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Adultery जिस्म की भूख
#66
Heart 
मैंने आपी के सीने के उभारों को चूसते हुए ही उनका हाथ को पकड़ा और सलवार के ऊपर से ही अपने लण्ड पर रख दिया। आपी ने फ़ौरन ही मेरे लण्ड को मुठी में दबा लिया। आपी को लण्ड पकड़ा कर मैंने अपना हाथ उनकी रान पर रखा और सलवार के ऊपर से ही रान को सहलाते हुए अपना हाथ उनकी टाँगों के दरमियान रख दिया।

आपी मेरे हाथ को अपनी चूत पर महसूस करते ही उछल पड़ीं और बोलीं- “नहीं सगीर, प्लीज़ यहाँ नहीं, टच मत करो न”

उन्होंने अपनी टाँगों को आपस में दबा लिया। मैंने अपना हाथ हटाया और तेजी से आपी के मम्मों को चूसने और दबाने लगा। कुछ ही देर में आपी की साँसें बहुत तेज हो गईं और जिस्म अकड़ना शुरू हो गया। मैंने दोबारा हाथ उनकी टाँगों के दरमियान रख दिया। आपी ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि मैंने अपने होंठ उनके होंठों से लगा दिए और ज़ुबान उनके मुँह में डाल दी।

इस बार मेरी दो उंगलियाँ सीधी उनकी चूत के दाने पर ही छुई थीं। जिससे आपी के जिस्म को एक झटका लगा और उन्होंने बेसाख्ता अपनी टाँगें थोड़ी खोल दीं। मैंने आपी की चूत के दाने को सहलाते हुए दोबारा उनके निप्पल को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा।

मैंने अपनी उंगलियाँ आपी की चूत के दाने से उठाईं और चूत के अन्दर दाखिल करने के लिए नीचे दबाव दिया ही था कि आपी फ़ौरन बोलीं- “सगीर, रुको ना… हाय प्लीज… उईईई... और ऊपर... रगड़ो ना... आआहह…”

आपी की साँसें बहुत तेज हो गई थीं और जिस्म मुकम्मल तौर पर अकड़ गया था। आपी मेरे लण्ड को भी अपनी तरफ खींचने लगी थीं। मुझे भी ऐसा महसूस हो रहा था कि शायद मैं अब कंट्रोल नहीं कर पाऊँगा। मैंने बहुत तेज-तेज आपी की चूत के दाने को रगड़ना शुरू कर दिया था और उनके निप्पल को चूसने और दाँतों से काटने लगा था।

अचानक ही आपी का जिस्म बिल्कुल अकड़ गया और उन्होंने अपने कूल्हे बिस्तर से उठा दिए। मेरे लण्ड पर आपी की गिरफ्त बहुत सख़्त हो गई थी। वो अपनी पूरी ताक़त से मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भींचने लगी थीं।

फिर आपी के जिस्म ने 2 शदीद झटके लिए और उनके मुँह से बहुत लंबी ‘आआआआआहह..’ निकली। उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया था। उसी वक़्त मेरे लण्ड को भी झटका लगा और मेरे लण्ड का जूस मेरी सलवार को गीला करने लगा।

मेरे हाथ की हरकत रुक गई थी और मैं आपी के सीने के उभार पर ही मुँह रखे हुए निढाल सा लेट गया। आपी की साँसें आहिस्ता-आहिस्ता मामूल पर आ रही थीं।

काफ़ी देर तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद आपी ने मेरे सिर पर हाथ फेरना शुरू किया और बोलीं- “सगीर उठो, मुझे भी उठने दो”

मैं आँखें बंद किए बिल्कुल निढाल पड़ा था, मैंने आपी की बात का जवाब नहीं दिया और मेरे मुँह से सिर्फ़ एक ‘हूऊऊन्न्न्..’ निकली। आपी ने नर्मी से मेरे चेहरे को अपने सीने के उभार से उठाया और मेरे नीचे से निकल गईं और तकिया उठा कर मेरे चेहरे के नीचे रख दिया।

मैं वैसे ही बेतरतीब सी हालत में उल्टा बिस्तर पर पड़ा रहा। मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मेरे जिस्म से बिल्कुल जान निकल गई है और अब मैं कभी उठ नहीं पाऊँगा।

“देखो सगीर, ऐसा लग रहा है मैंने पेशाब किया है। पूरी सलवार गीली हो रही है” -आपी यह बोल कर खुद ही हँसने लगीं।

मैंने बोझिल से अंदाज़ में आँखें खोल कर देखा तो आपी अपनी टाँगों को फैलाए सलवार को दोनों हाथों से पकड़ कर देख रही थीं।

कोई आवाज़ ना सुन कर आपी ने मेरी तरफ देखा और खिलखिला कर हँसने लगीं- “हालत तो देखो ज़रा शहज़ादे की, मुर्दों की तरह पड़े हो”

मैंने कुछ नहीं कहा बस झेंपी हुई सी हँसी हँस दिया।

आपी बिस्तर से उठते हुए बोलीं- “सगीर तुम लोगों के पास मेरे या हनी के कपड़े तो ज़रूर होंगे, जिनसे तुम मज़े लिया करते थे”

मेरी तरफ से कोई जवाब ना पा कर वो बाथरूम की तरफ चली गईं। मैंने भी आँखें बंद कर लीं क्योंकि मैं बहुत कमज़ोरी महसूस कर रहा था।

आपी बाथरूम से बाहर आईं और फिर पूछा- “सगीररर… हमारा कोई सूट पड़ा है या नहीं??”

