Poll: Kya ek auraat ko bahut saare maardon ke saat sex karana accha nahi hain?
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Sirf pati ke saat sex kare, sati savitri
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Aurat ko har type ke maard ka swad lena chahiye
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Kisi maard ko mana nahi kare
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Apne pasand ke saab mard ke sat sex kare
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bina umar, rishta, ajnabi ya kisi cheej ka lihaaj na karate saab ke saat sex kare
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Adultery मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३६ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part 2) !
#58
पार्ट १७: फुफेरे भाइयों की प्रेमिका. 

छुट्टियों के बाद मैं वापस कॉलेज आ गयी. हरीश बहुत दिन के बाद मिल रहा था. 
बोला - मेरी जानू..मेरा लण्ड इतने दिन से भूका - प्यासा है. 
मैं भी उसके लिए बेताब थी. पर हमें कोई सेफ जगह नहीं मिल रही थी. गार्डन में डर डर कर सेक्स एन्जॉय नहीं करना चाहते थे. तभी हरीश ने स्पोर्ट्स सेण्टर में  एक खाली कमरा ढून्ढ कर निकाला. हरीश स्पोर्ट्स चैम्पियन था, इसलिए अलमारी से चुप चाप उस कमरे की चाभी लेना उसके लिये मुश्किल काम नहीं था. वहा  कुछ पुराने खेल का सामान पड़ा था, पर धुल भी बहुत थी. हरीश खेल के प्रैक्टिस के वक्त अपने बैग मैं एक चादर भी ले कर आया. हरीश की शाम की खेलों  की प्रैक्टिस ७ बजे ख़तम हुई और हम चुपचाप उस कमरे को खोलकर अंदर चले गये. उस  दिन ७ बजे से लेकर ९ बजे तक हरीश ने मेरी चुदाई की. वो खुद ३ बार झडा ओर मैं ५ बार. रात को मैं बहुत थक गयी थी. हॉस्टल आकर सोने लगी. इतनी चुदाई के बाद भी मन खाली लग रहा था. कुछ अपूर्ण लग रहा था. हरीश से मेरी  दोस्ती और प्यार २ सालों मैं बहुत गहरी  हो गया. हम हमेशा स्पोर्ट्स सेण्टर के कमरे का इस्तेमाल करते. हरीश बहुत प्यार से , देर तक मुझे चोदता था. इन डेढ़  सालों मैं मेरी मुलाकात स्वप्निल और बंटी से नहीं हुई थी, पर उनकी याद जरूर आती थी. दूसरे साल फिर दिवाली की छुट्टियों में मैं घर मुंबई आयी. माँ और पापा  ने बताया की उन्हें  २ दिन के लिए  उनके एक दोस्त की लड़की के शादी में  दिल्ली जाना था. मैं अकेले रहने वाली थी. मुझे भी बुलाया था, पर इतने दिन हॉस्टल रहने के बाद मैं घर पर रहना चाहती थी, सो मैंने मना कर दिया. दूसरे दिन माँ -पापा जाने वाले थे, तभी बुआ का फ़ोन आया.. माँ ने बात करके मुझे दिया..बुआ तेरे से बात करना चाहती है..!  मैं खुश हो गयी..बुआ ने पूछा - कॉलेज कैसे चल रहा, वगैरे वगैरे  और बोली ठीक से रहना. 

तभी बंटी ने बुआ से फ़ोन ले लिया, बोला - कैसे है तू कमीनी ? 
मैंने भी कहा - अच्छी हूँ कमीने .. तू बता क्या गुल खिला रहा है .! 
बंटी ने कहा - बस तेरा इंतजार कर रहा हूँ..कब मेरे से शादी करोगी..तेरे बिना अब किसी से गुल खिलIने का मन नहीं करता.  
मैंने हंसकर कहा दिया - कभी नहीं , झूठा  कही का !  
ओर हम हंसी मजाक करने लगे. बंटी से बात करके मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. 

