Thread Rating:
  • 4 Vote(s) - 3.75 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery जिस्म की भूख
#65
Heart 
मैं आपी को देख कर हँसने लगा लेकिन बोला कुछ नहीं। मैं कमरे में दाखिल हुआ तो दरवाज़ा बंद किए बगैर ही आपी को लेकर बिस्तर के क़रीब पहुँच गया। मैंने आपी को बिस्तर पर लिटाने लगा तो उनके वज़न और आपी के हाथ मेरी गर्दन में होने की वजह से खुद भी उनके ऊपर ही गिर गया।

आपी ने फिर से मेरे बालों में हाथ फेरा और कहा- “उठो, दरवाज़े को लॉक कर दो”

उन्होंने मेरी गर्दन से हाथ निकाल दिए। मैंने दरवाज़ा लॉक किया और वापस आते हुए अपनी क़मीज़ भी उतार दी। आपी बेड पर बेसुध सी लेटी छत को देखते कुछ सोच रही थीं। मैं चंद लम्हें उन्हें देखता रहा। फिर मैंने आपी के दोनों हाथ पकड़ कर खींचे और उन्हें बिठा कर पीछे हाथ किए और आपी की क़मीज़ को खींच कर उनके कूल्हों के नीचे से निकाल दिया।

मैं अपने हाथों में आपी की क़मीज़ का दामन आगे और पीछे से पकड़े, उनकी क़मीज़ उतारने के लिए ऊपर उठाने लगा तो आपी ने अपने हाथ मेरे हाथ पर रखा और फिक्रमंद लहजे में कहा- “सगीर! ये सब गलत है, अभी भी रुक जाओ”

आपी की कैफियत बहुत मुतज़ाद सी थी। कभी तो वो ये सब एंजाय करने लगती थीं तो कभी उनको गिल्टी फील होने लगता था और सब तो होना ही था कि अपने सगे भाई से ऐसा रिश्ता कोई ऐसी बात नहीं थी जो उनका जेहन आसानी से क़ुबूल कर लेता। उनकी बदलती कैफियत फितरती थी और मैं उनकी हालत अच्छी तरह समझता था।

“आपी प्लीज़! अब कुछ मत सोचो बस जो हो रहा है होने दो” -मैंने ये कह कर आपी की आँखों में देखा तो उन्होंने एक अहह भरी और मेरे हाथ से अपना हाथ उठा दिया।

मैंने आपी की क़मीज़ को गर्दन तक उठाया तो आपी ने भी मेरी मदद करते हुए अपनी क़मीज़ को अपने जिस्म से अलग कर दिया।

आपी ने आज भी ब्लैक लेसदार ब्रा ही पहन रखी थी। क़मीज़ उतारने के बाद मैं दोबारा अपने हाथ सामने से घुमाता हुआ आपी की पीठ पर ले गया और उनकी ब्रा का हुक खोलने लगा तो आपी ने अपने दोनों हाथों से ब्रा को सीने के उभारों पर ही थाम लिया। मैंने हुक खोला तो आपी ने अपने बाज़ू से ब्रा को अपने मम्मों पर ही रखते हुए ब्रा की पट्टियाँ अपने हाथों से निकाल दीं और इसी तरह ब्रा को थामे हुए ही लेट गईं।

मैंने आपी के सीने से ब्रा हटाना चाहा तो उन्होंने अपने सिर को नहीं के अंदाज़ा में ‘राईट-लेफ्ट’ जुंबिश दी और अपनी बाँहें फैलाते हुए मुझे गले से लगने का इशारा किया। अब मेरे और आपी के जिस्म पर सिर्फ़ हमारी सलवारें ही मौजूद थीं और आपी के सीने के उभारों पर उनकी खुली हुई ब्रा रखी हुई थी। मैंने अपने दोनों घुटने आपी की टाँगों के इर्द-गिर्द टिकाए और उनके सीने के उभारों पर अपना सीना रखते हो आपी के ऊपर लेट गया।

मेरे लेटते ही आपी ने मेरी कमर को अपने बाजुओं से कसा और मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिए। कभी आपी मेरे होंठ चूसने लगती थीं तो कभी मैं, कभी मैं आपी की ज़ुबान चूसता तो कभी आपी मेरी ज़ुबान का रस चूसने लगतीं। मैं आपी के चेहरे को अपने हाथों में थामे 10 मिनट तक किस करता रहा।

फिर आपी ने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किए और नशीली आवाज़ में कहा- “सगीर थोड़ा ऊपर उठो”

मैंने ऊपर उठने के लिए अपने सीने को उठाया ही था कि आपी ने अपना लेफ्ट हाथ मेरी कमर से हटाया और अपने सीने पर रखी ब्रा को हम दोनों के दरमियान से खींचते हुए राईट हैण्ड से मेरी कमर को वापस अपने जिस्म के साथ दबा दिया।

जैसे ही आपी के सख़्त हुए निप्पल मेरे बालों भरे सीने से टकराए तो मेरे जिस्म में एक बिजली सी कौंध गई और आपी के जिस्म में भी मज़े की लहर उठी और उनके मुँह से एक सिसकती ‘अहह..’ निकली। यह मेरी जिन्दगी में पहली बार थी कि मैं किसी लड़की और वो भी अपनी सग़ी बहन जो हुस्न का पैकर थी, के मम्मों को अपने सीने से चिपका महसूस कर रहा था।

