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Adultery जिस्म की भूख
#19
Heart 
मेरा दिल भी भर आया था और मेरे आँसू भी नहीं थम रहे थे। जब मेरी बर्दाश्त जवाब देने लगी तो मैंने अपने आपको आपी से छुड़वाया और रोते हुए अपने आँसू साफ करते हुए भाग कर बाथरूम में घुस गया।

मैं जब सवा घंटे बाद नहा कर बाथरूम से निकला तो अपने आपको बहुत फ्रेश महसूस कर रहा था। आपी पता नहीं कब कमरे से चली गई थीं। मैं भी नीचे आया तो आपी से सामना नहीं हुआ और मैं घर से बाहर निकलता चला गया।
शाम हो चुकी थी, मैं रात तक स्नूकर क्लब में रहा और रात 9 बजे घर लौटा तो अब्बू, हनी और अम्मी डाइनिंग टेबल पर ही मौजूद थे। हनी और अब्बू से मिलने के बाद मैं भी खाना खाने लगा।

अब्बू ने हनी से पूछा- "रूही कहाँ है? भाई से मिली भी है या नहीं?"

हनी ने कहा- "अब्बू आपी कोई बुक पढ़ रही हैं, भाई तो दिन में ही आ गए थे, आपी तो घर में ही थीं, मिल ली होंगी"

जब सब खाना खा चुके तो अब्बू ने हनी को कहा- "जाओ बेटा जाकर सो जाओ, सुबह स्कूल भी जाना है"

वे मुझसे गाँव के बारे में बातें पूछने लगे। उसके बाद वो भी सोने के लिए चले गए और मैं भी अपने कमरे में आ गया। मैं बिस्तर पर लेटा तो सुबह आपी के साथ गुज़ारा टाइम याद आने लगा। फिर मुझे पता ही नहीं चला कि कब आँख लगी।
सुबह आँख खुली तो कॉलेज के लिए देर हो गई थी, मैं जल्दी-जल्दी तैयार हुआ, तो कमरे से निकलते हुए मेरी नज़र कंप्यूटर पर पड़ी, तो बगैर कुछ सोचे-समझे ही मैंने पॉवर कॉर्ड निकाली और अपनी अलमारी में लॉक कर दी।
नीचे आया तो मेरा नाश्ता टेबल पर तैयार पड़ा था लेकिन वहाँ ना आपी थीं और ना अम्मी खैर मुझे वैसे ही देर हो रही थी, मैंने नाश्ता किया और कॉलेज चला गया।
दिन का खाना में अमूमन कॉलेज के दोस्तों के साथ ही कहीं बाहर खा लेता था। शाम में 2-3 घन्टों के लिए घर में होता था फिर स्नूकर क्लब चला जाता था। जहाँ आजकल वैसे भी एक टूर्नामेंट चल रहा था और मेरा शुमार भी अच्छे प्लेयर्स में होता था इस वजह से रात घर भी देर से जाता तो अब्बू-अम्मी के साथ कुछ देर बातें करने के बाद सोने चला जाता।
आज ही अब्बू ने मुझे बताया कि फरहान एक महीने के लिए टूर पर जा रहा है गाँव के कज़न्स के साथ, उनकी बात मैंने सुनी और सोने चला गया।
अजीब सी तबीयत हो गई थी इन दिनों, सेक्स की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं जाता था। इसी तरह दिन गुज़र रहे थे, सुबह नाश्ता टेबल पर तैयार मिलता था लेकिन वहाँ कोई नहीं होता था। अक्सर नाश्ता ठंडा हो जाता था जिसकी वजह से मैं आधा कप चाय आधा परांठा या ऑमलेट वैसे ही छोड़ कर निकल जाया करता था। इस बात को शायद आपी ने भी महसूस कर लिया था।
आपी के साथ उस दिन वाले वाकये का आज सातवाँ दिन था। जब सुबह मैं डाइनिंग टेबल पर पहुँचा तो नाश्ता मौजूद नहीं था लेकिन किचन से बर्तनों की आवाज़ आ रही थी जो वहाँ किसी की मौजूदगी का पता दे रही थीं। कुछ ही देर बाद आपी आईं और मेरे सामने सारा नाश्ता सज़ा कर बगैर कुछ बोले वापस चली गईं।
मैंने पीछे मुड़ कर आपी को देखा तो वो अपने कमरे की तरफ जा रही थीं और अपने यूजुअल ड्रेस यानि बड़ी सी चादर और स्कार्फ में थीं। उस दिन के बाद आज पहली बार मेरा और आपी का आमना-सामना हुआ था।
फिर रोज़ ही ऐसा होने लगा कि जब मैं आकर बैठ जाता तो आपी गरम-गरम नाश्ता लाकर मेरे सामने रखतीं और अपने कमरे में चली जातीं।
उस वाक़ये को आज ग्यारहवां रोज़ था।
सुबह जब आपी नाश्ता लेकर आईं तो उन्होंने मुझे एक पेपर दिया जिस पर कुछ बुक्स के नाम लिखे थे और मुझसे कहा- "कॉलेज से आते हो याद से ये बुक्स खरीद लाना"