दूसरे दिन सुबह माँ - पापा की फ्लाइट थी, वह दिल्ली चले गये. मैं आराम से सो रही थी. तभी दरवाजे की बेल बजी, मैंने दरवाजा खोला और मैं हैरान रह गयी. मैंने जोर से जाकर बंटी को कसकर गले लगा लिया. उसके पीछे स्वप्निल भी  खड़ा था, उसने भी मुझे जोर से पकड़कर गले लगा लिया और मेरे गाल पर पप्पी ले ली.  पड़ोसियों के डर से मैंने उन्हें जल्दी घर की अंदर ले लिया 
- तुम कैसे आ गये कमीनो !  बंटी तूने तो कल मुझे कुछ बताया नहीं. 

बंटी ने अंदर आते ही मुझे पकड़कर उठा लिया और मेरे ओंठ चूमने लगा - और कहा - कैसे नहीं आते पगली, एक साल से तुझे मिस कर रहे हम दोनों . कल जैसे  फ़ोन पर मामी से पता चला की वो दोनों घर पर नहीं होंगे,और तू अकेली घर पर होगी  हम दोनों तुरंत बहाना बना कर चुप चाप आ गये. इससे अच्छा सुनहरा मौका कहा मिलता जान. और उसने मुझे फिर से चूमना चालू कर दिया. 
मैंने उनको  कहा - रुको, पहले फ्रेश हो जाओ, नाहा लो,  मैं तुम दोनों के लिए चाय - ब्रेकफास्ट बनाती हूँ. 
स्वप्निल ने  शरारती अंदाज मैं कहा - हमारी जान, फ्रेश तो हम हो ही जायेंगे, तेरी हात की चाय भी पी लेंगे, पर नहायेंगे हम तीनो एक साथ. . 
मैंने हंस दिया - मुझे मालूम था की अब इनके आगे मेरी कुछ चलने वाली नहीं है. मैं चाय बनाने किचन चली गयी. मैंने नास्ते में  कुछ ब्रेड- ऑम्लेट भी बना डाले.  

जब मैं किचन से चाय और नाश्ता लेकर बहार ड्राइंग रूम में आयी तो देखा की स्वप्निल और बंटी दोनों फ्रेश होकर नंगे बैठे हैं. 
मैंने कहा - कमीनो,  शर्म नहीं आती. बहन की सामने अभी से नंगे बैठे है,  कुछ पहन लो, कोई आ जायेगा. 
स्वप्निल ने कहा - नहीं जानू, ,अब तो २ दिन हम साथ साथ हैं, कोई भी कपडा नहीं पहनेगा और हम तीनो  फुल टाइम नंगा रहेंगे. 
बंटी ने कहा - कोनसी बहन, तू तो मामा की बेटी है. सबसे पहले तुझे चोदने का अधिकार बुआ का लड़के की हैसीयत से मुझे हैं. 

हम तीनो हंसने लगे. स्वप्निल अब मेरे बिलकुल पास आ गया, उसने मेरी गर्दन पर पप्पी लेकर उसे चूसना शुरू किया और मेरी गाउन नीचे से उठाकर ऊपर कर के निकाल दी. मैंने गाउन के अंदर कुछ नहीं पहना था. मै भी उनके साथ पूरी नंगी हो गयी. स्वप्निल ने मुझे गोदी मैं खींचकर सोफे पर  बिठा लिया ओर कहा हम तीनो  एक ही कप से  चाय पियेंगे और तुम मुझे चाय पिलाना. बंटी भी स्वप्निल के बगल में  सोफे पर बैठ गया. मैं उन दोनो को बारी बारी से चाय पिलाती और, वह अपने गरम मुँह से मेरी निप्पल्स और बूब्स चूसते या मेरे ओंठों को चूस लेते. . इसके कारण मैं बहुत जल्दी गरम हो गयी और मेरी चुत भी गीली हो गयी. बंटी ने मेरे पैर उठाकर अपनी जंघा पर रख दिए. और वह मेरी चुत से खेलने लगा. स्वप्निल का बड़ा गोरा गुलाबी ७ इंच का कटा हुआ लण्ड  मेरी गांड को नीचे से चुभ रहा था. ओर बंटी  अपना ८ इंच का काला, मोटा केले जैसे आकार का मुलायम चमड़ी वाला लण्ड मेरे तलवों पर दबाकर रगड़ रहा था.स्वप्निल बहुत सुन्दर था, चिकना, बिना बालों वाला, ओर बंटी एकदम मरदाना , गांव का गबरू जवान. स्वप्निल मेरे दोनों चूचियों को चूस कर रसपान कर था, वही बंटी ने भी मेरी जांघें फैला दी ओर मेरी चुत पर अपने ओंठ रख दिये. वह प्यार से मेरी चुत को चाट रहा था. 

