18-10-2022, 08:32 PM
पार्ट १६ : हरिया के बाद बंटी !
बंटी ने मुझे कहा - आओ मेरे पीछे चुप चाप मेरे कमरे में, किसी को पता लग गया तो फसाद हो जायेगा. अपनी चूत धोकर साफ़ कर लो. में बंटी के पीछे पीछे चुप चाप उसके कमरे में चली गयी. उसके कमरे में उसका अलग वाशरूम था. बंटी ने कहा - संध्या , अब साडी या कपडे निकालने का टाइम नहीं है.. तू सिर्फ साड़ी कमर के ऊपर कर के बैठ जा. मैंने पानी साडी पूरी कमर के ऊपर छाती तक ले ली ओर नीचे बैठ गयी. बंटी बोला - तू तो पूरी नंगी है? किस के साथ चुद कर आयी. मैंने कहा - बताती हूँ बंटी, पहले मुझे साफ़ करने दो, जल्दी से लोटे में पानी दो. बंटी ने कहा रुको, तुम साडी ठीक से पकडे रहो नहीं तो गीली हो जाएँगी.फिर उसने बाथरूम का लम्बी पाइप वाला फॉसेट लिया..ओर मेरी चूत के पास ला कर , पानी का शावर मेरी चूत पर डालने लगा ओर दूसरे हात से मेरी चूत को सहलाकर साफ़ करने लगा. बंटी बड़े प्यार से धीरे धीरे मेरी चूत साफ़ कर के हरिया का पाणी मेरी चूत से साफ कर रह था. बंटी ने कहा - बताओ संध्या क्या हुआ. में उसको पायल वाला किस्सा बताने लगी ओर कैसे हरिया ने मेरी चुदाई कर दी. बंटी ने अब मेरी चूत के अंदर एक ऊँगली डाल दी थी ओर वाह मेरी चूत अंदर से साफ़ कर रह था. उसका अंगूठा मेरी चूत के दाणे को सहलाकर साफ़ कर रह था. बंटी - देहाती आदमी था..उसकी उंगलिया बड़ी बड़ी थी - किसी लण्ड के साइज़ से कम ना थी.
बंटी ने पूछा - क्या तुम्हे हरिया पसंद है? मैंने कहा - नहीं बंटी, बिलकुल नहीं, पर क्या करू, कोई मर्द जब मेरे बहुत करीब आता हैं .. तब में बहक जाती हूँ, खुद को कण्ट्रोल नहीं कर पाती ओर बेशरम जैसे चुद जाती हूँ. बंटी ने कहा - यह तो अच्छा है, मेरे ओर स्वप्निल के बारे में क्या ख़याल हैं? मैंने कहा - तुम दोनों अच्छे हो, में तुम दोनों को पसंद करती हूँ. पर मुझे तुम दोनों से प्यार नहीं है. बंटी ने पूछा - किसी से पहले से प्यार करती हो? मैंने उसे हरीश के बारे में बता दिया. इतनी पूरी देर तक, बंटी का काम चालू था, मेरी चूत को धोकर साफ़ कर रह था.
