Thread Rating:
  • 7 Vote(s) - 3.29 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Fantasy बूढ़े लोगों को सेवा।
#13
UPDATE 3

रात भर दोनो ने बड़ी अच्छी नींद ली। अनामिका और मेवा के बीच एक अच्छा और निस्वार्थ रिश्ता बन चुका था। मेवा की तबियत अच्छी होने लगी तो इस बात से चंपा खुश रहती।

सुबह को अनामिका की आंखे खुली तो देखा कि मेवा किसी बच्चे को तरह उसके शरीर से लिपटकर सो रहा था। अनामिका हल्के पाओ बिस्तर से उठी और खुद को ठीक किया। कुछ देर बाद चंपा आई और पूछा "अगर आपको सोना है तो मेरे कमरे में आ जाइए।पूरी रात नींद नहीं आई होगी आपको।"

"नही चंपा ऐसा बिलकुल भी नहीं। आज बहुत अच्छे से सोई। एक काम करो चंपा जल्दी से मेरे लिए दूसरी साड़ी लाओ मेरे नहाने का वक्त हो रहा है। और हां मैं मेवा को उठा देती हूं। आज हम दोनो नदी में नहाएंगे।"

"अगर आप कहें तो अंदर नहाने का इंतजाम करूं। बाहर ठंडी बहुत है।"

"ठीक है तो कमरे के अंदर आंगन में मैं नहा लूंगी। मैं और मेवा साथ में नहाएंगे।"

चंपा हल्के से मजाकिया अंदाज में बोली "पहले आपके आलसी मेवा उठे तो सही।"

"हां हां उठा दूंगी। आज मेरे साथ नहाने के नाम पर उठ जाएगा।"

अनामिका बिस्तर पर पड़े मेवा को उठाया। दोनो साथ में नहाने गए। अनामिका ने ब्लाउज पेटीकोट पहना हुआ था और मेवा सिर्फ चोटी चढ़ी में था। मेवा को नहलाने का काम शुरू हुआ। अनामिका गरम पानी से नहलाने लागी। अच्छे से नहलाने के बाद खुद भी नहाई। दोनो ठीक से तैयार हुए। फिर अनामिका ने नाश्ता किया और आज वैसे भी पूरा दिन खाली जानेवाला है। मेवा नहा धोकर अपने कमरे में लेता था। अनामिका का भी टाइम हो गया दूध पिलाने का।

"अनामिका भूख लगी है। जल्दी करो।" मेवा ने कहा।

"आ रही हूं। मेरे राजा को भूख लगी है।" अनामिका ने मेवा को गोदी में सुलाया और अपना ब्लाउज का हुक खोलकर ब्रा को नीचे करके दूध पिलाना शुरू किया।

कमरे का दरवाजा खुला था और चंपा दवाई देने आई। चंपा को इशारे में अनामिका ने बुलाया। चंपा आई और अनामिका ने उसे कान में कहा "आज मैं और मेवा जंगल वाली झोपड़ी में रहेंगे। वहां आज रात भी रहेंगे। हमारी रजाई वहां तक पहुंचाओ।"

मेवा दूध पीते हुए बोला "सुन चंपा मैं और अनामिका कल भी पूरे दिन रहेंगे।"

अनामिका हल्के से मुस्कुराई और इशारे में चंपा को जाने को कहा।

"क्या बात है बुड्ढे मेवा आजकल मेरे बिना रह नहीं पाते।"

"अगर तू नही होगी तो दूध कौन पिलाएगा। वहा दो दिन रहेंगे और मजे से छुट्टी बिताएंगे।"

"हम्म दो दिन मजा बहुत आएगा।"

अगले घंटे अनामिका और मेवा जंगल में गए। वहां मेवा का झोपड़ी था जो नदी से बिलकुल सटा हुआ था। पानी बहुत साफ और अच्छा था। अनामिका और मेवा दो दिन वहां रहेंगे और थोड़ा अकेले में वक्त बिताएंगे। दोपहर के एक बजे थे। अनामिका नदी के पास पड़े खटिया पर लेटकर कुछ पढ़ रही थी। मेवा को तो जैसे ठंडी में भी मजा आ रहा था। वो अनामिका की खूबसूरती को निहार रहा था। वो गया और अपने कपड़े उतारकर नदी में नहाने लगा।

"मेवा क्या कर रहे हो ? ठंडी के मौसम में नहा रहे हो ? सर्दी हो गई तो ?"

"कुछ नही होगा अनामिका। मुझे नहाने दो।" मेवा काफी देर तक नहाया और फिर वहां से मछली लेकर आया। अनामिका को मछली बहुत पसंद है। मछली देख अनामिका को भूख लगी और मछली बनाकर खाने लागी।

दोनो साथ में बैठकर थोड़ी बाते करने लगे। जंगल सुनसान और काफी घना था।

"अनामिका मछली कैसी बनी ?"

