Poll: Kya ek auraat ko bahut saare maardon ke saat sex karana accha nahi hain?
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Sirf pati ke saat sex kare, sati savitri
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Aurat ko har type ke maard ka swad lena chahiye
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Kisi maard ko mana nahi kare
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Apne pasand ke saab mard ke sat sex kare
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bina umar, rishta, ajnabi ya kisi cheej ka lihaaj na karate saab ke saat sex kare
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Adultery मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३६ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part 2) !
पार्ट ३२: अजीब क्रेविंग्स / लालसा  !

हम हनीमून से वापस घर आये. सब लोग बहुत खुश थे. मेरा देवर आकाश जो की इंजीनियरिंग की फर्स्ट साल में था, मुज़से बहुत मजाक करता. क्या भाभी.. भैय्या ने तो हनीमून पर ही चौका मार दिया. गए थे २ लोग ओर तीन वापस आ गए. में शर्मा जाती. में रोज २-३ बार अनीश का लण्ड चूसकर उसका वीर्य पीती थी. मुझे शायद प्रेगनेंसी की क्रेविंग्स हो गयी थी.. ओर वीर्य का स्वाद पसंद आने लगा था..बिना उसके लण्ड का  पाणी चखे संतुष्टि नहीं मिलती. अनीश को तो अच्छा ही हो गया था..वोः बहुत खुश था ओर मेरी मज़बूरी का फ़ायदा लेकर बड़े नखरे कर के अपना लण्ड मेरे मुँह में देता. 

इसी ख़ुशी में पम्मी मौसी ओर धर्मेश अंकल ने उनके घर दावत राखी. धर्मेश अंकल के बारे में में पहले ही बता चुकी हूँ. धर्मेश अंकल बहुत आवारा ओर लफड़ेबाज़ किसम का आदमी है. धर्मेश दिखने में बहुत सुन्दर ओर खूबसूरत है. बॉलवुड स्टार धर्मेंद्र की तरह. उसी का वो फ़ायदा उठाता हैं. कॉलेज के दिन अपने कमरे में लड़किया बुलाता था. २-३ बार हॉस्टल में नंगी लड़कियों के साथ पकड़ा गया ओर निकाला गया. कोई भी सुन्दर औरत को आसानी से पटा लेता है. पम्मी  मौसी को भी वैसे ही पटा लिया था. रिश्ते ओर आस पड़ोस की काफी औरतों से सम्बन्ध  है. अपनी मीठी बातें,  प्यार, या ब्लैकमेल, या खूबसूरती से आसानी से हर औरत को फंसा लेता है. धर्मेश अंकल की पर्सनालिटी एकदम मस्त थी..एक गोरा, एकदम फिट, ५० -५५  की उम्र वाला आदमी था, नीली गहरी आंखें, एकदम कबीर बेदी जैसी, हट्टा-कट्टा पहलवान जैसे शरीर. सच में कुछ तो बात थी धर्मेश में. सबको आकर्षित कर लेते थे.

चुकि अब मेरा तीसरा महीना हो गया, मैंने लूज़ गाउन पेहेन लिया ताकि बार बार बाथरूम जाने में आसानी रहे. . मुझे बार बार पेशाब होती थी. मेरे पास एक नीले रंग का बहुत सुन्दर लेग कट गाउन था. वही पहना था. वजन बढ़ने के कारन वोः मुझे काफी टाइट हो रहा था ओर मेरे बुब्स ओर गांड उसमे एकदम निखर के आ रहे थे. पम्मी मौसी ने बहुत प्यार से स्वागत किया. हम सवेरे ही चले गए थे ताकि शाम तक उनके सात टाइम स्पेंट करे ओर वापस आये. धर्मेश अंकल मुझे आंखें फाडफाडकर  देख रहे  थे. उनकी वासना भरी नजर से मेरा बदन सीहर गया. सुबह जल्दी निकलने के फ़िराक में मुझे अनीश के लण्ड को चूसकर उसका वीर्य पिने  का समय नहीं मिला. धर्मेश अंकल मुझे प्यासी नजर से देखते. मेरी वीर्य पिने की क्रेविंग / लालसा बढ़ गयी. बड़ा अस्वस्थ लग रहे था. धर्मेश अंकल - क्या हुआ संध्या  ? सब ठीक है ना? तबियत ठीक है?  उन्होंने मेरी अस्वस्थता भांप ली थी शायद.

