Poll: Kya ek auraat ko bahut saare maardon ke saat sex karana accha nahi hain?
You do not have permission to vote in this poll.
Sirf pati ke saat sex kare, sati savitri
4.35%
1 4.35%
Aurat ko har type ke maard ka swad lena chahiye
4.35%
1 4.35%
Kisi maard ko mana nahi kare
4.35%
1 4.35%
Apne pasand ke saab mard ke sat sex kare
34.78%
8 34.78%
bina umar, rishta, ajnabi ya kisi cheej ka lihaaj na karate saab ke saat sex kare
52.17%
12 52.17%
Total 23 vote(s) 100%
* You voted for this item. [Show Results]

Thread Rating:
  • 11 Vote(s) - 2.64 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३६ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part 2) !
#88
पार्ट २४: मेरी शादी !

कॉलेज के फाइनल ईयर की इंजीनियरिंग में  मुझे कैंपस इंटरव्यू से बंगलूर में एक अच्छी IT कंपनी में नौकरी  मिल गयी थी.. मैं आगे पढ़ना चाहती थी, उसके लिये नौकरी के साथ आगे की पढाई के लिये एग्जाम की तैयारी भी कर रही थी. बंगलूर मैं विवेक अंकल भी रहते थे. उन्होंने मुझे और मेरी सहेलियों के लिये ऑफिस के पास रहने के लिये फ्लैट ढूंढ कर दिया.  

पहले दिन बंगलूर एयरपोर्ट पर विवेक मुझे लेने आये. उनके बाल अब उम्र के हिसाब से थोड़े सफ़ेद हो गए थे, पर उनके बॉडी और भी अच्छी हो गयी थी  किसी पके हुए आम की तरह सब जगह से मासलदार हो गयी थी. उनको देख कर मैंने  उनको कस के पकड़ लिया ओर एक बड़ा सा आलिंगन दे दिया. उन्होंने भी धीरे से मेरे कान के पास ओंठ लगा दिए..  आई मिस्ड यू संध्या. 

