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Adultery जिस्म की भूख
#16
मैं ऊपर आखिरी सीढ़ी पर था जब मैंने आपी को स्टडी रूम से निकलते देखा, वो निकल कर स्टडी रूम का दरवाज़ा बंद कर रही थीं। पहली ही नज़र में मैंने जो चीज़ नोटिस की.. वो आपी का गहरे काले रंग का सिल्क का अबया था.. जिसकी लंबाई इतनी थी कि आपी के पाँव भी उसी अबाए में ही छुपे हुए थे और स्लेटी रंग का स्कार्फ उन्होंने अपने मख़सूस अंदाज़ में बाँध रखा था।
मैं बगैर कुछ सोचे-समझे दबे पाँव नीचे की तरफ चल पड़ा।
मैं आपी का सामना नहीं करना चाह रहा था। नीचे पहुँच कर मैं डाइनिंग हाल में ही खड़ा हो गया और आपी के नीचे आने का इन्तजार करते हुए अपनी सोच में अपने आपको सिरज़निश करने लगा कि आपी वाक़यी स्टडी रूम में होती हैं और मैं अपनी सग़ी बहन.. अपनी पाकीज़ा और लायक बहन के बारे में कैसी बातें सोच रहा हूँ।
दो मिनट बाद मैंने सोचा कि आपी को अब तक नीचे आ जाना चाहिए था और इसी सोच के साथ ही मैंने ऊपर की तरफ अपने क़दम बढ़ा दिए। ऊपर पहुँच कर मैंने पहले स्टडी रूम के दरवाज़े को देखा.. लेकिन वो बाहर से लॉक था। फिर मैंने अपने कमरे के दरवाज़े पर दबाव डाल कर देखा लेकिन वो अन्दर से लॉक था।
मैं स्टडी रूम की तरफ गया और खिड़की के रास्ते शेड से होता हुआ अपने कमरे की खिड़की तक पहुँच गया और मैंने नीचे झुके-झुके ही खिड़की पर दबाव डाला। वो हमेशा की तरह आज भी अनलॉक ही थी। मैंने अन्दर नज़र डाली तो रूम खाली था। लेकिन उसी वक़्त बाथरूम का दरवाज़ा खुला और रूही आपी बाहर आईं और सीधी कंप्यूटर की तरफ बढ़ गईं।
उनकी बेताबी.. उनके हर अंदाज़ से ज़ाहिर थी। वो कुर्सी पर बैठीं और कंप्यूटर ऑन करने के बाद डाइरेक्ट हमारे पॉर्न मूवीज वाले फोल्डर तक पहुँची और उन्होंने एक मूवी ओपन कर ली। जब मूवी ओपन हुई तो मैंने देखा ये मूवी नंबर 109 थी और हमारे कम्प्यूटर में टोटल 111 मूवीज थीं।
जिसका मतलब ये था कि आपी ने पिछले 5 दिनों में तकरीबन सारी ही मूवीज देख डाली थीं।
अब मूवी स्टार्ट हो चुकी थी और एक जोड़ा किसिंग कर रहा था!
जैसे-जैसे मूवी आगे बढ़ती जा रही थी.. आपी की साँसें तेज होती जा रही थीं। मैंने भी अपने लण्ड को पैंट की क़ैद से आज़ाद कर दिया था और बिल्कुल हल्के हाथ से सहला रहा था।
आपी ने भी अपने एक हाथ से अपने सीने की उभरी चट्टानों को नर्मी से सहलाना शुरू कर दिया था और कभी-कभी आपी अपने एक मम्मे को अपने हाथ में भर कर ज़ोर से दबा भी देती थीं।
आपी के सीने के उभार बगैर दुपट्टे के देख कर मेरी बुरी हालत हो गई थी। आपी ने अब दोनों हाथों से अपने दोनों मम्मों को बहुत ज़ोर से मसलना और दबोचना शुरू कर दिया था। अज़ीयत और मुकम्मल संतुष्टि ना मिलने का भाव आपी के चेहरे से ज़ाहिर हो रहा था। उनकी अजीब सी हालत थे.. उन्होंने अपने निचले होंठ को बहुत मजबूती से दाँतों में दबा रखा था।