बंटी ने कहा - सच संध्या , आज भी तेरी चुत की महक मेरे दिमाग में बस गयी है. इतनी सुन्दर, इतनी खुशबूदार चुत कही नहीं देखी. 
स्वप्निल ने कहा - सच मैं जान, अब तो लगता है तू सिर्फ हमारे लिए बनी है. 

ओर बंटी मेरे चुत का दाणा  प्यार से जीभ फेर कर चाटने लगा. अपने दोनों ओंठ उसने मेरे दाणे पर रख दिए ओर किसी अंगूर की तरह उसको चूसने लगा. मैं अब  छटपटा रही थी. पर वह दोनों मिलकर मुझे पकड़ कर मेरी चूचियों ओर चुत के दाणे को चूस रहे थे मैं सिसक रही थी..आह ....उम्..प्लीज...रुको.. .  फिर मैंने जोर से बंटी का मुँह अपनी चुत पर रगड़ दिया -ओर आह.. आह.....मर गयी .. कर के पानी की धरा बहा दी. बंटी बड़े प्यार से मेरी चुत का रस पीने लगा. उसने चाट चाट कर पूरा शहद पी लिया. मै उनसे अलग हो गयी. .मुझे कुछ पल के लिए चैन की साँसे लेनी थी.

मैंने देखा स्वप्निल ओर बंटी दोनों के लण्ड..आसमान देख रहे थे..पुरे १८० deg  तन कर खड़े थे ओर थोड़ा थोड़ा precum की बुँदे उनके लण्ड के टोपे से निचे टपक रही थी. वह दोनों उठे ओर बोले - चलो बाथरूम नहाने, ओर मुझे खींचकर ले गये. दोनों मुझे शावर के अंदर  मेरे शरीर को मल-मलकर साबुन लगाने लगे. मैंने भी उन दोनों के लण्ड अपने दोनों हातों से पकड़ लिये ओर उनको साबुन लगाने लगी. तभी स्वप्निल ने मुझे पैर फैला कर शावर की दीवाल पर झुका दिया, ओर घोड़ी बना कर अपना मोटा लण्ड पीछे से मेरी चुत में एक धक्के में डाल दिया. मैं आह..कर की चिल्ला उठी..पर उसका पूरा लण्ड आसानी से  मेरी चुत की अंदर तक चला गया था. स्वप्निल अब मुझे बड़े बड़े धक्के देकर पेल रहा था. मेरी चुत गीली होने की वजह से उसका लण्ड आसानी से पूरा अंदर तक फिसल रहा था . बंटी ने मेरा मुँह उसके तरफ खिंच लिया ओर मेरे ओंठ चूसने लगा. वह मेरे मुँह में जीभ डाल कर अंदर बहार करने लगा. करीब आधे घंटे चुदाई कर के स्वप्निल अब बहुत उत्तेजित हो गया था. मैंने भी अपनी चुत से उसके लण्ड को जकड लिया ओर मेरे चुत फिर से गरम होने लगी. मैं बंटी के ओंठों को जोर से चूस रही थी ओर आह....उह..कर के काट भी रही थी. 