मैंने कहा- "ठीक है आपी"

नाश्ता करने के बाद मैं कॉलेज चला गया।
अब अक्सर ऐसा होता कि आपी सुबह कोई ना कोई काम की बात कर लेती थीं और जो सन्नाटा हमारे दरमियान कायम हो गया था अब वो टूट रहा था लेकिन वो अब भी बहुत रिज़र्व रहती थीं। अक्सर मेरे साथ ही बैठ कर नाश्ता भी करने लगी थीं लेकिन फालतू बातें या मज़ाक़ नहीं करती थीं।
उस वाक़ये का आज 17वां दिन था आपी नाश्ता लेकर आईं तो उनके जिस्म पर बड़ी सी चादर नहीं थी, सिर्फ़ स्कार्फ बाँधा हुआ था और सीने पर दुपट्टा फैला रखा था। उन्होंने मेरे साथ ही बैठ कर नाश्ता किया और मैं कॉलेज के लिए निकल गया।
उस वाकये का 20 वां दिन था, आपी ने मेरे सामने नाश्ता रखा तो ना ही उनके सिर पर स्कार्फ था और ना ही दुपट्टा लेकिन सिर पर बालों का बड़ा सा जूड़ा बाँध रखा था। मेरे होश संभालने के बाद से यह पहली बार था कि मैंने आपी को सिर्फ़ क़मीज़ सलवार में देखा था ना दुपट्टा ना चादर ना स्कार्फ..
आपी नाश्ता रख कर अपने कमरे की तरफ जा रही थीं तो मैंने पहली मर्तबा उनकी कमर देखी जो उनके शानों और कूल्हों के दरमियान काफ़ी गहराई में थी और कमान सी बनी हुई थी। आज 20 दिन बाद मेरे लण्ड ने जुंबिश ली और मुझे अपने हरामी होने का अहसास दिलाया वरना मैं तो अपने लण्ड को भूल ही चुका था।
अगले दिन से आपी अपनी यूजुअल ड्रेसिंग पर वापस आ चुकी थीं।
उस वाक़ये का आज 24वां दिन था जब आपी ने मुझे नाश्ता दिया। वो उस दिन बड़ी सी चादर और स्कार्फ में मलबोस थीं और उनका चेहरा बहुत पाकीज़ा लग रहा था। मैं नाश्ता करके उठा और दरवाज़े तक पहुँचा ही था कि आपी ने मुझे आवाज़ दी ‘सगीर..’
मैं रुका और मुड़ कर कहा- "जी आपी?"

उस वक़्त तक वो मेरे क़रीब आ चुकी थीं। आपी ने बिना किसी झिझक या शर्मिंदगी के आम से लहजे में मुझसे पूछा- "सगीर, पॉवर कॉर्ड कहाँ है?"

