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Adultery जिस्म की भूख
#23
Heart 
जैसे-जैसे दास्तान आगे बढ़ती जा रही थी आपी की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी। वो कभी टाँगों को आपस में भींचती थीं तो कभी अपनी दोनों रानों को एक-दूसरे से रगड़ देती थीं शायद उनकी बेचैनी की वजह ये थी कि वो मेरे सामने अपनी टाँगों के दरमियान सहला नहीं पा रही थीं।

उनके गोरे गाल सेक्स की चाहत से गुलाबी हो गए आँखों में नशा सा छा गया था और आँखों में लाली भी आ गई थी। मेरा लण्ड भी फुल टाइट हो चुका था और थोड़ी-थोड़ी देर बाद बेसाख्ता ही मेरा हाथ लण्ड तक चला जाता था और मैं ट्राउज़र के ऊपर से ही लण्ड को पकड़ कर भींच देता था।

मुझे दास्तान सुनाते एक घन्टे से ज्यादा हो गया था I मैं थोड़ी देर पानी पीने के लिए रुका, मैं टेबल से पानी उठाने के लिए दूसरी तरफ मुड़ा तो आपी को भी मौका मिल गया और उन्होंने अपनी टाँगें सीधी कीं और अपनी टाँगों के दरमियान वाली जगह को अपने हाथ से रगड़ दिया। यक़ीनन आपी की टाँगों के दरमियान वाली जगह भी मुसलसल निकलते पानी से बहुत गीली हो चुकी थी और उन्होंने अपना गीलापन सलवार से साफ किया था।

मैंने कुर्सी पर बैठते ही जहाँ दास्तान छोड़ी थी वहीं से शुरू की, दस मिनट बाद ही आपी की बेचैनी दोबारा शुरू हो चुकी थी, शायद उनका पानी फिर बहने लगा था।

जब आपी की बर्दाश्त से बाहर होने लगा तो आपी ने मेरी बात को काटते हुए कहा- “सगीर प्लीज़ तुम अपनी कुर्सी को घुमा लो और मेरी तरफ पीठ करके सुनाते रहो”

मैं फ़ौरन ही समझ गया कि मेरी प्यारी बहन क्या करना चाह रही हैं, मैंने हँसते हुए फिल्मी अंदाज़ में कहा- “आपी मेरे सामने ही कर लो ना, मैं भी आपके सामने ही कर रहा हूँ। ये दुनिया है कभी हम तमाशा देखते हैं तो कभी हमारा तमाशा बनता है”

‘बकवास मत करो! तुम बेशर्म हो, मैं नहीं, जल्दी से घूमो ना, प्लीज़! अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है’ आपी अपनी फोल्डेड टाँगें खोलती हुई बोलीं और बेख़याली में मेरे सामने ही अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को रगड़ दिया।
फ़ौरन ही उन्हें अंदाज़ा हुआ कि उन्होंने क्या कर दिया है, उन्होंने शर्म से लाल होते हुए कहा- “घूम जा ना कमीने, इतना क्यूँ तंग करते हो अपनी बहन को”

मैंने हँसते हुए अपनी कुर्सी को घुमाया उनकी तरफ पीठ करके कहा- “आपी ज़रा प्यार से रगड़ना, कहीं छील ना देना”

