26-12-2018, 01:58 PM
रोहन अब मजे से हवा में उड़ने लगा। उसे बिंदिया का नरम हाथ बहुत सुकून पहुँचा रहा था। अचानक रोहन ने बिंदिया का हाथ अपने लण्ड से हटाया और अपना मुँह उसके कपड़ों के ऊपर से ही नीचे ले जाते हुए उसकी चूत पर रख दिया। बिंदिया की मजे से आँखें बंद हो गई। रोहन ने अपने हाथ से बिंदिया की सलवार खोलकर नीचे कर दी। सलवार नीचे होते ही रोहन के होश उड़ गए। एक छोटी सी चड्ढी बिंदिया के भारी मोटे चूतड़ ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। चड्ढी बिंदिया के चूतड़ की लकीर में फंसी थी और उसके मोटे गोरे चूतड़ बिल्कुल नंगे रोहन के सामने थे और आगे से उसकी फूली हुई चूत आधी चड्ढी के बाहर थी।
रोहन को बिंदिया के चूतड़ बहुत अच्छे लग रहे थे, उसके मुँह में पानी आ गया। रोहन ने बिंदिया की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सामने उल्टा खड़ा किया और उसे सामने दीवार के सहारे खड़े रहने को कहा। बिंदिया के ऐसा खड़े होने से उसके मोटे-मोटे चूतड़ रोहन के मुँह के सामने आ गये। वो अपने हाथों से बिंदिया के चूतड़ों को मसलने लगा। रोहन ने बिंदिया से उसकी टाँगों को थोड़ा चौड़ा करने को कहा। रोहन ने अपना हाथ नीचे लेजाकर बिंदिया की कच्छी के ऊपर से उसकी चूत को मसलते हुए अपने मुँह से उसके चूतड़ों को चाटते हुए अपने दाँतों से काटने लगा।
बिंदिया के मुँह से हल्की सिसकी निकल गई- “ओईई... क्या कर रहे हो?”
रोहन ने बिंदिया को थोड़ा और पीछे किया और बिंदिया ने अपने चूतड़ जितना हो सकते थे पीछे कर लिया और अपना सारा वजन दीवार पे डा दिया। रोहन बिंदिया की कच्छी में हाथ डालकर बिंदिया की चूत के दाने को मसलने लगा। अचानक रोहन अपना हाथ नीचे करते हुए बिंदिया की चूत के होंठों को अपनी उंगलियों से हटाते हुए अपनी उंगली अंदर घुसाने लगा।
बिंदिया की चूत पहले से बहुत गीली थी। रोहन की उंगली जड़ तक बिंदिया की चूत में उतर गई। बिंदिया के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई... क्या कर रहे हो रोहन?”
रोहन ने अपनी उंगली बाहर निकाली और फिर अंदर कर दी और अंदर-बाहर करने लगा। बिंदिया की मजे से आँखें बंद हो गई और वो अपने चूतड़ रोहन की उंगली पर धकेलने लगी। रोहन समझ गया की बिंदिया झड़ने वाली है, और उसने अपनी उंगली की रफ़्तार तेज कर दी।
अचानक बिंदिया के मुँह से जोर की सिसकियां निकलने लगी- “ऊऊह्ह... आह्ह्ह..." और झड़ने लगी।
रोहन का हाथ बिंदिया के रस से गीला हो गया। बिंदिया को कुछ देर बाद होश आया और वो फौरन सीधी होकर अपनी सलवार पहनी और अपने आपको ठीक करते हुए जाने लगी।
रोहन ने बिंदिया का हाथ पकड़ लिया और कहा- “जान कहां जा रही हो, मुझे भी तो ठंडा कर दो?”
