04-11-2022, 01:22 PM
करीब करीब १५०० लोगो ने कहानी को देखा. लगता हे लोगो को यह कहानी पढ़नी में दिलचसपि है तो चलो शरू करते हे साक्षी याने की मेरी कहानी
साक्षी : जो तेरी इच्छा वो ही मेरी इच्छा.
सबसे पहले में इस कहानी में आने वाले प्रमुख पात्रों के बारे में बता देती हु.
साक्षी (सम्पत) सिन्हा : यानि में उम्र २४ वर्ष रंग गोरा ३६-२४-३६ पोने ६ फुट की हाइट. फिगर ऐसा की.... जाने दो. पानी छूट जायेगा.
यस सिन्हा : २५ वर्ष मेरे पतिदेव, ६ फुट, ९० किलो वजन, छरहरा बदन, मानो ग्रीक माइथोलॉजी का कोई देवता धरती पर घूम रहा हो. मेरे बचपन का दोस्त. मेरी हर बात मैंने वाला, मेरे कहने पर मरने मरने को तैयार मेरा सच्चा हमसफ़र.
रंजना : २५ वर्ष, यस की जुड़वाँ बहन, ४ वर्ष से शादी सुदा मेरी बचपन की पक्की शहेली. घरमे किसीको भी पता न हो एसी बाते मुज़से शेर करने वाली।
विवेक : रंजना का पति. (उनका उल्लेख कहानी में बाद में आएगा.)
सुकेतु सम्पत : ५२ वर्ष मेरे पिताजी, उनका रो मटेरियल सप्लाई का कारोबार है. काफी धनवान है और वो सिन्हा साहब को रो मटेरियल सप्लाई करते हे. दोनों वर्षों से दोस्त हे.
सरला सम्पत : ५० वर्ष, है तो मेरी माँ, लेकिन अपने शरीर को योग और वर्क आउट से संभाला हे की मेरी बड़ी बहन दिखती है. हाउस वाइफ है. सजने धजने की शौकीन (उनके शोख का उल्लेख कहानी मे आगे आएगा.)
संग्राम सिंह सिन्हा : ५५ वर्ष, मेरे ससुर जी, और पापा के खास दोस्त. एक्सपोर्ट का बिज़नेस है और पापा से कम से कम १० गुना धनवान है.
साधना सिन्हा : ५२ वर्ष लेकिन ४० की दिखने वाली (MLF) मेरी सासुमा. हमेशा मुझे अपनी दूसरी बेटी की तरह प्यार किया हे. शौक़ीन तो वो भी बहुत है. पैसा कैसे उड़ाना कोई उनसे सीखे.
अमजद : सिन्हा अंकल का बॉडीगार्ड से लेकर बटलर, पिए, ड्राइवर सब कुछ.
हम जहां रहते हैं. (MP) के एक बड़े शहर में लेकिन सिटी से थोड़े दूर एक सोसायटी बनाई हुई हे यहाँ सिर्फ १२ बंगलो'स हे. हमारा और यस का यानि मेरे ससुरालवालों का बंगलो के बीच में सिर्फ एक दीवार है। (हमने उसे बिच में से तोड़ के एक गेट बनवाया है ) यहाँ सोसायटी बनानेका एक मकसद यह था की सभी बंगलो के मालिक इंडस्ट्रियलिस्ट हे. और इंडस्ट्रियल एरिया यहाँ से नजदीक है. और मुख्य सिटी से दूरी भी सिर्फ १० मिनट की है. वैसे तो यह किसी गवर्मेंट प्रोजेक्ट की जमीन थी. पर कुछ बड़े अधिकारिओ को २ बंगलो बनवा देके यह सोसायटी बनी हे. मुख्य गेट पर २ वॉचमैन बैठते हे.
तो चलो अब सरु करते हे कहानी आज से लगभग ४ वर्ष पहेलेसे. और दिन था मेरा १८वा बर्थ डे. में बहुत खुश हु. बहुत सरे गिफ्ट मिले हे. बहुत मेहमान हे लेकिन बहुत ही मजेदार चीज जीवन में पहली बार देखने सुनने महसूस करने वाली हु क्या??