‘शटअप..!’ वो झेंपते हुए बोलीं।

मैंने दोबारा दास्तान शुरू कर दी और साथ ही अपना ट्राउज़र भी उतार दिया और लण्ड को मुठी में लेकर हाथ आगे-पीछे करने लगा।
थोड़ी-थोड़ी देर बाद आपी की ‘आआआहह.. उफफ्फ़..’ जैसी आवाजें भी सुनाई दे रहीं थीं और सोफे की चरचराहट बता रही थी कि आपी कितनी तेज-तेज हाथ चला रही हैं।
दास्तान खत्म होने के क़रीब थी तो आपी के हलक़ से निकलती आवाज़ ‘अक्खहूंम्म्म.. उफफफ्फ़.. उखं..’ सुन कर मैंने अपना रुख़ आपी की तरफ किया , आपी की आँखें बंद थीं उनका जिस्म अकड़ा हुआ था, टाँगें खुली हुई थीं.. पाँव ज़मीन पर टिके थे और कंधे और कमर का ऊपरी हिस्सा सोफे की पुश्त पर था। सिर पीछे की तरफ़ ढलक गया था और पेट और सीने का हिस्सा कमान की सूरत में मुड़ा हुआ था, उनके कूल्हे सोफे से उठे हुए थे.. बायें हाथ से आपी ने अपने बायें दूध को दबोचा हुआ था और दायें से आपी अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को कभी भींचती थीं, कभी लूज कर देती थीं, उनके हलक से ऐसी आवाजें आ रही थीं जैसे वो बहुत करीब में हैं।
उनकी क़मीज़ पेट से हट गई थी, मैंने पहली बार अपनी सग़ी बहन का पेट देखा था, गोर पेट पर खूबसूरत सा नफ़ (नेवेल) बहुत प्यारा लग रहा था। उनके पेट पर नफ़ के बिल्कुल नीचे एक तिल भी था। अपनी डीसेंट सी बहन को इस हालत में देख कर मैं अपने ऊपर कंट्रोल खो बैठा था, मैं बहुत तेज-तेज हाथ चला रहा था।
दूसरी तरफ आपी भी डिसचार्ज हो गई थीं और उनका जिस्म नीचे सोफे पर टिक गया था।
मैंने देखा आपी की सलवार के दरमियान का बहुत बड़ा हिस्सा गीला हो गया था और उनका हाथ भी उनके पानी की वजह से चमक रहा था। उसी वक़्त मेरी बर्दाश्त करने की हद भी खत्म हो गई और मेरे लण्ड से भी पानी एक धार की सूरत में निकाला और ज़मीन पर गिरा और उसके बाद क़तरा-क़तरा निकल कर मेरे हाथ और रानों पर सजने लगा।
कुछ देर बाद जब मैंने आँखें खोलीं तो उसी वक़्त आपी भी आँखें खोल रही थीं। आपी ने आँख खोली और मुझसे नज़र मिलने पर मुस्कुरा दीं।
मैं भी मुस्कुरा दिया, मेरा लण्ड मेरी मुठी में ही था और आपी का भी एक हाथ टाँगों के दरमियान और दूसरा उनके एक उभार पर था लेकिन उनके अंदाज़ में कोई घबराहट या जल्दी नहीं थी, वो कुछ देर ऐसे ही आधी लेटी मेरी तरफ देखती रहीं फिर आहिस्तगी से उन्होंने अपनी सलवार से ही अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को साफ किया और फिर सीधी बैठीं और अपने मम्मों को पकड़ कर अपनी क़मीज़ सही करने लगीं।
मम्मों और पेट से क़मीज़ सही करने के बाद आपी ने फिर मेरी आँखों में देखा मैं उन्हीं को देख रहा था।
‘अब उठो, और साफ करो अपने आपको, कितनी गंदगी फैलाते हो तुम’

फिर उन्होंने अपने हाथ को देखा और सिर झुका कर अपनी सलवार को दोनों हाथों से फैला कर देखने लगीं जो ऐसी हो रही थी जैसे उन्होंने पेशाब किया हो। सलवार देखते हुए उन्होंने कहा- “तुम्हारे साथ रह-रह कर मैं भी गंदी हो गई हूँ”
‘आपी मुझे भी साफ कर दो ना’ मैंने निढाल सी आवाज़ में कहा।

‘जी नहीं, मैं हर किसी को इतना फ्री नहीं करती’ आपी ने किसी फिल्मी हीरोइन के तरह नखरीले स्टाइल में कहा और खड़ी होकर मेरी तरफ पीठ करके सिर को टिकाया ‘हम्म..’ और कैटवॉक के स्टाइल में कूल्हों को मटका कर चलती हुई बाहर जाने लगीं।
दरवाज़े में खड़े होकर उन्होंने सिर्फ़ गर्दन घुमा कर पीछे मुझे देखा और बहुत सेक्सी से स्टाइल में एक्टिंग करते हुए उन्होंने मुझे आँख मारी और बाहर निकल गईं।
आपी की इस मासूमाना हरकत ने मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट फैला दी और मेरी सुस्ती को भी कम कर दिया। मेरा लण्ड अभी भी मेरी मुट्ठी में ही था और जिस्म में इतनी जान ही नहीं बची थी कि में हाथ-पाँव हिला सकता। करीबन 15 मिनट ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं उठा और नहाने के लिए बाथरूम चला गया।
रात में खाना खाने के बाद सब अपने कमरों में सोने जा चुके थे, मैं अकेला बैठा टीवी देख रहा था जब फरहान बैग उठाए घर में दाखिल हुआ।

मैं उठ कर उससे मिलते हुए बोला- “यार फोन ही कर देते, मैं आ जाता तुम लोगों को लेने”

‘हमारा इरादा तो ये ही था लेकिन इजाज़ खालू के एक दोस्त जो एयरपोर्ट पर ही काम करते हैं उन्होंने ज़िद करके अपने ड्राइवर को साथ भेज दिया इसलिए आप लोगों को इत्तला नहीं दी, मैं ज़रा नहा लूँ भाई, फिर बातें करेंगे।’ फरहान ने ऊपर कमरे की तरफ जाते हुए कहा।

फिर पहली सीढ़ी पर रुकते हुए कहा- “बाक़ी सब तो सो गए होंगे?”

