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मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
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अनिकेत के बारे में मेघना गलत थी, और कुछ हद तक अभिषेक भी... क्यूंकि उस दिन के बाद से अनिकेत ने उनके घर आना जाना बंद नहीं किया !



अभिषेक समझ नहीं पा रहा था कि उसकी पत्नि ने जब अनिकेत से कहा था कि " पर I think आप हमारे घर में जब जी चाहे आ सकतें हैं !!! " तो वो बस उसे बहलाने के लिए कहा था, या फिर इस वाक्य का मतलब वही था जो सुनने में लग रहा है !!!



बहरहाल जो भी हो, मुद्दे कि बात ये थी कि अनिकेत उनके घर में आने जाने लगा था, रोज़ाना ना सही, फिर भी एक दो दिन छोड़कर तो आता ही था. इस दौरान अभिषेक उससे कोई बात नहीं करता था, शुरू में तो एकदम ही नहीं, फिर कुछ दिन बाद से बस " हाय " " हेलो " " कैसे हो " तक ही सिमित रहा करता था. मेघना अपने पति को किसी तरह संभालती थी, और कहती थी कि अनिकेत कि वजह से उसे गुस्सा होकर खुद अपना मूड ख़राब करने कि कोई ज़रूरत नहीं. उसी के सुझाव पर अभिषेक हर संभव कोशिश करता था कि जब भी अनिकेत घर में आये, वो उसके सामने ना जाये.



अनिकेत युवा लड़का ज़रूर था पर सब कुछ समझता तो था ही. उसे बुरा ना लगे, इसलिए वो जब भी घर आता था, मेघना उससे अच्छे से बात किया करती थी, इनफैक्ट जब कभी अभिषेक घर में नहीं होता था, तो वो अनिकेत को घर के ड्राइंग रूम में छोड़कर निश्चिन्त होकर घर के अपने सारे काम किया करती थी, यहाँ तक कि कुछ कामों में अनिकेत उसका हाथ भी बटा दिया करता था. दोनों कभी कभार साथ बैठकर टीवी भी देखते थें, अभिषेक घर में रहे या ना रहे, दोनों सूरतों में. दोनों घुलमिल गएँ थें, ऐसा कहना तो गलत होगा, मगर इतना तो तय था कि मेघना अनिकेत पर भरोसा करती थी, वो जवान था, कम उम्र का लड़का था, थोड़ा ज़्यादा बकबक करता था, थोड़ा बेबाक था, पर अच्छे स्वभाव का था और उससे किसी को कोई हानि होने वाली नहीं थी.



पहले अनिकेत मेघना को " मेघना जी " कहकर बुलाया करता था, फिर बाद में " भाभी " और " मेघना भाभी " पर उतर आया. मेघना को इसमें कोई ऐतराज़ नहीं था. अभिषेक को वो " अभिषेक भैया " कहकर बुलाता था, जो कि ज़ाहिर है अभिषेक को पसंद नहीं था, पर वो कुछ बोलता नहीं था, वैसे भी उसे उससे ज़्यादा बात करने कि नौबत तो आती ही नहीं थी.



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जो भी हो, बस ऐसे ही दिन गुजर रहा था, और करीब एक महीना और बीत गया...





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" अरे अनिकेत... अच्छा हुआ तुम आ गये ! ". अनिकेत को घर में आता देख मेघना को आज पहली बार इतनी ख़ुशी हुई थी.



" क्या हुआ भाभी ? ". अंदर आते ही अनिकेत ने अपना मोबाइल अपनी जीन्स में रखते हुये कहा.



मेघना का चेहरा मुरझाया हुआ था. लाल रंग कि पुरानी सी नाईटी पहने और कमर से दुपट्टा बांधे, बिखरे उलझे अस्त व्यस्त बालों में वो काफ़ी परेशान दिख रही थी. लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर एक अजीब सी चमक आ गई थी, जब उसने अनिकेत को देखा.



" कोई काम था क्या भाभी ? ". अनिकेत ने पूछा.



" काम तो था अनिकेत... कैसे कहूं ! ". मेघना ने कहा. " देखो ना, तुम्हारे भैया भी घर पर नहीं हैं, फैक्टरी जाना पड़ा उन्हें ! ".



" हाँ हाँ बोलिये ना भाभी... मेहनत वाला काम है क्या ? ". अनिकेत हँसते हुये बोला. " पलंग आलमारी वगैरह शिफ्ट करना है क्या ? ".



मेघना हल्के से मुस्कुराई, पर कुछ बोली नहीं, जैसे कि उसके मन में कुछ और उधेड़बुन चल रहा हो.



" आप परेशान भी लग रहीं हैं... क्या हो गया ? ". अनिकेत ने पूछा.



" तुम्हें थोड़ा मार्केट जाना पड़ेगा... ". मेघना ने कहा. " जा पाओगे ? ".



" हाँ... क्यूँ नहीं ? बाइक है तो मेरे पास ! ".



" Okay... good ! ". बोलकर मेघना चुप हो गई, जैसे कि उसे पता ना हो कि आगे क्या बोले.



" लाना क्या है भाभी जी, ये तो बताइये ! ". अनिकेत बोला. " चीनी, चायपत्ती, दाल... बस सब्जी मत बोलियेगा, मुझे सब्जी मार्केट जाना पसंद नहीं... प्लीज् ! ".



" नहीं नहीं... वो सब नहीं ! ".



" फिर ? ".



