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Adultery जिस्म की भूख
#51
हम भाइयों की जिद पर आपी ने आखिर अपनी सलवार उतार ही दी। मैं और फरहान दोनों आपी के चूतड़ों पर नजरें जमाए अपने-अपने लण्ड को अपने हाथों से रगड़ रहे थे। आपी हमारी तरफ पीठ किए हुए ही दो क़दम सोफे की तरफ बढ़ीं और अपना स्कार्फ उठा कर सीधी खड़ी होते हुए अपने सिर पर स्कार्फ बाँधने लगीं।
मैं पीछे बैठा आपी की एक-एक हरकत को देख रहा था। जब उन्होंने स्कार्फ बाँधने के लिए अपने दोनों बाज़ू अपने जिस्म से ऊपर उठाए तो उनकी बगलों के नीचे से सीने के उभारों की हल्की सी झलक नज़र आने लगी और आपी को इस पोजीशन में देखते ही मुझे कोका कोला की बोतल याद आ गई।
आपी का जिस्म बिल्कुल ऐसा ही था हर चीज़ बहुत तहजीब में थी। कमर से थोड़ा नीचे से साइड्स से उनकी कूल्हे बाहर की तरफ निकलना शुरू हो जाते थे और एक खूबसूरत गोलाई बनाते हुए रानों की शुरुआत पर वो गोलाई खत्म हो जाती थी। उनके दोनों कूल्हे मुकम्मल गोलाई लिए हुए और बेदाग और शफ़फ़ थे, उनकी रानें भी बहुत खूबसूरत और उनके बाक़ी जिस्म की तरह गुलाबी रंगत लिए हुए थीं। मुतनसीब पिंडलियाँ और खूबसूरत पाँव बहुत हसीन नज़र आते थे।
उनको हरकत ना करते देख कर मैंने कहा- “आपी प्लीज़ हमारी तरफ घूमो ना, प्लीज़..”

आपी ने मेरी बात सुनी और दोनों हाथों से अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को छुपाते हुए सामने सोफे पर बैठ गईं। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। आपी का चेहरा शर्म के अहसास से लाल हो रहा था। कमरे में सिर्फ़ हम तीनों की तेज साँसों और हमारे ज़ोर-ज़ोर से धड़कते दिल की आवाजें गूँज रही थीं। फरहान और मेरे हाथ अपने अपने लंड को सहला रहे थे और नजरों ने आपी के जिस्म को गिरफ्त में ले रखा था।
हम आपी के सामने चंद गज़ के फ़ासले पर ही बैठे थे।

आपी के बैठते ही फरहान ने कहा- “आपी असल चीज़ तो अभी भी छुपी हुई है हाथ हटाओ ना”

“नहीं..!! मुझे बहुत शर्म आ रही है..!” -आपी ने अपनी आँखों को भींचते हुए हल्की आवाज़ में जवाब दिया।

मैंने कहा- “चलो ना सोहनी बहना जी, हम दोनों भी तो नंगे बैठे हैं ना आपके सामने”

मेरी बात खत्म होते ही आपी ने अपने दोनों हाथों को टाँगों के दरमियान से उठाया और अपने चेहरे को हाथों से छुपा लिया। उनकी टाँगें आपस में जुड़ी हुई थीं जिसकी वजह से सिर्फ़ उनकी टाँगों के दरमियान वाली जगह के ऊपरी बाल जो एक दिन की शेव जैसे थे, दिख रहे थे।

