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Adultery जिस्म की भूख
#79
(05-03-2024, 09:36 AM)KHANSAGEER Wrote:
आपी अभी भी बिल्कुल सीधी ही लेटी हुई थीं और आँखें बंद किए अपनी गर्दन को लेफ्ट-राईट झटक रही थीं। उनके चेहरे पर कभी फरहान की किसी जंगली हरकत पर तक़लीफ़ और कराह के आसार पैदा होते थे तो कभी मेरी ज़ुबान उनके बदन में मज़े की नई लहर पैदा कर देती थी।

मैंने आपी के बालों वाले हिस्से को अच्छी तरह चाटने के बाद अपने दोनों हाथ आपी की रानों के नीचे रखे और उनकी टाँगों को थोड़ा सा उठा कर टाँगें खोल दीं। अब मैंने अपना मुँह आपी की चूत के बिल्कुल करीब ला कर एक इंच की दूरी पर चंद लम्हें रुका और आपी की चूत को गौर से देखने लगा।[Image: 67768240_041_ecb9.jpg]

आपी की चूत पूरी गीली हो रही थी और उनकी चूत का रस चमक रहा था। आपी की चूत के दोनों खूबसूरत गुलाबी होंठों में छुपे दो गुलाब की पंखुड़ियाँ जैसे पर्दे फड़कते हुए से महसूस हो रहे थे और गोश्त का वो लटका हुआ सा हिस्सा जिस में चूत का दाना छुपा होता है, कांप रहा था।

आपी ने मेरी गर्म-गर्म तेज साँसों को अपनी चूत पर महसूस कर लिया था और उन्होंने फरहान के सिर से दोनों हाथ हटाए और अपने बिस्तर पर रखते हुए कोहनियों पर ज़ोर देकर अपना सिर और कंधों तक उठा लिया और नशीली आँखों से मुझे देखने लगीं। मैंने एक नज़र आपी को देखा और फिर अपनी आँखें बंद करते हुए नाक के जरिए एक तेज सांस को अपने अन्दर खींचा[Image: 67280431_005_260b.jpg]

आपी की चूत से उठती मधुर महक मेरे नाक से होते हुए मेरे दिल और दिमाग पर सीधी असर अंदाज़ हुई और मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैंने ड्रग्स की भारी डोज अपने अन्दर उतारी हो। मुझ पर हक़ीक़तन नशा सा हावी हो गया था और मेरे दिलोदिमाग में सिर्फ़ लज़्ज़त ही लज़्ज़त भर गई थी। मेरा जेहन सिर्फ़ उस महक को महसूस कर रहा था और मेरी तमाम सोचें और अहसासात सिर्फ़ अपनी बहन की चूत पर ही मरकज हो गई थीं।
[Image: 59799224_033_4071.jpg]
मैंने सिहरजदा से अंदाज़ में अपनी आँखों खोला तो पहली नज़र आपी के चेहरे पर ही पड़ी। आपी की चेहरे पर बहुत बेताबी ज़ाहिर हो रही थी। वो समझ गई थीं कि मेरा अगला अमल क्या होगा।

आपी ने मेरी आँखों में देखते हुए ही गर्दन को थोड़ा आगे की तरफ झटका दिया। जैसे कह रही हों कि आगे बढ़ ना, रुक क्यों गया। मैंने आपी के इशारे पर कोई रद-ए-अमल नहीं ज़ाहिर किया और उनकी आँखों में आँखें डाले हुए ही नाक के जरिए एक और सांस ली और अपने टूटते नशे को सहारा दिया।

आपी ने एक बार फिर मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया और कहा- “सगीर प्लीज़ अब और ना तड़फाओ, चूसो ना प्लीज़”

लेकिन मुझे गुमसुम देख कर उनकी बर्दाश्त जवाब दे गई और आपी ने अपने कूल्हों को ऊपर की तरफ झटका मारते हुए अपनी चूत को मेरे मुँह से लगा दिया।

आपी की चूत मेरे मुँह से लगी तो जो नशा मुझे चूत की महक से हुआ था अचानक ही वो खत्म हो गया।

मैं अपना मुँह जितना ज्यादा खोल सकता था मैंने खोला और अपनी बहन की पूरी चूत को अपने मुँह में भर कर अपनी पूरी ताक़त से जंगलियों की तरह चूसने लगा।

दो मिनट इसी अंदाज़ में चूसते रहने के बाद मैंने अपने मुँह की गिरफ्त हल्की की और आपी की चूत के ऊपरी हिस्से में छुपे क्लिट को होंठों में दबाया और चूसने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे मुँह में नमक घुल गया हो।

