02-06-2019, 07:26 PM
आधी रात
" और मैं मिल गयी तुम्हे ,... "
हंस के मैं बोली और अब हम दोनों लेटे , हँसते खिलखिलाते ,... सामने घडी रानी डेढ़ बजा रही थीं ,
लेकिन मैं समझ गयी थी ये रातें सोने के लिए नहीं होतीं।
और मुझसे ज्यादा ये बात इनके मूसलचंद को मालूम थी ,
एक बार फिर वो तनतना गया था , मोटा कड़ा अच्छी तरह जागा और मेरी गुलाबी सहेली को छेड़ता तंग करता ,
मैं समझ गयी थी दो दिन में ही ,
ये जितने ज्यादा शर्मीले , सीधे हैं वो , इनका मोटा मूसल , उतना ही दुष्ट ,...
उनके हाथ भी उसी तरह
अब कस के कुचल मसल रहे थे ,मैं सिसक रही थी ,
खुद अपनी दोनों जाँघे मैंने खोल दी और पीठ के बल पर इनका शर्माना ,...
वो बार बार मुझे चुम रहे थे मैं समझ रही थी वो क्या कहना चाहते हैं , पर कहना जरूरी था क्या ,...
मैं कौन मना करने वाली थी ,...
और मैं मना करती भी तो मानना जरुरी था क्या ,
तब भी जैसे फर्स्ट डेट पर कोई बड़ी हिम्मत कर के किस के लिए पूछे , बस उसी तरह हलके से उन्होंने पूछा ,
" हे बहुत मन कर रहा है , मेरा बस एक बार ,... "
मैं क्या बोलती ,....
लेकिन बिना बोले मैं जानती थी ये लड़का जो कुछ जरुरत से ज्यादा ही केयरिंग है ,...
कुछ नहीं करने वाला ,...
मैंने बिना बोले उन्हें अपने ऊपर खींच लिया , .. मेरी जाँघे पहले से ही फैली , खुली ,...
और वैसलीन की शीशी इनकी ओर खुद मैंने बढ़ा दी ,..
अबकी मेरे पैर इनके कंधे पर नहीं चढ़े , लेकिन बिस्तर पर जितने तकिये कुशन थे सब मेरे नितम्बो के नीचे ,...
और पहला धक्का ही इन्होने इतनी जोर से मारा , मेरी जोर की चीख निकल गयी , एक चौथाई मूसल अंदर था , ...
पर मैंने अपनी आँखे अबकी नहीं बंद की , प्यार से इन्हे देखती रही , मुस्कराती रही , इन्हे उकसाती रही ,
दूसरा धक्का ,
तीसरा धक्का
चौथा धक्का ,
और जब घड़ी रानी दो बजा रही थी ,
हम दो से एक हो गए थे , एकदम गुत्थमगुत्था , ...
कभी खूब तेजी से तो कभी आराम आराम से ,
न जल्दी इन्हे थी न मुझे ,.. और अबकी मैं उनका पूरा साथ दे रही थी , ...
चूमने में ,कस के भींचने में और कभी कभी साथ साथ धक्के लगाने में ,...
इनकी सलहज ने मुझे बताया था और इनकी सास ने भी ताकीद की थी ,
पहली चुदाई मर्द की और दूसरी दोनों की , तीसरी औरत की।
हम दोनों साथ साथ ,... और ये देर तक ,
और उसके बाद भी न ये मेरे अंदर से निकलना चाहते थे , न मैं इन्हे निकलने दे रही थी ,
हाँ बगल प्लेट में जोड़ा पान ,... अबकी मैने उन्हें ललचाया दिखाया लेकिन दोनों जोड़ा मैं खुद गप्प कर गयी , ...
और इनकी बातें सुनती रही ,...
बातें क्या ,...
इनके पास तो बस एक ही टॉपिक था, मैं,... मेरे बारे में बस ,...
और बहुत हुआ तो मेरी भाभी और बहने , इनकी सालियाँ , इनकी सलहज , ...
एकदम म्युचुअल फैन क्लब था ,... मेरी दोनों बहने भी बहाना बना के मुझे इन्ही के बारे में ,
पक्की चमची थीं दोनों अपने जीजू की ,...
आधे घंटे बाद इनका मुंह बंद करने का बस एक ही तरीका था कस के चूमना , ...
और मैंने भी , कस के न सिर्फ चूमा ,..
बल्कि मेरे होंठों से न सिर्फ इनके होंठ बंद थे बल्कि मेरी जीभ भी इनके मुंह में ,...