मैंने कहा - कुछ नहीं अंकल .. मुझे टॉयलेट जाना है.. उन्होंने मुझे टॉयलेट दिखाया  .. पम्मी मौसी ने कहा - संध्या ऐसी अस्वस्थ में बार बार पेशाब लगती है.. तुम कोई भी टॉयलेट यूज़ करो..उन्होंने उनकी बैडरूम की टॉयलेट भी मुझे दिखा दी. धर्मेश अंकल अनीश को गेस्ट रूम ले कर गए ओर वो दोनों बातें करने लगे. कुछ देर बाद मुझे फिर से पेशाब लगी, मेँ कॉमन टॉयलेट गयी , वो बंद था. फिर मे पम्मी मौसी के बैडरूम के टॉयलेट की तरफ चली गयी. मुझे बड़ी जोर से पेशाब लगी थी. में टॉयलेट के अंदर गयी ओर पैंटी निचे कर के गाउन ऊपर कर दिया ओर टॉयलेट सीट पर मुतने बैठ गयी. तभी टॉयलेट का दरवाजा खुला, शायद मैंने लॉक नहीं किया था, ओर धर्मेश अंकल अंदर आ गए. उनके पजामा का नाडा खुला था, अंडर वियर निचे थी ओर उनका मोटा गोरा  बड़ा लण्ड उनके हात में था. 
धर्मेश अंकल: ओह सॉरी संध्या मुझे नहीं पता था तुम अंदर हो. मै पेशाब करने अंदर आया था.
मैंने कहा : कोई बात नहीं धर्मेश अंकल..मैंने भी शायद दरवाजा लॉक नहीं किया था.
धर्मेश अंकल: सच में सॉरी संध्या .. 
उनका लण्ड अभी भी उनके हात में था. वो उसको अंदर पजामा में नहीं डाले थे . उनका लण्ड उनके हात में फूलकर लम्बा मोटा हो रहा था. वोः मेरी आँखों में देख रहे थे. में भी उनकी नजरों से मोहित होकर उन्हें देख रही थी. उनको मेरी साफ़ ओर बिना बालों वाली फूली चूत साफ़ दिख रही थी. उनकी नजर अब निचे मेरी चूत पर थी. 
मैंने कहा : तिस्क हैदाहरमेश अंकल.. गलती हो जाती है. 
धर्मेश अंकल: हाँ ओर इस बाथरूम के दरवाजे का लॉक भी ठीक नहीं है.
धर्मेश अंकल का पजामा पूरा निचे गिर गया था ओर उन्होंने धीरे से उनकी अंडरवियर निचे खिसका दी.
मैंने कहा: इसमें आपकी कोई गलती नहीं है. 
धर्मेश अंकल: वाह ! .. बहुत सुन्दर
मैंने पूछा : क्या  धर्मेश अंकल ?
धर्मेश अंकल: तुम्हारी चूत बहुत सुन्दर हैं संध्या
मेँ शर्मा गयी. मैंने गाउन ओर ऊपर उठा लिया.  इसके कारन अब में निचे से धर्मेश अंकल के सामने एकदम नंगी थी. धर्मेश अंकल ने अपना पजामा पूरा निचे गिरा दिया. अंडरवियर भी निकाल दी. वोह अब सिर्फ एक टाइट टी शर्ट में थे. इस उम्र में भी उनका लण्ड बहुत सुन्दर था. शायद इतना सुन्दर लण्ड मैंने कभी नहीं देखा. पूरा १० इंच का  , काला लण्ड, लाल टोपा ओर फुला हुआ. में उनके रूप से मोहित हो गयी.
मैंने शर्मा कर कहा : कुछ भी धर्मेश अंकल..आप बड़े शरारती हो.
धर्मेश अंकल: में  झूठ नहीं बोलता..तेरी कसम संध्या..इतनी सुन्दर बुर मैंने आज तक नहीं देखी.
मैंने भी शरारती अंदाज में पूछा: अच्छा ! ऐसी कितनी बुर देखी होंगी आपने आजतक.. 
धर्मेश अंकल: सच में..पिछले ३० सालों में कम से काम  ढाई हजार बुर तो देखी है..पर तेरी जैसे सुन्दर चूत कभी नहीं देखी..कितनी मास्ट चिकनी, साफ़, फूली हुई, टमाटर की तरह लाल - गुलाबी..वाह यह जन्नत है..
में शर्मा गयी.. मेरी चूत गीली हो गयी..ओर मे्रे पाणी से चमकने लगी.. मैंने कहा  = चलो झूठे.. 
धर्मेश अंकल: आह ! संध्या..तेरी चूत तो पाणी बहा रही..चमक रही है..
उन्होंने अपना हात आगे कर के मेरी  चूत पर रख दिया ओर प्यार से सहलाने लगे. मुझे भी अभी वीर्य के स्वाद की क्रेविंग्स हो रही थी. में सिर्फ उनकी वासना भरी आँखों में टक लगा कर देख रही थी. इसी बीच उन्होंने आगे बढ़कर अपने लण्ड का मोटा गोल सूपड़ा मेरे ओंठों पर लगा दिया. मुझे उनके लण्ड की खुसबू से क्रेविंग्स बढ़ गयी. मैंने उनका सूपड़ा मुँह मेँ लिया ओर लॉलीपॉप की तरह प्यार से जोर जोर से चूसने लगी. उनका मोटा लण्ड काले नाग जैसे फुफकार रहा था.

