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Adultery धन्नो द हाट गर्ल
#10
बिंदिया मुझे एक माल में ले गई। वहाँ से उसने कुछ ब्रा खरीदी। आँटी की तरह बिंदिया की चूचियां भी बहुत बड़ी-बड़ी हैं। बिंदिया ने 38 नंबर की ब्रा खरीदी थी। वापस आते हुए मैं बिंदिया से उस लड़के के बारे में पूछने लगी। ज्यादा जोर देने पर उसने बताया की वो लड़का उसके साथ कालेज में पढ़ता है और उसका नाम रोहन है। वो मुझसे प्यार करता है और मैं भी उसे पसंद करती हूँ।
मैंने रास्ते में उससे पूछा- “यह सब कब से चल रहा है, और तुम दोनों कितने आगे बढ़ चुके हो?”
बिंदिया ने कहा- दो महीने हुए हैं और हमने अब तक बातों के अलावा कुछ नहीं किया।
घर पहुँचकर मैं बिंदिया के कमरे में चली गई और हम दोनों बातें करने लगे। मैंने बिंदिया से कहा- “आज रात तुम मेरे कमरे में सो जाओ...”

बिंदिया फौरन मान गई। आँटी को भी मैंने मना लिया। पढ़ाई करने के बाद बिंदिया और मैं मेरे कमरे में आ गये। आँटी दूध लेकर आ गई। मैंने आँटी से दूध लिया और टेबल पर रख दिया। आँटी के जाने के बाद मैंने दूध फेंक दिया।
बिंदिया मेरी तरफ हैरत से देखने लगी और पूछने लगी- “तुमने दूध क्यों फेंक दिया धन्नो?”
मैंने बिंदिया को आँटी और जय के बारे में सब कुछ बता दिया।
बिंदिया का मुँह मेरी बातें सुनकर खुला रह गया और वो हैरत से कहने लगी- “धन्नो तुमको जरूर कुछ गलतफहमी हुई है। मेरी माँ ऐसी नहीं हो सकती...”
तभी मुझे आँटी के आने की आहट सुनाई दी मैंने बिंदिया को कहा- “जल्दी से सोने की आक्टिंग करो...”
आँटी हमें सोता हुआ देखकर ग्लास उठाकर चली गई। आँटी के जाने के बाद बिंदिया उठी, उसकी साँसें अब भी ऊपर-नीचे हो रही थीं। मुझे ना जाने क्या हुआ की मैंने बिंदिया की चूचियां थाम ली और उन्हें दबाने लगी। बिंदिया की चूचियां बहुत नरम थी, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की जैसे कोई फोम का टुकड़ा हाथ में हो।
बिंदिया ने उखड़ती हुई साँसों से कहा- “आहहह... धन्नो क्या कर रही हो?”
मैंने उसकी ना सुनते हुए अपना हाथ नीचे सरकाते हुए उसकी सलवार में घुसा दिया और कच्छी के ऊपर से ही । उसकी योनि को रगड़ने लगी। बिंदिया अब मजे से पागल हो रही थी और तेजी से सिसकते हुए अपनी टाँगें चौड़ी कर दी, और अपनी आँखें बंद कर ली। मैंने आगे बढ़ते हुए अपना हाथ उसकी कच्छी में डाल दिया और उसकी चूत का छेद ढूँढ़ने लगी।
अब बिंदिया मजे से छटपटा रही थी। बिंदिया ने अपना हाथ भी सलवार में घुसा दिया और मेरे हाथ को पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। मैं अपनी उंगली से उसकी चूत के दाने को टटोलने लगी, और उंगली नीचे करके चूत के छेद में फिराने लगी। उसकी चूत रस से गीली हो चुकी थी। मैंने अपना हाथ बिंदिया की सलवार से बाहर निकाला, और वो कुछ समझ पाती इससे पहले मैंने उसकी सलवार नीचे उतार दी और कच्छी भी नीचे सरका दी। मैं अपना मुँह उसकी गीली चूत के पास ले गई, तो उसकी चूत से भीनी-भीनी महक आ रही थी।
मुझे बिंदिया की चूत की महक बहुत अच्छी लग रही थी। मैं अपनी नाक उसकी चूत के करीब करके उसकी महक सँघते हुए अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगी। बिंदिया के मुँह से अब लंबी-लंबी साँसें और सिसकियां निकल रही थीं। मैंने अपना मुँह बिंदिया की चूत में घुसा दिया और उसकी फाँकें चूसने लगी। उसकी चूत चाटने में मुझे बहुत मजा आ रहा था, क्योंकी उसकी चूत का स्वाद बहुत बढ़िया था।
 horseride  Cheeta    
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RE: धन्नो द हाट गर्ल - by sarit11 - 26-12-2018, 01:51 PM



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