अचानक आपी ने अपने दोनों हाथ सिर से सीधे ऊपर उठाए और एक अंगड़ाई ली और अपने हाथों को सिर पर रख के अपने स्कार्फ को लगभग नोंच कर उतारा और अपनी राईट साइड में उछाल दिया.. साथ ही अपने बाल खोल दिए।
मुझे नहीं याद था कि होश संभालने के बाद मैंने कभी अपनी आपी के बाल देखे हों। आपी के बाल खुल गए थे और कुर्सी पर बैठे होने के बावजूद ज़मीन तक पहुँच रहे थे। मूवी में अब एक लड़की सीधी लेटी हुई थी और उसने अपनी चूत को अपने राईट हैण्ड से छुपा रखा था और लेफ्ट हैण्ड की बड़ी उंगली से इशारा करते हुए लड़के को अपनी तरफ बुला रही थी।
लड़का अपने लण्ड को हाथ में पकड़े उसकी तरफ बढ़ रहा था और फिर अगले ही लम्हें वो लड़का.. उस नंगी लड़की के टाँगों के दरमियान बैठ गया। अब उसने अपना हाथ लड़की के उस हाथ पर रखा.. जिस हाथ से चूत छुपी हुई थी और उसके हाथ को हटाते ही फ़ौरन अपना मुँह उस लड़की की चूत से लगा दिया।
उसी लम्हें आपी ने एक ‘आह..’ भरी और अपने लेफ्ट हैण्ड को कपड़ों के ऊपर से ही अपनी टाँगों के दरमियान वाली जगह पर रखा और उस जगह को ज़ोर से दबोच लिया। साथ ही वे दूसरे हाथ से अपने लेफ्ट दूध को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगीं।
मैं अपनी सग़ी बड़ी बहन का यह रूप देख कर बिल्कुल दंग रह गया।
आपी कुछ देर तक यूँ ही अपने लेफ्ट दूध को दबाती रहीं और टाँगों के बीच वाली जगह को दबोचती और ढीला छोड़ती रहीं। अब स्क्रीन पर सीन चेंज हो गया था.. वो लड़की सीधी लेटी थी.. उसने अपनी टाँगें फैला रखी थीं और लड़का उसकी टाँगों के दरमियान उस पर पूरा झुका हुआ लड़की के होंठों को चूस रहा था और लड़की की चूत में अपने लण्ड को अन्दर-बाहर कर रहा था।
कैमरे का व्यू पीछे का था इसलिए लण्ड का अन्दर-बाहर होना क्लोज़-अप में दिखाया जा रहा था। साथ ही लड़के की गाण्ड का सुराख भी वज़या नज़र आ रहा था.. तभी स्क्रीन पर इसी आसन में एक और लड़के की एंट्री हुई और उसने अपने लण्ड की नोक को लड़के की गाण्ड के सुराख पर टिकाया और एक ही झटके में तकरीबन आधा लण्ड अन्दर उतार दिया।
इस सीन को देखते ही आपी के मुँह से एक तेज ‘अहह..’ निकली और उन्होंने अपनी टाँगों के बीच वाले हाथ को उठाया और ज़ोर-ज़ोर से 2-3 दफ़ा उसी जगह पर ऐसे मारा.. जैसे थप्पड़ मार रही हों और फिर ज़ोर से उस जगह को दबोच लिया। ऐसा लग रहा था कि इस सीन ने उन पर जादू सा कर दिया था.. उनका हर अमल इस सीन की पसंदीदगी की गवाही दे रहा था।
आपी ने अपनी टाँगों के दरमियान से हाथ उठाया और थोड़ा झुक कर अपने अबाए को बिल्कुल नीचे से पकड़ा और ऊपर उठाने लगीं.. आपी का अबया उनके घुटनों तक उठा.. तो मुझे हैरत का एक शदीद झटका लगा। आपी ने अबाए के अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था.. मतलब आपी अबाए के अन्दर बिल्कुल नंगी थीं।
