17-07-2021, 07:01 PM
“तुम उतार दो। मैं तुम्हारी हूँ। तुमको मेरे साथ कुछ भी करने के लिए मुझसे पूछने, कहने की आवश्यकता नहीं।”
मैंने जल्दी से अल्का को पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया। बात केवल ब्लाउज की हुई थी, लेकिन अगर चाँदनी की चमक थोड़ी और बढ़ जाएगी, तो कोई हर्ज़ नहीं! हा हा!
फिर मैंने अल्का को स्वादिष्ट खीर खिलानी शुरू की। एक चम्मच भर खीर उसको खिलता, और दूसरा चम्मच मैं ख़ुद खाता। अल्का वास्तव में अपार दुःख से ग्रसित थी - एक तो अम्मा ने बेचारी को बेतहाशा डाँट और गालियों की बौछार से पस्त कर दिया था, और ऊपर से भूख के कारण रही सही कसर निकल गई थी। मेरे थोड़े से प्यार और दुलार से उसको बहुत स्वान्त्वना मिली। कुछ ही देर में उसका मन कुछ हल्का सा हो गया, और वो भी दबी दबी हंसी में हंसने लगी.. दबी दबी इसलिए कि कि कहीं अम्मम्मा जाग न जाएँ।
“तुमको मुझे ऐसे नंगी देखना अच्छा लगता है, कुट्टन?”
यह कैसा सवाल.. ?
“बिलकुल अच्छा लगता है, मोलू! तुमसे सुन्दर लड़की कोई और है ही नहीं!”
“तुमको केवल मेरा शरीर अच्छा लगता है, कुट्टन?”
अरे यह क्या कह दिया मेरी मोलू ने!
“नहीं मेरी जान - मुझे तुम्हारा सब कुछ अच्छा लगता है। मुझे यह अच्छा लगता है कि तुम मुझसे प्रेम करती हो। मुझे यह अच्छा लगता है कि तुमने मेरे कारण बिना अपनी परवाह किए अपने पूरे परिवार से बैर ले लिया। मेरे कारण तुमने अम्मा की इतनी खरी खोटी सुनी। मुझे तुम्हारा मन अच्छा लगता है.. तुम्हारा व्यवहार अच्छा लगता है। जिस तरह से तुम मुस्कुराती हो, मुझे वो अच्छा लगता है। जिस तरह से अपने बालों की लट पीछे करती हो, मुझे वो अच्छा लगता है.. जिस तरह से तुम मुझे देखती हो, मुझे वो अच्छा लगता है। मुझे तुम्हारी हर बात अच्छी लगती है.. तुम्हारा सब कुछ अच्छा लगता है... और मुझे यकीन है कि मेरा भाग्य इतना प्रबल है कि तुम मुझे मिलोगी! कोई बड़े पुण्य कर डाले होंगे मैंने पिछले जनम में कि इस जनम में मुझे तुम्हारा साथ मिला है! मुझे यह बात भी सोच कर अच्छा लगता है!”
यह सब कह कर मैंने अल्का को चूमा... उसकी आँखों से आँसू आ गए..
“कुट्टन.. मेरे अंदर आ जाओ..”
“अभी?”
“हाँ कुट्टन! अभी..” कह कर अल्का ने अपने पाँव खोल कर, चित्त लेट गई।
मेरा लिंग तुरंत ही उत्तेजित हो कर खड़ा हो गया। मैंने अपना लिंग पकड़ कर अल्का की योनि में उतार दिया - अल्का के मुँह से एक कामुक सिसकारी निकल गई और आँखों से और आँसू निकल पड़े। एक तो ऐसी कामुक रात, ऊपर से अम्मम्मा बगल में ही सो रहीं थीं; और तो और बगल के कमरे में अम्मा और अच्चन थे! यह सब जानते हुए भी अल्का के साथ यूँ संसर्ग करना…! इस तरह की प्रदर्शनवृत्ति से मैं और भी अधिक उत्तेजित हो गया और हलके हलके, लेकिन दमदार धक्के लगाते हुए अल्का को भोगने लगा। पिछले कुछ दिनों से सम्भोग करने के बावज़ूद अल्का को अभी भी संभोग करते हुए तकलीफ तो हो रही थी, लेकिन उसको आनंद भी बहुत आ रहा था। मुझे यह तो मालूम था कि बहुत देर तक यह चलने वाला नहीं है, इसलिए मैं अल्का को प्रेमपूर्वक अपने बाहुपाश में लिए उसको भोग रहा था। कमरे में हमारे घर्षण से उत्पन्न हमारे रस के मिश्रण की महक फैल गई थी, और हमारी कामुक आहें और उनके बीच में उठने वाली ‘पिच’ ‘पिच’ की आवाज़ भी गूँजने लगी थीं।
अल्का जैसे एक प्रकार के स्वर्ग में थी - अपने पति से सम्भोग करना एक अत्यंत स्वाभाविक क्रिया है, लेकिन अपने परिवारजनों के बगल में, ऐसी अवस्था में उन्मुक्त हो कर सम्भोग करने में जो रोमांच था, वह कहाँ मिलता? थोड़ी देर बाद मैंने धक्के लगाने की गति तेज कर दी। बहुत सम्हालने का प्रयत्न किया, लेकिन सम्भोग के आनंद की आहें भरना रोक नहीं सके। जल्दी ही मैंने एक जोर का धक्का लगाया और अल्का के भीतर ही स्खलित हो गया। अल्का को जब अपने भीतर मेरे स्खलन का अनुभव हुआ, तो वह भी अपने चरम सुख तक पहुँच गई। मैं उसके ऊपर ही लेट कर खुद को संयत करने लगा।
मैंने जल्दी से अल्का को पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया। बात केवल ब्लाउज की हुई थी, लेकिन अगर चाँदनी की चमक थोड़ी और बढ़ जाएगी, तो कोई हर्ज़ नहीं! हा हा!