स्वप्निल भी जोर जोर से धक्के दे रहा था..आह ! संध्या कितनी कसी हुई चुत  हैं, मेरा  पाणी निकाल डालेगी. 
मैंने भी कहा - हाँ कमीने , निकाल दे अपना पाणी, भीगा दे मेरी चुत को तेरे गरम पाणी से...आह...ओर मेरी चुत कस कर स्वप्निल के लण्ड से लिपट गयी ओर जोर से झड़ गयी.  

मेरे पाणी से स्वप्निल का लण्ड गिला हो गया, पानी के चिकनाहट से स्वप्निल भी जोर से आह रानी..यह ले मेरा पानी..कह कर मेरी चुत के अंदर झटके मरने लगा. १०-१२ झटके लगाकर , स्वप्निल ने अपने गरम पानी से मेरी चुत अंदर तक भीगा दी. स्वप्निल ने धीरे से अपना मुरझाया लण्ड मेरी चुत से बहार निकाला.

मैं फिर से खड़ी होती, उसके पहले ही बंटी मेरे पीछे आया, उसने उसके काले लण्ड का मोटा टोपा मेरी चुत के द्वार पर रखा ओर एक जोरदार धक्का दे दिया. 

मैं ..आह..क्या बंटी.. इतने जल्दी..मुझे कुछ टाइम देते. ऐसे तो मेरी चुत  का भोसड़ा हो जायेगा . 
बंटी का पूरा लण्ड सिर्र ररर रर कर के मेरे चुत मैं अंदर  तक  चला गया.  
बंटी ने कहा - मेरी जान, ऐसे कैसे तेरी चुत का भोसड़ा होने दूंगा. यह तो अब मेरी जिंदगी है. बहुत संभाल कर रखूँगा इसको. 

मुझे पता नहीं कैसे, पर मेरी चुत ने उसके लण्ड को पूरा जकड लिया. मेरी चुत के हर कोने मैं बंटी का लण्ड छू रहा था. बंटी ने पूरा लण्ड बहार निकाला ओर फिर से पूरा अंदर डाल दिया. मेरी चुत कसमसा गयी. मेरी चुत के ओंठोने बंटी के लण्ड को चूमना, चूसना शुरू कर दिया था ओर पक्का जकड लिया था. जब बंटी उसका पूरा लण्ड अंदर डाल कर फिर से बहार निकालता , मेरी चुत के ओंठ उसको लण्ड  के सुपडे को जकड कर रखते, वो उसके लण्ड से जुदा नहीं होना चाहते. शरीर मैं अजीब हुरहुरी लगी थी. मेरी चुत गीली होकर फिर से..सिहर उठी. ..ओह्ह मा..........आ....करके मैं फिर से बंटी के लण्ड पर झड़ गयी. पर बंटी ने अपने धक्के चालू रखे..वह बड़ी प्यार से पूरा लण्ड बहार करता ओर फिर से मेरी चुत में  अंदर तक  डालता. मेरी  चुत का पाणी निरंतर बह रहा था ओर मुझे उन्माद ओर परमानंद मिल रहा था. मेरी टांगे कांप रही थी, मैं अब खड़ी नहीं रह सकती थी. मै निचे गिरने लगी, तब स्वप्निल ने आगे से मुझे पकड़ लिया. ओर अपने नंगे बदन का सहारा दिया. मैंने अपने दोनों हात उसके गले मैं डाल दिये ओर उसको आगे से कस के पकड़ लिया.  मेरे बूब्स अब उसके चिकनी छाती ओर पेट पर रगड़ रहे थे. पर बंटी का धक्के पर धक्के लगाना चालू था. उसकी गाडी रुक नहीं रही थी.  मेरी चुत निरंतर पाणी बहा रही थी जो मेरे जांघों से बहकर घुटने तक आ गया था. बंटी के साथ  मैं ४-५ बार झड़ गयी थी. अब मैंने उसके लण्ड को अपनी चुत से जोर से जकड लिया. उससे वह भी..आह..आह करके मेरी चुत के अंदर झटके मरने लगा. करीब ५ मिनट तक बंटी अपने गरम पाणी का फंवारा मेरी चुत मैं डालता रहा ओर मेरी चुत भी निरंतर उन्माद में अपने पाणी का अभिषेक उसके लण्ड पर करती रही. 