“आपी टाँगें खोलो ना” -फरहान बहुत उत्तेजित हो रहा था।

आपी ने अपने सिर को पीछे झुकाते हुए गर्दन को सोफे की पुश्त पर टिकाया और अपनी टाँगों को खोलने लगीं।
‘वॉवववव’ मेरे लिए जैसे दुनिया रुक सी गई थी। मुझे दूसरी बार ऐसा महसूस हुआ कि मैं अपनी ज़िंदगी का हसीन तरीन मंज़र देख रहा हूँ।
मैं अपनी ज़िंदगी में पहली बार असली चूत देख रहा था और चूत भी अपनी सग़ी बहन की। मेरा लण्ड कुछ-कुछ देर बाद एक झटका लेता और पानी का एक क़तरा बाहर फेंक देता। मैं अपनी बहन की चूत पर नज़र जमाए-जमाए मदहोश सा होता जा रहा था।
आपी की चूत के ऊपरी हिस्से में बिल्कुल छोटे-छोटे बाल थे, बाल जहाँ खत्म होते थे वहाँ से ही चूत शुरू होती थी। पूरी चूत गेहूँ के दाने सी मुशबाह थी। आपी की चूत का रंग बिल्कुल गुलाबी था और ज़रा उभरी हुई थी। चूत के लब फैले-फैले से थे और अन्दर का हिस्सा नज़र नहीं आ रहा था।
आपी की चूत के शुरू में हल्का सा गोश्त बाहर था जिसमें छुपा दाना (क्लिटोरिस) नज़र नहीं आता था। उनकी चूत के लिप्स के अंदरूनी हिस्सों से दोनों साइड्स से निकलते गोश्त के दो पर्दे से थे जो बहुत मस्त लग रहे थे।
“आपी आप इस दुनिया की हसीनतरीन लड़की हुए आपके जिस्म का हरेक हिस्सा ही इतना दिलकश है कि मदहोशी कर देता है। मैंने अपनी ज़िंदगी में इतना मुकम्मल जिस्म किसी का नहीं देखा। आपका चेहरा, आपके सीने के उभार, खूबसूरत पेट और कमर, जज़्ब ए नज़र, लंबी-लंबी टाँगें और हसीन तरीन चू..” -मैंने खोई-खोई सी आवाज़ में ये जुमले अदा किया।
फरहान मुँह खोले और अपने लण्ड को हाथ में पकड़े बस आपी की चूत पर नजरें जमाए हुए गुमसुम सा बैठा था। उसके मुँह से कोई आवाज़ तक नहीं निकली थी। आपी ने मेरी बात सुन कर अपनी आँखें खोलीं। उनका चेहरा शर्म और उत्तेजना से भरा हुआ था, उनकी आँखें बहुत नशीली हो रही थीं और जिस्म की गर्मी की वजह से आँखों में नमी आ गई थी। आपी ने अपनी हालत पर ज़रा क़ाबू पाते हुए मेरी तरफ देखा।
कुछ देर तक मैं और आपी एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे फिर उन्होंने मेरी नजरों से नज़र मिलाए हुए एक ‘आहह..’ खारिज की और सिसकते हुए अंदाज़ में कहा- “सगीर उठो और अपने नए खिलौने को लेकर दोनों बिस्तर पर जाओ”

मैं हिप्नॉटाइज़्ड की सी कैफियत में उठा और फरहान के हाथ को पकड़ कर उसे उठने का इशारा किया और हम दोनों बिस्तर की तरफ चल दिए।
बिस्तर पर बैठ कर मैंने सिरहाने के नीचे से डिल्डो निकाला। यह डिल्डो हम दोनों के ही लण्ड से लंबा और थोड़ा मोटा भी था।
फरहान और मैंने डिल्डो की एक-एक साइड्स को मुँह में लिया और चूसने लगे। जब वो गीला हो गया तो मैंने फरहान से डॉगी स्टाइल में झुकने को कहा और मैं उठ कर उसकी गाण्ड के पास आ गया। मैंने डिल्डो को थोड़ा चिकना किया और फिर फरहान की गाण्ड में डालना शुरू कर दिया।
डिल्डो मेरे लण्ड से थोड़ा मोटा था और बड़ा भी था, तकरीबन 5-6 मिनट अन्दर-बाहर करने से फरहान की गाण्ड थोड़ी नर्म पड़ गई और डिल्डो आराम से अन्दर-बाहर होने लगा तो मैं भी डॉगी स्टाइल में हुआ और आपी की तरफ नज़र उठा कर शरारती अंदाज़ में मुस्कुरा दिया।
आपी भी मुझे देख कर मुस्कुराने लगीं उनके चेहरे से अब शर्म खत्म हो गई थी और सेक्स की हिद्दत लाली की सूरत में उनके गालों से ज़ाहिर हो रही थी, आपी बहुत दिलचस्पी से हम दोनों के एक्शन को देख रही थीं। आपी ने अपने लेफ्ट हैण्ड से अपने एक उभार को दबोच रखा था और राईट हैण्ड की इंडेक्स फिंगर और अंगूठे की चुटकी में अपनी चूत के ऊपर वाले हिस्से में पेवस्त दाने यानि क्लिट को मसल रही थीं।
मैंने फरहान की गाण्ड से गाण्ड मिला कर अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर डिल्डो को थामा और उसका दूसरा सिरा अपनी गाण्ड में डालने की कोशिश करने लगा। मेरे जेहन में यह था कि डिल्डो पूरा अन्दर करके में अपनी गाण्ड फरहान की गाण्ड से मिला दूँ लेकिन इस मुश्किल पोजीशन में मुझसे डिल्डो अपनी गाण्ड में नहीं डाला जा रहा था। हमने ये पोजीशन मूवीज में देखी थीं और आपी ने खासतौर पर इस पोजीशन को पसन्द किया था इसलिए मैं उनको रियल शो दिखाना चाहता था।
लेकिन 2-3 मिनट कोशिश करने के बावजूद में कामयाब नहीं हुआ तो मैंने बेचारजी की नज़र से आपी को देखा और कहा- “आपी ये पोजीशन आसान नहीं है। कसम से मैं जानबूझ के ऐसा नहीं कर रहा, यक़ीन करो, मैं पूरी कोशिश कर रहा हूँ”

