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Adultery प्यासा यौवन (सम्पूर्ण)
#2
Heart 
वो कुछ नहीं बोली, बस उसने अपना सर झुका लिया, उसकी आँखें दुःख का भान कराने लगीं.
मैंने उठ कर उसके कंधे पर हाथ रखा और उसको दुलारते हुए पूछा- “क्या हुआ मन्जू तुम रो क्यों रही हो?”

वो सुबकने लगी. मैंने उसके सर पर हाथ फेरा, मेरा मन तो हो रहा था कि उसको उठा कर सीने से लगा लूँ, पर अभी कुछ जल्दबाजी लगी सो फिर उससे पूछा- “बताओ मुझे बताओ क्या बात है? कोई दिक्कत है क्या? क्या जुगल दारु पीता है? या तुमको परेशान करता है? मैं उसको ठीक कर दूंगा, तुम मुझसे खुल कर कहो. मुझसे डरो मत. अरे मुझसे नहीं कहोगी तो फिर समस्या कैसे दूर होगी?”

मन्जू बोली- “हाँ भैया जी आप बात तो सही कह रहे हैं. आप ही मेरी समस्या दूर कर सकते हैं”

मैंने उसको उठाया और कहा- “पहले इधर बैठो, पानी पियो और फिर मुझे बताओ कि मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ. मैं तुम्हारी हर तरह से मदद करूँगा. तन से, मन से, धन से, तुम किसी बात की चिंता मत करो”

उसने मेरी तरफ नजर उठा कर देखा और कहा- “भैया जी वो बात ऐसी है कि…” और उसने अपनी नजरें नीचे झुका लीं और अपनी साड़ी के छोर को अपनी उँगलियों में गोल-गोल घुमाने लगी.

मुझे बात कुछ समझ में नहीं आई किये क्या कहना चाहती है. मैंने उससे दोनों कंधे पकड़े, उसको थोड़ा हिलाया और एक हाथ से उसकी ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा अपनी तरफ उठाया और उसकी आँखों में झाँक कर देखा.
उससे पूछा- “क्या बात है मन्जू? तुम मुझसे खुल कर कहो तुमको क्या दिक्कत है?”

उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे. मैंने उसके गालों पर हाथ फेरा, और इसी बहाने मुझे पहली बार उसके नर्म और मुलायम गालों पर अपना हाथ फेरने का मौका मिल गया. उसके नर्म गालों के स्पर्श से मेरा लौड़ा और भी कड़क हो गया.
मैं उसके और करीब आ गया. वो भी मेरे हाथों का प्यार भरा स्पर्श पाकर मुझ से लिपट गई. मेरी तो बुद्धि ही फिर गई.

मन्जू भी मेरे हाथों का प्यार भरा स्पर्श पाकर मुझ से लिपट गई, मेरी तो बुद्धि ही फिर गई।
उसकी और मेरी स्थिति पर जरा निगाह डालिए कि वो बिस्तर पर बैठी थी और मैं उसके सामने खड़ा था।
मेरा लौड़ा उसके चेहरे के बिल्कुल सामने था। जब वो मुझसे लिपटी तो उसके दोनों हाथ मेरी कमर के पीछे जाकर मुझे अपनी बाँहों के घेरे में ले लिया था। इस परिस्थिति में मेरा लौड़ा उसके मुँह से लग गया था। एक तरह से उसने अपना चेहरा मेरे खड़े हथियार से लगा दिया था। मैं गनगना गया।
मैंने उसके सर को और भी अपने नजदीक खींच लिया और उसको दुलारने लगा। एक हाथ से उसकी पीठ को सहलाने लगा। मुझे कुछ-कुछ समझ में आ रहा था।

मैंने उससे पूछा- "जुगल तुमको खुश नहीं करता क्या?"

बोली- "हाँ भैया जी, वे कमजोर हैं, रोज जल्दी सो जाते हैं, कहते हैं मैं बहुत थक गया हूँ"

मैंने उसको और खोला- "क्या उसका खड़ा नहीं होता?"

वो सकुचाई और बोली- "आज तक खड़ा नहीं हुआ"

मैंने कहा- "तुमने कभी अपने हाथ से कोई कोशिश नहीं की?"

बोली- "खूब कोशिश की हाथ से, मुँह से पर वो सब बेकार की कोशिश साबित हुई"

मैंने कहा- "कितना बड़ा है उसका?"

उसके स्वर में वितृष्णा थी, बोली- "बड़ा?? मेरे तो करम ही फूटे थे कि उससे पाला पड़ गया"

मैंने उसके हाथों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उसके चेहरे के पास लाया। इससे हुआ ये कि उसकी हथेलियाँ मेरे लौड़े के पास आ गईं। उसने अपनी आँखें मेरी तरफ कीं और मैंने उसकी हथेलियों को अपने खड़े लण्ड से टिका दीं और अपनी हथेलियों से उसकी हथेलियों को लौड़े पर दबा दिया।

उसने मेरे लौड़े का स्पर्श किया। मेरा लण्ड फनफना उठा। उसने मेरी नजरों को देखते हुए मेरे हथियार को कुछ दबाया। अब सब खेल का खुलासा होने लगा था।
मैंने भी अब देर नहीं की और उसको उठा कर अपने सीने से लगा लिया, वो मेरे सीने से लिपट गई। 
मन्जू अब फफक-फफक कर रो रही थी, बोली- "भैया जी, आप ही मेरे दुःख को समझ सकते हो। गाँव में मेरी सास को मेरी कोख से मेरे होने वाले बच्चे का बड़ी बेसब्री से इन्तजार है"

मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मैं तो सोच रहा था कि इसको सिर्फ लण्ड की खुराक चाहिए पर इसको तो मेरा बीज भी चाहिए था.
मेरा मन बल्लियों उछल रहा था, जिसको याद कर के हस्त-मैथुन करता था वो आज मेरी बाँहों में थी और मुझसे बच्चा मांग रही है। 
मुझे और मेरे लौड़े को बस एक ही ठुमरी का वो अंश याद या रहा था- "आजा गिलौरी, खिलाय दूँ किमामी, लाली पे लाली तनिक हुई जाए"

मैंने अब देर करना उचित न समझा। उसको बाँह पकड़ कर उठाया और खड़ा करके अपने सीने से लगा लिया। वो मुझसे लता सी लिपट गई। मैंने भी उसको अपनी बाँहों में समेट लिया। कुछेक पलों के बाद उसकी हिचकियाँ बंद हुंईं। मैंने उसके चूतड़ों पर अपनी हथेलियाँ फेरीं। एकदम गोल और ठोस चूतड़ थे, चूतड़ों को दबा कर उसे अपनी तरफ खींचा।
उसने भी लाज और हया छोड़ कर अपने होंठ मेरी तरफ किये, मैंने उसके रसीले होंठों को अपने होंठों में दबा लिए। उसके होंठों की तपिश ने मुझे एहसास करा दिया कि मन्जू गर्म हो चली थी।
उसके अंगों पर अपने हाथ फेरते-फेरते पता ही नहीं चला कि कब कपड़ों ने कब साथ छोड़ दिया था। मैंने उसको बिस्तर पर लेटा दिया.
मन्जू का बेमिसाल हुस्न जिसकी मैंने तारीफ की थी, दरअसल मेरे बाहुपाश में था और यही वो समय था जब मैंने उसको जी भर कर देखा था।

TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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RE: प्यासा यौवन (सम्पूर्ण) - by KHANSAGEER - 16-02-2024, 12:15 PM



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