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Fantasy बूढ़े लोगों को सेवा।
#20
(23-11-2023, 10:12 PM)Basic Wrote: UPDATE 4

छुट्टियां खत्म हुई और काम का वक्त शुरू। अनामिका और मेवा ने एक साथ अच्छे वक्त बिताए। सुबह सुबह तैयार होकर मेवा को दूध पिलाकर ठीक 9 बजे अनामिका चली गई बैंक में काम करने। वैसे बैंक में अनामिका को 4 घंटे ही काम करना होता है बाकी के दिन वो फ्री रहती है। बैंक में सिर्फ बैठना और बाकी का काम दो औरतें कर लेती। यूं कहे तो अनामिका को अच्छी खासी salary में सिर्फ बैठने का काम करना है और हिसाब किताब की जांच ही करनी है।

वैसे आज का दिन बहुत जरूरी दिन था। आज अनामिका के जिंदगी में एक और शक्ष आएगा। जब अनामिका काम कर रही थी कि एक पत्र उसकी ऑफिस में आ पहुंचा। पत्र में लिखा था

"अनामिका मैं हूं बाबा। आज दोपहर काम पूरा होते ही जंगल से बाहर एक पुराने किल्ले में मुझे मिलो। याद रहे जल्दी पहुंचो।"

इस पत्र को पढ़कर अनामिका ने जरा सी भी देरी नहीं की और बैंक का काम खत्म होते ही अकेले निकल पड़ी जंगल के रास्ते एक किल्ले की तरफ। वो किल्ला करीब 150 साल पुराना है। कोई वहां सालो से नहीं आया। इतना वीरान की शायद ही कोई आए जाए। उस किल्ले में पिछले 45 सालो से कोई है आया। अनामिका की इस बात की परवाह नहीं थी। वो जानती थी कि बाबा के छत्र छाया में वो सुरक्षित रहेगी। किल्ला बहुत ही बड़ा था। यूं कहो तो 900 बीघा का बना किल्ला। उस किल्ले के अंदर तक अभी जाना था।

अनामिका किल्ले के छत में जा पहुंची। वहां एक बड़ा सा खंडर कमरा था। उस अंधेरे में वो चली गई। अंधेरे में बाबा अकेले खड़े थे।

"प्रणाम बाबा। कैसे है आप ?" अनामिका ने बाबा का पैर छुआ।"

बाबा मुस्कुराके बोले "जीती रहो। अनामिका तुमने सच में मेवा की बहुत सेवा की। बहुत जल्द तुम्हे इसका वरदान मिलेगा।"

"अब यही मेरी जिंदगी है बाबा। बताइए किसलिए बुलाया ?"

"मेरे साथ आओ अंदर। तुमसे अकेले में बात करनी है।" बाबा अनामिका को अंदर ले गया। अब इस किल्ले में बाबा ही रहता हैं। बाबा अनामिका को अपने कमरे ले गया। अनामिका ने देखा तो कमरा बहुत ही पुराना था। वहा वो खटिया पे बैठी।

बाबा अनामिका से कहा "अब वक्त आ गया है एक और बेसहारा की सेवा करने का। देखो अनामिका वो एक कुबड़ा है। बुड्ढा है। कई सालो पहले उसका एक छोटा सा परिवार था। लेकिन एक दंगे में उसने अपना पोता खो दिया। वो पोता उसके सगे भाई का था। उस कुबडे ने कभी भी मान सम्मान की जिंदगी नही जी। अब से वो तुम्हारी जिम्मेदारी।"

"बाबा मैं उसका खयाल रखूंगी। बताइए कहा है वो।"
"बुलाता हूं। लेकिन याद रहे। तुम्हे उसके साथ अब रहना होगा। उसका खयाल रखना होगा। बदले में वो तुम्हारा खयाल रखेगा। उसका कोई घर नहीं न कोई रिश्तेदार। अब तुम्हे उसे अपने घर रखना होगा।"


बाबा ने आवाज दिया। अनामिका अपने जगह से उठ खड़ी हुई। उसने देखा की एक काले रंग का कुबड़ा जिसका चेहरा थोड़ा थोड़ा सा जला हुआ था। करीब 15% चेहरा जला था। उमर 75 साल की और नाम मणि था। उसे देख अनामिका दंग रह गई। अनामिका को नहाने मणि के चेहरे में घबराहट दिख रही थीं। अनामिका को उसपर तरस आ गया। अब अनामिका को इसकी भी सेवा करनी है।

"जाओ अनामिका। अब हम अगले हफ्ते मिलेंगे इसी जगह पर। अगले हफ्ते मेरा यज्ञ शुरू हो रहा है। तुम पूजा खतम होने के बाद आओगी मुझसे प्रसाद लेने। "

