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Adultery जिस्म की भूख
#57
आपी के इशारे को समझते हुए मैंने एक नज़र अम्मी पर डाली, वे टीवी देखने में ही मस्त थीं और फिर आपी को देखते हुए अपने हाथ पर किस किया और किस को आपी की तरफ फेंक दिया। आपी के चेहरे पर बेसाख्ता ही मुस्कुराहट आ गई और उन्होंने अम्मी से नज़र बचा कर मेरी किस को कैच किया और अपने हाथ को अपने होंठों से लगा लिया। मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट फैल गई। आपी ने फिर आँखों से खाने की तरफ इशारा किया और दोबारा अम्मी से बातें करने लगीं।
मैंने खाना खत्म किया ही था कि अम्मी ने आपी को हुकुम दिया- “रूही जाओ, भाई ने खाना खा लिया है। बर्तन अभी ही धो देना, ऐसे ही ना रख देना, बू आने लगती है”

“अम्मी मैंने पहले कभी छोड़े हैं, जो आज ऐसे ही रखूँगी। आप भी ना” - आपी ने नाराज़गी दिखाते हुए अम्मी को कहा और मेरे पास आकर बर्तन उठाने लगीं।

मैंने अम्मी की तरफ देखा, वो टीवी में ही मग्न थीं। मैंने उनसे नज़र बचाते हुए आपी के सीने के उभार की तरफ हाथ बढ़ाया और उनकी निप्पल पर चुटकी काट ली।
आपी के मुँह से तेज ‘आआयइईई ईईईईईई’ की आवाज़ निकली।

“क्या हुआ?” -अम्मी ने हमारी तरफ रुख़ मोड़ते हुए कहा।

मुझे अंदाज़ा था कि आपी इस सिचुयेशन से घबरा जाएंगी। इसलिए मैंने फ़ौरन ही बोल दिया- “अम्मी आपी के फैशन भी तो नहीं खत्म होते ना, इतने बड़े नाख़ून रखती ही क्यों हैं कि बर्तन में उलझ कर तक़लीफ़ देने लगें”

अम्मी ने मेरी बात सुनी और वापस टीवी की तरफ़ ध्यान देते हुए आपी को लेक्चर देना शुरू कर दिया।
आपी ने मेरी तरफ देखा और मुझे थप्पड़ दिखाते हुए बर्तन उठाए और रसोई में जाने लगीं। मैं आपी के कूल्हों पर नज़र जमाए कुछ लम्हों पहले की अपनी हरकत पर खुद ही मुस्कुराने लगा।

“आपी एक गिलास पानी तो ला दो” -कुछ देर बाद मैंने ज़रा ऊँची आवाज़ में कहा।

आपी ने रसोई से ही जवाब दिया- “खुद आ कर ले लो, मेरे हाथों पर साबुन लगा है”

मैं उठा और पानी के लिए रसोई के दरवाज़े पर पहुँचा तो आपी सामने वॉशबेसिन पर खड़ी गंदे बर्तन धो रही थीं, उनके दोनों हाथ साबुन से सने थे। मैं अन्दर दाखिल हुआ और आपी को पीछे से जकड़ते हुए हाथ आगे करके आपी के खूबसूरत उभारों को अपने हाथ में पकड़ा और कहा- “क्या हाल है मेरी सोहनी बहना जी?”

आपी मेरी इस हरकत पर मचल उठीं और मेरे सीने पर अपनी कोहनियों से दबाव देते हुए मुझे पीछे हटाने की कोशिश की और दबी आवाज़ में बोलीं- “सगीर..!! कमीने ना कर, अम्मी बाहर ही बैठी हैं। कुछ तो हया कर, छोड़ मुझे”

मैंने आपी की गर्दन पर अपने होंठ रखे और आँखें बंद करके एक तेज सांस लेते हुए आपी के जिस्म की खुश्बू को अपने अन्दर उतारा और कहा- “मेरी बहना जी! तुम्हारे जिस्म के हर हिस्से की खुश्बू होश से बेगाना कर देती है”

“सगीर छोड़ो मुझे, अम्मी अन्दर आ जाएंगी प्लीज़, कुछ गैरत खाओ” -आपी ने डरी हुई आवाज़ में कहा और अपने जिस्म को मेरी गिरफ्त से आज़ाद करने की कोशिश करने लगीं।