मैं एक दिन पहले उनके घर चली गयी. मेरी सहेलियां दूसरे दिन आने वाली थी. भाभी भी मुझे देखकर बहुत खुश हुई. नाश्ता चाय करके विवेक अंकल ने कहा - संध्या को फ़्लैट दिखाता हूँ ओर वहा से फिर ऑफिस चला जाऊंगा. 
मेरा फ़्लैट ओर ऑफिस विवेक अंकल के घर से दूर था. मैं उनकी कार में ड्राइवर की साइड वाली सीट पर  बैठ गयी ओर वो ड्राइव करने लगे. मैंने कहा - विवेक अंकल फ़्लैट में  क्या क्या दिखाने ले जा रहे. विवेक अंकल हंस दिये. तुझे पसंद वो सब दिखा दूंगा. तेरी पसंद का चॉक्लेट भी खिला दूंगा. संध्या तू अब ओर भी मस्त जवान हो गयी है. तेरा आंग अंग मस्त भर गया हैं ओर गदराया शरीर है.
मैंने कहा: आप भी मस्त दिख रहे अब विवेक अंकल. मस्त हर जगह गदराये ओर पके फल जैसे.  
हम दोनों हंस दिये.
फ़्लैट में विवेक अंकल सीधे मुझे बेडरूम में  ले कर गये. उन्होंने प्यार से मुझे पास खिंच लिया ओर मुझे जोर जोर से चूमने लगे. इतने दिन बाद मिल रहे थे..मैंने भी उनको कस के पकड़ लिये. कुछ मिनट में  हम नंगा हो गये ओर मैं उनकी गोदी में नंगी बैठी थी. उन्होंने उनका मोटा लण्ड धीरे से मेरी चुत के अंदर डाल दिया  था ओर मेरे ओठों को चूस रहे थे, ओर कभी मेरे मम्मों को. मैं बहुत खुश थी. मैं फिर से आज ४ साल बाद अपने सेक्सगुरू से चुदवा रही थी. विवेक प्यार से मेरी गांड पकड़ कर ऊपर निचे कर के मेरी चुत अपने लण्ड से पेल रहे थे. 
विवेक: संध्या ४ साल में मेरी याद आयी.
मैं: हाँ  विवेक  बहुत बार याद  आती थी. जब भी किसी से सेक्स करती आपके सिखाये नुस्खे याद करती. 
विवेक: अच्छा क्या क्या याद करती, सिर्फ मुज़को याद करती?
मैं: विवेक सब याद आता, आपका लण्ड, आपका शरीर, आपकी चुदाई, आपका चुम्मा ..सब कुछ.!
विवेक: ४ साल में मुझमे  कुछ फरक लगा तुझे .?
मैं: हां विवेक, आपका लण्ड अब ओर ज्यादा मोटा ओर बड़ा लग रहा हैं . आप के टट्टे भी बड़े दिख रहे हैं ओर भारी होकर निचे लटक रहे है .. आप पके फल की तरह अब ओर भी मीठे हो गये हो.
विवेक: अच्छा..मैं पका फल हूँ ! .अभी तुझे पके फल का मीठा रस पिलाता हूँ.
विवेक ने मुझे बिस्तर पर सुला दिया ओर मेरे ऊपर आकर जोर जोर से मुझे चोदने लगे. मैंने उनको कस कर पकड़ लिया..मेरी चुत गरम हो गयी थी..गीली हो गयी थी  मेरे तन-बदन में आग लग गयी थी ओर हम दोनों पसीने मैं भीग गये थे. मैंने..आह..ओह.. चिल्लाकर विवेक के लण्ड को निचोड़ कर अपनी चुत के अंदर जकड लिया ओर उसको अपने पाणी से भिगो दिया, कांपते हुए कई बार मैं उसके लण्ड पर झड़ गयी. विवेक भी ज्यादा देर तक रोक नहीं पाया ओर कई झटके मार के मेरे चुत में  अपना पाणी डाल दिया. बहुत देर तक विवेक मेरे ऊपर नंगा पड़ा रहा. उसका लण्ड अभी भी मेरी चुत में तना हुआ था. वह बिस्तर पर लेटे-लेटे मुझे पकड़कर  घूम गया ओर उसने मुझे उसके ऊपर ले लिया  ताकि उसका  वजन मुझपर से हट जाये. उसका लण्ड अभी भी मेरी चुत में सटा हुआ था ओर मेरी चुत से उसका पाणी  निचे बहकर उसकी गोटियों पर  गीर रहा था. उसने मेरा चेहरा प्यार से दोनों हातों से पकड़ लिया - संध्या  तुझे छोड़कर जाने का मन नहीं कर रहा. क्या में  आज रुक जाऊ?
मैंने प्यार से विवेक के दोनों गालों पर बहुत बार चुम लिया ओर कहा : विवेक,आपको मेरी परमिशन लेने की की जरुरत कब से पड़ गयी. 
विवेक:काश !  मैं तेरी उम्र का होता ओर मेरी शादी नहीं होती. मैं तुज़से से ही शादी करता.
मैं:  हाँ विवेक, मैं भी सिर्फ आप से शादी करती.
विवेक अब फिर से मुझे अपनी गांड निचे से उठा उठाकर चोदने लगे. मैं अपने ओंठ उनके ओठों में  देकर..उनके प्यार में डूब गयी.

मैं मेरे ३ सहेलियों के सात फ़्लैट मैं रहती थी. जब भी अकेले में मौका मिलता विवेक मुझे चोदने के लिये फ़्लैट पर आ जाते. एक - दो बार भाभी अपने मायके गयी, तो मै उनके घर रहने चली गयी. इसी बीच स्वप्निल का MBA  भी पूरा हो गया ओर उसे भी बंगलोरे में नौकरी मिल गयी. मैं बहुत खुश थी. वह अपने दोस्तों के साथ  शेयरिंग फ़्लैट में  रहता था. पर उसकी साथ अकेले में  सेक्स का मजा नहीं आया. मैं बंटी को मिस करती थी. 

