17-07-2021, 06:28 PM
“तो क्या तुम मेरे लिए अपने अच्चन, अम्मा और अम्मम्मा (नानी) से झगड़ा कर लोगे?”
“झगड़ा क्यों करना पड़ेगा? मैं उनसे बात करूँगा। मुझे लगता है कि सभी मान जाएँगे!”
“पता नहीं! तुम बहुत अच्छे हो... इसलिए तुमको सभी में सिर्फ अच्छाई ही दिखती है। मुझे तो बहुत डर लग रहा है चिन्नू! हम जिस रास्ते पर चल पड़े हैं, उसकी कोई मंज़िल भी है, या बस यूँ ही!” कहते हुए अल्का उदास हो गई।
“मंज़िल है मोलू! कहो तो कल ही बात करूँ मैं अम्मम्मा से?”
“नहीं! अभी नहीं। पहले अपना काम देखो। वहां फोकस करो। तुम्हारा काम खुद में ही एक पहाड़ है। एक बार वो पूरा हो जाए, तो फिर आगे का सोचेंगे। तुम या मैं एक समय में दो दो पहाड़ नहीं लाँघ सकते। इतना इंतज़ार किया है, तो थोड़ा सा और सही। लेकिन अभी नहीं। अभी मुश्किल होगी।”
यह कह कर अल्का मुझसे लिपट गई। अल्का जैसी कर्मठ, और मज़बूत इरादों वाली लड़की अगर इस तरह से डर जाए, तो सोचने वाली बात तो है। प्रेम के कारण किसी व्यक्ति को आघात लग सकता है, मुझे यह बात समझ में आ गई थी। हमारा प्रेम जल्दी से परवान चढ़ा था या कि हमको अपना एक दूसरे के लिए प्रेम समझने में समय लग गया था? जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूँ कि मुझे एक लम्बे समय से अपने लिए अल्का जैसी लड़की का ही साथ श्रेयस्कर लगता था। इस लिहाज़ से ‘अल्का जैसी किसी लड़की’ से तो अल्का ही कहीं अच्छी है। शारीरिक आसक्ति तो मुझे अब हुई है। लेकिन उसके गुणों से आसक्ति तो न जाने कब से है। यह तो मेरी भली किस्मत है कि वो किसी और को नहीं मिली। वैसे यह सब बातें तो ठीक हैं, लेकिन मैं अल्का को क्यों पसंद था? उसने ही मुझे कहा कि वो बहुत दिनों से मुझसे प्रेम करती है। हम इतने लम्बे लम्बे अंतराल पर एक दूसरे से मिलते हैं। कुछ तो बात होगी, कि मैं उसको भी पसंद हूँ!
“मोलू मेरी, बिलकुल मत डरो। मैं तुम्हारे साथ हूँ। हमारे सब काम पूरे होंगे।” मैंने उसको आलिंगनबद्ध कर के उसके सर को चूमते हुए कहा।
मुझे अपने कंधे पर उसके गरम गरम आँसू गिरते महसूस हुए।
“अरे! तुम रो क्यों रही हो?” मैंने उसको अपने से अलग करते, और उसके आँसू पोंछते हुए पूछा, “क्या हो गया? प्लीज़ अपने मन की बात मुझसे कह दो?”
“कुछ नहीं मेरे कुट्टन। मैं दुःखी नहीं हूँ। बस तुमसे दूर होने के ख़याल से डर गई हूँ।”
“अरे, लेकिन हम अभी अभी तो मिले हैं! दूर क्यों होंगे? तुम मत डरो। तुम्हारा प्रेम मेरे साथ है। और मेरे हाथों में ताक़त है। अगर हमको सबसे दूर हो कर अपना अलग घर बसाना पड़े, तो वो भी करने में सक्षम हूँ मैं!”
“हाँ मेरे चेट्टन! हाँ! मुझे उस बात में कोई संदेह नहीं है। लेकिन दोबारा ये सबसे अलग होने वाली बात मत बोलना। अपनी जड़ें छोड़ कर हमारा ख़ुद का क्या अस्तित्व है! और हम सबसे अलग हो कर अपना घर बसा भी लें, तो क्या? मैं वो औरत नहीं बनना चाहती जो घर तोड़ती है।”
“इसीलिए तो मैंने कहा न आलू, कि मैं सबसे बात करूँगा। और सबको मना लूँगा!”
अल्का मुस्कुराई, “थैंक यू मेरे चिन्नू!”
“आओ, मैं तुमको सुला दूँ!” कह कर मैंने अल्का को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके बगल आ कर लेट गया।
“लेकिन, दरवाज़ा और निलाविलक्कु?”
“शिह्हह्ह... अब एक और शब्द नहीं। मैं तुमको सुलाने के लिए एक गाना सुनाऊँ?”
“तुम गाते हो?” अल्का ने आश्चर्य करते हुए पूछा, “पहले क्यों नहीं बताया?”
“पति के गुण धीरे धीरे मालूम होने चाहिए, प्रिये। इससे प्रेम बढ़ता है!” मैंने हाल ही में देखी हुई एक मजेदार हिंदी फिल्म का एक डायलॉग चिपका दिया। मौके पर चौका मारना इसको ही कहते हैं।
अल्का शर्म से मुस्कुराई।
“झगड़ा क्यों करना पड़ेगा? मैं उनसे बात करूँगा। मुझे लगता है कि सभी मान जाएँगे!”