पढ़ेंगे अगली पोस्ट में.
साक्षी : जो तेरी इच्छा वो ही मेरी इच्छा.
सबसे पहले में इस कहानी में आने वाले प्रमुख पात्रों के बारे में बता देती हु.
साक्षी (सम्पत) सिन्हा : यानि में उम्र २४ वर्ष रंग गोरा ३६-२४-३६ पोने ६ फुट की हाइट. फिगर ऐसा की.... जाने दो. पानी छूट जायेगा.
यस सिन्हा : २५ वर्ष मेरे पतिदेव, ६ फुट, ९० किलो वजन, छरहरा बदन, मानो ग्रीक माइथोलॉजी का कोई देवता धरती पर घूम रहा हो. मेरे बचपन का दोस्त. मेरी हर बात मैंने वाला, मेरे कहने पर मरने मरने को तैयार मेरा सच्चा हमसफ़र.
रंजना : २५ वर्ष, यस की जुड़वाँ बहन, ४ वर्ष से शादी सुदा मेरी बचपन की पक्की शहेली. घरमे किसीको भी पता न हो एसी बाते मुज़से शेर करने वाली।
विवेक : रंजना का पति. (उनका उल्लेख कहानी में बाद में आएगा.)
सुकेतु सम्पत : ५२ वर्ष मेरे पिताजी, उनका रो मटेरियल सप्लाई का कारोबार है. काफी धनवान है और वो सिन्हा साहब को रो मटेरियल सप्लाई करते हे. दोनों वर्षों से दोस्त हे.
सरला सम्पत : ५० वर्ष, है तो मेरी माँ, लेकिन अपने शरीर को योग और वर्क आउट से संभाला हे की मेरी बड़ी बहन दिखती है. हाउस वाइफ है. सजने धजने की शौकीन (उनके शोख का उल्लेख कहानी मे आगे आएगा.)
संग्राम सिंह सिन्हा : ५५ वर्ष, मेरे ससुर जी, और पापा के खास दोस्त. एक्सपोर्ट का बिज़नेस है और पापा से कम से कम १० गुना धनवान है.
साधना सिन्हा : ५२ वर्ष लेकिन ४० की दिखने वाली (MLF) मेरी सासुमा. हमेशा मुझे अपनी दूसरी बेटी की तरह प्यार किया हे. शौक़ीन तो वो भी बहुत है. पैसा कैसे उड़ाना कोई उनसे सीखे.
अमजद : सिन्हा अंकल का बॉडीगार्ड से लेकर बटलर, पिए, ड्राइवर सब कुछ.
हम जहां रहते हैं. (MP) के एक बड़े शहर में लेकिन सिटी से थोड़े दूर एक सोसायटी बनाई हुई हे यहाँ सिर्फ १२ बंगलो'स हे. हमारा और यस का यानि मेरे ससुरालवालों का बंगलो के बीच में सिर्फ एक दीवार है। (हमने उसे बिच में से तोड़ के एक गेट बनवाया है ) यहाँ सोसायटी बनानेका एक मकसद यह था की सभी बंगलो के मालिक इंडस्ट्रियलिस्ट हे. और इंडस्ट्रियल एरिया यहाँ से नजदीक है. और मुख्य सिटी से दूरी भी सिर्फ १० मिनट की है. वैसे तो यह किसी गवर्मेंट प्रोजेक्ट की जमीन थी. पर कुछ बड़े अधिकारिओ को २ बंगलो बनवा देके यह सोसायटी बनी हे. मुख्य गेट पर २ वॉचमैन बैठते हे.
तो चलो अब सरु करते हे कहानी आज से लगभग ४ वर्ष पहेलेसे. और दिन था मेरा १८वा बर्थ डे. में बहुत खुश हु. बहुत सरे गिफ्ट मिले हे. बहुत मेहमान हे लेकिन बहुत ही मजेदार चीज जीवन में पहली बार देखने सुनने महसूस करने वाली हु क्या??
पढ़ेंगे अगली पोस्ट में.