बिंदिया ने कहा- “धन्नो बहुत देर से बाहर अकेली बैठी है, तुम किसी और टाइम अपनी हसरत पूरी कर लेना...” और अपने कपड़े धोकर बाहर जाने लगी।
अचानक रोहन को याद आया की वो लेडीस बाथरूम है। वो जल्दी से इधर-उधर देखकर बाहर निकल गया। बिंदिया भी जल्दी से बाहर आई।
रोहन भी उसके पीछे आने लगा, और सामने कृष्णा को देखकर कहा- “तुम यहाँ कैसे?”
कृष्णा ने मुश्कुराते हुए कहा- “यहाँ की चाय की बहुत तारीफ सुनी है वो पीने आ गये.."
रोहन को बिंदिया के चूतड़ बहुत अच्छे लग रहे थे, उसके मुँह में पानी आ गया। रोहन ने बिंदिया की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सामने उल्टा खड़ा किया और उसे सामने दीवार के सहारे खड़े रहने को कहा। बिंदिया के ऐसा खड़े होने से उसके मोटे-मोटे चूतड़ रोहन के मुँह के सामने आ गये। वो अपने हाथों से बिंदिया के चूतड़ों को मसलने लगा। रोहन ने बिंदिया से उसकी टाँगों को थोड़ा चौड़ा करने को कहा। रोहन ने अपना हाथ नीचे लेजाकर बिंदिया की कच्छी के ऊपर से उसकी चूत को मसलते हुए अपने मुँह से उसके चूतड़ों को चाटते हुए अपने दाँतों से काटने लगा।
बिंदिया के मुँह से हल्की सिसकी निकल गई- “ओईई... क्या कर रहे हो?”
रोहन ने बिंदिया को थोड़ा और पीछे किया और बिंदिया ने अपने चूतड़ जितना हो सकते थे पीछे कर लिया और अपना सारा वजन दीवार पे डा दिया। रोहन बिंदिया की कच्छी में हाथ डालकर बिंदिया की चूत के दाने को मसलने लगा। अचानक रोहन अपना हाथ नीचे करते हुए बिंदिया की चूत के होंठों को अपनी उंगलियों से हटाते हुए अपनी उंगली अंदर घुसाने लगा।
बिंदिया की चूत पहले से बहुत गीली थी। रोहन की उंगली जड़ तक बिंदिया की चूत में उतर गई। बिंदिया के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई... क्या कर रहे हो रोहन?”
रोहन ने अपनी उंगली बाहर निकाली और फिर अंदर कर दी और अंदर-बाहर करने लगा। बिंदिया की मजे से आँखें बंद हो गई और वो अपने चूतड़ रोहन की उंगली पर धकेलने लगी। रोहन समझ गया की बिंदिया झड़ने वाली है, और उसने अपनी उंगली की रफ़्तार तेज कर दी।
अचानक बिंदिया के मुँह से जोर की सिसकियां निकलने लगी- “ऊऊह्ह... आह्ह्ह..." और झड़ने लगी।
रोहन का हाथ बिंदिया के रस से गीला हो गया। बिंदिया को कुछ देर बाद होश आया और वो फौरन सीधी होकर अपनी सलवार पहनी और अपने आपको ठीक करते हुए जाने लगी।
रोहन ने बिंदिया का हाथ पकड़ लिया और कहा- “जान कहां जा रही हो, मुझे भी तो ठंडा कर दो?”
बिंदिया ने कहा- “धन्नो बहुत देर से बाहर अकेली बैठी है, तुम किसी और टाइम अपनी हसरत पूरी कर लेना...” और अपने कपड़े धोकर बाहर जाने लगी।
अचानक रोहन को याद आया की वो लेडीस बाथरूम है। वो जल्दी से इधर-उधर देखकर बाहर निकल गया। बिंदिया भी जल्दी से बाहर आई।
रोहन भी उसके पीछे आने लगा, और सामने कृष्णा को देखकर कहा- “तुम यहाँ कैसे?”
कृष्णा ने मुश्कुराते हुए कहा- “यहाँ की चाय की बहुत तारीफ सुनी है वो पीने आ गये.."