मेरी चूत पर शावर के पाणी का बरसाव , ओर बंटी की उँगलियों का जादू चल रह था. ना वो खुद को रोक रहा था, ना में उसे रोक रही थी. बंटी मेरी ओर हरिया की चुदाई की कहानी सुन कर गरम हो गया था.बंटी ने अपनी पैंट की जीप खोलकर अपना काला मोटा लण्ड बहार निकाल दिया ओर अपने हाथ से अपने लण्ड को मूठ मारने लगा. इधर दूसरे हात से बंटी मेरी चूत को धोकर साफ कर रह था, में बड़ी बेबस थी. मेरी चूत बंटी के लण्ड को देखकर लार टपका रही थी. मुझे बंटी के लण्ड का स्वाद याद आया ओर मेरे मुँह में फिर से पाणी आ गया. मैंने कोई विरोध नहीं किया ओर बेशरम जैसे साड़ी ऊपर कर के बंटी सामने नंगी बैठे रही. तभी मुझे जोर से सुसु आ रही थी. मैंने कहा - बंटी बस करो, मुझे सूसू करनी है. बंटी ने शरारती आंखोंसे मुझे देखा ओर कहा - करो यही, किसने मना किया.. अब मैं पूरी बंटी के जादू से बंधी थी. बंटी के आँखों में अजीब चमक थी, जो मुझे सम्मोहित कर देती. वो जो कह रहा था वो सब करती. मैं वही धीरे से सूसू करने लगी.. बंटी मेरी सूसू अपने हात में लेकर फिर से मेरी चूत पर लगाकर मेरी चूत मेरी सूसू से धो रहा था. मेरी गरम सूसू से मेरी चूत की आग ओर भी भड़क गयी. मेरी सूसू बंटी ने अपने लण्ड पर भी लगा ली..ओर अपने लण्ड को हिलाने लगा. मुझे बड़ा अजीब लग रह था, पर बंटी के लिये एक अलग आकर्षण हो रह था. जब मेरी सूसू पूरी हो गयी, बंटी ने मुझे वैसे ही अपने दोनों हातों से उठाया ओर अपने बिस्तर पर सुला कर, मेरे पैर ऊपर खिंच लिये. , मेरी चूत प्यार से अपनी जीभ से चाटने लगा, मैंने भी उसका लण्ड पकड़ लिया ओर अपने तरफ खींचा. अब हम ६९ पोजीशन में थे..मैंने बंटी का ८ इंच का मोटा लण्ड मेरे मुँह में ले लिया ओर लोल्लिपोप जैसे चूसने लगी. में ज्यादा देर तक टिक नहीं सकी . मैंने बंटी का सर जोर से मेरी चूत पर दबा दिया ओर बहुत सारा पानी उसके मुँह में बाहा दिया. बंटी ने भी जंगली जानवर जैसे सारा पाणी चाटकर पी लिया ओर बिना देर करके मेरे ऊपर आकर, अपना भारी भरकम हतोडा मेरे चूत के अंदर पेल दिया. बंटी का केले जैसे आकर का लण्ड मेरी चूत के अंदर तक घुस गया..उसके धक्कों से उसका लण्ड मेरी चूत के अंदर हर दीवाल से घिस जाता .. ८-१० मिनट वोह मुझे ऐसे ही चोदता रह ओर मेरी चूत फिर से फड़फड़ा गयी.. मेरी चूत ने अपने पाणी से फिर से उसके लण्ड को गिला कर दिया. बंटी बोला - आह संध्या .लगता है तेरी चूत मेरे लण्ड के लिये ही बनाई गयी. क्या मस्त केमिस्ट्री हैं मेरे लण्ड ओर तेरी चूत के बीच में. बात सही थी. बंटी का लुंड मेरी चूत के हर कोने को छू रहा था. मेरी चूत भी उसके लण्ड का लगातार अपना पाणी पिलाकर स्वागत कर रही थी.
बंटी ने मुझे करीब आधा घंटे तक चोदा - ओर मेरी चूत की कुटाई की. इस कुटाई दौरान मेरी चूत ४ बार झड़ गयी थी. तभी मुझे नीचे से माँ की आवाज आयी. हमारे जाने का टाइम हो गया था. में जल्दी से तैयार हो गयी. बंटी ने फिर से मेरी चूत प्यार से धोकर दी - बहुत मिस करूँगा तुझे.. फिर कब आओगी? मैंने कहा - तुम मर्द हो.. तुम्हे पहल करनी होगी.
फिर में जल्दी से बैग लेकर नीचे चली गयी. सब को प्रणाम कर के में माँ - पिताजी के साथ स्टेशन आ गयी. बंटी ओर स्वप्निल मुझे दोनों प्यार से देख रहे थे. मैंने भगवन से प्राथना की - हे प्रभु इनको मुज़से प्यार ना हो जाए. इनका दिल ना टूट जाये. दोनों मुझे अच्छे लगते थे ओर पसंद थे. बंटी को मैंने सच बता दिया था पर स्वप्निल? उसे कुछ नहीं पता था. अच्छा होगा अगर बंटी उसे बता देगा. दोनों चचेरे भाई एक-दूसरे के बहुत करीब थे. दोनों ने एकसात पूरा नंगा होकर मुझे चोदा था. बंटी स्वप्निल को पक्का मेरे ओर हरीश के बारे में बता देगा.