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मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
Heart 
69 का खेल 


साजन की गोद में सिर मेरा, आवारा साजन के हाथ सखी 
ऊँगली के कोरों से उसने, स्तन को तोड़ मरोड़ दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



फिर साजन ने सिर पीछे से, होंठों को मेरे चूम लिया 
कुछ और आगे बढ़ स्तन पर, चुम्बन की झड़ी लगाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



साजन अब थोड़ा और बढ़े, चुम्बन नाभि तक जा पहुँचे नाभि के नीचे भी चुम्बन, मोरा अंग-अंग थर्राय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मैंने सोचा अब क्या होगा, उई माँ ! क्या मैंने सोच लिया 
कुछ और सोचूँ उससे पहले, साजन ने होंठ टिकाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मेरी जंघाएँ फ़ैल गईं, जैसे इस पल को मैं आतुर थी 
मैं कसमसाई, मैं मचल उठी, मैंने खुद को व्याकुल पाया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



नितम्बों के नीचे पंजे रखकर, उनको ऐसा मसला री सखी मेरे अंग को जल में भीगे, कमल-दल की तरह खिलाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



शायद इतना काफी न था, साजन ने आगे का सोच रखा 
जिह्वा से मेरे अंग को उसने, उचकाय दिया, उकसाय दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



उसके नितम्ब मुख के समीप, अंग जैसे था फुफकार रहा मैंने फुफकारते उस अंग को, अपने मुंह माहि खींच लिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



चहुँ ओर से मेरा अंग खुला, उसने 'जिह्वा-जीव' को छोड़ दिया 
वह इतने अन्दर तक जा पहुंची, रोम-रोम में मेरे रस सींच दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मैं तो जैसे बेसुध थी सखी, कुछ सोच रही न सूझ रहा 
उसके उस अंग को मैंने तो, अमवा की भांति चूस लिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



जिह्वा उसकी अंग के अन्दर, और अन्दर ही जा धंसती थी 
मदहोशी के आलम में उसने, सिसकारी लेने को विवश किया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



मेरे भी अंग मचलते थे, मेरे भी नितम्ब उछलते थे साजन ने अपना मुंह चौड़ाकर, सर्वस्व अन्दर था खींच लिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



अब सब कुछ साजन के मुख में था, जिह्वा अंग में थी नाच रही 
'काम-शिखर; पे आनन्द चढ़ा, रग-रग में हिलोरें छोड़ गया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



दोनों के मुख से 'आह-प्रवाह', साजन के अंग से रस बरसा 
साजन ने अपने 'अंग-रस’ से, मुख को मेरे सराबोर किया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



हम निश्चल से आपस में लिपटे, उस पल के बारे में सोच रहे 
जिस पल में अपना सब खोकर, एक दूजे का सब पाय लिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! 



अब मेरे मन में कोई प्रश्न न था, मैंने सब उत्तर पाए सखी 
इस उनहत्तर (69) से उनके मुख से, कोटि सुख मुझमें समाये सखी 
ऐसे साजन पर वारी मैं, जिसने अद्भुत ये प्यार दिया 
उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया !
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RE: मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam - by usaiha2 - 21-07-2021, 08:31 PM



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