17-07-2021, 07:02 PM
“ओहो! मेरी पावम! अच्छा! आओ.. आज, मैं तुम दोनों को अपना मूलापाल पिलाती हूँ..”
“क्या!!” अल्का और मैं, हम दोनों ही चकित रह गए !
“और क्या! जब तुम्हारे अचा पी सकते हैं, तो तुम दोनों भी.. आओ ! दूध नहीं है तो क्या हुआ?”
कह कर माँ अपनी ब्रा का हुक खोलने लगीं। हम दोनों आश्चर्यजनक रूचि लेकर माँ को ऐसा अभूतपूर्व काम करते हुए देख रहे थे। मुझे तो याद भी नहीं पड़ता कि आखिरी बार कब मैंने माँ के स्तनों से दूध पिया था। आज सचमुच बहुत कुछ बदला हुआ है। माँ ऐसा कर ही नहीं सकती थीं! लेकिन लगता है कि एक तो स्वयं के सम्भोग का अनुभव और अभी अभी हमारे सम्भोग का अवलोकन कर के उनका भी मन बदल गया था।
माँ के स्तन पोमेलो फल के आकर के थे। मेरी अल्का से उनका कोई मुकाबला ही नहीं था। मुकाबले वाली बात नहीं है, फिर भी! वैसे कमाल की बात है न? सगी बहनें, लेकिन फिर भी दोनों के शरीर में इतना अंतर!
“आओ ! इसके पहले कि मुझे ही लज्जा आ जाए, तुम दोनों अपनी माँ के स्तन पी लो!”
जाहिर सी बात है, माँ के स्तनों में दूध नहीं था। लेकिन वस्तुतः बात यह बिलकुल भी नहीं थी। बात थी माँ का हम दोनों के लिए अपना प्रेम दिखाने की शैली! वैसे पिछले कुछ दिनों में जो कुछ भी हुआ था, उसको समझना, उसकी व्याख्या करना बहुत ही कठिन काम था। वो सब करने की आवश्यकता भी क्या? जब अमृत-वर्षा हो रही हो, तब शांति से, अपने भाग्य को सराहते हुए अमृत-रस का पान कर लेना चाहिए। हम दोनों ने माँ के स्तनों को कोई तीन चार मिनट तक ‘पिया’। उस दौरान हमने उनके चूचकों की कोमलता, उनके प्रेममय स्पर्श और बातों को सुना और महसूस किया।
जब हम दोनों उनसे अलग हुए तो माँ ने कहा,
“मैंने कभी एक बार सोचा था कि जब अर्चित विवाह होगा, तब मैं उसको और उसकी भार्या को अपना दूध पिलाऊँगी। बस, और कुछ नहीं!”
“ओह माँ !” कह कर अल्का माँ से लिपट गई।
हम दोनों अभी भी नंगे बैठे हुए थे, लेकिन माँ ने वापस अपनी ब्रा पहन ली।
“कितना सुन्दर मौसम है! वहाँ तो वर्षा आने में दो महीना लगेगा!”
माँ ने रिम-झिम होती वर्षा की आवाज़ का आनंद उठाते हुए कहा। यह एक साधारण सी अभिव्यक्ति थी.. लेकिन माँ ने जिस तरह से कहा, हम सभी को बहुत अच्छा लगा। बड़ी बड़ी ख़ुशियों के पीछे भागते-भागते हम लोग छोटी छोटी ख़ुशियों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन यदि व्यक्ति संतुष्ट हो, तो वो ऐसे छोटी छोटी घटनाओं, छोटी छोटी बातों का आनंद उठा सकता है!
“क्या!!” अल्का और मैं, हम दोनों ही चकित रह गए !
“और क्या! जब तुम्हारे अचा पी सकते हैं, तो तुम दोनों भी.. आओ ! दूध नहीं है तो क्या हुआ?”
कह कर माँ अपनी ब्रा का हुक खोलने लगीं। हम दोनों आश्चर्यजनक रूचि लेकर माँ को ऐसा अभूतपूर्व काम करते हुए देख रहे थे। मुझे तो याद भी नहीं पड़ता कि आखिरी बार कब मैंने माँ के स्तनों से दूध पिया था। आज सचमुच बहुत कुछ बदला हुआ है। माँ ऐसा कर ही नहीं सकती थीं! लेकिन लगता है कि एक तो स्वयं के सम्भोग का अनुभव और अभी अभी हमारे सम्भोग का अवलोकन कर के उनका भी मन बदल गया था।
माँ के स्तन पोमेलो फल के आकर के थे। मेरी अल्का से उनका कोई मुकाबला ही नहीं था। मुकाबले वाली बात नहीं है, फिर भी! वैसे कमाल की बात है न? सगी बहनें, लेकिन फिर भी दोनों के शरीर में इतना अंतर!
“आओ ! इसके पहले कि मुझे ही लज्जा आ जाए, तुम दोनों अपनी माँ के स्तन पी लो!”
जाहिर सी बात है, माँ के स्तनों में दूध नहीं था। लेकिन वस्तुतः बात यह बिलकुल भी नहीं थी। बात थी माँ का हम दोनों के लिए अपना प्रेम दिखाने की शैली! वैसे पिछले कुछ दिनों में जो कुछ भी हुआ था, उसको समझना, उसकी व्याख्या करना बहुत ही कठिन काम था। वो सब करने की आवश्यकता भी क्या? जब अमृत-वर्षा हो रही हो, तब शांति से, अपने भाग्य को सराहते हुए अमृत-रस का पान कर लेना चाहिए। हम दोनों ने माँ के स्तनों को कोई तीन चार मिनट तक ‘पिया’। उस दौरान हमने उनके चूचकों की कोमलता, उनके प्रेममय स्पर्श और बातों को सुना और महसूस किया।
जब हम दोनों उनसे अलग हुए तो माँ ने कहा,
“मैंने कभी एक बार सोचा था कि जब अर्चित विवाह होगा, तब मैं उसको और उसकी भार्या को अपना दूध पिलाऊँगी। बस, और कुछ नहीं!”
“ओह माँ !” कह कर अल्का माँ से लिपट गई।
हम दोनों अभी भी नंगे बैठे हुए थे, लेकिन माँ ने वापस अपनी ब्रा पहन ली।
“कितना सुन्दर मौसम है! वहाँ तो वर्षा आने में दो महीना लगेगा!”
माँ ने रिम-झिम होती वर्षा की आवाज़ का आनंद उठाते हुए कहा। यह एक साधारण सी अभिव्यक्ति थी.. लेकिन माँ ने जिस तरह से कहा, हम सभी को बहुत अच्छा लगा। बड़ी बड़ी ख़ुशियों के पीछे भागते-भागते हम लोग छोटी छोटी ख़ुशियों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन यदि व्यक्ति संतुष्ट हो, तो वो ऐसे छोटी छोटी घटनाओं, छोटी छोटी बातों का आनंद उठा सकता है!