मेरी बड़ी बहन.. मेरी आपी जो पूरे खानदान में सबसे ज्यादा बा-हया समझी जाती थीं.. और सब लोग अपनी बहनों बेटियों को मेरी इस बहन की मिसालें दिया करते थे। मेरी वो बहन सारा दिन घर में अबाए के अन्दर नंगी रहती है.. उफफफफ्फ़.. इस सोच ने मेरे जिस्म को गरमा के रख दिया था।
मैं पहली बार अपनी सग़ी बहन की टाँगों का दीदार कर रहा था। आपी की पिंडलियाँ बहुत खूबसूरत और सुडौल थीं। उनके घुटने इतने मुतनसीब और प्यारे थे कि आप किसी भी फिल्म की हीरोइन से कंपेयर करें तो मेरी बहन के पैर ही खूबसूरत लगेंगे।
आपी का अबया अब इतना ऊपर उठ चुका था कि उनके घुटने से ऊपरी रान आधी नज़र आ रही थी।
आपी ने अपनी दाईं टांग पूरी नंगी करके अपने घुटने को थोड़ा सा खम देते हुए अपने पाँव कंप्यूटर टेबल के ऊपर टिका दिए। अब इसे मेरी बदक़िस्मती कहें कि जहाँ मैं मौजूद था वहाँ से आपी का सिर्फ़ दायाँ पाँव ही नज़र आ रहा था।
आपी ने अपना बायां हाथ अपनी नंगी टाँगों के दरमियान रखा और उनका हाथ तेजी से हरकत करने लगा.. जो मैं यहाँ से नहीं देख सकता था कि उनके हाथ की हरकत क्या है.. मुझे तो बस उनका हाथ हिलता हुआ नज़र आ रहा था।
आपी ने अपने सिर को पीछे की जानिब ढलका दिया था और तेज-तेज अपने हाथ को हरकत दे रही थीं।
ये सब देखते मेरी अपनी हालत खराब हो चुकी थी, मैंने अपनी पैंट वहाँ खड़े-खड़े ही उतार दी थी.. मेरे जहन से खौफ.. डर या शर्मिंदगी जैसे तमाम अहसासात मिट चुके थे। किसी के बाहर से देखे जाने का ख़तरा तो था नहीं और घर में मेरे और आपी के अलावा कोई नहीं था।
आपी को देखते हुए मैंने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा और तेजी-तेजी से हाथ को आगे-पीछे करने लगा और 30 सेकेंड में ही मेरे लण्ड ने सफ़ेद गाढ़ा मवाद खारिज कर दिया और मेरे मुँह से मज़े के कारण तेज आवाज़ में एक ‘अहहहा..’ खारिज हुई।
मेरी इस ‘आआहहाअ..’ आपी के कानों तक भी पहुँच गई थी। आपी एकदम अपनी कुर्सी से उछल पड़ीं.. उन्होंने फ़ौरन मॉनिटर को ऑफ किया और अपना गाउन ठीक करते-करते इधर-उधर देखने लगीं।
जैसे ही उन्होंने मुझे देखा वो तीर की तरह मेरी तरफ आईं, उस वक़्त उन्हें ये भी ख़याल नहीं रहा कि उनके सिर पर स्कार्फ नहीं है और जिस्म को छुपाने के लिए बड़ी सी चादर भी नहीं है।
उन्हें सिर्फ़ मेरा सीने का ऊपरी हिस्सा.. कंधे और मेरा चेहरा ही नज़र आ रहा था। 
उन्होंने क़रीब आकर खिड़की पूरी खोल दी और चिल्ला कर कहने लगीं- खबीस शख्स.. तुमने साबित कर दिया है कि तुम इन्तेहाई घटिया और कमीने इंसान हो.. पहले अपने सगे छोटे भाई के साथ गंदी हरकतें करते रहे हो और अब अपनी सग़ी बहन और वो भी बड़ी बहन को..!

