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Adultery जिस्म की भूख
#34
Heart 
"अच्छा जी तो मेरे सोहने भाई की कहाँ-कहाँ नज़र पड़ी है और क्या-क्या देखा है जनाब ने, अपनी सग़ी बाजी और सग़ी खाला का?" -आपी ने ये कह कर सोफे से पाँव उठाए और टाँगें सीधी करते हुए पाँव ज़मीन पर टिका दिए।

मैंने जवाब देने के लिए चेहरा ऊपर उठाया तो आपी के घुटने मेरे चेहरे के बिल्कुल सामने थे और दोनों घुटनों के दरमियान मुझे काफ़ी गहराई में आपी की टाँगों के दरमियान सिर्फ़ अंधेरा दिखाई दिया, मेरी नजरों को अपनी टाँगों के दरमियान महसूस करके आपी ने अपने घुटनों को थोड़ा और खोला और अपनी क़मीज़ के दामन को सामने से हटा कर रान की बाहर वाली साइड पर कर दिया और बोलीं- “क्या ढूँढ रहे हो?? अरे खून आना बंद हो गया था इसलिए मैं जब मुँह हाथ धोने गई तो पैड भी निकाल दिए थे। बताओ ना, क्या-क्या देखा है तुमने बाजी और खाला का?”

आपी की टाँगों के दरमियान से उनकी सलवार का बहुत सा हिस्सा गीला हो चुका था पता नहीं उनको इन बातों में ही इतना मज़ा आ रहा था या मेरी नजरें अपनी टाँगों के दरमियान महसूस करके वो गीली हो गई थीं।

"अब बोल भी दो और पहले बाजी का बताओ" -आपी की आवाज़ मैं बहुत बेताबी थी।

“जब वो यहाँ थीं, उस वक़्त तो मैं काफ़ी छोटा था लेकिन पिछले साल गर्मीयों में जब मैं और आप बाजी के घर 10 दिन रहे थे तब अक्सर ऐसा होता था कि बाजी सफाई वगैरह के लिए या बच्चों को ज़मीन से उठाने या किसी और काम से झुकती थीं तो अक्सर नज़र पड़ ही जाती थी उनके गले में, तो ऐसे कुछ दफ़ा उनके आधे-आधे दूध देखे हैं और उनके मम्मों की लकीर तो अक्सर बैठे हुए भी नज़र आती ही रहती है। कितनी बार मैंने नोट किया था कि मुझे आता देख कर आप बाजी की क़मीज़ का गला सही करती थीं, शायद आपको भी याद होगा एक बार आपी मुन्ने को गोद में लिटा कर दूध पिला रही थीं, मैं जैसे ही अन्दर आया तो बाजी की निप्पल मुन्ने के मुँह से निकल गई थी क़मीज़ पहले ही आधे मम्मे से ऊपर थी। आप दोनों ही बातों में इतनी गुम थीं कि बाजी को तो वैसे ही परवाह नहीं होती और आपका ध्यान भी उधर नहीं गया था और तकरीबन 25-30 सेकेंड बाद आपने इस अंदाज़ से उनकी क़मीज़ खींची थी कि ना बाजी को पता चल सके और ना मुझे। लेकिन मैंने नोट कर लिया था बस उस दिन मैंने पहली और आखिरी बार बाजी का निप्पल देखा था।”

“इसके अलावा क्या देखा..?” - आपी ने मेरे चेहरे पर नज़र जमाए-जमाए पूछा।

“इसके अलावा मैंने बाजी की टाँगें देखी हैं, आप जानती ही हैं कि वो जब भी फर्श धोती हैं तो अपने पाएंचे घुटनों तक चढ़ा ही लेती हैं और 3-4 बार उनका पेट और कमर देखी है। अक्सर जब वो करवट के बल लेट कर कोई रिसाला वगैरह पढ़ रही होती हैं तो उनकी क़मीज़ पेट या कमर या दोनों जगह से हटी होती है। उस वक़्त ही देखा है और उनके नफ़ के आस भी एक तिल है जैसे आपका है..” - आखिरी जुमला कह कर मैं आपी की आँखों में देख कर मुस्कुरा दिया।

“बको मत और बताते रहो…” - आपी ने शर्म से लाल होते हुए कहा।

फिर खुद ही 4-5 सेकेंड बाद ही बोलीं- “तुम्हारी मालूमात में मैं इज़ाफ़ा कर दूँ कि सिर्फ़ मेरा और बाजी का ही नहीं, बल्कि अम्मी की नफ़ के नीचे भी वैसा ही तिल है”

अम्मी का जिक्र को अनसुनी करते हुए मैं आपी से ही सवाल कर बैठा- “आपी प्लीज़ एक बात तो बताओ, आपको तो पता ही होगा”

