Thread Rating:
  • 7 Vote(s) - 3 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
अगले कुछ दिन अम्मा के आगमन की राह देखने में निकल गए। उनको केवल इतना ही बताया गया था कि अल्का के विवाह के लिए बहुत आवश्यक बात करनी है, और इसलिए वो और अच्चन यथाशीघ्र घर जाएँ। उनको हमारे सम्बन्ध के बारे में कुछ नहीं बताया गया था। यह समय हमने अपने बीच की अंतरंगता को बढ़ाने में व्यतीत किया। यह समय हमने एक दूसरे की पसंद और नापसंद जानने समझने, एक दूसरे के जीवन की कहानियाँ सुनने जैसे कामों में व्यतीत किया। दाम्पत्य के सुख के लिए यह सब जानना बहुत आवश्यक होता है। हमारी अंतरंगता शारीरिक नहीं, बल्कि आत्मिक थी। उन कुछ दिनों में हमारा प्रेम और प्रगाढ़ हो गया। और हमको यह दृढ़ विश्वास हो गया कि अब हमारे प्रेम की परिणति विवाह के बंधन में बंध जाने से ही होगी। साथ ही साथ हमको यह डर भी खाए जा रहा था कि अम्मा और अच्चन क्या सोचेंगे, और हमारे सम्बन्ध के बारे में जान कर कैसी प्रतिक्रिया देंगे। इसी उधेड़बुन में वह दिन गया जब अम्मा और अच्चन घर आए।


जैसी कि हमको अम्मा से उम्मीद थी, उनकी इस पूरे घटनाक्रम को लेकर प्रतिक्रिया बहुत ही नकारात्मक और विस्फोटक थी। अम्मम्मा, चिन्नम्मा, अल्का, और मैं - हम चारों लोग बहुत देर तक उनके कोप का भाजन बने रहे। वो हम पर दिल खोल कर कुपित हुईं - उन्होंने हम पर चिल्लाया, हमको बुरा (भला) बुरा कहा, हम सभी को चरित्रहीन बताया : अम्मम्मा को विच्छिप्त बुढ़िया; अल्का को चरित्रहीन, डायन, नागिन और कुतिया; मुझे महामूर्ख, निकम्मा और आवारा और भी जाने क्या कुछ कहा! अम्मम्मा ने हम सभी को सख्त हिदायद दी हुई थी कि हम अम्मा से किसी भी तरह का विवाद नहीं करेंगे, उनसे कैसा भी प्रतिकार नहीं करेंगे, बस हम उनकी सारी बातें, सारी गालियाँ, सारी डाँट चुपचाप सुन लेंगे। उनका गुस्सा जायज़ है (वो अलग बात है कि उनके गुस्से की कोई बुनियाद नहीं है) अपनी बात उनको सुनाने से पहले, उनका क्रोध कम होना आवश्यक है। तो हमने सब कुछ सुना, सब कुछ बर्दाश्त किया, और चुप रहे। मेरे पिता जी, अम्मा की अपेक्षा आश्चर्यजनक रूप में काफी शांत नज़र आए। मुझे पहले लग रहा था कि अम्मा नहीं, अच्चन अधिक बखेड़ा खड़ा करेंगे। लेकिन वैसा नहीं था। वो तो कुछ बाद में मुझे समझ में आया कि उनको इस विवाह-सम्बन्ध से होने वाले आर्थिक लाभ ने शांत कर के रखा हुआ था।

सामान्य गणित के हिसाब से, अम्मा का हमारी पैतृक संपत्ति में केवल पंद्रह बीस प्रतिशत की ही हिस्सेदारी बनती है, और उतनी ही अल्का की भी। एक छोटा सा हिस्सा (मुश्किल से कोई दस प्रतिशत) मेरा है, और शेष सब कुछ अम्मम्मा का है। इसका मतलब यह है कि यदि अल्का बहू बन कर हमारे घर आती है, तो हमारा सब कुछ, हमारी सारी संपत्ति एक ही घर में रह जाएगी - मतलब पिताजी के घर में! नानी वैसे भी अपना सब कुछ हमारे ही नाम लिखने वाली थीं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह थी कि अल्का ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी कमाई से काफ़ी सम्पत्ति जोड़ ली थी.. जाहिर सी बात है कि विवाह के बाद यह सब कुछ एक ही घर में एकीकृत हो जाएगा। कुल मिला कर यह एक अत्यंत लाभकारी सम्बन्ध प्रस्ताव था। और ऊपर से उनको मुझसे कोई ख़ास उम्मीद नहीं थीउनकी दृष्टि में मैं महानिकम्मा था। वो तो यही सोचते थे कि मैं अपने जीवन में शायद ही कुछ कर पाऊँ... उस हालत में मुझे दहेज़ में कुछ ख़ास मिलना कितना मुश्किल रहेगा यह कुछ कहा नहीं जा सकता! इसलिए जो मिल रहा है, उनको वही बहुत अलग रहा था। और जो मिल रहा था वह किसी भी प्रकार से कम नहीं था।

इस समय हमारे पाठकों को यह बता देना आवश्यक है कि हमारी अधिकतर सामाजिक रीतियाँ दरअसल संपत्ति के समीकरणों के इर्द गिर्द बनाई गईं हैं। उनके पीछे मानवीय भावनाओं के संरक्षण कोई कारण, कोई तर्क नहीं है। दक्षिण भारत के कई समाजों में मामा - भांजी, और ममेरे भाई बहनों में विवाह सम्बन्ध बनाए जाते हैं। उसके पीछे का तर्क यह है कि घर की संपत्ति घर में ही रह जाती है, अन्यथा उसका बँटवारा हो जाता है। कहने का मतलब यह है कि धन-संपत्ति विवाह संबंधों के लिए एक बलवान प्रेरक है। संपत्ति के साथ साथ अच्चन ने यह भी सोचा होगा कि मुझे बैठे बिठाए रोज़गार भी मिल जाएगा... एक तो जाने कैसे ठेल ठेल कर मुझे अभियांत्रिकी की पढ़ाई के लिए दाखिला दिलवाना पड़ता, फिर उसकी पढ़ाई करने में जाने कितना खर्च आता; और सबसे बड़ी बात यह थी कि मुझे उस विषय में कोई रुचि भी नहीं थी... यह तो खड़ी मजूरी चोखा दाम वाली कहावत सिद्ध हो गई थी। उनकी गणित के हिसाब से यह सर्वोत्तम सम्बन्ध था। ऊपर से वर वधू एक दूसरे से प्रेम भी करते हैं... इतना सब होने पर इस सम्बन्ध को अस्वीकार करने जैसा कुछ भी नहीं था... इसलिए अच्चन ने हमको कुछ नहीं कहा। लेकिन उन्होंने क्रोधित अम्मा को हमको गालियाँ देने से रोका भी नहीं। संभवतः वो सही समय के आने का इंतज़ार कर रहे थे।
[+] 2 users Like usaiha2's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam - by usaiha2 - 17-07-2021, 06:59 PM



Users browsing this thread: 7 Guest(s)