"जी बाबा।" अनामिका बाबा के पैर छूकर मणि के साथ चल दी। पूरे रास्ते मणि कुछ न बोला बस सिर झुकाए आगे चला। अनामिका ने सोचा की अब उसके पश्चाताप के रास्ते में अनेक अच्छे काम होंगे। अब उसका लक्ष्य था अपने मन को शांति। सेवा करके उसके मन को शांति मिलती। मणि को लेकर अपने घर पहुंची। उसे घर में रखकर जल्दी से मेवा के घर गई और उसे दूध पिलाया। दूध पिलाकर कुछ देर उसके साथ रही और रात को वापिस आई।

घर आकर देखा को मणि बाहर बैठा था। अनामिका आकर बोली "आप अभी भी बाहर ही है ? घर के अंदर क्यों नहीं गए ?"

मणि कुछ न बोला बस चुप चाप सुन रहा था। अनामिका बोली "देखिए अब से आप यहां मेरे साथ रहेंगे। अगर साथ में रहना है तो एक दूसरे से बात चीत करनी पड़ेगी। ऐसे अजनबी को तरह पेश आयेंगे तो कैसे चलेगा ? चलिए अंदर। आपके लिए खाना बना देती हूं।

अनामिका अंदर रसोई में गई और खाना बनाने लागी। मणि शरम के मारे अंदर आया। अनामिका जिस तरह से मणि से बात कर रही थी ऐसे अच्छी तरह से किसी ने नहीं किया। मणि को लोगो ने धूतकर और गृणा की नजर से देखा। अनामिका बड़े इज्जत से पेश आ रही थी।

अनामिका खाना बनाकर मणि को खिलाया। मणि जैसे पहली बार खाना देखा हो वैसे खा रहा था। काफी दिनों बाद खाना मिला। वो जल्दी जल्दी खा लिया। अनामिका को जैसे तरस आ गया उस पर। मणि को खाना खिलाकर उसे कमरे में ले गई। वैसे अनामिका का तीन कमरे का घर था। घर करीब 70 साल पुराना था। घर के आगे एक बड़ा सा बगीचा था और पीछे जंगल। वैसे देखा जाए तो गांव जंगल के ईद गिर्द ही था।

मणि को उसके कमरे में सुलाकर अनामिका बगीचे में घूम रही थी। ठंडी का महीना और चारो तरफ कोहरा ही कोहरा था। अनामिका हल्के से ठंडी को महसूस कर रही थी। अनामिका घर की तरफ चली की पीछे से बगीचे का दरवाजा खुला। सामने देखा तो मेवा आया। अनामिका हंसने लगी। मेवा पास आते ही बोला "अनामिका में आ गाय ।"

"इधर क्यों आए हो ? मेरी याद आ रही थी क्या ?"

मेवा अनामिका से गले लगते हुए कहा "हां। चलो अब मुझे सोना है। चलो न।" मेवा हाथ पकड़े अंदर ले गया अनामिका के कमरे में।

अनामिका साड़ी उतारते हुए बोली "इतनी रात को आ गौर अकेले पागल बुड्ढे।"

"मेवा बिस्तर पे लेट गया और ऊपर का कपड़ा उतारकर रजाई में घुसा। अनामिका ने ऊपर के सारे कपड़े उतारकर रजाई में घुसी।

"मुझे दूध पीना है।" मेवा स्तन को जोर जोर से चूसने लगा।

"इतनी रात को आए अकेले। पागल हो तुम।"

मेवा दूध पीने लगा। रही बात अनामिका की तो पूरे दिन को थकान के बाद मेवा को अपने पास देख अच्छा लगा और वो सो गई। मेवा का दूध से पेट तो भरा लेकिन मन नही। इसीलिए वो अनामिका के पेट नाभि और स्तन के साथ खेलते खेलते सो गया।

अगले दिन सुबह ६ बजे मेवा उठा और कपड़ा पहनकर घर चला गया। अनामिका सुबह ७ बजे उठी। मेवा को बाजू में न पाकर वो समझ गई को मेवा अपने घर चला गया। फिर वो उठी और नहाने चली गई। करीब ८ बजे वो तैयार हुई। अभी भी बैंक जाने में २ घंटा बाकी था। जल्दी से नाश्ता बनाने रसोईघर चली गई। रसोईघर की खिड़की से देखा तो बगीचे की हालत बहुत खराब थी। एकदम उजड़ा और पेड़ तो बिलकुल भी नहीं। बातो बातो में सोचती कि अगर उसे पेड़ पौधे लगाना आता तो बगीचे को खूब अच्छे से सजाती।