में बस उनको  देखकर अपने दोनों हातों से उनका लण्ड पकड़कर चूस रही थी. वो  मेरी चूत सहला रहे थे.  
धर्मेश अंकल: आह.. संध्या इतनी सुन्दर चूत मैंने मेरी लाइफ मेँ कभी नहीं देखि. मुझे इसकी ठुकाई करनी है.
मैंने कहा: प्लीज धर्मेश अंकल अभी नहीं..में प्रेग्नेंट हूँ... मुझे जाने दो 
धर्मेश अंकल...फिर मुझे बस थोड़ी देर तेरी चूत चाटने दो..
में  मान  गयी..मैंने मेरे पैर फैला दिए.. धर्मेश अंकल अपना लण्ड हिलाते हुए निचे बैठे ओर मेरी चूत चाटने लगे. उनकी जीभ इतनी मोटी, लम्बी ओर खुरदुरी थी..मुझे लग रहे था जैसे कोई लण्ड हो. उन्होंने मेरा दाणा चूस लिया ओर अपने दातों से धीरे से काटा. मैंने उनका सर अपनी चूत पर जोर से दबा दिया..ओर आह..उम्..करके  मेरा पाणी निकाल गया. वो बड़े प्यार से मेरी चूत का पाणी चाटने लगे..ओर फिर से मेरी चूत का दाणा चूसने लगे. में फिर से गरम हो गयी.
धर्मेश अंकल मेरी आँखों में आंखें डाल कर मनाने लगे : प्लीज संध्या..सिर्फ थोड़ा सा ऊपर ऊपर से चोदूूँगा  तेरी चूत. मना मत कर
मैंने कहा .. नहीं अंकल .कोई आ जायेगा..बड़ी बेज्जती होगी..प्लीज जाने दो..
वोह उठकर खड़े हो गये ओर बोले: . ठीक है..सिर्फ एकबार मे्रे लण्ड को किश कर दो..फिर चली जाना..
मैंने उनका लण्ड अपनी दोनों हातों में पकड़ लिया..ओर उनके लण्ड के टोपे पर जीभ फिर दी. वैसे ही उनके लण्ड की महक मे्रे नाक को महसूस हुई. उनके लण्ड को चाटकर उसका स्वाद  मुझे किसी अमृत की तरह लगा. में खुद को रोक नहीं पायी. धीरे धीरे मैंने उनके लण्ड का पूरा टोपा अपने  मुँह में ठूस लिया. उन्होंने झट से उनका लण्ड मे्रे मुँह से निकाला ओर कहा - ठीक है..थैंक यू संध्या..तू अब जा सकती हो.
मैंने हैरानी से देखने लगी. उनको मेरी कमजोरी पता चल गयी थी. मेरी वीर्य के स्वाद ओर महक की लालसा बढ़ रही थी. में अपनी जगह बैठे रही ओर भुकी नजरों से उनके लण्ड को देखती रही. मुज़से रहा नहीं गया..में उनके लण्ड पर झपट गयी ओर फिर से अपने मुँह  में ले लिया..
वैसे अंकल ने  फिर से उनका लण्ड मे्रे मुँह से बहार निकाल दिया ओर बड़े  प्यार से मे्रे गालों पर हात फेर के बोले..प्लीज संध्या सिर्फ एक बार..चोदने दो.  बस ऊपर - ऊपर ही छोडूंगा.. सिर्फ  एक - दो इंच लण्ड अंदर डालूंगा ओर तेरी चूत के पाणी में भिगोकर बहार निकाल लूंगा. मे्रे  पर  यकीन करो. मैंने शर्मा के चेहरा निचे कर दिया.