आपी का अंदाज़ ऐसा था जैसे वो किसी आम सी किताब का या किसी सब्ज़ी का पूछ रही हैं। मैंने भी आपी के ही अंदाज़ में अपने बैग से चाभी निकाली और आपी के हाथ में पकड़ाते हुए कहा ऐसे-जैसे मैं भी उन्हें सब्ज़ी ही का बता रहा हूँ। ‘मेरी अलमारी में रखी है..’

और मैं बाहर निकल गया।
अगले दिन भी नाश्ते के बाद जब मैं बाहर निकलने ही वाला था तो आपी अपनी चादर को संभालती हुई मेरे पास आईं और उसी नॉर्मल से अंदाज़ में कहा- "सगीर तुम कितने बजे तक घर आओगे?"

‘दो बजे तक आ जाऊँगा, क्यूँ?’ मैंने कुछ ना समझने वाले अंदाज़ में जवाब दिया।

‘नहीं कुछ नहीं, बस मैं ये कहना चाह रही थी कि तुम 5 बजे तक घर नहीं आना, मैं आज ज्यादा टाइम चाहती हूँ’

‘ओके ठीक है मैं 5 बजे से पहले नहीं आऊँगा।’

हमारा बात करने का अंदाज़ बिल्कुल नॉर्मल और सरसरी सा था लेकिन आपी भी जानती थीं कि वो क्या कह रही हैं और मुझे भी अच्छी तरह पता था कि आपी किस बात के लिए आज ज्यादा टाइम चाहती हैं। आप लोग भी समझ ही गए होंगे कि मेरी सग़ी बहन मेरी हसीन और बा-हया बहन हार गई थी और उनके टाँगों के बीच वाली जगह जीत गई थी।
मैं 5:20 पर अपने घर में दाखिल हुआ तो आपी इत्तिफ़ाक़ से उसी वक़्त ऊपर से नीचे आ रही थीं और उन्होंने अपना वो ही काला सिल्क का अबया पहना हुआ था, उनके पाँव में चप्पल भी नहीं थीं और बाल खुले हुए उनके कूल्हों से भी नीचे तक हवा में लहरा रहे थे। आपी के खड़े हुए निप्पल उनके अबाए में साफ ज़ाहिर हो रहे थे जो इस बात का पता दे रहे थे कि अबाए के अन्दर आपी बिल्कुल नंगी हैं।
मैंने आपी को सलाम किया तो उन्होंने अपने अबाए के बाजुओं को कोहनियों तक फोल्ड करते हुए मेरे सलाम का जवाब दिया और पूछा- "खाना खाओगे?"

‘नहीं! मैं खाना खा कर आया हूँ बस एक कप चाय बना दें’ मैंने आपी के खूबसूरत सुडौल और बालों से बिल्कुल पाक बाजुओं पर नज़र जमाए हुए कहा।

‘ओके, तुम बैठो मैं अभी बना देती हूँ’ यह कह कर वो किचन की तरफ चल दीं।

मैंने आपी को इतने इत्मीनान से इस हुलिए में घूमते देख कर कहा- "आपी क्या घर में कोई नहीं है?"

‘नहीं, हनी तो वैसे भी छुट्टियाँ नानी के घर गुजार रही है और अम्मी और अब्बू किसी ऑफिस के मिलने वाले की बेटी की शादी में गए हैं।’ उन्होंने चाय बनाते बनाते किचन से ही जवाब दिया।

मुझे चाय दे कर आपी अपने कमरे में चली गईं और मैं आपी के इस नए अंदाज़ को सोचने लगा।
फ़ौरन ही घंटी की आवाज़ ने मेरी सोच की परवाज़ को वहीं रोक दिया, बाहर मेरे कुछ दोस्त थे जो कहीं पिकनिक पर मुझे भी साथ ले जाना चाह रहे थे। मैं आपी को बता कर उनके साथ चला गया।
फिर अगली सुबह नाश्ते के वक़्त ही आपी से सामना हुआ, वो आज भी सिर्फ़ गाउन में थीं और हालात कल शाम वाले ही थे। आपी मेरे साथ ही नाश्ता करने लगीं और हम इधर-उधर की बातें करते रहे।
मैंने आपी के हुलिया के पेशे नज़र कहा- "आपी अम्मी-अब्बू घर में ही हैं ना?"