आपी की चूत से निकलते लिसलिसे पानी ने मेरा मुँह अन्दर और बाहर से लिसलिसा कर दिया था।

मेरे होंठ आपी की चूत के रस की वजह से बहुत चिकने हो रहे थे और पूरी चूत पर फिसल-फिसल जा रहे थे। मैंने कुछ देर आपी की चूत के दाने को चूसा और फिर चूत के दोनों पर्दों को बारी-बारी चूसने लगा।

मेरे मुँह ने आपी की चूत को छुआ तो आपी ने- “आअहह सगीर.. उउउफ्फ़.. मेरे.. भाईईई ईईईईई” कह कर अपना सिर और कंधे एक झटके से वापस बिस्तर पर गिरा दिए।

कभी आपी झटकों-झटकों से अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाने लगतीं तो कभी कूल्हे बिस्तर पर सुकून से टिका कर तेज-तेज साँसों के साथ सिसकारियाँ भरने लगतीं।[Image: 51603104_103_5874.jpg]


आपी ने एक और झटका मारने के बाद अपने कूल्हे बिस्तर पर टिकाए तो मैंने अपनी ऊँगलियों की मदद से आपी की चूत के दोनों लब खोले और अपनी ज़ुबान की नोक चूत के बिल्कुल निचले हिस्से, जो एंट्रेन्स होती है, पर रख कर एक बार नीचे से ऊपर पूरी चूत को अन्दर से चाटा और वापस नोक एंट्रेन्स पर रख कर ज़ुबान अन्दर-बाहर करने लगा।
[Image: 15349795_033_bf11.jpg]
जैसे ही मेरी ज़ुबान आपी की चूत के अंदरूनी हिस्से पर टच हुई आपी ने अपने कूल्हे ऊपर उठा दिए और उनका जिस्म एकदम अकड़ गया और चंद लम्हों बाद ही उनके जिस्म ने 3-4 शदीद झटके खाए और मुझ साफ महसूस हुआ कि जैसे आपी की चूत मेरी ज़ुबान को भींच रही हो।

मैंने ज़ुबान अन्दर-बाहर करना जारी रखी और जब आपी की चूत ने मेरी ज़ुबान को भींचना बंद कर दिया और आपी बेसुध सी लेट गईं तो मैंने अपना मुँह थोड़ा सा पीछे किया और चूत को मज़ीद खोलते हुए अन्दर देखा। आपी की चूत में गाढ़ा-गाढ़ा सफ़ेद पानी जमा हो गया था। मैं कुछ देर नज़र भर के देखता रहा और फिर दोबारा अपनी ज़ुबान की नोक को अन्दर डाला और आपी के चूतरस को अपनी ज़ुबान पर समेट कर मुँह में डालता गया।

अपनी बहन का सारा लव जूस अपने मुँह में भरने के बाद मैं उठा और बिस्तर पर निढाल और बेसुध पड़ी आपी के साथ ही लेट कर उनके चेहरे को दोनों हाथों में थाम कर अपनी तरफ घूमते हो फंसी-फंसी आवाज़ में कहा- “ओह्ह नोनन्न आपीईई.. आँखें खोलो ये देखो”

आपी ने आँखें खोलीं तो मैंने अपना मुँह खोल कर आपी को दिखाया। मेरे मुँह में अपनी चूत के पानी को देख कर आपी ने बुरा सा मुँह बनाया और कहा- “हट गंदे”

आपी यह कह कर मुँह दूसरी तरफ करने ही लगीं थीं कि मैंने मज़बूती से उनके गालों को दबा कर पकड़ा जिससे आपी का मुँह खुल गया और मैंने अपना मुँह आपी के मुँह पर रखते हुए उनकी चूत का रस उन्हीं के मुँह में उड़ेल दिया।[Image: 21037663_004_1c9c.jpg]

आपी ने अपना मुँह छुड़ाने की कोशिश की लेकिन मैंने उसी तरह उनके गाल दबाए-दबाए ही आपी के होंठ चूसना शुरू कर दिए।

कुछ देर तक वो मुँह हटाने की कोशिश करती रहीं और फिर अपने आपको ढीला छोड़ते हुए मेरी किस के जवाब में मेरे होंठों को चूसने लगीं।

आपी का जूस हम दोनों के होंठों और गालों पर फैल गया था और अब उन्हें भी उसकी परवाह नहीं थी कुछ ही देर में आपी मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी ही चूत के जूस को भी ज़ुबान से चाटने लगीं थीं और शायद उन्हें भी उसका ज़ायक़ा अच्छा ही लग रहा था।