मैं अपने होश खोता जा रहा था और मेरे साथ-साथ आपी के दिल की धड़कनें भी बहुत तेज हो गई थीं। उनकी धड़कनों की आवाज़ मुझे साफ सुनाई दे रही थी। मैंने एक बार फिर आपी के होंठों को चूमा और फिर उनकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए।

मैंने पहले आपी की गर्दन के एक-एक मिलीमीटर को चूमा और फिर अपनी ज़ुबान निकाली और आपी की गर्दन को चाटने लगा। मेरी ज़ुबान ने आपी की गर्दन को छुआ तो उन्होंने एक झुरझुरी सी ली और मेरी कमर पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर तेजी से हाथ फेरने के साथ-साथ अपने सीने को राईट-लेफ्ट हरकत देते हुए अपने निप्पल्स मेरे सीने से रगड़ने लगीं।
आपी ने अपनी आँखें मज़बूती से भींच रखी थीं और चेहरे का गुलाबीपन सुर्खी में तब्दील हो गया था।

मेरा लण्ड अपने पूरे जोश में आ चुका था और आपी की रानों के दरमियान दबा हुआ था। मैंने आपी की गर्दन को सामने से और दोनों साइडों से मुकम्मल तौर पर चाटा और अपने घुटनों पर वज़न देता हुआ अपने लण्ड को आपी की रानों से थोड़ा उठा लिया और अपना सीना भी आपी के सीने से उठाते हुए गर्दन से नीचे आने लगा।

मैंने नीचे की तरफ ज़ोर दिया तो आपी ने अपने हाथों की गिरफ्त भी ढीली कर दी और एक हाथ से मेरी कमर सहलाते हुए दूसरा हाथ मेरे सिर पर फेरने लगीं।
मैं गर्दन से होता हुआ आपी के कंधे पर आया और अपनी ज़ुबान से चाटते आपी के बाज़ू हाथ और फिर हाथ की ऊँगलियों तक पहुँच गया। एक-एक ऊँगली को मुकम्मल चूसने के बाद मैं बाज़ू के निचले हिस्से को चाटता हुआ आपी की बगलों में आ कर रुका।

आपी की बगलें बालों से बिल्कुल पाक थी। वो कभी फालतू बालों को बढ़ने नहीं देती थीं और बाकायदगी से फालतू बाल साफ करती थीं जो कि उनकी नफीस तबीयत का ख़ासा था कि गंदगी से उन्हें नफ़रत थी।

आपी की राईट बगल को मुकम्मल चाटते और चूमते हुए मैं कंधों से होता दूसरे हाथ तक पहुँचा और उसी तरह वापस उनके सीने के ऊपरी हिस्से तक आ गया। आपी के सीने के ऊपरी हिस्से को चाटने के बाद मैंने अपना रुख़ उनके सीने के राईट उभार की तरफ किया और अपनी बहन के मम्मों की गोलाई पर ज़ुबान फेरने लगा।

मैं बारी-बारी से आपी के दोनों मम्मों को चाटता और चूमता रहा लेकिन उनके सीने के उभारों की पिंक सर्कल (अरोला) और पिंकिश ब्राउन खूबसूरत निप्पल को अपनी ज़ुबान नहीं टच की।

मैं जब अपनी ज़ुबान से उनके उभार को चाटते हुए पिंक ऐरोला के पास पहुँचता तो उससे टच किए बगैर ही सिर्फ़ गोलाई पर ज़ुबान फेरने लगता।
मेरी इस हरकत पर आपी मचल सी जातीं।

जब मैंने 4-5 बार ऐसा किया तो उनकी बर्दाश्त जवाब दे गई और इस बार जब फिर मैं ज़ुबान वहाँ पर टच किए बगैर हटने लगा तो आपी ने गुस्सैल सी आवाज़ में सिसकारी भरी और अपने दोनों हाथों से मेरे सिर की पुश्त से बालों और गर्दन को पकड़ कर मेरा मुँह अपनी निप्पल्स की तरफ दबाने लगीं।

मेरे चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट फैल गई मैं जान गया था कि अब आपी मज़े और लज़्ज़त में पूरी तरह डूब गई हैं।

मैंने अपने सिर को झुकाया और आपी के लेफ्ट निप्पल को अपने मुँह में ले लिया।

‘ववॉवव’ आपी की निप्पल को मुँह में लेते ही मेरा लण्ड फनफना उठा और मैं पागलों की तरह बारी-बारी से दोनों मम्मों को चूसने लगा। आपी के जिस्म में भी खिचाव पैदा होना शुरू हो गया था और वो भी बुरी तरह मचलने लगी थीं।

मैं कोशिश करने लगा कि आपी के सीने के उभार को पूरा अपने मुँह मैं भर लूँ लेकिन ये मुमकिन नहीं था क्योंकि मेरा मुँह बहुत छोटा था और आपी के मम्मे बहुत बड़े थे।

मैंने आपी के उभार को चूसते हुए उनके निप्पल को अपने दाँतों मैं. पकड़ा और दबाया तो आपी मज़े और तक़लीफ़ की मिली-जुली आवाज़ में चिल्ला उठीं- “आहह! सगीर, ज़रा… आआ आआराम से… उफफ्फ़…अह”

TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 1 user Likes KHANSAGEER's post
Like Reply


Messages In This Thread
जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 01-03-2024, 08:44 AM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)