08-08-2021, 03:14 PM
फागुन
फागुन हो , देवर भाभी हों और होली न हो,...और होली के लिए रंग का होना जरूरी थोड़े ही है,
और कम्मो भौजी का देवर ननद दोनों के साथ साल भर होली, ...
बस कम्मो ने हथेली में भर के ढेर सारी बखीर उठा के, अपने देवर के गालों पर पोत दी और गुड्डी को बोला चल चाट चाट के साफ़ कर,
और उसे तो यही चाहिए थे, बस गुड्डी कस कस के, मेरी ननद ने मेरे साजन के गाल एकदम चाट चाट के साफ़ कर दिए, ...
मुझे कुछ बदमाशी सूझी , मैंने कम्मो को आइडिया दी, और फिर हम दोनों ने मिल के ननद रानी को पलंग पर लिटा दिया, कस के
और मैंने कलछुल से निकाल निकाल के बर्फ सी ठंडी बखीर, दो दो कलछुल ननद के छोटे छोटे जोबन पर, इतनी बखीर डाल दी की दोनों उगते उठते उभार छुप गए ,
और कम्मो ने अपने देवर को सीधे अपनी ननद के उभारों पर,
" चाट अपनी बहिनिया क चूँची"एकदम लालची वो, पांच मिनट में सारी बखीर साफ़ थी, हाथ उनके खुल गए थे और अब मैं अपनी ननद की बिलिया फैला के उसमे बड़े चम्मच से बखीर, ... वहां पहले से उसके भैया की रबड़ी बजर बजर कर रही थी,... कुछ बखीर जांघों पर,
और अब मेरी ननद के ऊपर लेटे लेटे सरक के सीधे प्रेम गली पर , ननद कौन छोड़ देती उसने भी मुंह खोल के अपने भैया का गड़प, थोड़ी देर पहले ही वो पूरा घोंट चुकी थी
मस्त 69 चालू हो गया था , ऊपर भैया बहिन की बुर चाट रहे थे
नीचे से बहिनिया अपने भैया का मोटा लंड घोंटे हुए थे,
और जैसे ही वो चाट के बखीर साफ़ करते मैं कलछुल से एक दो कलछुल और,...
पर कम्मो भौजी के देवर अकेले अकेले कम्मो की ननद का मजा लें ये तो नाइंसाफी होती न ,
तो वो भी , फिर मैं भी....
अब हम तीनो चूत चटोरे, कुँवारी कसी चूत के रसिया,...
थोड़ी देर में ही गुड्डी रानी की हालत खराब हो गयी , जब मेरा सैंया उसकी क्लिट चाटता चूसता तो मैंने उसकी बहन की बुर में जीभ डाल के चोदती, मेरी उँगलियाँ ननद के बंद गाँड़ के छेद का हाल चाल लेती और
कम्मो कुछ और कीमियागिरी में मगन थीं , मैंने बोला था न वो अपनी कुठरिया से ' कुछ ' लायी थी
पाउच देसी दारू , वो भी महुआ वाली , कुछ उन्होंने बखीर में मिलाया और कुछ मुझे अपने देवर को हटा के अपनी ननद की बुरिया को फैला के , एक पाउच में छेद करके , बूँद बूँद,
बहन की बुर से महुआ , नशा सौ गुना हो गया , और वहीं से कभी सपड़ सपड़ चाटते तो कभी चूसते,
गुड्डी कितनी बार झड़ी पता नहीं, हालत एकदम खराब थी ,... और थोड़ी देर में उसके दिन के भैया रात के सैंया को हटाकर हम दोनों, मैं और कम्मो
लेज 69
वो झड़ झड़ के थेथर हो गयी , पर हम दोनों ने उसे नहीं छोड़ा जब तक हम दोनों को उसने चूस चूस के नहीं झाड़ा,
और ये देख कर खूंटा इनका पागल,
लेकिन अब मेरी ननद की हालत बहुत खराब थी , इसलिए देवर पर उनकी भौजी ने नंबर लगाया,
उस रात मेरा रिकार्ड भी टूटा एक रात का,
ये सात बार झड़े ,
ननद के झड़ने की गिनती कोई भौजाई करती है जो हम करते,
सात बार में चार बार मेरी ननद की बुरिया में और दो बार अपनी कम्मो भौजाई के अंदर।।।
फागुन हो , देवर भाभी हों और होली न हो,...और होली के लिए रंग का होना जरूरी थोड़े ही है,
और कम्मो भौजी का देवर ननद दोनों के साथ साल भर होली, ...