अनामिका नाश्ता बनाकर गई मणि के कमरे। मणि उधर नही था। बाहर अनामिका देखी तो वो अकेला बैठा बगीचे के जमीन को घूर रहा था। अनामिका ने उसे नाश्ते के लिए बुलाया। दोनो ने साथ में नाश्ता किया। मणि की अगर बात करे तो उसके सामने अनामिका का गोरा बदन और sleveless साड़ी उसे मोहित नही कर पा रहा था। वोनीचेh चुपचाप नीचे नजर करके बैठा था।

"सुनो मणि मैं बैंक जा रही हू । आज शाम ४ बजे वापिस आऊंगी। तब तक अपना खयाल रखना।"

मणि हां में सिर हिलाया। अनामिका के जाने के बाद वो वापिस बगीचे में आया और बंजर बगीचे को कुछ देर तक देखता रहा। आखिर मणि से रहा नही गया। फोरन आस पास की जगह को देखने लगा। वहां उसे फावड़ा कुल्हाड़ी और पाइप मिला। तुरंत पाइप को नल से लगाया और पानी की बौछार बगीचा के चारो तरफ करने लगा। मणि बगीचे के काम में लग गया। वहीं बैंक में कुछ न काम होने की वजह से आज अनामिका 11 बजे ही बैंक से छुट्टी ले ली। अनामिका खुशी खुशी से मेवा के घर गई।
अनामिका को देख चंपा मुस्कुराई और बोली "आज आप जल्दी आ जाए।"

अनामिका चंपा का गाल खींचते हुए बोली "हां चंपा।" चंपा को रुपए देते हुए कहा "जा बाहर घूमकर आ।"

"वह अनामिका आज बड़ी खुश हो।"

"हां। कहां है मेरा मेवा ?"

"अंदर सो रहा है।"

"ठीक है तुम जाओ।"

हल्के से दबा पाव के सहारे अनामिका मेवा के कमरे गई। उसे suprise देने। अपनी साड़ी उतारी और सिर्फ पेटीकोट में थी। ऊपर से वो निर्वस्त्र थी। मेवा रजाई में सो रहा था। हल्के से रजाई तो ऊपर कर मेवा के बगल लेट गई। मेवा के गाल को हल्के से चूमते हुए उठाया। मेवा पीछे मुंडा तो अनामिका को पाया। खुशी से मेवा ने उसके स्तन को हाथ में लिया और गाल चूमते हुए बोला "मेरी अनामिका तुम यहां ?"

"हां मेरे राजा। आज जल्दी छुट्टी ले ली। तो बताओ मुझे देखकर कैसा लगा ?"

मेवा अनामिका के गले को चूमता हुआ बोला "बहुत खुश हूं मैं। मेरी अनामिका" फिर अनामिका के स्तन को हाथो से मसलने लगा।

"देख रही हूं को आज कल बड़े उतावले और बदमाश होते जा रहे हो।" अनामिका ने छेड़ते हुए कहा।
"चलो अब बदमाश ही सही लेकिन रजाई में तुम्हारे साथ चिपककर लेते रहने में मजा आ रहा है।"


"दूध पियोगे?"

"अभी नही। दूध पीने वैसे भी रात को आऊंगा। अभी कुछ और करना है।"

"क्या ?"

"आज तुम्हारे पेट और स्तन से खेलूंगा। बहुत खेलूंगा।"

"खेलो खेलो लेकिन हां मुझे शाम को वापिस जाना है।"

"हां चली जाना लेकिन रात को में आऊंगा फिर दूध पियूंगा।"

"हां हां पी लेना। रात को घर की चाबी बाहर चटाई पे रख दूंगी। चुपचाप मेरे कमरे में आ जाना।"

"लेकिन हां अभी की तरह पहले से रात को कपड़े उतारे रखना वरना उतारने में मेहना लगेगी।"

"क्या ?बदमाश बुड्ढे।" अनामिका शर्मा गई। मेवा अनामिका के स्तन को बहुत गहराई से चूम रहा था। थोड़ी थोड़ी देर में गले को चूमता तो नीचे सरककर नाभि को चूमता और चिकने पेट को चाटकर अनामिका को गुदगुदाता।

"मेवा तुम अपना खेल जारी रखो। मैं चली सोने।" अनामिका अंगड़ाई ली। इसमें उसका बगल (armpit) दिखाई दिया जो बहुत ही मुलायम और साफ था। उसे देख मेवा ने दोनो हाथ अनामिका के ऊपर किया और बगल को चाटने लगा। अनामिका को बहुत हंसी आई और सो गई। करीब 1 घंटे तक की भरके अनामिका के ऊपरी बदन से खेला। फिर स्तन पे मुंह लगाकर दूध पीने लगा।" दूध पीते पीते अनामिका के बदन पर लेटकर सो गया।
clps yourock thanks happy happy
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RE: बूढ़े लोगों को सेवा। - by abcturbine - 23-11-2023, 10:49 PM



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