"बहुत अच्छी बनी। काफी दिनों बाद खाने को मजा आया।"

"तुम अगले हफ्ते आओ मुर्गी तैयार रहेगी।"

अनामिका मुस्कुराते हुए बोली "नही नही। ज्यादा खाऊंगी तो वजन बढ़ जाएगा।" यह कहकर वो अपने जगह से उठकर थोड़े देर घने चली गई।

जंगल के सुनसान रास्ते में वो ठंडी हवा ले रही थी। वो किसी का इंतजार कर रही थी। थोड़ी देर बाद देखा तो पेड़ के पास काले कपड़े में एक बुड्ढा आदमी था। वो बुड्ढा आदमी और कोई नही बल्कि बाबा ही था। अनामिका गई और बाबा के पैर छूई।

"जीती रहो।" बाबा ने आशीर्वाद देते हुए कहा।

"बताइए बाबा यहां क्यों आना हुआ ? कोई समाचार ?"

"हां अनामिका। अब वक्त आ गया है एक और बुड्ढे मरीज की सेवा करने का।"

अनामिका हाथ जोड़ते हुए आज्ञा का पालन करते हुए पूछी "वो कब मिलेगा ?"

"बहुत जल्द। वो एक कुबड़ा है। उसकी उमर 70 साल है। अपने समय स्कूल में साफ सफाई करता था। दिल्ली का ही था। लेकिन इसकी तरह कई लोगो के पेंशन को हजम कर गई सरकार। उन में से तुम्हारा पति भी हिस्सा खाता था। अब वक्त आ गया है उसकी सेवा करने का और तो और जरूरत पड़ी तो सेवा से भी अधिक उसके लिए करना पड़े तो करो।"

"जी बाबा। लेकिन वो रहता कहा है ?"

"इसी गांव मैं। जल्द ही अब तुम उससे मिलेगी। मौत उसके करीब है। अब उसे जिंदगी देने का काम तुम्हारा।"

फिर अचानक से बाबा गायब हो गया। अनामिका तैयार हो गई उस कुबड़े के लिए। अब जल्द से जल्द सारे पाप धोकर वो सुकून से रहना चाहती है। अनामिका वापिस झोपड़ी के पास पहुंची। दूर से मेवा को देखा तो चेहरे पे मुस्कान आई। अंदर झोपड़ी में घुसकर मेवा को अंदर बुलाया। मेवा को थोड़ी सी सर्दी हो रही थी। आखिर इतनी ठंडी में नदी में नहाया था। रात हो चुकी थी। झोपड़ी में अनामिका ने थोड़ी आग लगाई ताकि गर्मी बढ़े। दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। खटिया पे लेते अनामिका मेवा को देख रही थी। मेवा उस वक्त आग ले रहा था। अनामिका अपने साड़ी को उतारकर ब्लाउज पेटीकोट में आ गई। खुद को गरम रजाई में डालते हुए मेवा को बुलाते हुए कहा "मेवा आ जाओ। दूध पीने का टाइम हो गया।"

मेवा तुरंत लपककर रजाई में घुसा और मुस्कुराते हुए बोला "इसका ही तो इंतजार था।" फिर अचानक से खासने लगा।

"हम्मम कहा था ना। बाहर नहाने की जरूरत नहीं। हो गई न सर्दी।"

मेवा अनामिका के ब्लाउस का बटन खोलते हुए कहा "अब मुझे डाटा मत करो। जल्दी से मुझे मीठा दूध पीने दो।"

अनामिका मेवा को बाहों में भरते हुए दूध पिलाते हुए कहा "पागल में तुम्हारी तबियत का खयाल रख रही हूं। मेरा मेवा बीमार पड़ गया तो ?"

"जब तक तुम हो तब तक मैं बीमार नहीं पडूंगा।"

"वैसे भी तुम्हारी जिम्मेदारी जो मैने ली है।" अनामिका मेवा के शरीर को छूते हुए बोली "अच्छे से लेट जाओ। वरना ठंडी लगेगी।"

मेवा आगे बोला "सच कहूं अनामिका आज मुझे ठीक से नींद नहीं आएगी। तुम साड़ी के बिना सो जाओ ताकि तुम्हारे स्तन के साथ खेलकर थोड़ा नींद लूं और अगर भूख लगी तो दूध भी पी सकूं। आज सो जाओ ना बिना साड़ी के।" मेवा मिन्नत करने लगा।

"हां ठीक है बिना साड़ी के सो जाऊंगी। तुम्हे जो करना है करो। लेकिन हां आज रात रजाई से उतरना मत।"

"हम दोनो छोटे से बिस्तर पर है करवट बदलने से नींद तो खराब नही होगी ना तुम्हारी ?"

"मेरे राजा तुम्हे जैसे नींद आए वैसे करो। मुझे परेशानी नहीं होगी। मेरे एक राजा तुम ही तो हो।"

"पता है तुम्हारे दूध पीने से मेरा पेट भरता है और स्तन के साथ खेलने में बहुत मजा आता है।"

"अच्छा मेरे राजा। मुझे भी अच्छा लगता है। जैसे कोई बच्चा मेरे साथ खेल रहा हो।"

"लेकिन मैं बच्चा नहीं हूं।"

"अच्छा ? क्या हो तुम ?"