" सुनो ना अनिकेत... ". मेघना कुछ कहने जा रही थी, पर फिर से हिचकिचाई . " कैसे कहूं तुमसे ? ".



" फिर वही बात ! बोलिये ना भाभी... क्या ??? ".



" तुम कुछ सोचोगे तो नहीं ना अनिकेत ? ".



" My God... भाभी प्लीज् ! ". अनिकेत तंग आते हुये बोला.



" Okay okay... ". मेघना ने जल्दी से कहा, थोड़ी रुकी, फिर नज़रें नीची करते हुये बोली. " सुनो ना... मुझे Sanitary Napkin ला दोगे ? "



अनिकेत स्तब्ध होकर मेघना का मुँह ताकने लगा.



अनिकेत कि चुप्पी से मेघना का साहस थोड़ा सा बढ़ा, उसने अबकी बार आँखें ऊपर उठाकर अनिकेत कि आँखों में देखते हुये कहा.



" प्लीज् अनिकेत... I hope you don't mind ! ".



" No.. no भाभी... It's fine ! ". अनिकेत ने हकलाते हुये कहा.



" अपना मोबाइल दो... ". मेघना ने कहा.



मंत्रमुग्ध से खोये हुये अनिकेत ने अपनी जीन्स के पॉकेट से अपना मोबाइल निकाला और अनलॉक करके मेघना के हाथ में दे दिया. मेघना जब तक उसकी मोबाइल लेकर कुछ करती रही, अनिकेत बेवकूफ़ कि तरह इधर उधर देखता रहा, फिर अनायास ही उसकी नज़र मेघना कि चूत वाली जगह पर चली गई, जहाँ मेघना ने अपनी नाईटी के ऊपर से एक दुपट्टा बाँध रखा था, पर किसी और कि बीवी के अंदरूनी अंग को इस तरह से घूरना गलत है, ये एहसास होते ही उसने तुरंत अपनी नज़रें वहाँ से हटा ली.



" ये लो... ". मेघना ने अनिकेत को उसका मोबाइल वापस करते हुये कहा. " मैंने जिस ब्रांड कि फोटो ली है वही वाला दिखा देना, शॉपकीपर दे देगा, तुम्हें कुछ बोलना नहीं पड़ेगा ! ".



अनिकेत अपनी मोबाइल देख ही रहा था कि मेघना ने फिर से कहा, मगर थोड़े धीमे से हिचकती हुई आवाज़ में.



" दो जोड़ी पैंटी भी ला देना प्लीज्... मैंने ब्रांड कि फोटो दी हुई है, साइज वगैरह सब है उसमें ! ".



अनिकेत को कुछ बोलने या पूछने का मौका दिए बिना मेघना जल्दी से कमरे से बाहर गई, और वापस आकर अनिकेत के हाथ में कुछ नोट देकर उसकी मुट्ठी बंद कर दी, और एक गहरी साँस लेकर थोड़ा शांत होकर बोली.



" I am so sorry अनिकेत... मैं तुम्हें कभी नहीं बोलती, पर मुझे अभी के अभी ज़रूरत है ! तुम्हारे अभि भैया के आने का वेट नहीं कर सकती मैं ! ".



" कोई बात नहीं भाभी जी... मैं चला जाता हूँ ! ". अनिकेत ने रोबोट कि तरह कहा.



" This is so embarrassing... सॉरी अनिकेत !!! ".



अनिकेत जबरदस्ती मुस्कुराया, और जाने के लिए पीछे मुड़ा.



" और थोड़ा जल्दी आना अनिकेत... थैंक्स ! ". मेघना ने पीछे से जल्दी से पुकारकर कहा.



उनके घर से बाहार निकलते हुये, फिर अपने घर जाकर अपनी बाइक निकालकर स्टार्ट करते हुये, बाज़ार जाते हुये, और मेघना भाभी के लिए स्पेशल खरीदारी करते हुये अनिकेत अपने आपे में नहीं था, बस यही सोच रहा था, कि अभी अभी क्या हुआ उसके साथ...भला ऐसे कोई औरत किसी पड़ोसी लड़के को ये सब लड़कीयों वाला सामान लाने भेंजती है क्या ??? वो भी ऐसे लोग जो अपने पड़ोसीयों से सीधे मुँह बात तक नहीं करतें... सेल्फिश कहीं के... लेकिन ये भी तो सच था कि मेघना भाभी ने तो उससे कभी बुरा बर्ताव नहीं किया... बस उनका पति उसे ऐटिटूड दिखता था... कमीना साला !!! खैर, हो सकता है मेघना भाभी को लगा हो कि उनके पास ये सारी चीज़े स्टॉक में है, पर अचानक से ऐसी इमरजेंसी में पता चला होगा कि... कह नहीं सकतें... पता नहीं क्या माज़रा है !



20 साल कि उम्र में अनिकेत को ये एक Shocking Incident लग रहा था, अगर वो थोड़ा बड़ा और Matured होता, मेघना और अभिषेक कि तरह, तो शायद उसका रिएक्शन ऐसा ना होकर थोड़ा सामान्य, थोड़ा अलग होता !


मर्ज़ी से, बिना मर्ज़ी से, जो भी हो जैसा भी हो, आखिरकार बेचारा अनिकेत बाज़ार से मेघना का बताया हुआ सारा सामान ले आया... जल्द से जल्द, जैसा कि मेघना ने रिक्वेस्ट किया था !
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RE: मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam - by usaiha2 - 23-07-2021, 01:37 PM



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