20-07-2021, 04:53 PM
"आह ... ओह ..." शशांक ने आह भरी, लेकिन अनुभव नया था लेकिन उसके लिए बहुत रोमांचक था। उन्होंने शिल्पा वाहिनी के सिर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपने बाएं निप्पल के सामने ले आए। शिल्पा वाहिनी अपनी जीभ बाहर निकालती है और उसके निप्पल को चाटती है और फिर धीरे से उस पर फूंकती है। उस ठंडे स्पर्श ने शशांक के पूरे शरीर को ढँक दिया। शिल्पा वाहिनी ने शशांक के बेबस चेहरे की तरफ देखा और कातिलाना मुस्कान देते हुए फिर से सिर झुका लिया। इस बार दंश इतना तेज था कि शशांक की आंखों से आंसू छलक पड़े।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.