"तुम्हारा राजा। अब चलो मुझे दूध पीने दो।"

अनामिका बड़े प्यार से मेवा के सिर को हाथो से निहार रही थी। अपने गोरे गोरे बदन पर मेवा का कोयल जिस्म और बुड्ढा शरीर देख हंसने लगी। खुद से बातें करते हुए कहने लगी "इस पुण्य काम में कितना अच्छा लग रहा है। मेवा के साथ कोई रिश्ता न था मेरा लेकिन आज एक रिश्ता बन चुका है। देखो कैसे बच्चे की तरह दूध पीता है और मेरे स्तन के साथ खेलता है। जब मुझे मेवा प्यार से कहता है भूख लगी है दूध पिलाओ मुझे जैसे अच्छा लगता है। इसे दूध पिलाते पिलाते वक्त का पता ही नही चलता। मेवा है तो यह खूबसूरत लम्हा भी है। अब बस अगले आदमी की सेवा करने का वक्त आनेवाला है। कौन है यह कुबड़ा और बुड्ढा आदमी ? अब तो मेवा के साथ उस बुड्ढे के साथ भी वक्त बिताना है।"

रात अपने सन्नाटे के साथ और गहरा हुआ। लालटेन की रोशनी में झोपड़ी के अंदर सो रही अनामिका के बदन में साड़ी न था। वो पेटीकोट में ही थी। बगल में लेटा मेवा की आंखों में नींद नही। अनामिका के मासूम चेहरे को देख रजाई में घुसा और उसके मुलायल स्तन को चूमा। उस स्तन के साथ खेलता और अपनी उंगली से navel पे हाथ घूमता। भीनी भीनी खुशबू से महक रहे अनामिका के बदन को मेवा सूंघ रहा था। अनामिका की भी नींद थोड़ी सी बिगड़ी। हल्के से आंखे खोल मेवा की तरफ देखा तो मुस्कुरा दी। मेवा अनामिका के बदन से खेल रहा था।

"मेरे राजा क्या हुआ नींद नही आ रही ?" अनामिका ने मेवा को बाहों में भर लिया।

"नही बिलकुल भी नहीं। स्तन से खेल रहा हूं।"

"हम्म खेलो लेकिन हां जरा लालटेन बुझा दूं।"

"नही नही अनामिका बिलकुल नहीं।"

"क्यों ?"

"अगर बंद कर दिया तो आपका सुंदर सा चेहरा कैसे देखूंगा और आपके स्तन से कैसे खेलूंगा ? कैसे आपके मखमली सा बदन देखूंगा ? नही मुझे इसे देखना है। ये देखना है कि को औरत दिल से सुंदर है उसका बदन भी वैसा ही सुंदर है। अनामिका आज मुझे अच्छे से देखने दो।"

दोनो चुप चाप कुछ देर तक एक दूसरे को देखने लगे। अनामिका अंदर ही अंदर खुद से बात करते हुए बोली "मेवा के दिल में मेरे लिए कितनी अच्छी बातें है और एक मैं उसके लिए इतना नही कर सकती ? इस सेवा में मेरे लिए अलग सा अनुभव छुपा है।"

वहीं दूसरी तरफ मेवा मन ही मन खुद से कहने लगा "क्यों न देखूं इस खुबसूरत अप्सरा को। ये यहां मेरे लिए ही तो आई है। अब तो बस बाकी की सारी जिंदगी ऐसे ही इसके साथ बिताऊंगा।"

अनामिका ने दोनो हाथ मेवा के गर्दन पर फैलाए और खुद के ऊपर उसे लेटा दिया। मेवा का पूरा बदन अनामिका के ऊपर आ गया। अनामिका एक बड़ी सी मुस्कान के साथ बोली "देखो मेवा। तुम जो चाहो में वो करूंगी। लेकिन कभी भी मुझसे घबराना मत। तुम्हारे लिए हमेशा में हूं। मेरे लिए तुम किसी अनमोल इंसान से कम नहीं। तुम्हे हमेशा अपनी आंखो के सामने देखना चाहती हूं।"

मेवा हल्के से अनामिका के गाल को चूमते हुए कहा "जब तक मेवा है तब तक अनामिका।"

"तो फिर जरा मेरी दिल की धड़कन सुनो।"

मेवा अपने काम को अनामिका के सीने पे रखा और सुनने लगा।

"धड़कन के रही है कि तुम मेरे सबसे प्रिय इंसान हो। मेरे मेवा तुम्हारी सेवा ही मेरा धर्म है।" अनामिका ने कहा।


दोनो एक दूसरे की बाहों में सो गए।
[+] 5 users Like Basic's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: बूढ़े लोगों को सेवा। - by Basic - 22-11-2023, 04:20 PM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)