कुछ देर बाद बंटी का लण्ड मेरे चुत से बहार निकला, मैं नीचे बैठ गयी. बंटी ओर स्वप्निल दोनों ने सहारा देकर  मुझे बाथरूम से उठाया. उन्होंने मुझे टॉवल से सूखा लिया ओर मेरे कमरे के बिस्तर पर लिटा दिया. मैं बहुत थक  चुकी थी. बंटी ओर स्वप्निल मेरे दोनों तरफ सो गये. वह भी थक गये थे. दोनो मुझे लगातार चुम रहे थे, पप्पी ले रहे थे, मेरे बालों पर हात फेर रहे थे. स्वप्निल ने मुझे अपनी तरफ खिंच लिया, मैं उसके बाँहों मैं अपना सर रखकर सोने लगी. . बंटी भी पीछे से आकर मुझे चिपक गया ओर सोने लगा . उसकी गरम सांसे मुझे अपनी गर्दन पर महसूस हो रही थी.
बंटी ने कहा - देखो स्वप्निल भैया , चुदाई के बाद यह कितनी सुन्दर लग रही है. स्वप्निल ने  मेरे गालों पर प्यार से चुम लिया.  दोनों मेरे एक एक आंग को ध्यान से देख रहे थे ओर प्रशंसा कर रहे थे..
स्वप्निल - बंटी संध्या की निप्पल्स देखों. कितने गुलाबी है.
बंटी : हां भैय्या , जब ये उत्तेजित हो जाते हैं तब किसी रसीले अंगूर जैसे दिखते है. ओर ऊपर से संध्या क़े बड़े बड़े मम्मे - एकदम बड़े पके आम की आकर के है.
स्वप्निल: हा बंटी, गांव में तबेले में इसको ठीक से देख भी नहीं पाये थे. हम बहुत लकी है. इसके आम के आकार के मम्मे , मुँह मैं आम का स्वाद देते है. इसकी नाभि तो देख..कितनी मस्त है..एकदम किसी चुत की तरह चिकनी ओर गहरी लगती है.
बंटी: हाँ स्वप्निल भैया, शादी में इसने नाभि के नीचे साडी पहनी थी. ऐसे लग रहा था की इसकी नाभि को ही  अपने मोठे लण्ड से चोद  दू.
स्वप्निल : सब से अच्छी तो इसकी चुत हैं. चुदने  के बाद एकदम लाल लाल  टमाटर जैसे हो जाती है. देख कैसे कोई लाल मीठे  रसीले फल की तरह लग रही है.     
बंटी: रसीली  तो सच मैं बहुत है इसकी चुत ! काश  यह हमें हमेशा के लिये मिल जाये.

मैं चैन की नींद सो रही थी. मुझे एक अजीब ख़ुशी थी. मुझे एक कम्पलीट औरत की संतुष्टि की फीलिंग आ रही थी. खालीपन चला गया था. मेरे चेहरे पर आनंद ओर सुख की चमक थी. 
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RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 09:06 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by imles4le - 30-03-2023, 07:52 AM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by hirarandi - 30-09-2022, 09:50 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 11:17 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 01-10-2022, 02:04 AM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by luvnaked12 - 30-09-2022, 11:12 PM
RE: Kya Karu.. behaak jaati hoon - by imles4le - 08-12-2022, 03:58 PM
मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट १७: फुफेरे भाइयों की प्रेमिका ! - by luvnaked12 - 19-10-2022, 09:17 PM



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