फरहान, हम दोनों से लापरवाह बस आपी के जिस्म में ही खोया हुआ था। कभी आपी के उभारों से खेलता तो कभी उनके पेट और नफ़ पर ज़ुबान फेरने लगता। जब फरहान ने आपी की चूत को खाली देखा तो वो अपनी जगह से उठा और आपी की टाँगों के दरमियान बैठते हुए उनकी चूत को चाटने-चूसने लगा।

मैं और आपी कुछ देर ऐसे ही चूमाचाटी करते रहे और मैंने अपने होंठ आपी से अलग किए तो उनका चेहरा देख कर बेसाख्ता ही हँसी छूट गई और मैंने कहा- “क्यों बहना जी, मज़ा आया अपना ही जूस चख के?”

आपी ने भी मुस्कुरा के मुझे देखा और कहा- “तुम खुद तो गंदे हो ही, अपने साथ-साथ मुझे भी गंदा बना दोगे”

फिर एक गहरी सांस लेकर फरहान को देखा और कहा- “तुझसे ज़रा सबर नहीं हुआ? मुझे सांस तो लेने दो, तुम लोग तो जान ही निकाल दोगे मेरी”[Image: 20955376_020_765e.jpg]

फरहान ने आपी की बात पर कोई तवज्जो नहीं दी और अपने काम में मग्न रहा।
आपी ने अपने होंठों पर ज़ुबान फेर के एक बार फिर अपने रस को चाटा और मुस्कुरा कर मुझे आँख मारते हुए शरारत से बोलीं- “यार इतना बुरा भी नहीं है इसका ज़ायका”

“अच्छा जी, तो मेरी बहना को भी अच्छा लगा है चूत का पानी और पहले तो बड़ा ‘गंदे.. गंदे..’ कर रही थीं” -मैंने आपी को टांग खींचते हुए कहा।[Image: 76746373_033_7c72.jpg]

आपी ने फ़ौरन ही जवाब दिया- “गंदे तो हो ही ना तुम, मैं ये नहीं कह रही कि ये बहुत अच्छा काम है”

मैंने आपी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और उनको कहा- “अच्छा आपी खड़ी हो जाओ”

आपी ने सवालिया नजरों से मुझे देखा तो मैंने फरहान को हटाते हुए उन्हें ज़मीन पर सीधा खड़ा कर दिया।


[Image: 91193542_007_d6d1.jpg]

आपी के खड़े होते ही फरहान फिर उनकी टाँगों के दरमियान बैठ गया और अपना मुँह आपी की चूत से लगाते हुए बोला- “आपी थोड़ी सी तो टाँगें खोलें ना प्लीज़”

आपी ने फरहान के सिर पर हाथ रखा और टाँगें थोड़ी खोलते हुए अपने घुटने भी थोड़े मोड़ से लिए। आपी अब फिर से गर्म होने लगी थीं। मैं आपी के पीछे आकर खड़ा हुआ और अपने एक हाथ से अपने खड़े लण्ड को ऊपर उनकी नफ़ की तरफ उठाता हुआ आपी के कूल्हों की दरार पर टिकाया और उनके पीछे से चिपकते हुए मैंने दोनों हाथ आपी के आगे ले जाकर उनके उभारों पर रख दिए।
आपी ने मेरे लण्ड को अपने कूल्हों की दरार में महसूस करते ही कहा- “आअहह... सगीर”

और उन्होंने अपने हाथ मेरे हाथों पर रखे और सिर को पीछे झुका कर मेरे कंधे से टिका दिया और अपनी गाण्ड पीछे की तरफ दबा दी।

मैं अपना लण्ड आपी के कूल्हों की दरार में रगड़ने के साथ-साथ ही उनकी गर्दन को भी चूमता और चाटता जा रहा था, अपने हाथों से कभी आपी के सीने के उभार दबाने लगता कभी उनके निप्पलों को चुटकियों में दबा कर मसलता।

फरहान आपी की चूत को ऐसे चाट रहा था जैसे कल कभी नहीं आएगा। फरहान का जोश में आना फितरती ही था क्योंकि वो अपनी ज़िंदगी में पहली बार किसी चूत को चाट और चूस रहा था और चूत भी तो दुनिया की हसीन-तरीन लड़की की थी।[Image: 25314942_007_bf42.jpg]

TO BE CONTINUED .....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
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