मैंने आँखें खोल कर देखा तो आपी आईने के सामने नंगी खड़ी अपने बालों को ब्रश कर रही थीं और अपनी सलवार शायद बाथरूम में ही उतार आई थीं। मैंने अपनी बहन के नंगे जिस्म पर नज़र मारी तो अपनी क़िस्मत पर रश्क आया कि खुदा ने कितना हसीन और मुकम्मल जिस्म दिया है मेरी बहन को। सीने के उभारों की मुकम्मल गोलाइयाँ, कूल्हों की खूबसूरत शेप, लंबी सुडौल टाँगें, भारी-भारी रानें, लंबे स्लिम बाज़ू, खूबसूरत हाथ, गोया जिस्म का हर हिस्सा इतना मुकम्मल है कि हर हिस्से की तारीफ में गज़ल कही जा सकती है।

“मेरी पैंट की पॉकेट में चाभी पड़ी है। अलमारी में सूट होगा, आप देख लें” -मैंने मरी सी आवाज़ में कहा और फिर आपी के जिस्म को निहारने लगा।

बालों में ब्रश करने के बाद आपी ने मेरी पैन्ट से चाभी निकाली और अल्मारी में कोई सूट देखने लगीं और एक सूट उन्हें मिल ही गया। लेकिन क़मीज़ अलग और सलवार अलग थी। लाइट ग्रीन लॉन की क़मीज़ आपी की थी और वाइट सलवार हनी की थी।

“ये कब से यहाँ पड़ी है, मैं ढूँढ ढूँढ कर पागल हुए जा रही थी” -आपी ने गुस्सा करते हुए कहा।

मैंने एक नज़र आपी के हाथ में पकड़ी क़मीज़ को देखा और कहा- “यह तो बहुत दिनों से यहाँ पड़ी है लेकिन सलवार तो कल रात को ही फरहान कहीं से उठा कर लाया था"

आपी ने क़मीज़ पहनी और सलवार पहनने के लिए फैलाई थी कि कुछ देख कर चौंक गईं।

मैंने आपी के चेहरे के बदलते रंग देखे तो पूछा- “अब क्या हो गया आपी?”

आपी सलवार लेकर मेरी तरफ आते हुए बोलीं- “ये देखो ज़रा, इस हनी कमीनी को ज़रा भी अहसास नहीं है कि घर में अब्बू होते हैं, मामू आते-जाते हैं, 2 जवान भाई हैं… ऐसी चीजें तो घर की औरतें 1000 तहों में छुपा कर रखती हैं कि किसी की नज़र ना पड़े”

मैंने आपी के हाथ में पकड़ी हुई सलवार को देखा तो उसमें 3-4 बड़े-बड़े लाल रंग के धब्बे पड़े हुए थे। पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया और जब समझ आया तो मैंने मुस्कुराते हुए आपी से कहा- “तो क्या हो गया आपी, आपको मेनसिस नहीं होते क्या? जो इतना गुस्सा हो रही हैं”

“होते हैं, पर मैं एक दिन पहले से ही पैड लगा लेती हूँ। अगर कभी इतिफ़ाक़न सलवार गंदी हो भी जाए तो उसी वक़्त धो डालती हूँ। ऐसे शो पीस बना के नहीं रखती” -आपी ने बदस्तूर उसी लहजे में कहा और सलवार हाथ से फेंक कर फरहान की एक पुरानी पैंट पहन ली।

“आपी आप पैंट में और ज्यादा हसीन लग रही हो”

“अपनी हालत तो देखो, उठा जा नहीं रहा” -और फिर मेरी नक़ल उतारते हुए बोलीं- “आपी आप पैंट में बहुत हसीन लग रही हो”

मुझे आपी का यह अंदाज़ बहुत अच्छा लगा और मैं मुस्कुरा दिया।

“उठो नबाव साहब, अपनी हालत सही कर लो। मैं नीचे जा रही हूँ कुछ देर बाद अम्मी भी उठ जाएंगी” -आपी यह कह कर कमरे से बाहर निकल गईं और मैं वैसे ही आधा नंगा उल्टा पड़ा रहा, कमज़ोरी की वजह से मुझे नींद भी आने लगी थी।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 01-03-2024, 09:09 AM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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