17-07-2021, 06:27 PM
खाने के बाद मैं कुछ देर टहलने निकल गया और जब वापस आया तो देखा कि रोज़ की तरह चिन्नम्मा और अल्का रसोई की साफ़ सफाई नहीं कर रहीं थीं; सिर्फ चिन्नम्मा ही थीं। पूछने पर बताया कि अल्का स्नान करने गई है। और वो भी साफ सफाई कर के अपने घर चली जाएँगीं। तो मैंने सोचा कि चलो, अब लेट जाया जाए। बिस्तर पर लेटे लेटे मैंने महसूस किया कि मैं अल्का के आने की राह देख रहा हूँ। बेसब्री नहीं थी, लेकिन एक तरह की आस थी। अब वाली अल्का पहले वाली अल्का नहीं थी। ये मेरी प्रेमिका है, वो मेरी मौसी थी। अंतर है। वैसे तो कमरे में हम बस एक लालटेन जलाते थे, लेकिन उस रात मैंने ‘हमारे’ कमरे को निलाविलक्कु (एक तरह का फ्लोर लैंप) की रोशनी से भी नहला दिया था। जब अल्का कमरे में आई, तो यह बंदोबस्त देख कर मुस्कुरा उठी। कुछ बोली तो नहीं, लेकिन शर्मा ऐसी रही थी कि सच पूछो, दिल से आह निकल जाए।
काफी देर तक हम दोनों कुछ नहीं बोले। अंततः अल्का ने ही चुप्पी तोड़ी,
“मेरे कुट्टन, इतनी रौशनी में हम सोएँगे कैसे?”
“ये रौशनी मैंने सोने के लिए नहीं, बल्कि तुमको देखने के लिए करी है।”
अल्का और शरमा गई।
“पूरा समय तो मुझको देखा तुमने! मैं तो अभी भी वैसी ही हूँ, जैसी भोजन के समय थी। कोई अंतर थोड़े ही आ गया है मुझमें।”
“नहीं मेरी मोलू, बहुत अंतर आ गया है। सब कुछ बदल गया है।”
मैंने अल्का का हाथ पकड़ कर बिस्तर पर बैठाया। उसने मैक्सी पहनी हुई थी। उमस के कारण पसीने की एक पतली सी परत अब स्थाई रूप से हमारे शरीर पर मौजूद रहने लगी थी। चाहे नहाओ, चाहे न नहाओ! मानसून बस आ ही गया था, और कभी भी, किसी भी दिन बरस सकता था। मैंने बिना कुछ कहे ही उसकी मैक्सी के बटन खोले। उस मैक्सी में गले से लेकर नाभि तक बटन थे। अगर सारे बटन खोल दिए जाएँ, तो उसको बड़ी आसानी से कन्धों से सरका कर यूँ ही उतारा जा सकता था। तो मैंने उसको उतार दिया। अल्का अब सिर्फ चड्ढी पहने मेरे सामने बैठी हुई थी।
“मोल्लू?”
“हम्म्म?”
“मन होता है कि तुमको हमेशा ऐसे ही रखूँ!”
“अच्छा जी!”
“हाँ!” मैंने उसके एक मुलाक्कल को सहलाते हुए कहा।
“मेरी किस्मत तो देखो! एक तो इतने बुढ़ापे में जा कर मुझे अपना चेट्टन (पति) मिला, और मिला भी तो ऐसा जो मुझे बिना कपड़ों के रखना चाहता है!”
अल्का की बात पर कोई हँसे बिना कैसे रहे? हमेशा हंसने, मुस्कुराने वाली, बेहद खुशमिजाज़ लड़की! कैसा सौभाग्य है मेरा!
“मोल्लू?”
“हाँ मेरे कुट्टन?”
“इन पृयूरों को चख लूँ?”