‘हाँ’ मैंने जवाब दिया।

‘आप भी आ जाओ ना यहाँ, क्या कर रहे हैं’ उसने कहा और ऊपर चला गया।

उसके जाते ही आपी अपने रूम से निकलीं और आकर सोफे पर मेरे बराबर बैठ गईं।
‘फरहान की आवाज़ आ रही थी, क्या वो आ गया है?’

‘जी! ऊपर चला गया है’ मैंने जवाब दिया और उनको देखने लगा। उनके चेहरे पर परेशानी सी छाई हुई थी।

‘कमीने अगर दिन में मुझे मूवी देखने दे देते तो अच्छा था ना, तुम तो उसके साथ सब कुछ कर ही सकते हो’ वो झुँझलाते हुए बोलीं।

अब मुझे समझ आ गई थी आपी की परेशानी की वजह, मुझसे आपी की झिझक अब बिल्कुल खत्म हो गई थी और वो मुझसे हर तरह की बात कर रही थीं। मैंने भी हैरत का इज़हार नहीं किया और नॉर्मल रह कर ही बात करने लगा।

‘आपी उसे तो आना ही था, आज नहीं तो कल आ जाता, आपकी 114 खत्म होने के बाद 115वीं, 116वीं भी तो आनी ही हैं ना, आप हमारे साथ ही देख लिया करो। वैसे भी अब हमारे दरमियान कोई बात छुपी हुई तो है नहीं, आप भी जानती हैं कि हम सेक्स के मामले में बिल्कुल पागल हैं और मैं भी जानता हूँ कि आप भी हमारी ही सग़ी बहन हैं। अगर हमारे खून में इतना उबाल है तो आप की रगों में भी वो ही खून है, उबाल उसका भी हमारे जितना ही है।’
‘तुम्हारी और बात है, तुम समझदार हो और नेचुरल नीड्स को समझ सकते हो I इस बात को समझ सकते हो कि जब हमारे जिस्मों को जेहन के बजाए टाँगों के बीच वाली जाघें कंट्रोल करने लगती हैं तो सोचने समझने की सलाहियत खत्म हो जाती है, क्या हालत होती है उस वक़्त इसका अंदाज़ा तुम्हें है। लेकिन फरहान अभी बच्चा है, उसके सामने मैं ???’ इतना कह कर आपी चुप हो गईं। उनके चेहरे से बेचारगी और लाचारी ज़ाहिर हो रही थी।

‘आपी आपकी इतनी लंबी तक़रीर का मेरे पास एक ही जवाब है कि फरहान भी सब समझता है, वो बच्चा नहीं है, कईयों बार मुझे चोद चुका है वो’ मैंने शरारती अंदाज़ में कहा और हँसने लगा।

मेरी इस बात का असर वो ही हुआ जो मैं चाहता था। आपी के चेहरे से भी परेशानी गायब हो गई और उन्होंने भी शरारती अंदाज़ में हँसते हुए मेरे सीने पर मुक्का मारा और कहा- ‘तुम्हारा बस चले तो तुम तो गधे घोड़े को भी नहीं छोड़ो’

आपी की इस बात पर मैं भी हँस दिया। माहौल की घुटन खत्म हो गई थी। फिर मैंने सीरीयस होते हुए कहा- “आपी मैं जानता हूँ कि आपको लड़कों-लड़कों का सेक्स देखना पसन्द है। मैंने काफ़ी दफ़ा आपके जाने के बाद हिस्टरी चैक की है। तो ज्यादा मूवीज ‘गे’ सेक्स की ही होती हैं जो आप देखती हैं। ज़रा सोचो आप मूवीज के बजाए हक़ीक़त में ये सब अपने सामने होता हुआ भी देख सकती हैं”

TO BE CONTINUED …..
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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Messages In This Thread
जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 13-02-2024, 06:52 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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