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Adultery लघु कथा - मेरे विचार (with Pictures and Gifs)
वो अब राजा के खड़े लन्ड को देख चौंक जाती है, उसका लन्ड चाचा के लन्ड से कई गुना बड़ा दिख रहा था, वो राजा का लन्ड अब अपने दाएं हाथ में पकड़ लेती है। उसको मालूम था की राजा की नींद इतनी आसानी से नहीं टूटने वाली , तो इस वजह से वो अब बिना डर के राजा के लन्ड को सहलाने लगती है , उसको राजा के लन्ड की गर्मी महसूस हो रही थी, वो अब उसके लन्ड की चमड़ी ऊपर नीचे करने लगती है और अब उसके सामने राजा के लन्ड का गुलाबी सुपाड़ा था, निर्मला की नजर उस सुपाड़े पर टिकी हुई थी, जो अब हल्की धूप में चमक रहा था। निर्मला को राजा के लन्ड में से थोड़ा सा सफेद सा पानी निकलता दिखता है और वो बिना सोचे समझे नीचे झुक कर उसके सुपाड़े पर जमा हुआ वो सफेद सा वीर्य अपनी जुबान से चाट लेती है।

"उम्म", राजा हलके से करहाने लगता है, एक पल के लिए निर्मला का दिल उसके मुंह से बाहर निकलने को आता है वो आवाज सुनकर, लेकिन वो देखती है की राजा नींद में है और वो देख वो एक बार फिर से उसके लन्ड को चूसने लगती है। निर्मला के दिमाग पर अब हवस छा गई थी और वो अपना और राजा का रिश्ता भूलकर उसके लन्ड को चूसने लगती है। राजा का लन्ड सच में काफी बड़ा था और निर्मला बस उसका आधा ही अपने मुंह में ले पा रही थी। थोड़ी देर तक वो राजा का लन्ड अच्छे से चूसकर उसको अपनी थूक से पूरा भीगा देती है। अब वो अपने दोनो हाथो से उसके लन्ड को सहलाने लगती है, राजा भी नींद में ही करहाने लगता है, निर्मला को महसूस होता है की अब किसी भी वक्त राजा के लन्ड से वीर्य निकल सकता है और वो उसका लन्ड फिर से अपने मुंह में भरकर हिलाने लगती है। राजा का लन्ड एकदम से टाइट हो जाता है और एक के बाद वीर्य की ३,४ पिचकारीया सीधे निर्मला चाची के मुंह में गिरने लगती है, निर्मला उस गर्म पानी के एहसास से राजा का लन्ड और तेज़ी से निचोड़ने लगती है। राजा के वीर्य से निर्मला का पूरा मुंह भर गया था पर वो अभी भी उसका लन्ड चूसकर बाकी का बचा हुआ वीर्य भी निकल रही थी। आखिर कार वो राजा का लन्ड अपने मुंह से बाहर निकाल कर अपना मुंह बंद कर देती है। उसका मुंह राजा के वीर्य से लबालब भरा पड़ा था और कुछ वीर्य तो उसके होंठो पर से होता हुआ बेड पे गिर रहा था। बेड पर राजा अभी भी नींद में था। निर्मला थोड़ी देर तक रुकती है और राजा का गर्म वीर्य एकदम से निगल जाती है। वो अब अपने होंठो पर से हाथ फेरते हुए राजा के वीर्य की बची हुई बूंदों को भी निगल जाती है। उसके दिमाग पर छाया हुआ हवस का बादल अब हट जाता है और वो एकदम से होश में आ जाती है। उसके सामनें बेड पे उसका लाडला भतीजा नंगा सोया हुआ था, उसका लन्ड थूक और वीर्य से सना हुआ था और निर्मला ने खुद उसके भतीजे के साथ एक बहुत ही गंदा काम किया था। वो शर्म से पानी पानी हो जाती है ओर वहा से भाग कर अपनी रूम में चली जाती है। उसके मुंह में अभी भी राजा के वीर्य का स्वाद था, और वो स्वाद निर्मला को न चाहते हुए भी काफी मीठा सा लग रहा था. वो अब आइने के सामने खड़ी अपने आप को देखने लगती है, उसको शर्म आ रही थी, पर उसके चेहरे पे अभी भी राजा के वीर्य की बूंदे थी। वो तुरंत वहा से अब वॉशरूम में जाती है और अपना मुंह साफ करने लगती है। लेकिन अब जो हो चुका था वो मिटा पाना नामुमकिन था। वो वापिस राजा के रुम में आती है और सब ठीक है या नहीं इसका जायजा लेकर रूम ठीक से बंद कर के किचन मे काम करने लगती है।