‘हाँ लेकिन सो रहे हैं अभी’ उन्होंने चाय का घूँट भरते हुए लापरवाह अंदाज़ में जवाब दिया।
मैंने भी चाय का आखिरी घूँट भरते हुए आपी के मम्मों पर एक भरपूर नज़र डाली और ठंडी आह भरते हुए टेबल से उठ खड़ा हुआ।
दरवाज़े की तरफ रुख़ मोड़ते हुए मैंने आपी से कहा- "आप चेंज कर लो, अम्मी-अब्बू के उठने से पहले पहले। मैं नहीं चाहता कि वो आपको इस हुलिये में देखें , आपकी इज़्ज़त मुझे अपनी जान से भी ज्यादा अज़ीज़ है"

उन्होंने एक मुहब्बत भरी नज़र मुझ पर डाली और शैतानी सी मुस्कुराहट के साथ कहा - "मैं तुम्हारी रग-रग से वाक़िफ़ हूँ सगीर, तुम्हें ये टेन्शन नहीं कि वो मुझे इस हुलिया में देखें बल्कि तुम्हें ये फिकर है कि अगर अम्मी-अब्बू को पता चला कि मैं तुम्हारे सामने इस हालत में थी तो शायद आइन्दा के लिए तुम्हारी नजरें मेरे इस हुलिया से महरूम हो जाएँगी"

शायद यह सच ही था इसलिए मेरे मुँह से जवाब में कुछ नहीं निकल सका और बोझिल से कदमों से मैं बाहर की तरफ चल पड़ा। आज कॉलेज जाने का बिल्कुल मन नहीं था। आज बहुत दिन बाद मेरे लण्ड में सनसनाहट हो रही थी और जी चाह रहा था कि आज पानी निकालूँ।

मैं गेट तक पहुँचा ही था कि आपी की आवाज़ आई- ‘सगीर’

मैं दरवाज़ा खोल चुका था इसलिए घर से बाहर निकल कर मैंने पूछा- "जी आपी?"

वो दरवाज़े के पास आकर बोलीं- “111 पूरी हो चुकी हैं अब न्यू का इंतज़ाम कर दो” कह कर उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया।