बस कम्मो ने हथेली में भर के ढेर सारी बखीर उठा के, अपने देवर के गालों पर पोत दी और गुड्डी को बोला चल चाट चाट के साफ़ कर,
और उसे तो यही चाहिए थे, बस गुड्डी कस कस के, मेरी ननद ने मेरे साजन के गाल एकदम चाट चाट के साफ़ कर दिए, ...
मुझे कुछ बदमाशी सूझी , मैंने कम्मो को आइडिया दी, और फिर हम दोनों ने मिल के ननद रानी को पलंग पर लिटा दिया, कस के
और मैंने कलछुल से निकाल निकाल के बर्फ सी ठंडी बखीर, दो दो कलछुल ननद के छोटे छोटे जोबन पर, इतनी बखीर डाल दी की दोनों उगते उठते उभार छुप गए ,
और कम्मो ने अपने देवर को सीधे अपनी ननद के उभारों पर,
" चाट अपनी बहिनिया क चूँची"एकदम लालची वो, पांच मिनट में सारी बखीर साफ़ थी, हाथ उनके खुल गए थे और अब मैं अपनी ननद की बिलिया फैला के उसमे बड़े चम्मच से बखीर, ... वहां पहले से उसके भैया की रबड़ी बजर बजर कर रही थी,... कुछ बखीर जांघों पर,
और अब मेरी ननद के ऊपर लेटे लेटे सरक के सीधे प्रेम गली पर , ननद कौन छोड़ देती उसने भी मुंह खोल के अपने भैया का गड़प, थोड़ी देर पहले ही वो पूरा घोंट चुकी थी
मस्त 69 चालू हो गया था , ऊपर भैया बहिन की बुर चाट रहे थे
नीचे से बहिनिया अपने भैया का मोटा लंड घोंटे हुए थे,
और जैसे ही वो चाट के बखीर साफ़ करते मैं कलछुल से एक दो कलछुल और,...
पर कम्मो भौजी के देवर अकेले अकेले कम्मो की ननद का मजा लें ये तो नाइंसाफी होती न ,
तो वो भी , फिर मैं भी....
अब हम तीनो चूत चटोरे, कुँवारी कसी चूत के रसिया,...
थोड़ी देर में ही गुड्डी रानी की हालत खराब हो गयी , जब मेरा सैंया उसकी क्लिट चाटता चूसता तो मैंने उसकी बहन की बुर में जीभ डाल के चोदती, मेरी उँगलियाँ ननद के बंद गाँड़ के छेद का हाल चाल लेती और
कम्मो कुछ और कीमियागिरी में मगन थीं , मैंने बोला था न वो अपनी कुठरिया से ' कुछ ' लायी थी
पाउच देसी दारू , वो भी महुआ वाली , कुछ उन्होंने बखीर में मिलाया और कुछ मुझे अपने देवर को हटा के अपनी ननद की बुरिया को फैला के , एक पाउच में छेद करके , बूँद बूँद,
बहन की बुर से महुआ , नशा सौ गुना हो गया , और वहीं से कभी सपड़ सपड़ चाटते तो कभी चूसते,
गुड्डी कितनी बार झड़ी पता नहीं, हालत एकदम खराब थी ,... और थोड़ी देर में उसके दिन के भैया रात के सैंया को हटाकर हम दोनों, मैं और कम्मो
लेज 69
वो झड़ झड़ के थेथर हो गयी , पर हम दोनों ने उसे नहीं छोड़ा जब तक हम दोनों को उसने चूस चूस के नहीं झाड़ा,
और ये देख कर खूंटा इनका पागल,
लेकिन अब मेरी ननद की हालत बहुत खराब थी , इसलिए देवर पर उनकी भौजी ने नंबर लगाया,
उस रात मेरा रिकार्ड भी टूटा एक रात का,
ये सात बार झड़े ,
ननद के झड़ने की गिनती कोई भौजाई करती है जो हम करते,
सात बार में चार बार मेरी ननद की बुरिया में और दो बार अपनी कम्मो भौजाई के अंदर।।।