उन्होंमे मे्रे पैर ऊपर उठाये ओर अपने मोटे लण्ड का टोपा मेरी चूत की द्वार पर रख दिया. में मना नहीं कर पायी. मेरी चूत ऐसी ही गिल्ली थी. बड़े प्यार से धिरे से उन्होंमे ३ इंच लण्ड का लाल टोपा मेरी चूत में अंदर डाल दिया. उनके लण्ड का टॉप इतना गोल-मोटा था .. जैसे कोई बड़ी मुसल. मेरी चूत को अंदर से रगड़ रगड़ कर ठुकाई कर रहे थे. इसी बीच में जोर से आँहे लेने लगी..ओर उनके लण्ड पर झड़ने लगी..उम्..आह..धर्मेश अंकल..मर जाउंगी/.. आपकी मुसल ..
धर्मेश अंकल; आह संध्या ..तेरी चूत कितनी कसी हुई है..लगता है अनीश का लण्ड बहुत छोटा है.. मेरा लण्ड कैसे लगा रानी ? खुश हो ना?
मैंने कहा : उम् .. आपका  लण्ड बहुत बड़ा है धर्मेश अंकल.. बहुत अच्छा लग रहा है..पर अब इसे निकाल दो..में प्रेगनेंसी में रिस्क नहीं लेना चाहती 
धर्मेश अंकल : में समाज सकता हूँ संध्या.. जब तुम्हारा बच्चा हो जायेगा उसके बाद फुर्सत से तेरी रात भर चुदाई करूँगा.. पर अब तू मेरा लण्ड चूस के पाणी निकाल दे.
में वही चाहती थी. मुझे वीर्य के स्वाद का क्रेविंग्स / चस्का लगा था. धर्मेश अंकल ने धीरे से उनका लण्ड मेरी चूत से बहार निकला ओर मे्रे ओंठों पर रख दिया.

मैंने भी उस सुन्दर विशाल  लण्ड को पूरी इज्जत दी. दोनों हातों  से प्यार से पकड़ कर उनका गुलाबी सूपड़ा चूसने लगी. एक हात से मैंने उनकी बड़ी बड़ी सांड जैसे गोटिया पकड़ ली ओर सहलाने लगी. धर्मेश अंकल खुश हुए. वोः लम्बे लम्बे स्ट्रोक से मे्रे मुँह को चोदने लगे. मैंने मेरी गर्दन ऊपर की ओर उनका पूरा लण्ड मे्रे गले तक अंदर ले लिया. 
धर्मेश अंकल ; आह रानी..तू तो बड़ी एक्सपर्ट है लण्ड चूसने मेँ. अनीश बड़ा लकी है..
धर्मेश अंकल  मे्रे मुँह को जोर जोर से चोदने लगे..मैंने भी उनकी गोटियां सहलाई..ओर २-३ बार उनका पूरा १० इंच का लोडा गले के अंदर तक ले लिया..वो हाफने लगे ओर..ुम.. ाः.. आह.. करके मे्रे मुँह में झड़ने लगे. 
मैंने उनका लण्ड गले से बहार  निकाला ओर उनका पूरा पाणी अपने जीभ पर लिया ताकि उसका स्वाद ले सकू.  वाह ! .. क्या बात थी. उन्होंने १५-२० फवारे में इतना सारा वीर्य मे्रे मुँह में ठूस दिया. ओर क्या स्वाद था.. मीठा शहद.. इतना स्वादिष्ट वीर्य मैंने कभी नहीं चखा था. में उनके वीर्य के खुशबू ओर स्वाद  की दिवानी हो गयी. तभी बहार हमें कुछ आवाज आयी. 
धर्मेश अंकल: जल्दी जावो संध्या..शायद तुम्हे तेरी सास ढूंढ रही. 
में जल्दी से साफ़ सुथरी होकर बहार आ गयी.ओर सोफे पर बैठ गयी. वीर्य चखने की मेरी लालसा तृप्त हो गयी थी. कुछ देर बाद धर्मेश अंकल आये ओर सामने वाले सोफे पर बैठ गए. उनके चहरे पर ख़ुशी थी, मीठी मुस्कान थी ओर आँखों में शरारत थी. वोह बार बार मुझे उनकी नज़रों से घायल करते, उनकी नजर मुझे नंगा महसूस कराती. 