दोस्तों में गांव के किसान जमींदार के परिवार से थी. इसलिए मुझे शादी के रिश्ते आने लगे. घर से भी शादी  का दबाव बढ़ने लगा.आगे की पढाई शादी के बाद करनी ये प्रस्ताव भी मंजूर हो गया. एक दिन मेरे ऑफिस मैं अनीश मुझसे मिलने आये. ६ फ़ीट लम्बे, सुन्दर, कसा हुआ शरीर, आकर्षक व्यक्तिमत्व. उन्होंने MBA  किया था ओर बंगलोरे में मल्टीनेशनल कंपनी मैं अच्छी अहदे पर नौकरी कर रहे थे. वो मेरे पिताजी के दोस्त का बेटा था ओर उनकी बंगलोरे मैं जॉइंट फॅमिली थी, खुद का बड़ा मकान था, अपने छोटे भाई ओर माँ बाप के साथ  वो  वही रहते  थे. अनीश को मैं पहली नजर में  पसंद आ गयी ओर मेरे पापा  ने मेरी शादी फिक्स कर दी ओर तुरंत २ महीने बाद का मुहूर्त भी निकाल दिया. 

दोस्तों यह २० साल पहले का जमाना था. मे परिवार के रस्मों ओर कसमों में  बंधी लड़की थी. मैंने तुरंत बंटी को फ़ोन किया. वो ओर बुवा पापा के पास मुंबई जाकर मिलने गये. बंटी ने पापा से मुज़से शादी करने की लिये बहुत मिन्नतें की, पर पापा ने साफ मना कर दिया. उन्होंने अपने दोस्त को वचन दे दिया था. फिर पापा बंटी से बोले - देखो बंटी, संध्या पढ़ी लिखी शहर की लड़की हैं, उसका अपना करियर हैं,  तू उसे गांव मे कहा रखेगा, वो कैसे रहेगी ? 

शादी को अब एक हफ्ता रह गया था. मैं मुंबई आ गयी थी. मैंने गर्भे निरोधक गोलियां खानी बंद कर दी थी. योगा करके ओर अपनी चुत पर क्रीम लगाकर मैं उसको भी कसी हुई करने की कोशिश कर रही थी. आजकल तो ऑपरेशन कर के फटी हुई चुत की झिल्ली जोड़ देते है. तब ऐसे कोई इंतजाम नहीं होता था. में  टेंशन मैं थी. अपनी फटी चुत को कैसे छुपा पाऊँगी अनीश से?

शादी के दो दिन पहले स्वप्निल घर आया. उसने चुप के मेरे हात मैं एक चिठ्ठी दे दी. उसकी जाते मैंने वह चिठ्ठी पढ़ी. वो चिट्टी बंटी की थी.
बंटी ने लिखा था : संध्या मैं यही पास मेँ ब्लू स्टार होटल में  रूम १०१ में हूँ. प्लीज मुज़से जल्दी मिलने आ जाना. 

मैं सोचने लगी..क्या मैं अपने प्यार से मिलने जाऊ ? क्या मैं उसकी साथ भाग के शादी कर लू  ? बंटी को मेरे चुदाई के सारे किस्से पता थे. उसकी साथ मेरा कनेक्शन है. मैं उसकी साथ बहुत सुखी रहूंगी.

क्या करू मैं ? मेरे मन मे असंख्य सवालों  का बवाल उठ रहा था. 
[+] 1 user Likes luvnaked12's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 09:06 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by imles4le - 30-03-2023, 07:52 AM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by hirarandi - 30-09-2022, 09:50 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 11:17 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 01-10-2022, 02:04 AM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 11:12 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by imles4le - 08-12-2022, 03:58 PM
RE: मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट २४: मेरी शादी ! - by luvnaked12 - 29-10-2022, 01:07 AM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)