यह कहते-कहते ही आपी ने अचानक देखा कि मेरा लण्ड मेरी मुठी में पूरा खड़ा है और मेरे लण्ड का जूस मेरे पूरे हाथ पर और लण्ड की नोक पर फैला हुआ है।

‘सगीर.. तुम कितने बेहया हो.. तुम में शर्म नाम की चीज ही नहीं है.. ऐसे खड़े हो.. ऐसी जगह पर? क्या होगा अगर किसी ने तुम्हें इस हालत में देख लिया तो?’
आपी की बात खत्म होते ही मैं कूद करके कमरे के अन्दर दाखिल हो गया।
आपी एकदम कन्फ्यूज़ हो गईं और दो क़दम पीछे हटती हुई बोलीं- ये क्या..?? क्या बेहूदगी है ये.. तुम करना क्या चाह रहे हो?’

‘जैसा कि आपने एहतियात करने का कहा तो एहतियात कर रहा हूँ.. कहीं कोई देख ना ले..’ मैंने बेपरवाह से अंदाज़ में मुस्कुराते हुए कहा।

मुझ पर अब वो ही बागी मिज़ाज ग़ालिब आ गया था.. जो इस उम्र और मेरी तबियत का ख़ासा था कि ‘सोचना क्या.. जो भी होगा देखा जाएगा..’
शायद आपी की जहांदीदा नज़र ने भी इसे महसूस कर लिया था। 
इसलिए वो नरम से लहजे में मेरे लण्ड की तरफ हाथ का इशारा करते हुए बोलीं- सगीर प्लीज़ कम से कम अपने जिस्म को तो कवर करो.. और गंदगी साफ करो वहाँ से.. और अपने हाथों से..’

‘छोड़ो आपी.. आप मुझे एक से ज्यादा बार इस हालत में देख चुकी हो और अभी भी मैं इतनी देर से आपके सामने इस हालत में खड़ा हूँ.. अब इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि मैं अपने लण्ड को आप से छुपाऊँ या नहीं..’ मैंने आपी के सामने बिस्तर पर बैठते हुए कहा।

आपी को मेरे मुँह से लफ्ज़ ‘लण्ड’ इतने बेबाक़ अंदाज़ में सुन कर शॉक सा लगा और उन्होंने एक भरपूर नज़र मेरे लण्ड पर डाली और फिर अपना रुख़ फेर कर खड़ी हो गईं।

मुझसे कहा- सगीर प्लीज़ कुछ पहन लो.. ये मेरी इल्तिजा है.. मुझे मेरी ही नजरों में मत गिराओ..

मैंने कहा- ओके आपी.. लेकिन मेरी एक शर्त है.. आप मान लो.. फिर मैं कुछ पहन लूँगा।

मैं अब बिस्तर पर आधा लेटा हुआ था और मेरी टाँगें बिस्तर से नीचे लटक रही थीं। मेरा लण्ड फुल तना हुआ छत की तरफ मुँह किए खड़ा था।

‘शर्त..!’ उन्होंने हैरतजदा सी आवाज़ में दोहराया और मेरी तरफ घूम गईं।
मैंने अपनी पोजीशन चेंज करने की कोशिश नहीं की और उसी तरह पड़ा रहा। फिर कुछ देर खामोश खड़ी.. वो मेरी आँखों में देखती रहीं और मैंने भी अपनी आँखें नहीं झुकाईं और उनकी आँखों में ही देखता रहा। शायद वो मेरी आँखों में देख कर.. कुछ अंदाज़ा लगाना चाह रही थीं।

कुछ लम्हें मज़ीद खामोशी से गुज़रे और फिर वो बोलीं- बको क्या शर्त है?

मैं बिस्तर से उठा और उनकी आँखों में देखते-देखते ही कहा- आपको मैंने पहली दफ़ा बगैर स्कार्फ और बगैर बड़ी सी चादर के देखा है.. मैं कसम खा कर कहता हूँ कि आप से ज्यादा हसीन और पुरकशिश लड़की मैंने कभी नहीं देखी। आपके बाल बहुत खूबसूरत हैं.. क्या आप अपने बालों को चेहरे के एक तरफ से गुजार कर सामने नहीं ला सकती हैं?

मैं ये बोल कर सांस लेने को रुका.. तो आपी बोलीं- ये शर्त है तुम्हारी?

‘नहीं.. ये शर्त नहीं इल्तिजा है..’ मैंने मासूम से लहजे में जवाब दिया।

आपी ने फ़ौरन ही अपना राईट हैण्ड पीछे किया और बालों को समेट कर सामने अपनी लेफ्ट साइड पर ले आईं।
आप यक़ीन करें.. आपी के बाल उनके घुटनों को छू रहे थे। मेरा मुँह ‘वाउ..’ के अंदाज़ में खुला का खुला रह गया।

आपी फिर बोलीं- सगीर अब बक भी दो जो शर्त है.. या उठ कर कुछ पहनो..

मैं अपनी हवस में वापस आया और मैंने अपने हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा और आहिस्तगी से सहलाते हुए उठ बैठा और आपी को कहा- मैं आपके दूध बगैर कपड़ों के नंगे देखना चाहता हूँ..