मैं सनाका खाए हुए की कैफियत में दरवाज़े के बाहर खड़ा था। अभी मेरी बेहद हया वाली बहन ने मुझसे न्यू ट्रिपल एक्स फिल्म के लिए कहा था। मेरा लण्ड पैंट में तन गया था।
मैं उसी वक़्त अपने दोस्त के पास गया और उससे 3 न्यू सीडीज़ लीं और इतना टाइम बाहर ही गुज़ारा कि अब्बू अपने ऑफिस चले जाएँ और फिर कॉलेज के बजाए घर वापस आ गया।
अब्बू ऑफिस जा चुके थे और अम्मी के पास खाला बैठी थीं, मैंने उन्हें सलाम किया और अपने कमरे की तरफ चल दिया। मैंने अपने कमरे का दरवाज़ा खोलना चाहा तो वो अन्दर से लॉक था। मुझे उम्मीद नहीं थी कि आपी अन्दर हैं इसलिए ज़रा ज़ोर से हैण्डल घुमाया था जिससे आवाज़ भी पैदा हुई और आपी को भी पता चल गया था कि बाहर कोई है।
कुछ ही देर बाद आपी ने दरवाज़ा खोला, स्कार्फ उसी तरह बाँध रखा था, गुलाबी क़मीज़ पहनी थी और काली सलवार और काला ही दुपट्टा था जो कंधे पर इस तरह डाला हुआ था कि उनका एक दूध बिल्कुल छुप गया था और दूसरा दूध खुला था। गुलाबी क़मीज़ में निप्पल की जगह बिल्कुल काली नज़र आ रही थी और निप्पल तना होने की वजह से साफ महसूस हो रहा था।
उनके गुलाबी गाल जो उत्तेजना की शिद्दत से मज़ीद गुलाबी हो रहे थे वे पिंक क़मीज़ के साथ बहुत मैच कर रहे थे। उनकी बड़ी सी काली आँखों में लाली उतरी हुई थी।
अपनी बहन को ऐसे देख कर फ़ौरन ही मेरे लण्ड में जान पैदा हो गई और वो बाहर आने के लिए फनफनाने लगा।
आपी ने बाहर आते हुए कहा- “आज तुम जल्दी आ गए हो” और सीढ़ियों की तरफ चल दीं।
‘जी आज मन नहीं कर रहा था कॉलेज जाने को इसलिए वापस आ गया।’ मैंने आपी की बैक को देखते हुए अपने लण्ड को टाँगों के दरमियान दबाया और जवाब दिया।
आपी ने पहली सीढ़ी पर क़दम रखा ही था कि मैंने आवाज़ दी- "आपी!"
उन्होंने वहीं खड़े-खड़े ही चेहरा मेरी तरफ घुमा कर कहा- "हम्म?"
मैंने 3 सीडीज उनको शो करते हुए कहा- “114”
आपी के चेहरे पर खुशी और एक्साइटमेंट साफ नज़र आ रहा था। उनकी आँखों में अजीब सी चमक पैदा हुई उन्होंने मुस्कुरा कर मेरी आँखों में देखा और नीचे उतर गईं।
मैं फ़ौरन ही कमरे में दाखिल हुआ और अपनी पैन्ट उतार कर एक तरफ फैंकी और लण्ड को हाथ में थाम कर कंप्यूटर के सामने बैठ गया। सीडी ऑन करने से पहले मुझे ख़याल आया कि ज़रा देखूं आपी क्या देख रही थीं। मैंने मीडिया प्लेयर में से रीसेंट्ली प्लेड मूवीज क्लिक किया तो उससे देखते ही मेरे चेहरे पर बेसाख्ता मुस्कुराहट फैल गई। वो एक ‘गे’ मूवी थी जो आपी देख रही थीं।
मैंने न्यू सीडी लगाई और अपने लण्ड को मुट्ठी में लेकर हाथ आगे-पीछे करने लगा। आज बहुत दिन बाद ये अमल कर रहा था इसलिए बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था और बार-बार मूवी की हीरोइन की जगह मेरी सग़ी बहन मेरी आपी का चेहरा मेरे सामने आ जाता। जब मूवी में लड़की के मम्मों का क्लोज़ लिया जाता तो मुझे मेरी पाकीज़ा बहन के दूध याद आ जाते।
ऐसे ही मूवी चल रही थी और मैं अपने लण्ड को हिला-हिला कर अपने आपको मंज़िल तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा था अचानक मैंने देखा कि एक गुलाबी ब्रा कंप्यूटर टेबल के नीचे पड़ी हुई थी। शायद मेरी आपी ने मूवी देखते हुए इसे उतार फैंका था और फिर जाते हुए जल्दी में उन्हें उठाना याद ही नहीं रहा।
बरहराल मैंने स्क्रीन पर ही नज़र जमाए-जमाए हाथ बढ़ा कर ब्रा को उठाया, पहली चीज़ जो मैंने नोटिस की वो एक छोटा सा वाइट टैग था जिस पर 36डी लिखा हुआ था। जब मैं उस टैग पर लिखे डिजिट पढ़ने के लिए ब्रा को अपनी आँखों के क़रीब लाया तो एक माशूर कन खुशबू के झोंके ने मेरा इस्तकबाल किया।
TO BE CONTINUED ………
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 13-02-2024, 01:32 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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