आपी ने अपने सीने के उभार और चूत को मसलते हुए धीरे से कहा- “कोई बात नहीं, तुम आराम से डालने की कोशिश करो”

मैंने कुछ देर दोबारा कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुआ। मैंने फिर आपी की तरफ देखा और मायूसी से ‘नहीं’ के अंदाज़ में अपने सिर को हिलाया। आपी कुछ देर हम दोनों को देखती रहीं। फिर पता नहीं उन्हें क्या हुआ कि वो अपनी जगह से उठ कर हमारे पास आईं और अपने एक हाथ से डिल्डो को पकड़ा और दूसरा हाथ से मेरे कूल्हों को खोलते हुए डिल्डो का सिरा मेरी गाण्ड के सुराख पर रख कर अन्दर दबाने लगीं।
आपी का हाथ छूते ही मेरे मुँह से एक ‘आहह..’ निकली और मैंने बेसाख्ता ही कहा- “आआहह.. आपी! आपके हाथ का अहसास बहुत मज़ा दे रहा है”

आपी ने एक हाथ से डिल्डो को मेरी गाण्ड में अन्दर-बाहर करते हुए कहा- “अच्छा चलो ऐसी बात है तो और मज़ा ले लो”

आपी ने यह कहा और दूसरे हाथ को मेरी गाण्ड पर फेरते हुए नीचे ले गईं और मेरी बॉल्स (टट्टों) को अपने हाथ में ले लिया और नर्मी से मसलने लगीं।

“चलो, अब दोनों एक साथ पीछे की तरफ झटका मारो और फिर एक साथ ही आगे जाना ताकि रिदम ना खराब हो” - यह कहते हुए आपी ने अपने हाथ से डिल्डो को छोड़ दिया।

अचानक मुझे फरहान की तेज सिसकारी की आवाज़ सुनाई दी- “आअहह आपी जी.. उफफफ्फ़”

मैंने सिर घुमा कर देखा तो आपी ने दूसरे हाथ में फरहान के बॉल्स पकड़े हुए थे और उन्हें भी मसल रही थीं।
हम दोनों को आपी के हाथों की नर्मी पागल किए दे रही थी और हम बहुत तेज-तेज अपने जिस्मों को आगे-पीछे करने लगे।
जब हमारा रिदम बन गया तो आपी ने हमारे बॉल्स को छोड़ा और सोफे की तरफ जाते हुए बोलीं- “अब अपनी मदद खुद करो, मैं तुम लोगों को मज़ा देने नहीं अपना मज़ा लेने के लिए आई हूँ”

TO BE CONTINUED ….
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 26-02-2024, 06:55 AM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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