नहाने के बाद मैं सीधे किचन में गया चाय पीने, मैने चाची से गर्मागर्म स्वादिष्ट चाय की मांग की, पर निर्मला चाचा मेरी तरफ ठीक से देख भी नहीं पा रही थी, मुझे समझ नही आया की वो ऐसी चुपचाप क्यों हैं। असल में निर्मला शर्मिंदा थी की उसने अपने प्यारे भतीजे के साथ जो किया वो सोचकर. क्या होगा अगर उसको पता चला की उसकी चाची ने उसके साथ ये सब किया? क्या वो मुझसे नफरत करेगा, या फिर वो कभी भी मुझसे मिलने नही आयेगा, अगर इनको (चाचाजी) पता चल गया तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी, ये सारे सवाल निर्मला के मन में आ रहे थे, और ऐसे में उसका हाथ चाय के गर्म पतेली से छू जाता है और वो चिल्ला उठती है

"आह्ह्ह्ह्ह, आह्ह्ह्ह्", निर्मला की आवाज सुनकर मैं तुरंत चाची के पास गया। वो अपना हाथ जोरो से हिला रही थी। मैने तुरंत उनका हाथ पकड़ा और उनकी उंगली को अपने मुंह में भर दी। एकदम से चाची मेरी तरफ़ देखने लगी, उनके चेहरे पर से दर्द की जगह शर्म ने ले ली। मेरा ध्यान उनके चेहरे पे नही था, लेकिन चाची मेरी हरकत देखकर शर्म से पानी हो चुकी थी। मैने उनके हाथ पर ठंडा पानी डाल और उनको एक जगह पर बिठाकर क्रीम उनके हाथ पर लगाने लगा। चाची मेरी तरफ देखे जा रही थी, लेकिन मुझे उनके दर्द की ज्यादा परवाह थी। क्रीम लगाने के बाद मैने चाची को वही बिठाया और उनके पास बैठकर चाय पीने लगा।

"चाची, ऐसा क्या सोच रही थी की आप का ध्यान नहीं रहा चाय पर", मैने चाय पीते हुए चाची से कहा

"नही, कुछ नही।।", चाची ने दूसरी तरफ देखते हुए कहा। मैने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और मेरे हाथ का एहसास पाकर चाची ने मेरी तरफ देखा.

" चाची, अगर आपको कोई भी तकलीफ हो तो चाचा से पहले आप मुझे बता ना, मैं आपकी हर तकलीफ खत्म कर दूंगा", मैं ने हंसते हुए कहा। चाची के चेहरे पर मेरी बात सुनकर हसीं छा गई। वो मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर मेरी तरफ एक अलग ही नजरो से देखने लगी। चाय पीने के बाद मैने चाची को खाना बनाने से मनाई कर दी, क्योंकि उनका हाथ अभी भी दर्द कर रहा था और साथ में ही मैंने आज उनकी एक अधूरी ख्वाहिश को पुरा करने के बारे मे उन को बताया। चाची मेरी तरफ देखने लगी, तो मैंने उनको सारी पहनकर तयार होने के लिए कहा।

"कौनसी ख्वाहिश, राजा?", चाची ने फिर से मुझ से पूछा। "आज मैं आपको पूरा शहर घुमाऊंगा मेरी बाइक पर", मैने उनकी तरफ देखते हुए कहा।

चाची के आंखों में एकदम से आसू आने लगे, वो वही खड़ी मुझे देखने लगी, मैने उनके आंखो से बहते आंसुओ को देखा और उनके पास जाकर उनके आंसू पोंछे लगा। चाची मुझ से लपेट कर आंसू बहाने लग गई, मैने उनके पीठ पर से हाथ फेरते हुए उनको चिदाना शुरू कर दिया।

"चाची, आप रोते वक्त बहुत गंदी दिखती हो, ही ही ही", निर्मला चाची ने ये बात सुनके मेरी कमर पर हल्के से चुटकी काटी और अपने आंसू पोंछे हुए वो अपने रूम में चली गई सारी पहनने के लिए। मैं थोड़ी देर वही नीचे खड़ा था ये सोचते हुए की चाची अब क्या कर रही होंगी। क्या वो अपना ब्लाउज उतार रही होंगी, या फिर नया ब्लाउज पहनकर अपने आप को आयने में देख रही होंगी। मैं अपनी यादों में था की तब मुझे ऊपर से चाची ने पुकारा। मै तुरंत ऊपर गया और रूम में गया तो चाची अपनी नई ब्लाउज की डोर नही बांध पा रही थी। उनको ऐसे देख से मेरी पैंट में तम्बू सा बन गया, चाची के हाथ पर जख्म होने के कारण उनको ब्लाउज पहनने में दिक्कत हो रही थी। उनकी खुली पीठ और ब्रा की स्ट्रिप मेरे सामने थी।

"राजा, मेरे ब्लाउज की डोर बांध दो ना, मेरे हाथ में पट्टी है ना", निर्मला चाची ने मुझे पुकारते हुए कहा।
मेरा ध्यान अपनी पैंट पर नहीं था, लेकिन निर्मला चाची को नजर मेरी पैंट पर जाती है
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RE: लघु कथा - मेरे विचार (with Pictures and Gifs) - by Silverstone93 - 28-11-2021, 06:01 PM



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