फिर मैंने अल्का को स्वादिष्ट खीर खिलानी शुरू की। एक चम्मच भर खीर उसको खिलता, और दूसरा चम्मच मैं ख़ुद खाता। अल्का वास्तव में अपार दुःख से ग्रसित थी - एक तो अम्मा ने बेचारी को बेतहाशा डाँट और गालियों की बौछार से पस्त कर दिया था, और ऊपर से भूख के कारण रही सही कसर निकल गई थी। मेरे थोड़े से प्यार और दुलार से उसको बहुत स्वान्त्वना मिली। कुछ ही देर में उसका मन कुछ हल्का सा हो गया, और वो भी दबी दबी हंसी में हंसने लगी.. दबी दबी इसलिए कि कि कहीं अम्मम्मा जाग न जाएँ।
“तुमको मुझे ऐसे नंगी देखना अच्छा लगता है, कुट्टन?”
यह कैसा सवाल.. ?
“बिलकुल अच्छा लगता है, मोलू! तुमसे सुन्दर लड़की कोई और है ही नहीं!”
“तुमको केवल मेरा शरीर अच्छा लगता है, कुट्टन?”
अरे यह क्या कह दिया मेरी मोलू ने!
“नहीं मेरी जान - मुझे तुम्हारा सब कुछ अच्छा लगता है। मुझे यह अच्छा लगता है कि तुम मुझसे प्रेम करती हो। मुझे यह अच्छा लगता है कि तुमने मेरे कारण बिना अपनी परवाह किए अपने पूरे परिवार से बैर ले लिया। मेरे कारण तुमने अम्मा की इतनी खरी खोटी सुनी। मुझे तुम्हारा मन अच्छा लगता है.. तुम्हारा व्यवहार अच्छा लगता है। जिस तरह से तुम मुस्कुराती हो, मुझे वो अच्छा लगता है। जिस तरह से अपने बालों की लट पीछे करती हो, मुझे वो अच्छा लगता है.. जिस तरह से तुम मुझे देखती हो, मुझे वो अच्छा लगता है। मुझे तुम्हारी हर बात अच्छी लगती है.. तुम्हारा सब कुछ अच्छा लगता है... और मुझे यकीन है कि मेरा भाग्य इतना प्रबल है कि तुम मुझे मिलोगी! कोई बड़े पुण्य कर डाले होंगे मैंने पिछले जनम में कि इस जनम में मुझे तुम्हारा साथ मिला है! मुझे यह बात भी सोच कर अच्छा लगता है!”
यह सब कह कर मैंने अल्का को चूमा... उसकी आँखों से आँसू आ गए..
“कुट्टन.. मेरे अंदर आ जाओ..”
“अभी?”
“हाँ कुट्टन! अभी..” कह कर अल्का ने अपने पाँव खोल कर, चित्त लेट गई।
मेरा लिंग तुरंत ही उत्तेजित हो कर खड़ा हो गया। मैंने अपना लिंग पकड़ कर अल्का की योनि में उतार दिया - अल्का के मुँह से एक कामुक सिसकारी निकल गई और आँखों से और आँसू निकल पड़े। एक तो ऐसी कामुक रात, ऊपर से अम्मम्मा बगल में ही सो रहीं थीं; और तो और बगल के कमरे में अम्मा और अच्चन थे! यह सब जानते हुए भी अल्का के साथ यूँ संसर्ग करना…! इस तरह की प्रदर्शनवृत्ति से मैं और भी अधिक उत्तेजित हो गया और हलके हलके, लेकिन दमदार धक्के लगाते हुए अल्का को भोगने लगा। पिछले कुछ दिनों से सम्भोग करने के बावज़ूद अल्का को अभी भी संभोग करते हुए तकलीफ तो हो रही थी, लेकिन उसको आनंद भी बहुत आ रहा था। मुझे यह तो मालूम था कि बहुत देर तक यह चलने वाला नहीं है, इसलिए मैं अल्का को प्रेमपूर्वक अपने बाहुपाश में लिए उसको भोग रहा था। कमरे में हमारे घर्षण से उत्पन्न हमारे रस के मिश्रण की महक फैल गई थी, और हमारी कामुक आहें और उनके बीच में उठने वाली ‘पिच’ ‘पिच’ की आवाज़ भी गूँजने लगी थीं।
अल्का जैसे एक प्रकार के स्वर्ग में थी - अपने पति से सम्भोग करना एक अत्यंत स्वाभाविक क्रिया है, लेकिन अपने परिवारजनों के बगल में, ऐसी अवस्था में उन्मुक्त हो कर सम्भोग करने में जो रोमांच था, वह कहाँ मिलता? थोड़ी देर बाद मैंने धक्के लगाने की गति तेज कर दी। बहुत सम्हालने का प्रयत्न किया, लेकिन सम्भोग के आनंद की आहें भरना रोक नहीं सके। जल्दी ही मैंने एक जोर का धक्का लगाया और अल्का के भीतर ही स्खलित हो गया। अल्का को जब अपने भीतर मेरे स्खलन का अनुभव हुआ, तो वह भी अपने चरम सुख तक पहुँच गई। मैं उसके ऊपर ही लेट कर खुद को संयत करने लगा।