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मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
रसोई में

मैं घर में खाना पका रही, साजन पीछे से आ पहुँचे, 
मैं देख भी न पाई उनको, बाँहों में मुझे उठाय लिया, 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मैं बोली ये क्या करते हो, ये प्यार की कोई जगह नहीं 
मैं आगे कुछ भी कह न सकी, होंठों से मुझे लाचार किया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



माथा चूमा, आँखें चूमी, गालों पे कई चुम्बन दागे 
स्तनों को दांतों से भींचा, और प्यार की निशानी छाप दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



दोनों हाथों में दो स्तन, पीछे से आकर पकड़ रखे 
उड़ने को आतुर पंछी को, शिकारी ने जैसे जकड़ रखे 
कंधे चूमे, गर्दन चूमी, कानों को दांतों से खींच लिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



एक हाथ से कमर को भींचा, दूजे से स्तन दाब रहे 
ऐसा लगता था मुझे सखी, ये क्षण हर पल आबाद रहे 
स्तनाग्रों पे उँगलियाँ वीणा सी ऊपर-नीचे सरकाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



एक हाथ अंग से खेल रहा, दूजा था वस्त्र उतार रहा 
मैंने आँखें सखी मूँद लईं, मेरा रोम-रोम सीत्कार किया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



बाँहों में उठाकर उसने मुझे, खाने की मेज पे लिटा दिया 
मैंने भी अपने अंग से सखी, सारे पहरों को हटा दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मैं लेटी थी पर मेरा अंग, उसकी आँखों के सम्मुख था 
उँगलियों से उसने सुन री सखी, चिकने अंग को सहलाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



रस से लबालब मेरे अंग में, एक ऊँगली फिर अन्दर सरकी 
मैं सिसकारी ले चहुंक उठी, नितम्बों को स्वतः उठाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



ऊँगली और अंग के घर्षण ने, रग-रग में अग्नि फूंक दई 
ऊँगली अन्दर ऊँगली बाहर, कभी गोलाकार घुमाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मैं तो चाहूँ सब कुछ देखूं, हर पल आँखों में कैद करूँ 
कुहनी के बल सुन री ओ सखी, गर्दन को अपनी उठाय लिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मैंने देखा सुन री ओ सखी, साजन कितना कामातुर था 
ऊँगली के संग-संग जिह्वा से, मेरे अंग को वो सहलाता था 
आनन्द दुगुणित हुआ सखी, जिह्वा ने अपना काम किया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



ऊँगली के आने-जाने से, अब काम पिपासा बड़ी सखी 
उस पर नटखट उस जिह्वा ने, अन्तरंग में आग लगाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मेरे अंग से रस स्रावित होता, जिह्वा रस में जा मिलता था 
दोनों मिलकर यूँ बहे सखी, मेरी जांघ-नितम्ब भिगाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मुझे पता नहीं कब साजन ने, अपनी ऊँगली बाहर कर ली 
और ऊँगली के स्थान सखी, दस अंगुल की मस्ती भर दी 
बेसब्र बिखरते यौवन में, अपने अंग को पूर्ण विस्तार दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मैंने भी अपनी टांगों से, विजयी (V) मुद्रा अब बना लई 
मेरे अंग में उसके अंग ने, अब छेड़ दई एक तान नई 
गहरी सांसें, सिसकी, हुन्कन, सब आह-ओह में मिला दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मेरे हिलते डुलते स्तन, उसने मुट्ठी में थाम लिया 
हर स्पंदन के साथ सखी, मेरी गहराई नाप लिया 
मैंने भी अंग संकुचित कर, अंग को सख्ती से थाम लिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



अब साजन ने मेरी टाँगें, अपने कन्धों पर खींच लई 
मैंने अंग में अंग को घिसते, दस अंगुल का आनन्द लिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



अंग में अंग की चहलकदमी, और स्पंदन की थाप लगी 
उत्तेजना अब ऐसी भड़की, सारी मेज पे भूकंप लाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



दोनों जंघाएँ पकड़ सखी, अंग को अन्दर का लक्ष्य दिया 
नितम्बों से ठोकर दे देकर, मुझे चरम-सुख की तरफ धकिय़ाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



थमने से पहले सुन री सखी, सब कुछ अत्यंत था तीव्र हुआ 
स्पंदन क्रमशः तेज हुए, अंगों ने अंतिम छोर छुआ 
गहरे लम्बे इन अंगों में, सब सुख था हमने लीन किया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



सुनते हैं कि ओ प्यारी सखी, तूफ़ान कष्टकर होते हैं 
पर इस तूफ़ान ने तो जैसे, लाखों सुख मुझ में उड़ेल दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मेरे अंग से उसके अंग का, रस रिस-रिस कर बह जाता था 
वह और नहीं कुछ था री सखी, मेरा सुख छलका जाता था 
आह्लादित साजन को मैंने, पुनः मस्ती का एक ठौर दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया !
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RE: मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam - by usaiha2 - 21-07-2021, 08:39 PM



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