मैंने आपी के एक उभार को अपने सीधे हाथ से ज़रा ज़ोर से दबाया और अपना हाथ नीचे ले जाते हुए कहा- “अम्मी बहारी कवाब मुकम्मल तैयार करवा के ही टीवी से हटेंगी। आप अपना काम करती रहो ना, मैं अपना काम करता हूँ”

मेरा लण्ड अब खड़ा हो चुका था और मेरा हाथ आपी की टाँगों के दरमियान पहुँच गया था। जैसे ही मेरा हाथ आपी की टाँगों के बीच टच हुआ तो वो बेसाख्ता ही आगे को झुकीं। उनके साथ ही मैं भी थोड़ा झुका और मेरा खड़ा लण्ड आपी के कूल्हों की दरार में फिट हो गया।

“उफफ्फ़, सगीर छोड़ो मुझे, वरना मैं साबुन से भरे हाथ तुम्हारे कपड़ों से लगा दूँगी” -आपी ने नकली गुस्से से कहा लेकिन अपनी पोजीशन तब्दील नहीं की।

“लगा दें, फिर अम्मी को जवाब भी आप खुद ही देना, पहले तो मैंने बचा लिया था” -मैंने आपी की टाँगों के बीच रखे अपने हाथ को सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत के दाने पर रगड़ते हुए कहा।

आपी ने मचलना बंद कर दिया था। शायद वो चंद लम्हों के लिए ही उस सुरूर को खोना नहीं चाहती थीं जो मेरे हाथ से उन्हें मिल रहा था। उन्होंने अटकती और फंसी-फंसी सी आवाज़ में हल्का सा मज़ा लेते हुए कहा- “आअहह! तो कमीनगी तो तुम्हारी ही थी ना, ना करते उल्टी सीधी हरकत”

मैंने आपी के कूल्हों में अपने लण्ड को ज़रा और दबाया तो उन्होंने मेरे लण्ड के दबाव से बचने के लिए अपने कूल्हों को दायें बायें हरकत दी तो उसका असर उलटा ही हुआ और मेरा लण्ड आपी के कूल्हों की दरार में मुकम्मल फिट हो गया। मैंने आहिस्ता आहिस्ता झटकों से अपने लण्ड को उनकी लकीर के दरमियान रगड़ते हुए अपने हाथ को थोड़ा और नीचे किया और आपी की चूत की एंट्रेन्स पर अपनी ऊँगली को दबाया। तो फ़ौरन आपी मछली की तरह तड़फीं और ज़रा ताक़त से मुझे पीछे धक्का देते हुए मेरी गिरफ्त से निकल गईं। मैं आपी के धक्के की वजह से पीछे रखे रेफ्रिजरेटर से टकराया और उसके ऊपर रखे बर्तन आवाज के साथ ज़मीन पर गिरे।

“अब क्या तोड़ दिया हैईइ?” -अम्मी ने बाहर से चिल्ला कर पूछा।

फ़ौरन ही आपी ने भी ऊँची आवाज़ में ही जवाब दिया- “कुछ नहीं टूटा अम्मी, बर्तन धो कर शेल्फ पर रखे थे, फिसल के गिर पड़े हैं”

आपी ने अपनी बात खत्म की और दोनों हाथ अपनी कमर पर रख कर गुस्से से मुझे देखने लगीं। आपी को ऐसे देख कर मुझे हँसी आ गई।
मुझे हँसता देख कर वो मेरी तरफ बढ़ीं, मेरे दोनों बाजुओं को पकड़ा और मेरा रुख़ दरवाज़े की तरफ घुमा दिया। मेरी पीठ पर अपने दोनों हाथ रखे और धक्का देते हुए किचन के दरवाज़े पर ला कर छोड़ा और मुझे गुस्से से ऊँगली दिखाते हुए वापस अन्दर चली गईं।
मैंने अम्मी को देखा तो उनका ध्यान मुकम्मल तौर पर टीवी पर ही था।
मैं कुछ सेकेंड ऐसे ही रुका और फिर आहिस्तगी से दोबारा रसोई में दाखिल हुआ। आपी को मेरे फिर अन्दर आने का पता नहीं चला था, मैं दबे कदमों उनके पीछे जा कर खड़ा हुआ ही था कि आपी ने महसूस किया कि पीछे कोई है। जैसे ही आपी ने गर्दन मोड़ कर पीछे देखा, मैंने आपी के चेहरे को दोनों हाथों में मज़बूती से थामा और अपने होंठ आपी के होंठों पर रख दिए।
मैंने खूब ज़ोरदार चुम्मी की और आपी को छोड़ कर भागता हुआ बाहर निकल आया।
मैंने पीछे मुड़ कर आपी को नहीं देखा था लेकिन मेरी ख्याली नज़र देख रही थी कि मेरे निकलते ही आपी कुछ देर तक अपनी कमर पर हाथ रख कर खड़ी रहीं और फिर गर्दन को दायें बायें नहीं के अंदाज़ में हरकत देते हुए मुस्कुरा दीं। हया की लाली ने उनके गालों को सुर्ख कर दिया था।
मैं बाहर आकर अम्मी के पास ही सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा।