‘शटअप.. तुम होश में तो हो.. जो मुँह में आ रहा है बकवास करते चले जा रहे हो..!!’ वो मज़ीद कुछ कहना चाहती थीं.. लेकिन मैंने उनकी बात काट दी और लण्ड को हाथ में पकड़े खड़ा हुआ। आपी की नजरें मेरे लण्ड पर जैसे चिपक सी गई थीं।

मैं उनके चारों तरफ घूमते हुए अपने हाथ को लण्ड पर आगे-पीछे करते-करते कहने लगा- मेरी प्यारी सी आपी मेरी बहना जी.. मैंने वैरी फर्स्ट डे भी देखा था आपको.. इसी खिड़की से.. जब आप मूवी देख कर अपने दूध को सहला रही थीं और टाँगों के बीच में हाथ फेर रही थीं। मुझे इसका भी अंदाज़ा बहुत अच्छी तरह है कि आप 5 दिन तक सुबह से रात तक हमारे कमरे में क्या देखती और क्या करती रही हैं.. और मेरी सोहनी आपी जी.. आज भी मैं उस वक़्त खिड़की में आया था.. जब आप बाथरूम में थीं। मतलब ये कि आज भी मैंने देखा.. जब आप अपने दूध को दबोच-दबोच कर मसल रही थीं.. जब आप अपना अबया उठा रही थीं और जब आप अपनी खूबसूरत लंबी टांग को नंगा करके टेबल पर टिका रही थीं।’

वे सनाका खा कर मुझे हैरत से देख रही थीं।

‘और हाँ..’ मैंने हँसते-हँसते हुए कहा- जब आप अपने जज़्बात से तंग आकर अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को थप्पड़ों से नवाज रही थीं.. उस वक़्त भी मैं यहाँ ही था.. मेरी सोहनी बहन जी.. और अब आप लेडी मौलाना बनना छोड़ें.. और जो मैं कह रहा हूँ.. मेरी बात मान जाएं। मैं जानता हूँ कि आपको भी ये सब कुछ बहुत मज़ा देता है।

‘नहीं सगीर.. कभी नहीं.. मूवीज देखना या अपने हाथों से अपने आपको तसल्ली पहुँचाना एक अलग बात है और ये बिल्कुल अलहदा चीज़ है कि आप किसी और के साथ सेक्स करो और वो भी सगे भाई के साथ.. नो नो.. ये कभी नहीं हो सकता और अब तुम्हें खुदा का वास्ता है कुछ पहन लो.. मुझे इस तरह तो ज़लील मत करो..’
यह कहते ही आपी को शायद बहुत शदीद किसम की जिल्लत का अहसास या फिर एहसासे बेबसी ने घेर लिया.. या फिर सेक्स की शदीद तलब और कुछ ना कर सकने का अहसास था.. पता नहीं क्या था कि आपी ज़मीन पर बैठीं.. अपना सिर अपने घुटनों पर रख कर फूट-फूट कर रोने लगीं।
आपी को रोता देखते ही मेरा दिल पसीज गया। जो भी हो वो थीं तो मेरी सग़ी बहन और मैं उनसे शदीद मुहब्बत करता हूँ।
मैंने फ़ौरन अपनी अलमारी से अपना ट्राउज़र निकाला और पहन लिया, फिर भागते हुए ही मैंने आपी की बड़ी सी चादर उठाई और लाकर उनके जिस्म के गिर्द लपेटी.. हाथ बढ़ा कर क़रीब पड़ा उनका स्कार्फ उठा कर आपी के हाथ में पकड़ाया और उनके पाँव को पकड़ता हुआ भर्राई हुई आवाज़ में बोला- आपी.. प्लीज़ चुप हो जाओ.. मुझे माफ़ कर दो.. चुप हो जाओ.. नहीं तो मैं भी रो दूँगा।
और वाकयी मेरी कैफियत ऐसी ही थी कि चंद लम्हें और गुज़रते.. तो मैं भी रो देता।
मेरी आपी ने अपना सिर घुटनों से उठाया उनकी बड़ी-बड़ी आँखें आँसुओं में भीग कर मज़ीद रोशन हो गई थीं। उनके पलकों पर रुके आँसू देख कर मेरी आँखें भी टपक पड़ीं। आपी ने मेरी आँख में आँसू देखा तो तड़फ कर मेरे चेहरे को दोनों हाथों में थाम लिया और मेरे माथे को चूमते हुए भर्राई हुई आवाज़ में कहने लगीं, ‘नाअ.. मेरे भाई.. नहीं मेरे सोहने भाई.. कभी तेरी आँख में आँसू ना आएं.. मेरा सोहना भाई.. मेरा सोहना भाई..’
आपी ये बोलती जा रही थीं और मेरा माथा चूमती जा रही थीं।

TO BE CONTINUED ……..
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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Messages In This Thread
जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 09-02-2024, 02:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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