“पता नहीं! तुम बहुत अच्छे हो... इसलिए तुमको सभी में सिर्फ अच्छाई ही दिखती है। मुझे तो बहुत डर लग रहा है चिन्नू! हम जिस रास्ते पर चल पड़े हैं, उसकी कोई मंज़िल भी है, या बस यूँ ही!” कहते हुए अल्का उदास हो गई।
“मंज़िल है मोलू! कहो तो कल ही बात करूँ मैं अम्मम्मा से?”
“नहीं! अभी नहीं। पहले अपना काम देखो। वहां फोकस करो। तुम्हारा काम खुद में ही एक पहाड़ है। एक बार वो पूरा हो जाए, तो फिर आगे का सोचेंगे। तुम या मैं एक समय में दो दो पहाड़ नहीं लाँघ सकते। इतना इंतज़ार किया है, तो थोड़ा सा और सही। लेकिन अभी नहीं। अभी मुश्किल होगी।”
यह कह कर अल्का मुझसे लिपट गई। अल्का जैसी कर्मठ, और मज़बूत इरादों वाली लड़की अगर इस तरह से डर जाए, तो सोचने वाली बात तो है। प्रेम के कारण किसी व्यक्ति को आघात लग सकता है, मुझे यह बात समझ में आ गई थी। हमारा प्रेम जल्दी से परवान चढ़ा था या कि हमको अपना एक दूसरे के लिए प्रेम समझने में समय लग गया था? जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूँ कि मुझे एक लम्बे समय से अपने लिए अल्का जैसी लड़की का ही साथ श्रेयस्कर लगता था। इस लिहाज़ से ‘अल्का जैसी किसी लड़की’ से तो अल्का ही कहीं अच्छी है। शारीरिक आसक्ति तो मुझे अब हुई है। लेकिन उसके गुणों से आसक्ति तो न जाने कब से है। यह तो मेरी भली किस्मत है कि वो किसी और को नहीं मिली। वैसे यह सब बातें तो ठीक हैं, लेकिन मैं अल्का को क्यों पसंद था? उसने ही मुझे कहा कि वो बहुत दिनों से मुझसे प्रेम करती है। हम इतने लम्बे लम्बे अंतराल पर एक दूसरे से मिलते हैं। कुछ तो बात होगी, कि मैं उसको भी पसंद हूँ!
“मोलू मेरी, बिलकुल मत डरो। मैं तुम्हारे साथ हूँ। हमारे सब काम पूरे होंगे।” मैंने उसको आलिंगनबद्ध कर के उसके सर को चूमते हुए कहा।
मुझे अपने कंधे पर उसके गरम गरम आँसू गिरते महसूस हुए।
“अरे! तुम रो क्यों रही हो?” मैंने उसको अपने से अलग करते, और उसके आँसू पोंछते हुए पूछा, “क्या हो गया? प्लीज़ अपने मन की बात मुझसे कह दो?”
“कुछ नहीं मेरे कुट्टन। मैं दुःखी नहीं हूँ। बस तुमसे दूर होने के ख़याल से डर गई हूँ।”
“अरे, लेकिन हम अभी अभी तो मिले हैं! दूर क्यों होंगे? तुम मत डरो। तुम्हारा प्रेम मेरे साथ है। और मेरे हाथों में ताक़त है। अगर हमको सबसे दूर हो कर अपना अलग घर बसाना पड़े, तो वो भी करने में सक्षम हूँ मैं!”
“हाँ मेरे चेट्टन! हाँ! मुझे उस बात में कोई संदेह नहीं है। लेकिन दोबारा ये सबसे अलग होने वाली बात मत बोलना। अपनी जड़ें छोड़ कर हमारा ख़ुद का क्या अस्तित्व है! और हम सबसे अलग हो कर अपना घर बसा भी लें, तो क्या? मैं वो औरत नहीं बनना चाहती जो घर तोड़ती है।”
“इसीलिए तो मैंने कहा न आलू, कि मैं सबसे बात करूँगा। और सबको मना लूँगा!”
अल्का मुस्कुराई, “थैंक यू मेरे चिन्नू!”
“आओ, मैं तुमको सुला दूँ!” कह कर मैंने अल्का को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके बगल आ कर लेट गया।
“लेकिन, दरवाज़ा और निलाविलक्कु?”
“शिह्हह्ह... अब एक और शब्द नहीं। मैं तुमको सुलाने के लिए एक गाना सुनाऊँ?”
“तुम गाते हो?” अल्का ने आश्चर्य करते हुए पूछा, “पहले क्यों नहीं बताया?”
“पति के गुण धीरे धीरे मालूम होने चाहिए, प्रिये। इससे प्रेम बढ़ता है!” मैंने हाल ही में देखी हुई एक मजेदार हिंदी फिल्म का एक डायलॉग चिपका दिया। मौके पर चौका मारना इसको ही कहते हैं।
अल्का शर्म से मुस्कुराई।