शाम को हम वापस घर आये. धर्मेश ने मुझे पागल कर दिया था, मेरी वीर्य चखने की लालसा फिर से बढ़ गयी थी. बैडरूम जाकर मैंने झट से अनीश की पैंट निचे कर दी , उसको नंगा कर के उसके लण्ड को  पागलों की तरह चूसने लगी. अनीश जोर जोर से हसने लगा..अरे में भूल गया तुम्हारी गर्भावस्था की लालसा..इतने देर तक बिना वीर्य चखे कैसे दिन गुजरा ? 
मैंने अनीश का पूरा लण्ड गले तक ले लिया ओर जोर जोर से चूसने लगी..मैंने आंखें बंद कर ली. मेरी आँखों के सामने धर्मेश अंकल का खूबसूरत लण्ड ओर उनके वीर्य  की महक ताजा हो गयी. बहुत जल्दी अनीश  झड़ गया..ओर मैंने उसका सारा वीर्य पी लिया. .अनीश हैरानी से मुझे देख रहा था.. संध्या तुम्हारी क्रेविंग्स / लालसा हर दिन बढ़ते जा रही है. मैंने कहा - हाँ .. क्या करू जान..तुमने ही आदत  लगा दी.. ओर हम दोनों हंसने लगे ओर फिर एक दूसरे की बाँहों में नंगे सो गए. 

सुबह जब आँख खुली तो मुझे वीर्य की महक आ रही थी ओर मुँह में स्वाद आने लगा था. मे्रे हातों में अनीश का लण्ड फनफना रहा था. वोह अभी भी सोया था. मेरी वीर्य के स्वाद की लालसा जाग गयी थी..ओर मैंने उठकर अनीश का लण्ड को फिर से मुँह में ले लिया ओर चूसने लगी. अनीश भी धक्के मार के मेरा मुँह चोदने लगा. कुछ देर बार वोह झड़ गया ओर में जीभ से चाट चाटकर उसके वीर्य का स्वाद लेने लगी. पर वो  स्वाद ओर खुशबू ना था. अब मेरी लालसा किसी ओर स्वाद ओर खुशबू की थी..धर्मेश अंकल के वीर्य की..उफ़. अब कैसे होगा?

अनीश  मुझे निहार रहा था.. क्या हुआ रानी? तुम्हारी लालसा आज तृप्त नहीं हुई? तुम अभी भी अस्वस्थ हो? 
मैंने कहा .. नहीं ऐसी नहीं है...ओर कुछ बहाना बना के बाथरूम चली गयी. में सोचने लगी.. मेरी लालसा बढ़ रही थी..पर वोह अब धर्मेश अंकल के लण्ड की खुशबू ओर उनके वीर्य के स्वाद के लिए थी. मै बैचैन हो उठी. क्या करे ? कैसे करे? मुझे कोई रास्ता दिख नहीं रहा था. 

में पूरी सुबह सोच रही थी की क्या किया जाये..तभी मे्रे सास ससुर ने हमें निचे बुलाया.  उन्होंने बताया की उन्हें आज ही ुरगेंटली अनीश की बुवा की देखभाल के लिए भोपाल जाना पड़ेगा. उन्हें दिल का दौरा आ गया ओर पता नहीं कितने दिन लग जाये. सो उन्होंने पम्मी मौसी से बात कर ली है. जब तक मे्रे सास ससुर वापस  नहीं आते तब तक पम्मी मौसी ओर धर्मेश अंकल कुछ दिन हमारे घर रहेंगे ओर मेरी देखभाल करेंगे. मुझे आश्चर्य हुआ. भगवन ने मेरी सुन ली.. दिल से अंदर ही अंदर में बहुत खुश हो गयी. दोपहर को मे्रे सास ससुर  फ्लाइट से भोपाल चले गये. अनीश उन्हें एयरपोर्ट छोडने गये ओर वहां से ऑफिस चले गये. तभी मुझे दरवाजे की रिंग सुनाई दी..शायद पम्मी मौसी ओर धर्मेश अंकल आ गये थे..में दौड़ी दौड़ी गयी..ख़ुशी से..उनके स्वागत के लिए.
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RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 09:06 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by imles4le - 30-03-2023, 07:52 AM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by hirarandi - 30-09-2022, 09:50 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 11:17 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 01-10-2022, 02:04 AM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 11:12 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by imles4le - 08-12-2022, 03:58 PM
मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३२: अजीब क्रेविंग्स / लालसा ! - by luvnaked12 - 23-05-2023, 11:01 PM



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