Thread Rating:
  • 7 Vote(s) - 3 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
राजकुमार विजयवर्मन ने अपनी भाभी की बात अनसुनी करते हुए राजकुमार देववर्मन से पूछा.


" क्या अब मुझे आज्ञा है ??? ".

वीर्यपात की थकान से चूर राजकुमार देववर्मन में इतनी भी शक्ति नहीं बची थी की वो अपने छोटे भाई को हाँ या ना में कोई उत्तर दे पाते, या फिर शायद अब उनका मन ही नहीं था बात करने का. उन्होंने अपना एक हाथ उठाकर अपने भाई की ओर देखे बिना ही उसे जाने का इशारा भर कर दिया.

राजकुमार विजयवर्मन अपने वस्त्र पहनने लगें. अपने पति के शरीर से लिपटी हुई चित्रांगदा अपनी होंठों पर हल्की मुस्कान लिए उन्हें कपड़े पहनते हुए देखती रही. फिर जब उनका कपड़ा पहनना हो गया तो उसने पास ही पड़ी चादर खींच कर खुद का और राजकुमार देववर्मन का नंगा शरीर ढंक लिया !

राजकुमार विजयवर्मन तैयार होकर जब जाने को हुए तो पीछे से राजकुमार देववर्मन की आवाज़ आई.

" जाइये अनुज... आपका आभारी हूँ की आप हमारी क्रीड़ा देखने हेतु इतनी देर रुकें. वैसे अब से हमें शायद आपकी आवश्यकता ही ना पड़े, अवंतिका की बातें ही हमारे लिए पर्याप्त होंगी ! आपने तो देखा ही ना की आपकी भाभी ने कैसे अवंतिका की प्यारी प्यारी बातें करके हमारी सहायता की ??? ".

राजकुमार विजयवर्मन बस एक क्षण को रुकें, अपने भाई की बात सुनने के लिए, मगर पीछे मुड़कर नहीं देखा, और और ना ही अपने मुँह से एक भी शब्द निकाले, और फिर अपने बड़े भाई की बात ख़त्म होते ही तेज़ कदमो से शयनकक्ष का दरवाज़ा खोलकर बाहर चले गएँ !!!

-----------------*******----------------



अपने भैया भाभी के शयनकक्ष से निकलकर राजकुमार विजयवर्मन अपने कक्ष की ओर चल पड़े. उनके मन में कई सारे ख्यालों का उधेड़बुन चल रहा था - अपने बड़े भाई का आपत्तिजनक व्यवहार, भाभी की मीठी मीठी बातों में छिपी कुटिलता, और सबसे बड़ी बात, उनका और अवंतिका का भविष्य ! उनका मन अभी तय कर ही रहा था की वो एक बार अपनी छोटी बहन राजकुमारी अवंतिका से मिलते चलें, की उनके कदम अवंतिका के शयनकक्ष की ओर ऐसे बढ़ चले, मानो सब कुछ पहले से ही तय हो चुका हो.



राजकुमार विजयवर्मन को आते देख राजकुमारी अवंतिका के शयनकक्ष के बाहर खड़ी दासी दौड़ कर अंदर चली गई, और फिर राजकुमार विजयवर्मन के द्वार तक पहुँचते पहुँचते वापस जल्दी से बाहर आ गई, और उनसे कहा.



" आपका स्वागत है राजकुमार... परन्तु राजकुमारी अवंतिका ने आपसे क्षमा मांगी है, उनके सोने का समय हो चला है ! ".



" अगर ऐसी बात है तो मुझे स्वयं उनसे मिलकर उन्हें क्षमा करना होगा ! ". राजकुमार विजयवर्मन ने ब्यंग भरी मुस्कान के साथ कहा, और दरवाज़े से अंदर दाखिल होने के लिए आगे बढे तो दासी सिर झुकाकर एक ओर खड़ी हो गई और उन्हें अंदर प्रवेश करने का रास्ता दे दिया.



कमरे के अंदर एक बड़े से आईने के सामने राजकुमारी अवंतिका बैठी हुई थी और उनके अगल बगल दो दासीयां उनके बाल बना रही थीं. राजकुमारी अवंतिका ने बिना पीछे मुड़े आईने में राजकुमार विजयवर्मन के प्रतिबिम्ब से नज़रें मिलाते हुए कहा.



" औरतों के शयनकक्ष में दासीयों के रहने का कोई तो उद्देश्य होगा ना भैया ??? ".



" अवश्य ! राजकुमारी की सेवा करना, ना की अपने ही प्रियजनों को उनसे मिलने से रोकना... ". विजयवर्मन तपाक से बोलें.



अवंतिका ने उठ कर खड़े होते हुए अपनी दोनों दासीयों को बाहर जाने का इशारा किया, तो उन दोनों के साथ साथ बाकि की दासीयां भी बाहर चली गईं. अवंतिका टहलते हुए विजयवर्मन के समीप जा खड़ी हुई और बोली.



" लगता है आपको मेरी दासी के कथन पर यकीन नहीं हुआ ! ".



" अब हो गया... ". विजयवर्मन ने अपनी बहन को चिढ़ाने के मकसद से घूरते हुए कहा. " आपकी आँखे देखकर ! सचमुच में आपको नींद आ रही है... ".


" अगर कोई अति आवश्यक बात है तो कहिये भैया, नहीं तो सुबह होने की प्रतीक्षा कीजिये... आँख खुलते ही सबसे पहले आपसे ही मिलूंगी ! ". अवंतिका ने अपना मुँह घुमाते हुए कहा.

[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam - by usaiha2 - 24-07-2021, 06:15 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)