“क्या..??” - आपी ने एक लफ्ज़ कहा और मेरे बोलने का इन्तजार करने लगीं।

“बाजी के सीने के उभारों का क्या साइज़ है, आप से तो बड़े ही लगते हैं उनके?” - ये पूछते हुए मैंने एक बार फिर आपी के मम्मों पर नज़र डाली।

“लगते ही नहीं यक़ीनन बड़े ही हैं उनके शायद 42 डी साइज़ है बाजी का, और भी किसी का पूछना है या बस?” - उन्होंने डायरेक्ट मेरी आँखों में देख कर कहा।

“नहीं, मैंने पूछना तो नहीं है लेकिन अगर आप मजबूर करती हैं तो पूछ लेता हूँ” - मैंने ये कहा ही था कि आपी ने मेरी बात काट कर कहा- “जी नहीं, मैं आपको मजबूर नहीं कर रही, आप ना ही पूछो!” मैं मुस्कुरा दिया।

“अब मुझे ये बताओ कि बाजी के जिस्म में ऐसी कौन सी चीज़ है जिसे देख कर तुम्हें बहुत मज़ा आता है और तुम्हारा जी चाहता है बार-बार देखने का?” -ये बोल कर वो फिर सवालिया नजरों से मुझे देखने लगीं।

मैंने कुछ देर सोचा और फिर अपने खड़े लण्ड को नीचे की तरफ दबा कर छोड़ा और कहा- “बाजी की बैक, मतलब उनकी गाण्ड, उनकी गाण्ड है भी काफ़ी भरी-भरी और थोड़ी साइड्स पर और पीछे को निकली हुई भी है। उनकी गाण्ड की लकीर में जब क़मीज़ फंसी होती है और वो चलती हैं तो उनके दोनों कूल्हे आपस में रगड़ खाकर अजीब तरह से हिलते और थिरकते हैं जब भी ये सीन देखता था तो बहुत मज़ा आता था। आप जानती ही हैं कि जब भी वो बैठने के बाद खड़ी होती हैं तो उनके कूल्हों की दरार में उनकी क़मीज़ फंसी होती है मैंने बहुत बार देखा था आप पीछे से उनकी क़मीज़ खींच कर सही करती थीं जिसका वो कभी ख़याल नहीं करतीं”

मैंने बात खत्म की ही थी कि दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई और आपी ने फ़ौरन अपनी चादर और स्कार्फ़ उठाया और अपने कमरे में भाग गईं।
कुछ देर बाद ही अम्मी अन्दर दाखिल हुई थीं।

मैंने सलाम किया तो अम्मी ने कहा- “बेटा एक गिलास पानी पिला दो”

मैं इतने एतिहात से उठा कि अम्मी को मेरे खड़े लण्ड का पता ना चल सके और किचन में जाकर पानी का गिलास भरा ही था कि आपी अपने कमरे से निकालीं और मम्मी को सलाम करके किचन में आ गईं।

उन्होंने स्कार्फ बाँध लिया था और चादर लपेटी हुई थी। मेरे हाथ से गिलास लिया और मेरे लण्ड की तरफ इशारा करते हुए दबी आवाज़ में कहा- “पहले अपने जहाज़ को तो लैंड करवा दो इसे बिठा कर ही बाहर जाना”

ये कह कर वे बाहर चली गईं और अम्मी के साथ बैठ कर बातें करने लगीं। मैं किचन से निकला और सीधा ऊपर चला गया। अपने कमरे को बाहर से अनलॉक करके खोला ही था कि फरहान ने दरवाज़ा खोला और मुझे देख कर कहा- “अरे भाई आप यहाँ क्यूँ खड़े हो?”

तो मैंने जवाब दिया- “यार कमरे में ही जा रहा था लेकिन फिर प्यास लगी तो सोचा नीचे जाकर ही पानी पी लूँ”

मैं ये बोल कर नीचे चल पड़ा थोड़ी देर बाद फरहान भी नीचे आ गया और उसने सिर झुकाए-झुकाए ही आपी को सलाम किया। आपी उसकी आवाज़ सुन कर अपनी चादर को संभालते हुए उठीं और फरहान का चेहरा दोनों हाथों में ले कर उसका माथा चूमने के बाद बोलीं- “ठीक ठाक हो तुम, वहाँ तुम्हें हमारी याद तो बहुत आई होगी खास तौर पर अपने भाई को तो बहुत याद किया होगा ना”
फरहान आपी के इस हमले के लिए तैयार नहीं था इसलिए थोड़ा सा घबरा गया, शायद अम्मी सामने थीं इसलिए भी इहतियात कर रहा था।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 17-02-2024, 05:13 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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