कुछ ही देर में बोर होते हुए मैंने अम्मी के हाथ से रिमोट खींचा और हँसते हुए कहा- “अम्मी बहारी कवाब अब प्रोड्यूसर हज़म भी कर चुका होगा और इस आंटी ने अभी कुछ और बनाना शुरू कर देना है। आपका यह ‘मसाला चैनल’ तो 24 घंटे ही चलता है। आप सब आज ही देख लेंगी तो कल क्या करेंगी, छोड़ें अब”

अम्मी ने सुस्ती से एक जम्हाई ली और कहा- “तुम और तुम्हारे बाबा ही हो ना जिनको चटोरी चीजें पसन्द हैं। तुम्हारे लिए ही देख रही थी”

अम्मी ने कहा और उठ कर अपने कमरे में जाने लगीं। दिन में सोने की उनकी पक्की आदत थी। अम्मी के जाने के बाद मैं कुछ देर तक वैसे ही गायब दिमाग से चैनल चेंज करता रहा और मुझे पता ही नहीं चला कि कब आपी मेरे पीछे आकर खड़ी हो गईं। आपी ने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर के बालों को पकड़ा और खींचने लगीं।

“उफफ्फ़.. आपीईईई.. दर्द हो रहा है। छोड़ो ना बालों को” -मैंने तक़लीफ़जदा आवाज़ में कहा

तो आपी ने हल्का सा झटका मारा और बोलीं- “जल्दी से मुझसे माफी मांगो वरना मैं बालों को नहीं छोड़ूंगी”

मैंने अपने दोनों हाथ उठाए और आपी के हाथ जिनसे उन्होंने मेरे बालों को जकड़ा हुआ था को कलाइओं से पकड़ लिया और कराहते हुए कहा- “अच्छा अच्छा, मैं माफी माँगता हूँ। अब छोड़ो न बाल”

“नहीं ऐसे नहीं, बोलो आपी जान! मैं… आइन्दा… ऐसा… नहीं… करूँगा…” आपी ने ठहर-ठहर के ये लफ्ज़ अदा किए।

आपी की बात खत्म होने पर मैंने उसी अंदाज़ में दोहराया, - “आपी जान! मैं... आइन्दा... ऐसा... नहीं करूँगा”

आपी मेरे सिर के बालों को एक झटका और देते हुए बोलीं- “प्लीज़ प्यारी आपी जी! मुझे... माफ़... कर... दें...”

“सोहनी बहना जी! प्लीज़ मुझे माफ़ कर दें” -मैंने यह कहा तो आपी ने अपनी गिरफ्त ज़रा लूज कर दी और वैसे ही मेरे बालों को जकड़े-जकड़े ही सोफे की बगल से घूमते हुए सामने आ गईं।

गिरफ्त ढीली पड़ने पर मैंने भी आपी की कलाइयों को छोड़ दिया।

“शाबाश, अब तुम अच्छे बच्चे बने हो ना” -आपी ने ये कहते हुए मेरे बाल छोड़े और हँसते हुए सोफे पर बैठने के लिए जैसे ही उन्होंने पीठ मेरी तरफ की, मैंने खड़े होते हुए आपी को पीछे से जकड़ा और उन्हें अपनी गोद में लेता हुआ ही सोफे पर बैठ गया।

TO BE CONTINUED …..
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 28-02-2024, 07:24 AM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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