और कुचा कुचलाया , आधे घंटे से मेरे मुंह में रचा बसा , सुहागरात वाला स्पेशल पान , ...
मेरे मुंह से इनके मुंह में , मेरे मुख रस के साथ ,...
सुबह जब मुर्गा बांग दे रहा था तो इनका मुर्गा भी कुकुडू कूं ,
और एक बार फिर ये मेरे अंदर थे , मेरी टाँगे इनके कंधे पर ,
और अबकी जान बूझ कर महावर लगे पैर इनके माथे पर मैं रगड़ रही थी ,
इनकी भौजाइयां जब इन्हे चिढ़ाती थीं तो मुझे बहुत मजा आता था।
और जब ये चाय बनाने गए मैं नहाने तो सात बज रहे थे ,
पर आज कल की तरह गारंटी नहीं थी की मेरी ननदें नौ बजे के बाद आएँगी। इसलिए सुबह सुबह ,...
तीन बार ,...
और आज मैंने मेक अप करते समय रात के निशानों पर ज्यादा नो मार्क नहीं लगाएं,
यही तो मेरी यही तो मेरी ननदें चाहती थी ,
देखना
मुझे छेड़ने , चिढ़ाने के लिए तो उन बेचारियों को भी थोड़ा मौका मिल जाएगा ,...
चाय सच में अच्छी बनाते थे , एकदम मेरी टेस्ट की , परफेक्ट ,... कड़क , जो आँख खोल दे , ...
और चाय के बाद जब वो तैयार होने गए
तो बस थोड़ी देर में जैसे घडी देख कर ठीक पौने आठ बजे उनकी सलहज का फोन आ गया ,..
गनीमत थी की वो नहीं थे ,
कल उन्ही के चक्कर में चौथी बार सुबह सुबह कुटाई हो गयी थी , ... दिन दहाड़े अपने नन्दोई को चढ़ा कर ,
मेरे ऊपर चढ़ा दिया था ,
रीतू भाभी , वो अपना कल का सवाल दुहराती , मुझे डांट पड़ती उसके पहले ही मैंने जवाब दे दिया ,
" तीन बार आपके ननदोई ने ,... "
और मुझे कस के डाँट पड़ गयी , ...
" और मैं मिल गयी तुम्हे ,... "
हंस के मैं बोली और अब हम दोनों लेटे , हँसते खिलखिलाते ,... सामने घडी रानी डेढ़ बजा रही थीं ,
लेकिन मैं समझ गयी थी ये रातें सोने के लिए नहीं होतीं।
और मुझसे ज्यादा ये बात इनके मूसलचंद को मालूम थी ,
एक बार फिर वो तनतना गया था , मोटा कड़ा अच्छी तरह जागा और मेरी गुलाबी सहेली को छेड़ता तंग करता ,
मैं समझ गयी थी दो दिन में ही ,
ये जितने ज्यादा शर्मीले , सीधे हैं वो , इनका मोटा मूसल , उतना ही दुष्ट ,...
उनके हाथ भी उसी तरह
अब कस के कुचल मसल रहे थे ,मैं सिसक रही थी ,
खुद अपनी दोनों जाँघे मैंने खोल दी और पीठ के बल पर इनका शर्माना ,...
वो बार बार मुझे चुम रहे थे मैं समझ रही थी वो क्या कहना चाहते हैं , पर कहना जरूरी था क्या ,...
मैं कौन मना करने वाली थी ,...
और मैं मना करती भी तो मानना जरुरी था क्या ,
तब भी जैसे फर्स्ट डेट पर कोई बड़ी हिम्मत कर के किस के लिए पूछे , बस उसी तरह हलके से उन्होंने पूछा ,
" हे बहुत मन कर रहा है , मेरा बस एक बार ,... "
मैं क्या बोलती ,....
लेकिन बिना बोले मैं जानती थी ये लड़का जो कुछ जरुरत से ज्यादा ही केयरिंग है ,...
कुछ नहीं करने वाला ,...
मैंने बिना बोले उन्हें अपने ऊपर खींच लिया , .. मेरी जाँघे पहले से ही फैली , खुली ,...
और वैसलीन की शीशी इनकी ओर खुद मैंने बढ़ा दी ,..
अबकी मेरे पैर इनके कंधे पर नहीं चढ़े , लेकिन बिस्तर पर जितने तकिये कुशन थे सब मेरे नितम्बो के नीचे ,...
