Thread Rating:
  • 7 Vote(s) - 3 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
मुख-चोदन

मैं लेटी थी, वह लेटा था, अंग-अंग को उसने चूसा था, 
होंठों से उसने सुन री सखी, मेरे अंग-अंग को झकझोर दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



एक किरण ऊष्मा की जैसे, मेरे तन - मन में दौड़ गई 
मैंने भी उसके अंग को सखी, अपनी मुट्ठी में कैद किया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



साजन ने अपने अंग को सखी, मेरे स्तन पर फेर दिया 
रगड़ा दोनों चुचूकों पर बारी-बारी, तो आग लगाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



कहाँ रुई से नाजुक मेरे स्तन, कहाँ वह निर्दय और कठोर सखी 
पर उस कठोर और निर्दय ने, मुझको था भाव-विभोर किया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



वह निर्दय और कठोर सखी, दोनों स्तन मध्य बैठ गया 
मैंने भी उसको हाथों से, दोनों स्तनों से जकड़ लिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मांसलता में वह कैद सखी, अनुपम सुख को था ढूंढ रहा 
आगे जाता पीछे आता, मेरी मांसलता को रौंद दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



सिर के नीचे मेरे तकिया था, आँखें थी अब दर्शक मेरी 
वह उत्तेजित और विभोर सखी, मेरे मन को भरमाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मैंने गर्दन को उठा सखी, उसको मुह मांहि खींच लिया 
मुझको तो दो सुख मिले सखी, उसको जिह्वा से सरस किया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



वह दो स्तन मध्य से आता था, और मुँह में जाय समाता था 
मैंने होंठों की दी जकड़न, और जिह्वा का उसे दुलार दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



अनुभव सुख का कुछ ऐसा था, मुझको बेसुध कर बैठा था लगता था युग यूँ ही बीतें, थम जाये समय जो बीत गया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



साजन ने कई-कई आह भरीं, और अपनी अखियाँ मूंद लईं 
मैं बेसुध थी मुझे पता नहीं, कब ज्वालामुखी था फूट गया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मुँह, गाल, स्तन, गर्दन, सब आनन्द रस से तर थे सखी 
वह गर्माहट वह शीतलता, कैसे मैं करूँ बखान सखी 
मेरे मन के इस आँगन को, वह कामसुधा से लीप गया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



साजन थे आनन्द के सहभागी, मैं पुन-पुन यह सुख चाहूँ री सखी 
वह मधुर अगन वह मधुर जलन, मैंने तो चरम सुख पाय लिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam - by usaiha2 - 21-07-2021, 08:35 PM



Users browsing this thread: 5 Guest(s)