरह इकठ्ठे करने लगीं, जो इधर-उधर बिखड़े पड़े थे।

फरहान अपनी ही एक शर्ट लेकर आया और खुद ही आपी के बदन को साफ करने लगा। अच्छी तरह साफ करने के बाद फरहान ने आपी के पेट को चूमा ही था कि आपी ने उसे पीछे करते हुए कहा- “नहीं फरहान! अब बस, मैंने जाना है बहुत देर हो गई है”

आपी ने क़मीज़ पहनने के लिए अपने हाथ फैलाए ही थे कि मैंने आगे बढ़ कर आपी को अपने बाजुओं में जकड़ा और एक जोरदार किस करने के बाद कहा- “आपी आज का दिन हमारी ज़िंदगी का हसीन-तरीन दिन था और मुझे खुशी इस बात की है कि मैंने आपके जिस्म के एक-एक मिलीमीटर को चूमा है और अपनी ज़ुबान से चखा है। आई रियली लव यू”

आपी ने मुस्कुरा का मुहब्बतपाश नजरों से मुझे देखा और अब उन्होंने आगे बढ़ कर मेरे होंठों को चूमा और कहा- “लव यू टू सगीर” और फिर मेरे गाल को चुटकी में पकड़ के खींचते हुए बोलीं- “मेरा राजा भाई... उम्म्म्ममाअहह”

“आअप्प्प्पीईईईईई फिर वो हीई”

आपी मुझे देख कर खिलखिला कर हँसी और अपने कपड़े पहनने लगीं। मैं और फरहान आपी को ड्रेसअप होते देखते रहे। इसके बाद आपी ने हमें शब-आ-खैर कहा और कमरे से चली गईं।

आपी के बाद मैंने मुस्कुराते हुए फरहान को देखा और कहा- “मज़ा आया आज मेरे छोटू को?”

फरहान खुशी से खिलखिला कर बोला- “बहुत ज्यादा भाई, मैं तो बस ख्वाब ही देखता था। मुझे यक़ीन नहीं था कि मैं कभी किसी लड़की के मम्मे और चूत देख भी सकूँगा लेकिन आप की वजह से देखना तो दूर की बात मैंने मम्मों को चूस भी लिया और चूत को भी चाट लिया वो भी अपनी हसीन आपी को”

मैंने मुस्कुरा कर शैतानी अंदाज़ में कहा- “मेरे भाई बस तुम सबर करो और देखते जाओ कि आगे क्या-क्या दिखाता हूँ तुम्हें”

मैं अपने तमाम दोस्तों, जो इस स्टोरी को पढ़ रहे हैं, को भी कहता हूँ कि बस थोड़ा सबर करो कि मैं लिख लिया करूँ फिर आगे आगे देखो मैं क्या क्या पढ़ाता हूँ।

मेरी बात सुन कर फरहान बहुत खुश हुआ और कुछ याद आने पर एकदम चौंकता हुआ बोला- “भाई कुछ करें ना ताकि हनी भी हमारे साथ शामिल हो जाए। जब मैं हनी के साथ नानी के घर गया था ना तो भाई… तो भाई… मैंने उस वक़्त गौर किया था। हनी के सीने के उभार भी अब बहुत प्यारे हो गए हैं”

मैंने मुस्कुरा कर फरहान को देखा और कहा- “तुम फ़िक्र ना करो, बस अपना दिमाग मत लगाना। जो मैं कहूँ वो ही करना बाक़ी सब मुझ पर छोड़ दो और चलो अब सो जाओ सुबह तुम्हें स्कूल भी जाना है”

हम दोनों ही बिस्तर पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगे।

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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Messages In This Thread
जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 06-03-2024, 09:40 AM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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