“मैंने तुमको पहले ही कहा है न कुट्टन, तुमको जैसा मन करे, तुम खेलो। मेरा सब कुछ तुम्हारा है। लेकिन एक पल को रुको, मैं दरवाज़ा बंद करके आती हूँ।”
“नहीं बैठो न! कौन आएगा? अम्मम्मा तो सो गई हैं। और चिन्नम्मा अपने घर चली गई हैं।”
“हाँ, वो तो ठीक है। लेकिन अगर अम्मा जग गईं और मुझे इस हालत में देखा, तो मेरी खाल खींच लेंगी।”
“क्यों खींच लेंगी? हम क्या कुछ गलत कर रहे हैं? मुझे तुमसे प्रेम है मोलू! मुझे तुम्हारे साथ रहना है उम्र भर। तुम मेरी हो, और मैं तुम्हारा। अब यह एक अटल सत्य है। इसको कोई झुठला नहीं सकता।”
काफी देर तक हम दोनों कुछ नहीं बोले। अंततः अल्का ने ही चुप्पी तोड़ी,
“मेरे कुट्टन, इतनी रौशनी में हम सोएँगे कैसे?”
“ये रौशनी मैंने सोने के लिए नहीं, बल्कि तुमको देखने के लिए करी है।”
अल्का और शरमा गई।
“पूरा समय तो मुझको देखा तुमने! मैं तो अभी भी वैसी ही हूँ, जैसी भोजन के समय थी। कोई अंतर थोड़े ही आ गया है मुझमें।”
“नहीं मेरी मोलू, बहुत अंतर आ गया है। सब कुछ बदल गया है।”
मैंने अल्का का हाथ पकड़ कर बिस्तर पर बैठाया। उसने मैक्सी पहनी हुई थी। उमस के कारण पसीने की एक पतली सी परत अब स्थाई रूप से हमारे शरीर पर मौजूद रहने लगी थी। चाहे नहाओ, चाहे न नहाओ! मानसून बस आ ही गया था, और कभी भी, किसी भी दिन बरस सकता था। मैंने बिना कुछ कहे ही उसकी मैक्सी के बटन खोले। उस मैक्सी में गले से लेकर नाभि तक बटन थे। अगर सारे बटन खोल दिए जाएँ, तो उसको बड़ी आसानी से कन्धों से सरका कर यूँ ही उतारा जा सकता था। तो मैंने उसको उतार दिया। अल्का अब सिर्फ चड्ढी पहने मेरे सामने बैठी हुई थी।
“मोल्लू?”
“हम्म्म?”
“मन होता है कि तुमको हमेशा ऐसे ही रखूँ!”
“अच्छा जी!”
“हाँ!” मैंने उसके एक मुलाक्कल को सहलाते हुए कहा।
“मेरी किस्मत तो देखो! एक तो इतने बुढ़ापे में जा कर मुझे अपना चेट्टन (पति) मिला, और मिला भी तो ऐसा जो मुझे बिना कपड़ों के रखना चाहता है!”
अल्का की बात पर कोई हँसे बिना कैसे रहे? हमेशा हंसने, मुस्कुराने वाली, बेहद खुशमिजाज़ लड़की! कैसा सौभाग्य है मेरा!
“मोल्लू?”
“हाँ मेरे कुट्टन?”
“इन पृयूरों को चख लूँ?”
“मैंने तुमको पहले ही कहा है न कुट्टन, तुमको जैसा मन करे, तुम खेलो। मेरा सब कुछ तुम्हारा है। लेकिन एक पल को रुको, मैं दरवाज़ा बंद करके आती हूँ।”
“नहीं बैठो न! कौन आएगा? अम्मम्मा तो सो गई हैं। और चिन्नम्मा अपने घर चली गई हैं।”
“हाँ, वो तो ठीक है। लेकिन अगर अम्मा जग गईं और मुझे इस हालत में देखा, तो मेरी खाल खींच लेंगी।”
“क्यों खींच लेंगी? हम क्या कुछ गलत कर रहे हैं? मुझे तुमसे प्रेम है मोलू! मुझे तुम्हारे साथ रहना है उम्र भर। तुम मेरी हो, और मैं तुम्हारा। अब यह एक अटल सत्य है। इसको कोई झुठला नहीं सकता।”