और पहला धक्का ही इन्होने इतनी जोर से मारा , मेरी जोर की चीख निकल गयी , एक चौथाई मूसल अंदर था , ...
पर मैंने अपनी आँखे अबकी नहीं बंद की , प्यार से इन्हे देखती रही , मुस्कराती रही , इन्हे उकसाती रही ,
दूसरा धक्का ,
तीसरा धक्का
चौथा धक्का ,
और जब घड़ी रानी दो बजा रही थी ,
हम दो से एक हो गए थे , एकदम गुत्थमगुत्था , ...
कभी खूब तेजी से तो कभी आराम आराम से ,
न जल्दी इन्हे थी न मुझे ,.. और अबकी मैं उनका पूरा साथ दे रही थी , ...
चूमने में ,कस के भींचने में और कभी कभी साथ साथ धक्के लगाने में ,...
इनकी सलहज ने मुझे बताया था और इनकी सास ने भी ताकीद की थी ,
पहली चुदाई मर्द की और दूसरी दोनों की , तीसरी औरत की।
हम दोनों साथ साथ ,... और ये देर तक ,
और उसके बाद भी न ये मेरे अंदर से निकलना चाहते थे , न मैं इन्हे निकलने दे रही थी ,
हाँ बगल प्लेट में जोड़ा पान ,... अबकी मैने उन्हें ललचाया दिखाया लेकिन दोनों जोड़ा मैं खुद गप्प कर गयी , ...
और इनकी बातें सुनती रही ,...
बातें क्या ,...
इनके पास तो बस एक ही टॉपिक था, मैं,... मेरे बारे में बस ,...
और बहुत हुआ तो मेरी भाभी और बहने , इनकी सालियाँ , इनकी सलहज , ...
एकदम म्युचुअल फैन क्लब था ,... मेरी दोनों बहने भी बहाना बना के मुझे इन्ही के बारे में ,
पक्की चमची थीं दोनों अपने जीजू की ,...
आधे घंटे बाद इनका मुंह बंद करने का बस एक ही तरीका था कस के चूमना , ...
और मैंने भी , कस के न सिर्फ चूमा ,..
बल्कि मेरे होंठों से न सिर्फ इनके होंठ बंद थे बल्कि मेरी जीभ भी इनके मुंह में ,...
और कुचा कुचलाया , आधे घंटे से मेरे मुंह में रचा बसा , सुहागरात वाला स्पेशल पान , ...
मेरे मुंह से इनके मुंह में , मेरे मुख रस के साथ ,...
सुबह जब मुर्गा बांग दे रहा था तो इनका मुर्गा भी कुकुडू कूं ,
और एक बार फिर ये मेरे अंदर थे , मेरी टाँगे इनके कंधे पर ,
और अबकी जान बूझ कर महावर लगे पैर इनके माथे पर मैं रगड़ रही थी ,
इनकी भौजाइयां जब इन्हे चिढ़ाती थीं तो मुझे बहुत मजा आता था।
और जब ये चाय बनाने गए मैं नहाने तो सात बज रहे थे ,
पर आज कल की तरह गारंटी नहीं थी की मेरी ननदें नौ बजे के बाद आएँगी। इसलिए सुबह सुबह ,...
तीन बार ,...
और आज मैंने मेक अप करते समय रात के निशानों पर ज्यादा नो मार्क नहीं लगाएं,
यही तो मेरी यही तो मेरी ननदें चाहती थी ,
देखना
मुझे छेड़ने , चिढ़ाने के लिए तो उन बेचारियों को भी थोड़ा मौका मिल जाएगा ,...
चाय सच में अच्छी बनाते थे , एकदम मेरी टेस्ट की , परफेक्ट ,... कड़क , जो आँख खोल दे , ...
और चाय के बाद जब वो तैयार होने गए
तो बस थोड़ी देर में जैसे घडी देख कर ठीक पौने आठ बजे उनकी सलहज का फोन आ गया ,..
गनीमत थी की वो नहीं थे ,
कल उन्ही के चक्कर में चौथी बार सुबह सुबह कुटाई हो गयी थी , ... दिन दहाड़े अपने नन्दोई को चढ़ा कर ,
मेरे ऊपर चढ़ा दिया था ,
रीतू भाभी , वो अपना कल का सवाल दुहराती , मुझे डांट पड़ती उसके पहले ही मैंने जवाब दे दिया ,
" तीन बार आपके ननदोई ने ,... "
और मुझे कस के डाँट पड़ गयी , ...